पराली के निस्तारण और उससे होने वाले प्रदूषण को लेकर सरकार चिंतित है। पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ भी अनेक एफआईआर दर्ज की गई हैं। एनजीटी ने दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए समूचे एनसीआर में दीपावली पर पटाखे चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रज के एक संत एक दशक से इस काम में लगे हैं लेकिन शासन प्रशासन को उनका यह काम नजर नहीं आया। वह उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद स्थित छाता क्षेत्र के गांवों में पाराली के बंडल बनाकर उनका डंप लगवाते हैं और बाद में उसे साधनहीन गौशालाओं को पहुंचाते हैं। वह किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के काम में एक क्षेत्र विशेष में अहम काम कर रहे हैं। संत जुगल किशोर महाराज ब्रज में बहुत ज्यादा निवास नहीं करते लेकिन यहां दूर्दशा की शिकार गायों के भरण पोषण के लिए उन्होंने एक दशक पूूर्व ही व्यवस्था कर दी। शासन प्रशासन के लोग यदि उनकी योजना पर थोड़ा भी ध्यान देते तो यहां छुट्टा गायोें के भरण पोषण की व्यवस्था तो हो ही जाती साथ ही किसानों की फसलों को इनसे होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता था। महाराज जी राधाकुण्ड स्थिति गौशाला से पराजी के बंडल बनाने वाली मशीनों का संचालन कराते हैं। किसानों केे यहां इन मशीनों से निःशुुल्क पाराली का संकलन किया जाता है। राल के निकट स्थित गौशाला में बडे पैमाने पर पराली के बंडल जाम किए जाते हैं। सीमित संसाधानों के बाद भी संत सैकड़ों हैक्टेयर की पराली को पशु चारे कि लिए संकलित करने का काम करते हैं। बाद में आर्थिक तंगी शिकार गौशाला एवं गौ सदनों को भी यह पराली निःशुल्क प्रदान की जाती है। पराली के बंडल बनाने वाली इन मशीनों की कीमत भी अच्छी खासी है। करनाल में युवाओं ने किया कमाल करनाल क्षेत्र में कई युवाओं ने पाली कंप्रैस मशीन की मदद से पराली का निस्तारण तो किया ही खुद का काम भी खड़ा कर लिया। पराली गद्दे बनाने, तीरंदाजी के लिए स्टेंड बनाने, ग्लास उद्योग में पैकिंग के अलावा अनेक कार्यों में आती है। युवाओं ने किसानों के लिए परेशानी का कारण बन रही पराली को खुद का करियर संवारने का माध्यम बनाया है। इस दिशा में लोगों की प्राईवेट सेक्टर की पहल काम आ रही है।