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फसल

 उन्नत कृषि प्रणाली के लिए ज्ञान, यंत्र, प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला

उन्नत कृषि प्रणाली के लिए ज्ञान, यंत्र, प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला

लेखक - डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलान,कृषि मात्र एक साधारण उत्पादन प्रक्रिया नहीं है; यह एक सुव्यवस्थित असेम्बली लाइन है जिसमें मंत्र (ज्ञान), यंत्र (संसाधन), और तंत्र (प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला) का प्रभावी समन्वय आवश्यक होता है। उन्नत कृषि के लिए, किसान को वैज्ञानिक समझ, तकनीकी दक्षता, और एक व्यापक आपूर्ति प्रणाली विकसित करनी होती है। यह एक सुव्यवस्थित कृषि उद्योग की आधारशिला है।Extreme Farm Soil Engineering: उन्नत कृषि की नींवकिसी भी फसल उत्पादन की मूलभूत इकाई मृदा होती है। परंपरागत दृष्टिकोण से आगे बढ़कर, Extreme Farm Soil Engineering का उद्देश्य मिट्टी को एक उर्वर, संरचित और पर्यावरण-अनुकूल प्रणाली में बदलना...
कृषि असेम्बली लाइन: तकनीकी एवं वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

कृषि असेम्बली लाइन: तकनीकी एवं वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

लेखक : डॉ वीरेन्द्र सिंहकृषि क्षेत्र में असेम्बली लाइन की अवधारणा को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह संपूर्ण कृषि आपूर्ति श्रृंखला की कार्यक्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार हेनरी फोर्ड ने कार उत्पादन में असेम्बली लाइन की दक्षता को बढ़ाया, उसी प्रकार कृषि उत्पादन में भी व्यवस्थित, चरणबद्ध, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर दक्षता में वृद्धि की जा सकती है।कृषि असेम्बली लाइन की अवधारणाकृषि उत्पादन केवल खेत में बीज बोने और फसल काटने तक सीमित नहीं है। यह एक बहु-स्तरीय प्रणाली है जिसमें भूमि सुधार, पौध पोषण, फसल सुरक्षा, कटाई उपरांत प्रक्रियाएँ,...
अनानास की आधुनिक खेती: अधिक पैदावार के लिए सही तकनीक

अनानास की आधुनिक खेती: अधिक पैदावार के लिए सही तकनीक

अनानास भारत की एक महत्वपूर्ण फल फसल है और मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, त्रिपुरा, बिहार, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड में उगाई जाती है। उत्तर-पूर्वी राज्य देश में कुल अनानास उत्पादन का लगभग 45% योगदान देते हैं। इसे एकल फसल के रूप में बड़े पैमाने पर, बागानी फसलों के साथ अंतर्वर्ती फसल के रूप में या विभिन्न पेड़ों के साथ एक कृषि-वनीकरण फसल के रूप में उगाया जा सकता है। त्रिपुरा और असम के बराक घाटी के कई हिस्सों में, अनानास को कटहल के पेड़ों के साथ उगाया जाता है। मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में इसे पहाड़ी ढलानों...
बादाम उत्पादन से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी

बादाम उत्पादन से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी

बादाम दुनिया की प्रमुख और प्राचीनतम मेवा फसलों में से एक है। इसकी गिरी (kernel) में उच्च तेल सामग्री होने के कारण यह अत्यधिक ऊर्जावान होती है। भारत में बादाम का उत्पादन सीमित स्तर पर होता है, हालांकि, इसे जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में बादाम के बागान लगभग 7107 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिससे वार्षिक उत्पादन 6360 मीट्रिक टन होता है। वहीं, जम्मू डिवीजन में इसकी खेती केवल 117 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे 5.0 मीट्रिक टन उपज प्राप्त होती है।  जलवायु और मिट्टी  बादाम की खेती के...
आलूबुखारा की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

आलूबुखारा की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

आलूबुखारा एक महत्वपूर्ण समशीतोष्ण ड्रूप फल है, जो आड़ू के बाद आता है। यह प्रुनस प्रजाति से संबंधित होता है और आड़ू, नेक्टरीन व बादाम से घनिष्ठ रूप से जुड़ा होता है। इसके परिपक्व फलों पर कभी-कभी धूसर-सफेद परत पाई जाती है, जिसे "वैक्स ब्लूम" कहा जाता है। सूखे आलूबुखारा को प्रून के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य रूप से निम्न पहाड़ी और उप-पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छी तरह उगाया जाता है।आलूबुखारा के फल विभिन्न खनिज, विटामिन, शर्करा और कार्बनिक अम्लों के उत्कृष्ट स्रोत होते हैं। इनमें प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट की उचित मात्रा भी होती है। उच्च शर्करा युक्त...
अखरोट की खेती कैसे करें? उन्नत किस्में, उत्पादन और लाभ

अखरोट की खेती कैसे करें? उन्नत किस्में, उत्पादन और लाभ

अखरोट उत्तरी गोलार्ध के शीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फल फसल है। हिमालयी क्षेत्र में इसके वाणिज्यिक उत्पादन की संभावनाएं बहुत अधिक हैं।भारत में अखरोट की खेती का कुल क्षेत्रफल 1,09,000 हेक्टेयर है, और कुल उत्पादन 3,00,000 मीट्रिक टन है।जम्मू और कश्मीर राज्य इस मामले में अग्रणी है, जहां पर अखरोट का कुल क्षेत्रफल 85,620 हेक्टेयर और उत्पादन 2,75,450 मीट्रिक टन है।अखरोट का पेड़ एक बार लगने के बाद कई दशकों तक फल देता है, जिससे यह दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखा जाता है।70-80 वर्षों तक इसके फल प्राप्त किए जा सकते हैं, और यह...