देश में इस साल कहीं बाढ़ है, तो कहीं सूखे जैसे हालात। इसकी वजह से बहुत से क्षेत्रों में धान की बुवाई या तो हुई ही नहीं और अगर हुई है तो धान सड़ गई है। धान ही नहीं, अन्य खरीफ के फसलों के भी यही हाल हैं। इस वजह से आशंका है कि इस साल खरीफ के फसल का उत्पादन खासा प्रभावित होगा। इन्हीं सबके बीच किसान हलकान हो रहा है और उसे ये नहीं सूझ रहा कि अब करे तो क्या करे।
लेकिन इस बीच एक खबर आ रही है कि पिछले साल जिस तरह से सरकार ने जमकर धान खरीदी की थी, उसी तरह इस साल भी धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। आंकड़ों के जरिए बताएं, तो इस साल यानी 2022 में 506 लाख टन चावल की खरीदारी की जाएगी।
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यह फैसला किसानों को झकझोरने वाला है, क्योंकि ऐसी खबरें ऐसे समय में आ रही हैं जब किसान इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि उनके पास उत्पादन कुछ खास होने वाला नहीं है। वैसे इस घोषणा को आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है। गाहे-बगाहे सरकारी हलकों से ये खबरें आ रही हैं। खबरों के मुताबिक अधिकारी अभी विचार विमर्श में लगे हुए हैं। अगले हफ्ते तक इस संबंध में घोषणा भी कर दी जाएगी। गौर करने वाली बात है कि सरकार किसानों से एक निश्चित दाम पर धान की खरीदी करती है और फिर चावल मिलों को बेच देती है।
धान उन चुनिंदा फसलों में आती है जिसमें एमएसपी मिलती है। खरीफ के सीजन में बोई जानी वाली धान की आवक अक्टूबर महीने में शुरू हो जाती है। इसलिए अब तक एमएसपी के दाम भी तय कर दिए गए हैं। सामान्य ग्रेड की धान का दाम 2040 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तय किया गया है। जबकि ग्रेड ए क्वालिटी वाली धान की कीमत 2060 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है।
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अंग्रेजी अखबार द इकॉनमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक राज्य सरकारों ने खरीफ की फसलों का आंकलन कर लिया है और उसके हिसाब से उत्पादन क्या होगा और खरीद कैसी होगी, उसको लेकर अनुमान भी जारी कर दिए हैं। राज्य सरकार के मुताबिक इस बार बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खरीफ की फसल अच्छी नहीं है, इसलिए यहां उत्पादन कम होने की आशंका है। इन क्षेत्रों में इस साल बारिश देरी से हुई है और खरीफ की फसल अच्छी न होने का यही सबसे बड़ा कारण है। लेकिन सरकार का मानना है कि इस सबके बावजूद उनके खरीदी लक्ष्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने इस बार फिर से खरीदारी को लेकर कमर कस ली है और कुल 506 लाख टन धान की खरीदारी का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन क्या इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, यह सवाल बड़ा अहम है। वैसे इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाएगा इसको लेकर राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ अगले हफ्ते मीटिंग होनी है, उसी में ये तय किया जाएगा। वैसे इसी बीच कुछ राज्यों के लिए अच्छी खबर है कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में धान की फसल बहुत अच्छी हो सकती है। ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि वे इन राज्यों से सरप्लस हासिल करते हुए कुल उत्पादन में अन्य राज्यों की भरपाई कर सकें। वैसे झारखंड, पश्चिम बंगाल से आ रही खबरें निराश करने वाली जरूर हैं।