शतावरी को भारत में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे: सतावर, शतावरी, सतमूल
शतावरी की कटाई तब शुरू की जा सकती है, जब शूट (shoots) लगभग 15-20 सेमी लंबे हो जाएं। कटाई सुबह के समय करें, जब कोंपलें कुरकुरी हों।
बलुई दोमट मिट्टी शतावरी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए।
शतावरी गर्म जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होती है। हालांकि, यह हल्की सर्दियों को भी सहन कर सकती है। आदर्श तापमान 15°C से 25°C के बीच होना चाहिए।
बुवाई से पहले खेत में अच्छी तरह से मिश्रित गोबर खाद (10-15 टन प्रति हेक्टेयर) डालें।
शतावरी के पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों में। मिट्टी को नम रखें, लेकिन गीली नहीं। ड्रिप सिंचाई सबसे प्रभावी तरीका है।