गुड़मार की खेती कैसे करें: उपज, उत्पादन और औषधीय लाभ
गुड़मार, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसे "जिमनिमा सिल्वेस्ट्रे" के रूप में भी जाना जाता है।
गुड़मार की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु उपयुक्त होती है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से मध्य भारत, पश्चिमी घाट, कोकण और त्रिवणकोर के वनों में होता है।
गुड़मार के पौधों की खेती बीजों के माध्यम से की जाती है। बीजों को रोपने से पहले फफूँदनाशक जैसे डायथेन एम-45 या बोवेस्टीन से उपचारित किया जाता है।
गुड़मार के पौधों को 1x1 मीटर की दूरी पर गड्ढों में रोपा जा सकता है। प्रत्येक गड्ढे में 5 किलोग्राम गोबर की खाद और 50 ग्राम नीम की खली डालनी चाहिए। प्रति हेक्टेयर लगभग 10,000 पौधे लगाए जाते हैं।
गर्मियों में पौधों को 10-15 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
गुड़मार की पत्तियाँ औषधीय उपयोग के लिए मुख्य रूप से एकत्र की जाती हैं। पहले वर्ष से ही पत्तियाँ प्राप्त होने लगती हैं और समय के साथ बेलें बढ़ती रहती हैं।