टपिओका फसल की खेती: भूमि की तैयारी, किस्में और उपज की जानकारी

टपिओका एक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण स्टार्च युक्त जड़ वाली फसल है और इसे मुख्य रूप से दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में उगाया जाता है।

भूमि को 20-25 से.मी. की गहराई तक अच्छी तरह से खोदा या जोता जाता है। मिट्टी की बनावट और भूमि की ढलान के अनुसार टीले, क्यारियां या ऊँचे बिस्तर तैयार किए जाते हैं।

25-30 से.मी. लंबाई के सेट्स को बेड, टीले या क्यारियों में 5 से.मी. की गहराई पर सीधा लगाया जाता है। सेट्स को उल्टा लगाने से बचने के लिए सावधानी बरती जाती है।

कसावा एक भारी पोषक तत्व लेने वाली फसल है, और अधिक उपज प्राप्त करने के लिए इसे उचित मात्रा में खाद दी जानी चाहिए।

खरपतवार प्रबंधन का उद्देश्य फसल के प्रारंभिक चरणों में खरपतवार को हटाना और सेट्स की भौतिक स्थिति को सुधारना है, ताकि कंदों का विकास ठीक से हो सके।

– लंबी अवधि की किस्में: रोपाई के 10-11 महीने बाद फसल कटाई के लिए तैयार होती है। – अल्पावधि किस्में: 6-7 महीने में कटाई की जा सकती है।

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