मृदा पोषण से पालतू पशु पोषण, मानव स्वास्थ्य और मेडिकल सेवाएं कैसे संबंधित है? जानिए यहां

समुचित मृदा पोषण, पालतू पशुओं का पोषण और मानव पोषण तीनों एक जटिल और समृद्ध प्रणाली का हिस्सा हैं, जो अंततः एक देश के नागरिकों के स्वास्थ्य और उनकी मेडिकल सेवाओं पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

मृदा पोषण का अर्थ है कि मिट्टी में आवश्यक तत्वों जैसे -  नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, सूक्ष्म पोषक तत्व आदि की सही मात्रा हो, जिससे पौधों को उनका सही विकास मिल सके।

पालतू पशुओं का पोषण (विशेषकर दुग्ध और मांस उत्पादक पशु) कृषि चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। पशुओं के पोषण का सीधा संबंध उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता से होता है।

मानव पोषण सीधे-सीधे मृदा पोषण और पशु पोषण से प्रभावित होता है। मृदा और पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य का परिणाम ही मानव स्वास्थ्य की समृद्धि में दिखता है।

जब नागरिकों को समुचित पोषण प्राप्त होता है, तो इसका सीधा प्रभाव मेडिकल सेवाओं पर पड़ता है। यदि देश के नागरिक स्वस्थ और पोषण से भरपूर आहार लेते हैं, तो चिकित्सा सेवाओं पर दबाव कम होता है।

एक देश की समृद्धि का सीधा संबंध उसके नागरिकों के स्वास्थ्य से होता है। यदि नागरिक स्वस्थ हैं, तो वे अधिक उत्पादक होते हैं, जिससे देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होता है।

किसानों द्वारा उगाई जाने वाली फसलें ही नागरिकों का मुख्य आहार होती हैं। इन फसलों की गुणवत्ता और पोषण स्तर सीधे नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

जब किसान रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, और हानिकारक पदार्थों का उपयोग करते हैं, तो यह फसलों के माध्यम से नागरिकों के शरीर में पहुंचते हैं, जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

स्थानीय किसानों द्वारा उत्पादित ताजे और जैविक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता नागरिकों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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