गाजर घास (कांग्रेस घास): फसलों, इंसानों और पशुओं पर प्रभाव और नियंत्रण के उपाय
खेती में सबसे अधिक नुकसान का कारण खरपतवार होते हैं। फसलों को कई प्रकार के खरपतवार प्रभावित करते हैं जिससे उपज में कमी आती हैं।
गाजर घास को अंग्रेजी में पार्थेनियम बोला जाता है जो की एक घातक खरपतवार (weed) होता है, जिसे आमतौर पर "गाजर घास" के नाम से भी जाना जाता है।
1950 के दशक में अमेरिका से गाजर घास (पार्थेनियम) भारत आया था। माना जाता है कि जब अमेरिका से गेहूं की खेप भेजी गई थी, तब यह घास भारत में आ गई थी।
गाजर घास या पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस एक आक्रामक खरपतवार है। गाजर घास का तना सीधा और शाखित होता है, जो 0.5 से 1.5 मीटर तक ऊँचा हो सकता है.
गर्मियों के मौसम में फूलों की वृद्धि अधिक होती है। गाजर घास फल छोटे और सूखे होते हैं, जिनमें एक छोटा सा बीज पाया जाता है।
– सबसे पहले गाजर घास के प्रसार को रोकने के लिए जैविक, यांत्रिक और रासायनिक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।
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