वांछित लक्षणों का संरक्षण

वानस्पतिक प्रवर्धन से प्राप्त पौधे मूल पौधे की हूबहू प्रतिलिपि होते हैं। इसका मतलब है कि फूलों का रंग, फल का आकार, और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे वांछित लक्षणों को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाए रखा जा सकता है।

जल्दी फल देना

बीज से उगाए गए पौधों की तुलना में वानस्पतिक प्रवर्धन से प्राप्त पौधे जल्दी परिपक्व हो जाते हैं और फल देना शुरू कर देते हैं। यह फल उत्पादकों के लिए लाभदायक होता है क्योंकि इससे उनकी फसल का चक्र कम हो जाता है और उन्हें जल्दी मुनाफा मिलता है।

कुछ पौधों का बीज द्वारा उगाना मुश्किल

कुछ पौधे या तो बीज पैदा नहीं करते हैं या उनके बीजों का अंकुरण (उगना) मुश्किल होता है। ऐसे मामलों में, वानस्पतिक प्रवर्धन ही नए पौधे उगाने का एकमात्र तरीका है।

रोग प्रतिरोधी पौधे

वानस्पतिक प्रवर्धन से रोग प्रतिरोधी पौधों को आसानी से बनाए रखा जा सकता है। रोग प्रतिरोधी मूल पौधे से स्वस्थ टहनियों या कलियों का चयन कर नए रोग प्रतिरोधी पौधे तैयार किए जा सकते हैं।

ज्यादा उपज

कुछ पौधों में वानस्पतिक प्रवर्धन से एक ही पौधे से कई नए पौधे उगाए जा सकते हैं। इससे खेत की उपज बढ़ाने में मदद मिलती है।