राजमा की खेती कैसे करें: सम्पूर्ण मार्गदर्शन, जलवायु, मिट्टी, और उर्वरक प्रबंधन

राजमा की खेती एक प्रमुख दलहनी फसल के रूप में की जाती हैं। भारत में राजमा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती हैं।

निचले पहाड़ी क्षेत्रों में इसे वसंत फ़सल के रूप में भी बोया जाता है। उत्तर-पूर्व के मैदानी इलाकों में इसकी खेती रबी के दौरान की जाती है।

राजमा की खेती के लिए हल्की दोमट रेत से लेकर भारी चिकनी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती हैं।

राजमा के बीज मोटे होते हैं इसलिए 100 - 125 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती हैं।

राजमा की फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। इसलिए उच्चतम उत्पादकता प्राप्त करने के लिए बुआई के 25 दिन बाद सिंचाई करना सबसे महत्वपूर्ण है और दूसरी सिंचाई बुआई के 75 दिन बाद करें।

राजमा की फसल बुवाई से 125-130 दिनों में पक जाती है। पूर्ण परिपक्वता प्राप्त करने के बाद पौधों को दरांती से काटा जाता है।

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