मसूर की खेती: उन्नत किस्में, बीज उपचार और सिंचाई प्रबंधन के उपाय

मसूर की दाल कपड़ा और छपाई के लिए स्टार्च का स्रोत भी है। इसे ब्रेड एवं केक तैयार करने में गेहूं के आटे के साथ मिलाया जाता है।

पौधे छोटे, सीधे और बहुत अधिक शाखाओं वाले होते हैं। इसके पौधे गहरे हरे रंग के होते हैं, बड़ी मात्रा में फलियाँ पैदा करते हैं और जल्दी फूल आते हैं।

इसके पौधे छोटे, सीधे और बहुत अधिक शाखाओं वाले होते हैं, इसलिए इनमें बहुत अधिक फलियाँ होती हैं।

भूमि की हल्की मृदा के मामले में, बीज-बिस्तर तैयार करने के लिए कम जुताई अथवा मिट्टी में हेरफेर की जरूरत होती है।

मसूर की फसल में पाए जाने वाले मुख्य खरपतवार चेनोपोडियम एल्बम (बथुआ), विसिया सातिवा (अंकारी), लेथाइरस एसपीपी (चत्रिमात्री) आदि हैं।

मसूर की फसल विशेष रूप से वर्षा आधारित फसल के रूप में की जाती है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर सिंचित परिस्थितियों में इसको 2-3 सिंचाई की जरूरत पड़ती है।

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