उत्तर प्रदेश राज्य में मुरादाबाद जनपद के बिलारी निवासी किसान रघुपत सिंह जी ५५ से ज्यादा सब्जियों की गायब हो चुकी किस्मों को पुनः खेती की धारा में लाये। साथ ही १०० से अधिक नवीन किस्म की सब्जियां व वनस्पति की प्रजाति विकसित की हैं।
इस सराहनीय कार्य को करते हुए उन्होंने ११ अवार्ड हासिल किये हैं, साथ ही केंद्र सरकार भी उनकी आभारी है। रघुपत ने एक अलग और रचनात्मक सोच को प्रदर्शित किया है, खेती को अलग तरह से करकर उससे अच्छा खासा सम्मान व धन दोनों अर्जित किया जा सकता है।
जमीनी तौर पर गायब हो चुकी सब्जियों की प्रजातियों को पुनः अस्तित्व में ला दिया है, साथ ही किसानों के लिए आय के अवसरों की एक नई राह प्रदर्शित की है।
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रघुपत जी की दिनचर्या भी अन्य किसानों से बिलकुल भिन्न है व उनकी खेती करने का तरीका व सोच भी, क्योंकि वह असाधारण खेती करके कृषि जगत में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
रघुपत का कहना है कि उन्होंने सामान्य खेती प्रणाली की अपेक्षा गायब हो चुकी सब्जियों की किस्मों को विकसित करने की पहल की जिनका अस्तित्व पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका था। रघुपत के इस सकारात्मक एवं सराहनीय कार्य से देशभर में उनको खूब सम्मान मिल रहा है।
रघुपत जी लगभग ३ लाख से ज्यादा किसानों को खेती के लाभ भी बता चुके हैं, देशभर में खेती से सम्बंधित समस्त संस्थान रघुपत जी के प्रसंशक हो चुके हैं। रघुपत जी खुद के द्वारा फसल का तैयार बीज आर्थिक रूप से कमजोर एवं छोटे किसानों तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।
इसके पीछे उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि वह किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त करने का जरिया दे सकें। लघु किसान इनके द्वारा विकसित बीजों की सहायता से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।
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इससे जमीनी तौर पर गायब हो चुकी फसलों को दुबारा से अस्तित्व में आने का अवसर मिलेगा, साथ ही किसानों को भी बेहतर मुनाफा हासिल होगा। रघुपत जी ने कृषि जगत से गायब हो चुकी ५५ से ज्यादा सब्जियों को पुनः अस्तित्व में लाने के साथ साथ १०० से अधिक सब्जियों व वनस्पतियों की किस्म विकसित की हैं।
रघुपत जी इस सराहनीय उपलब्धि के लिए कई पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। कृषि के क्षेत्र में रघुपत जैसे किसानों की बेहद आवश्यकता है।