फसल रोटेशन के लाभ और विधियाँ

फसल रोटेशन यानी फसलों को बारी-बारी से बदलकर उगाना। यह खेती की एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है।

फसल रोटेशन के लाभ मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना: फसलों को बदलकर उगाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी नहीं होती। कीट और रोग नियंत्रण: एक ही प्रकार की फसल बार-बार उगाने से कीट और रोग बढ़ते हैं, जबकि फसल रोटेशन से यह कम होते हैं।

दलहनी और अनाज का चक्र – एक सीजन में दलहनी फसलें (जैसे मूंग, चना) उगाएं। – अगले सीजन में अनाज की फसलें (जैसे गेहूं, धान) उगाएं।

सब्जियों और तिलहनों का चक्र – सब्जियों की खेती के बाद तिलहनों (जैसे सरसों, मूंगफली) की खेती करें। – सब्जियों की फसलों के बाद तिलहन फसलें उगाने से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।

तिहरी फसल चक्र – पहले सीजन में गेहूं, दूसरे में मक्का, और तीसरे में दाल की खेती करें। – यह विधि जलवायु के अनुसार फसलों को बदलने में मदद करती है।

फसल रोटेशन से मिट्टी में सुधार – फसल रोटेशन से मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है। – इससे खेतों में खरपतवार का नियंत्रण होता है।

किसानों के लिए मिट्टी की जांच का महत्व