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फसल

कलिहारी की खेती | बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

कलिहारी की खेती | बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

कलिहारी एक बहुवर्षीय बेल की फसल हैं। कलिहारी को एक जड़ी-बूटी वाली फ़सल के तौर पर उगाया जाता हैं।कलिहारी का उपयोग दवाइयों में किया जाता हैं। कलिहारी से तैयार दवाइयों से जोड़ों का दर्द, एंटीहेलमैथिक, ऐंटीपेट्रिओटिक के ईलाज के लिए और पॉलीप्लोइडी को ठीक करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।आज के इस लेख में हम आपको कलिहारी की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकरी देंगे।कलिहारी की खेती के लिए मृदा और जलवायुकलिहारी की खेती के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यता होती हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी में उचित पोषक तत्व होने बहुत आवश्यक होती हैं।मिट्टी में...
अखरोट की खेती कैसे करें? उन्नत किस्में, उत्पादन और लाभ

अखरोट की खेती कैसे करें? उन्नत किस्में, उत्पादन और लाभ

अखरोट उत्तरी गोलार्ध के शीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फल फसल है। हिमालयी क्षेत्र में इसके वाणिज्यिक उत्पादन की संभावनाएं बहुत अधिक हैं।भारत में अखरोट की खेती का कुल क्षेत्रफल 1,09,000 हेक्टेयर है, और कुल उत्पादन 3,00,000 मीट्रिक टन है।जम्मू और कश्मीर राज्य इस मामले में अग्रणी है, जहां पर अखरोट का कुल क्षेत्रफल 85,620 हेक्टेयर और उत्पादन 2,75,450 मीट्रिक टन है।अखरोट का पेड़ एक बार लगने के बाद कई दशकों तक फल देता है, जिससे यह दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखा जाता है।70-80 वर्षों तक इसके फल प्राप्त किए जा सकते हैं, और यह...
खरबूजा की खेती: जलवायु, मिट्टी, बुवाई विधि और अधिक उत्पादन के टिप्स

खरबूजा की खेती: जलवायु, मिट्टी, बुवाई विधि और अधिक उत्पादन के टिप्स

खरबूजा, जो ककड़ी परिवार का सदस्य है, भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से शुष्क मौसम में, यानी जायद के मौसम में की जाती है।देश के उत्तरी हिस्सों जैसे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में खरबूजा की खेती बहुतायत में होती है।यह फल मीठा होता है, जिसके कारण इसे ताजे रूप में ही खाया जाता है। खरबूजे में उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन A और C पाए जाते हैं।इसके बीजों में 40-45% तक तेल होता है। औषधीय दृष्टिकोण से भी खरबूजा बहुत महत्वपूर्ण है।इस लेख में...
स्टीविया की खेती कैसे करें: लाभ, किस्में, जलवायु और मिट्टी की संपूर्ण जानकारी

स्टीविया की खेती कैसे करें: लाभ, किस्में, जलवायु और मिट्टी की संपूर्ण जानकारी

स्टीविया एक उपोष्णकटिबंधीय बहुवर्षीय पौधा है जो अपनी पत्तियों में मीठे स्टिविओल ग्लाइकोसाइड्स का उत्पादन करता है, जिसके कारण इसे 'चीनी तुलसी' या 'मौ तुलसी' भी कहा जाता है।उच्च अक्षांशों पर उगाए गए पौधों में मीठे ग्लाइकोसाइड्स का प्रतिशत अधिक होता है। इस पौधे का उपयोग प्राकृतिक मिठास (खाद्य) के उत्पादन के लिए, क्लोरोफिल, फाइटोस्टेरॉल्स (गैर-खाद्य: चिकित्सा) के स्रोत के रूप में किया जा सकता है।इसके औषधीय उपयोगों में रक्त शर्करा को नियंत्रित करना, उच्च रक्तचाप को रोकना, त्वचा विकारों का उपचार, और दांतों के सड़न को रोकना शामिल हैं।स्टीविया से प्राप्त यौगिक को मधुमेह पीड़ितों के लिए सबसे...
ब्राह्मी की खेती: उन्नत विधि, लाभ और उत्पादकता बढ़ाने के टिप्स

ब्राह्मी की खेती: उन्नत विधि, लाभ और उत्पादकता बढ़ाने के टिप्स

ब्राह्मी का नियमित सेवन मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। यह तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करने के लिए भी प्रभावी मानी जाती है। ब्राह्मी का अर्क त्वचा रोगों और सूजन को ठीक करने में सहायक है।इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के लक्षणों को धीमा करते हैं।ब्राह्मी का उपयोग चाय और स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक के रूप में भी किया जाता है, जो समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।मिट्टी और जलवायुयह पौधा...
शतावरी की खेती कैसे करें? जानें बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

शतावरी की खेती कैसे करें? जानें बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

शतावरी का पौधा भारत के हिमालय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके सफेद फूल गुच्छों में फल देते हैं। औषधीय दवाओं में इसके कंद का इस्तेमाल भी गुच्छों में होता है। शतावरी पौधे को पूरी तरह विकसित होने और कंद के इस्तेमाल लायक होने में तीन वर्ष लगते हैं।इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। शतावरी पौधों को अधिक सिंचाई नहीं चाहिए। शुरुआत में सप्ताह में एक बार और बाद में महीने में एक बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए।इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।शतावरी की खेती क लिए जलवायु...