डेयरी फार्मिंग से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 23-Apr-2025
Updated on: 23-Apr-2025
Dairy Farming Profitable Business
पशुपालन पशुपालन गाय-भैंस पालन

डेयरी पालन छोटे/सीमांत किसानों और कृषि मजदूरों के लिए सहायक आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पशुओं से प्राप्त गोबर मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए एक अच्छा जैविक पदार्थ प्रदान करता है। 

गोबर गैस को घरेलू ईंधन के रूप में और कुओं से पानी निकालने के लिए इंजनों को चलाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। अतिरिक्त चारा और कृषि उप-उत्पादों का उपयोग पशुओं को खिलाने के लिए लाभप्रद रूप से किया जाता है। 

खेत के कार्यों और परिवहन के लिए लगभग सभी जोत शक्ति बैलों से प्राप्त होती है। चूँकि कृषि अधिकतर मौसमी होती है, इसलिए डेयरी पालन के माध्यम से वर्षभर कई लोगों के लिए रोजगार की संभावना रहती है। इस प्रकार, डेयरी पालन साल भर रोजगार उपलब्ध कराता है।

विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार भारत की 94 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 75 प्रतिशत 5.87 लाख गांवों में रहते हैं, जहाँ 145 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि की खेती होती है। 

औसत खेत आकार लगभग 1.66 हेक्टेयर है। 70 मिलियन ग्रामीण परिवारों में से 42 प्रतिशत 2 हेक्टेयर तक भूमि जोतते हैं और 37 प्रतिशत परिवार भूमिहीन हैं। 

इन भूमिहीन और छोटे किसानों के पास 53 प्रतिशत पशु हैं और वे 51 प्रतिशत दूध का उत्पादन करते हैं। अतः देश के दूध उत्पादन में इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डेयरी पालन एक मुख्य व्यवसाय के रूप में भी अपनाया जा सकता है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों के आस-पास जहाँ दूध की मांग अधिक होती है।

केंद्र और राज्य सरकारें दूध उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान कर रही हैं। पशुपालन और डेयरी के लिए नवें पंचवर्षीय योजना में ₹2,345 करोड़ का प्रावधान किया गया था।

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डेयरी किसानों के लिए अनुशंसित सामान्य प्रबंधन पद्धतियाँ

डेयरी खोलने के लिए कई बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, ये बातें निम्नलिखित है - 

डेयरी खोलने के लिए आवास व्यवस्था:

  • शेड सूखी और ऊंची जमीन पर बनाएँ।
  • जल जमाव और भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से बचें।
  • शेड की दीवारें 1.5 से 2 मीटर ऊँची और छत 3-4 मीटर ऊँची हों।
  • दीवारें नमी-रोधी प्लास्टर की हों।
  • शेड हवादार हो और फर्श पक्का, ढलानयुक्त (3 से.मी./मीटर), फिसलन रहित तथा स्वच्छ हो।
  • पशु के लिए पर्याप्त स्थान, छायादार क्षेत्र, ठंडा पानी, उचित सफाई, और परजीवी नियंत्रण की व्यवस्था हो।

पशु का चयन:

  • ऋण मिलने के तुरंत बाद विश्वसनीय विक्रेता से स्वस्थ पशु खरीदें।
  • दूसरी/तीसरी बियाई में ताजा ब्याई पशु लें।
  • दूध उत्पादन का आकलन करके ही खरीदें।
  • दो दुधारू पशुओं की न्यूनतम इकाई खरीदें और दूसरे पशु को 5-6 माह बाद खरीदें।

पशुओं का आहार:

  • उच्च गुणवत्ता का चारा दें।
  • हरा चारा पर्याप्त मात्रा में हो, कटा हुआ व उचित समय पर काटा गया हो।
  • खलियां अच्छी गुणवत्ता की हों।
  • खनिज, विटामिन, नमक आदि की पूर्ति करें।
  • गर्मी में स्नान या पानी का छिड़काव करें।
  • शरीर के वजन का 2.5-3% सूखा आहार प्रतिदिन दें।

दुग्ध दुहन:

  • प्रतिदिन 2-3 बार एक ही समय पर दूध दुहें।
  • दूध दोहते समय सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • बीमार पशु का दूध अंत में दुहें।

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रोग से सुरक्षा:

  • पशुओं के व्यवहार में बदलाव पर सतर्क रहें।
  • बीमार पशु को अलग करें और पशु चिकित्सक से सलाह लें।
  • ब्रुसेलोसिस, टीबी, मास्टाइटिस आदि की नियमित जांच कराएं।
  • समय-समय पर कृमिनाशक दवाएं दें।

प्रजनन देखभाल:

  • गर्मी के समय, गर्भधारण, प्रसव आदि का रिकॉर्ड रखें।
  • बियान के 60-80 दिनों के भीतर पशु को गाभिन कराएं।

गर्भावस्था में देखभाल: 

  • बियान से दो महीने पहले अतिरिक्त ध्यान दें – आहार, जगह, पानी इत्यादि।

दूध विपणन:

  • दूध तुरंत और स्वच्छ बर्तनों में बिक्री हेतु भेजें।
  • दूध के बर्तनों को क्लोरीन युक्त पानी से धोकर साफ रखें।
  • ठंडे समय में दूध का परिवहन करें।

बछड़ों की देखभाल:

  • जन्म के तुरंत बाद नाभि को टिंचर आयोडीन से साफ करें।
  • 30 मिनट के भीतर बछड़े को खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाएं।
  • 2 महीने तक बछड़े को अलग रखें, टीका लगवाएं, सींग हटवाएं (डेहॉर्निंग) करें।

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डेयरी खोलने के लिए वित्तीय सहायता

NABARD (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) डेयरी योजनाओं के लिए ऋण और पुनर्वित्त सुविधा प्रदान करता है। किसान अपने निकटतम वाणिज्यिक या सहकारी बैंक शाखा में आवेदन कर सकते हैं। तकनीकी अधिकारी या बैंक प्रबंधक सहायता करेंगे।  

बड़ी डेयरी योजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनानी होती है जिसमें शामिल होते हैं:

  • पशुओं की खरीद
  • शेड का निर्माण
  • उपकरणों की खरीद
  • शुरुआती आहार का खर्च
  • परिवहन, गोदाम, प्रोसेसिंग इत्यादि

भूमि की लागत को ऋण में शामिल नहीं किया जाता, लेकिन यदि भूमि डेयरी के लिए खरीदी जाती है तो इसकी लागत को कुल परियोजना लागत का 10% तक किसानों की अंश पूंजी के रूप में माना जा सकता है।