धान उत्पादक किसान ने महज 45 दिन के अंदर अगस्त माह में ही धान की कटाई कर मिशाल पेश की
संजय सिंह ने बताया है, कि गरमा धान की खेती करने में खरीफ सीजन की तुलना में कम खर्चे हुए। साथ ही, पानी की बर्बादी भी काफी कम हुई है।
संजय सिंह की माने तो केवल 45 दिन में ही फसल पककर तैयार हो गई थी। परंतु, बारिश के कारण इसकी कटाई करने में 20 दिनों का विलंभ हुआ।
वर्तमान में 1000 रुपये में 10 किलो इंडिया गेट चावल आ रहा है। इस प्रकार वे 1100 किलो चावल बेचकर एक लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी कर सकते हैं।
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां पर जुलाई के अंतिम सप्ताह तक कई किसान धान की रोपाई ही कर रहे थे।
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