Ad

फसल

भिंडी के रोग - रोगों के नाम, लक्षण और नियंत्रण के उपाय

भिंडी के रोग - रोगों के नाम, लक्षण और नियंत्रण के उपाय

भिंडी की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। मुख्य रूप से इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है। इस फसल की अच्छी पैदावार के लिए उपजाऊ मिट्टी, उपयुक्त मौसम और अनुकूल प्राकृतिक परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं। भिंडी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है।भिंडी की बुवाई आमतौर पर मार्च से जून के बीच होती है और फसल जुलाई से सितंबर तक पककर तैयार हो जाती है।भिंडी की खेती में प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण उपाय 1. डैम्पिंग ऑफ (Damping Off)यह रोग बीज बोने के...
सदाबहार की खेती कैसे होती है और इसका क्या महत्व है

सदाबहार की खेती कैसे होती है और इसका क्या महत्व है

सदाबहार एक बहुवर्षीय (बार-बार फलने वाला) सजावटी औषधीय पौधा है, जो भारतभर में परती भूमि और रेतीली जगहों पर पाया जाता है। सदाबहार की जड़ो में इंडोल एल्कलॉइड्स — रॉबसिन (अजमालिसिन) और सर्पेंटिन होते है जो की इसे एक औषधीय पौधा बनाते है, इसकी खेती भारत में कई स्थानों पर की जाती है, इस लेख में हम आपको सदाबहार के गुणों और इसकी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।सदाबहार में पाए जाने वाले एल्कलॉइड्ससदाबहार में एंटी-फाइब्रिलिक और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। इसके पत्तों में विनब्लास्टिन और विनक्रिस्टिन नामक दो महत्वपूर्ण एल्कलॉइड्स पाए जाते हैं,...
चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का पौधा, जिसे अंग्रेज़ी में Plumeria कहा जाता है, एक सुंदर और सुगंधित पुष्प वाला वृक्ष है, जो अपनी मनमोहक महक और बहुपयोगी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। चंपा न केवल अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है, बल्कि इसका धार्मिक, औषधीय और सजावटी महत्व भी अत्यधिक है। यह फूल विशेष रूप से बरसात के मौसम में अधिक खिलते हैं और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाए जा सकते हैं।चंपा का पौधाचंपा एक छोटा या मध्यम आकार का पर्णपाती वृक्ष होता है। इसकी पत्तियाँ आमतौर पर चमकदार हरे रंग की होती हैं और आकार में 8 से...
 मूली की नई और उन्नत किस्मों की सूची

मूली की नई और उन्नत किस्मों की सूची

लेखक: डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलान 1. पूसा मृदुला:विवरण: IARI द्वारा विकसित। सफेद, मुलायम जड़ें (25-30 सेमी), कम तीखी। गर्मी और आर्द्रता सहनशील। 35-45 दिन में तैयार। पैदावार: 30-35 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: मार्च से सितंबर।2. पूसा गुलाबी:विवरण: IARI की नई किस्म। गुलाबी जड़ें (20-25 सेमी), हल्की मीठी। सलाद के लिए लोकप्रिय। 40-50 दिन में परिपक्व। पैदावार: 25-30 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: सितंबर से फरवरी।3. अर्का निशांत:विवरण: IIHR की किस्म। लंबी, सफेद जड़ें (30-35 सेमी), फफूंदी-प्रतिरोधी। गर्मी और सर्दी दोनों के लिए। 40-45 दिन में तैयार। पैदावार: 30-40 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: अगस्त से जनवरी।यह भी पढ़ें: मूली की फसल को प्रभावित...
आड़ू का उत्पादन कैसे किया जाता है जानिए यहां

आड़ू का उत्पादन कैसे किया जाता है जानिए यहां

आड़ू (Peach) एक लोकप्रिय फल है जिसकी खेती मुख्य रूप से पर्वतीय और उप-पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम प्रूनस पर्सिका (Prunus persica) है और यह रोज़ेसी (Rosaceae) परिवार का सदस्य है। आड़ू अपने स्वादिष्ट फलों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसमें प्रोटीन, शर्करा, खनिज और विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे यह पोषण का उत्तम स्रोत बनता है। आड़ू के ताजे फलों का सेवन किया जाता है, साथ ही यह जैम, स्क्वैश, शरबत और अन्य प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्माण में भी प्रयुक्त होता है। किसानों के लिए यह एक लाभदायक फसल हो सकती है, बशर्ते...
रतालू की खेती: किस्में, जलवायु, उर्वरक और उत्पादन

रतालू की खेती: किस्में, जलवायु, उर्वरक और उत्पादन

रतालू एक प्रकार की भूमिगत सब्जी है, जिसका उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है। इसे पकाकर, उबालकर, भूनकर, तलकर खाया जाता है। इसके अलावा, रतालू से चिप्स, वेफर और अन्य खाद्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है और मधुमेह, थायरॉइड, कैंसर, बवासीर, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों के प्रबंधन में सहायक माना जाता है।  रतालू की खेती का विस्तार  रतालू की खेती मुख्य रूप से अफ्रीका में की जाती थी, लेकिन अब भारत के विभिन्न राज्यों में भी इसे उगाया जाने लगा है। राजस्थान में विशेष रूप से उदयपुर संभाग में इसकी...
कमल का फूल और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

कमल का फूल और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

कमल का फूल (Lotus) अन्य फूलों से काफी अलग होता है। यह कटिबंधीय और बारहमासी पौधा पानी के गर्म वातावरण में उगता है, इसलिए यह तालाबों, नदियों के किनारे और कीचड़ वाले स्थिर पानी में बेहतर पनपता है। बीजों के अंकुरण से लेकर फूलों के खिलने की प्रक्रिया अन्य फूलों से कुछ भिन्न होती है। कमल का फूल न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सौंदर्य के कारण भी महत्वपूर्ण है। यह पौधा दुनियाभर में मुख्यतः कटिबंधीय और शीतोष्ण क्षेत्रों के तालाबों, नदियों और कीचड़ वाले पानी में उगता है, और यह अत्यधिक चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी पनपने की क्षमता रखता है। इसी कारण...
खरबूजा की खेती: जलवायु, मिट्टी, बुवाई विधि और अधिक उत्पादन के टिप्स

खरबूजा की खेती: जलवायु, मिट्टी, बुवाई विधि और अधिक उत्पादन के टिप्स

खरबूजा, जो ककड़ी परिवार का सदस्य है, भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से शुष्क मौसम में, यानी जायद के मौसम में की जाती है।देश के उत्तरी हिस्सों जैसे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में खरबूजा की खेती बहुतायत में होती है।यह फल मीठा होता है, जिसके कारण इसे ताजे रूप में ही खाया जाता है। खरबूजे में उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन A और C पाए जाते हैं।इसके बीजों में 40-45% तक तेल होता है। औषधीय दृष्टिकोण से भी खरबूजा बहुत महत्वपूर्ण है।इस लेख में...