अब धान की खेती की जगह दूसरी फसलों की खेती करने पर किसानों को मिलेंगे 8000 रूपए

Published on: 20-Mar-2025
Updated on: 21-Mar-2025

हरियाणा सरकार ने अपने हालिया बजट में किसानों के लिए कई अहम घोषणाएँ की हैं, जिनका उद्देश्य खेती-किसानी को लाभकारी बनाना और जल संकट जैसी समस्याओं से निपटना है। 

सरकार ने धान की खेती को छोड़कर अन्य फसलों की ओर रुख करने वाले किसानों के लिए अनुदान राशि में वृद्धि की है।

अब ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ के बजाय 8000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाएंगे। 

इसी तरह, धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को मिलने वाली सहायता राशि 4000 रुपये से बढ़ाकर 4500 रुपये प्रति एकड़ कर दी गई है। 

इसके अतिरिक्त, पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को अब 1000 रुपये प्रति एकड़ की जगह 1200 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान मिलेगा।

हरियाणा सरकार का किसानों के लिए बड़ा ऐलान

  • यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हरियाणा और पंजाब में धान की खेती भूजल स्तर के तेजी से गिरने का एक प्रमुख कारण बन रही है। 
  • धान की फसल में पानी की बहुत अधिक खपत होती है, जिससे इन राज्यों में जल संकट की स्थिति पैदा हो गई है। 
  • इस समस्या से निपटने के लिए सरकार किसानों को अन्य जल-संवेदनशील फसलों की ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। नए बजट में इसी नीति के तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान राशि में वृद्धि की गई है।
  • इसके अलावा, किसानों को नकली बीज और कीटनाशकों से बचाने के लिए हर जिले में बीज परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की घोषणा की गई है। 
  • इससे किसान अपने बीज की गुणवत्ता की जांच करवा सकेंगे और नकली उत्पादों से होने वाले नुकसान से बच पाएंगे। सरकार जल्द ही इस संबंध में एक विधेयक भी लाने वाली है। 
  • गन्ने की खेती को बढ़ावा देने के लिए हारवेस्टर मशीन पर सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया है, जिससे गन्ने की कटाई में होने वाले श्रम लागत में कमी आएगी। 
  • वहीं, प्रदेश में फल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए अंबाला, यमुनानगर और हिसार में क्रमशः लीची, स्ट्रॉबेरी और खजूर के उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किए जाएंगे। 

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किसानों के लिए किया गया बड़ा एलान       

महिला किसानों के लिए भी बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। उन्हें डेयरी, कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए एक लाख रुपये तक का ब्याज-मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। 

इसके अलावा, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष एक लाख एकड़ भूमि पर इस पद्धति को अपनाने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि पिछले वर्ष यह लक्ष्य 25,000 एकड़ का था।

अमरूद के उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक प्रसंस्करण और पैकेजिंग संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिल सकेगी। 

कृषि उत्पादों के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए हिसार हवाई अड्डे पर एक एयर कार्गो गोदाम बनाने की भी योजना है। यह कदम किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचाने में मदद करेगा और उनकी आय में वृद्धि करेगा। 

इन सभी घोषणाओं का उद्देश्य हरियाणा के किसानों को अधिक आर्थिक संबल देना और कृषि क्षेत्र को टिकाऊ बनाना है। सरकार के ये प्रयास राज्य में जल संरक्षण, जैविक खेती और निर्यात को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो सकते हैं।