भूमि तैयार करना

ज्वार के लिए दोमट या बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है. खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें. जल निकास का उचित प्रबंध करें.

बुवाई

ज्वार की बुवाई का समय आमतौर पर मानसून की शुरुआत, जुलाई का पहला सप्ताह माना जाता है. देर से बुवाई करने से फूल बनते समय अधिक वर्षा की संभावना रहती है. बीजों को कतारों में 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं

खरपतवार नियंत्रण

खेत में खरपतवार फसल के पोषक तत्व कम कर देते हैं. खरपतवार निकालने के लिए निराई गुड़ाई करें या फिर खरपतवारनाशक का प्रयोग करें, परंतु मात्रा का ध्यान रखें

कीट और रोग प्रबंधन

ज्वार में तना छेदक और गुं mia रोग प्रमुख रूप से देखे जाते हैं. फसल की नियमित निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर उचित कीटनाशक या फफूंदनाशक का प्रयोग करें. कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें

खाद डालना

ज्वार की अच्छी पैदावार के लिए संतुलित मात्रा में खाद जरूरी है. बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद डालें. साथ ही, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरकों का भी प्रयोग करें. मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद की मात्रा तय करें

कटाई

दाने का रंग कठोर और भूरा होने पर ज्वार की कटाई का सही समय होता है. दानों में नमी की मात्रा 15 से 17 प्रतिशत होनी चाहिए. कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखा लें.