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फसल

टमाटर की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों का नियंत्रण कैसे करे, जाने यहां

टमाटर की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों का नियंत्रण कैसे करे, जाने यहां

टमाटर की फसल विशेष रूप से भारतीय खाद्य संस्कृति में महत्वपूर्ण है और यह एक प्रमुख सब्जी है जो विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है जैसे की सलाद, सूप, सॉस, और सब्जियों में। टमाटर का वास्तविक अनुभव तथा उत्पादन भारी खेती में या छोटे स्तर पर भी किया जा सकता है। यह फल प्राय: लाल, पीला, और हरे रंग का होता है। टमाटर की खेती में किसानो को कई कठनाईयो का भी सामना करना पड़ता है, इनमे सबसे प्रमुख है टमाटर की फसल में लगने वाले रोग।टमाटर की फसल में लगने वाले रोग फसल उत्पादन को बहुत प्रभावित...
भिंड़ी की खेती को प्रभावित करने वाले प्रमुख कीट एवं रोग

भिंड़ी की खेती को प्रभावित करने वाले प्रमुख कीट एवं रोग

भारतीय किसान गेहूं कटाई के पश्चात अतिरिक्त आय करने के लिए सब्जियों की खेती करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा खीरा, तोरई, बैंगन और भिंडी जैसी अन्य सब्जियों को उगाने में प्राथमिकता प्रदान करते हैं। लेकिन, भीषण गर्मी और निरंतर बढ़ते तापमान से सब्जियों की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग घेर लेते हैं। अगर हम गर्मी और बढ़ते तापमान से भिंडी की फसल को प्रभावित करने वाले रोगों की बात करें, तो इसमें चूर्णिल फफूंद रोग, पीला मोजैक, फल छेदक और कटुआ कीट इसकी फसल को बड़ी हानि पहुंचाते हैं। यदि इन पर समय से काबू नहीं किया गया, तो इससे...
गैलार्डिया यानी नवरंगा फूल की खेती से जुड़ी फायदेमंद जानकारी

गैलार्डिया यानी नवरंगा फूल की खेती से जुड़ी फायदेमंद जानकारी

गैलार्डिया को सामान्य तौर पर कंबल फूल या नवरंगा के नाम से भी पहचाना जाता है। इसका नाम मैत्रे गेलार्ड डी चारेनटोन्यू के नाम पर रखा गया था, जो एक 18वीं सदी के फ्रांसीसी मजिस्ट्रेट जो एक उत्साही वनस्पतिशास्त्री थे। यह एक वार्षिक या बारहमासी पौधा होता है। इसका तना सामान्यतः शाखाओं में बंटा होता है। वहीं, यह लगभग 80 सेंटीमीटर (31.5 इंच) की अधिकतम ऊंचाई तक खड़ा होता है। गैलार्डिया को नवरंगा फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल सुन्दर रूप से रंगीन, डेजी जैसे फूल पैदा करती है। इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर मंदिरों...
फूलों की खेती से चमकी किसान श्रीकांत की तकदीर, जानें इनकी सफलता की कहानी

फूलों की खेती से चमकी किसान श्रीकांत की तकदीर, जानें इनकी सफलता की कहानी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अधिकांश आबादी कृषि या कृषि से जुड़े कार्यों से आजीविका चलाती है। वर्तमान में भारत के कई पढ़े-लिखे शिक्षित लोग नौकरी को छोड़कर कृषि में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। साथ ही, सफलता भी हांसिल कर रहे हैं। इसी कड़ी में फूलों की खेती करके श्रीकांत बोलापल्ली ने एक छोटी स्तर से शुरुआत करके आज वार्षिक करोड़ों की आय का मुकाम हांसिल किया है। उन्होंने फूलों की खेती करने से पूर्व आधुनिक कृषि तकनीकों के विषय में सही से जानकारी ग्रहण की और इसका अनुसरण करके इसको कृषि में लागू किया। आज...
बासमती चावल की इन किस्मों से खरीफ सीजन में मिलेगा तगड़ा मुनाफा, जानें कहाँ से खरीदें

बासमती चावल की इन किस्मों से खरीफ सीजन में मिलेगा तगड़ा मुनाफा, जानें कहाँ से खरीदें

भारत चावल उत्पादन के मामले में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। बासमती धान की सीधी बिजाई के लिए आप पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 और पूसा बासमती 1886 का चुनाव अपने क्षेत्र की जलवायु एवं मृदा, फसल चक्र और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए कर सकते हैं। इन तीनों प्रजातियों का बीज बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान मोदीपुरम मेरठ के फार्म पर उपलब्ध हैं आप चाहें तो आकर खरीद सकते हैं।वैज्ञानिकों ने पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 और पूसा बासमती 1886 को रोग रोधी के रूप में विकसित किया है। वैज्ञानिकों का कहना है, कि...