अगस्त में ऐसे लगाएं गोभी-पालक-शलजम, जाड़े में होगी बंपर कमाई, नहीं होगा कोई गम
मानसून सीजन में भारत में इस बार बारिश का मिजाज किसानों की समझ से परे है। मानसून के देरी से देश के राज्यो में आमद दर्ज कराने से धान, सोयाबीन जैसी प्रतिवर्ष ली जाने वाली फसलों की तैयारी में देरी हुई, वहीं अगस्त माह में अतिवर्षा के कारण कुछ राज्यों में फसलों को नुकसान होने के कारण किसान मुआवजा मांग रहे हैं। लेकिन हम बात नुकसान के बजाए फायदे की कर रहे हैं।
अगस्त महीने में कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान यदि कुछ फसलों पर समुचित ध्यान देते हैं, तो आगामी महीनों में किसानों को भरपूर कृषि आय प्राप्त हो सकती है।
जुलाई महीने तक भारत में कई जगह सूखा, गर्मी सरीखी स्थिति रही। ऐसे में अगस्त माह में किसान सब्जी की फसलों पर ध्यान केंद्रित कर अल्पकालिक फसलों से मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। अगस्त के महीने को साग-सब्जियों की खेती की तैयारी के लिहाज से काफी मुफीद माना जाता है। मानसून सीजन में सब्जियों की खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं, हालांकि उनको ऐसी फसलों से बचने की कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं, जो अधिक पानी की स्थिति में नुकसान का सौदा हो सकती हैं।
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ऐसे में अगस्त के महीने में समय के साथ ही किसान को सही फसल का चुनाव करना भी अति महत्वपूर्ण हो जाता है। अगस्त में ऐसी कुछ सब्जियां हैं जिनकी खेती में नुकसान के बजाए फायदे अधिक हैं। एक तरह से अगस्त के मौसम को ठंड की साग-सब्जियों की तैयारी का महीना कहा जा सकता है। अगस्त के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां सितंबर माह के अंत या अक्टूबर माह के पहले सप्ताह तक बाजार में बिकने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं।
शलजम (Turnip) की खेती
जड़ीय सब्जियों (Root vegetables) में शामिल शलजम ठंड के मौसम में खाई जाने वाली पौष्टिक सब्जियों में से एक है। कंद रूपी शलजम की खेती (Turnip Cultivation) में मेहनत कर किसान जाड़े के मौसम में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। गांठनुमा जड़ों वाली सब्जी शलजम या शलगम को भारतीय चाव से खाते हैं। अल्प समय में पचने वाली शलजम को खाने से पेट में बनने वाली गैस आदि की समस्या का भी समाधान होता है। कंद मूल किस्म की इस सब्जी की खासियत यह है कि इसे पथरीली अथवा किसी भी तरह की मिट्टी वाले खेत में उपजाया जा सकता है। हालांकि किसान मित्रों को शलजम की बोवनी के दौरान इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना होगा कि, खेत में जल भराव न होता हो एवं शलजम बोए जाने वाली भूमि पर जल निकासी का समुचित प्रबंध हो।
शलजम की किस्में :
कम समय में तैयार होने वाली शलजम की प्रजातियों में एल वन (L 1) किस्म भारत में सर्वाधिक रूप से उगाई जाती है। महज 45 से 60 दिनों के भीतर खेत में पूरी तरह तैयार हो जाने वाली यह सब्जी अल्प समय में कृषि आय हासिल करने का सर्वोत्कृष्ट उपाय है। इस किस्म की शलजम की जड़ें गोल और पूरी तरह सफेद, मुलायम होने के साथ ही स्वाद में कुरकुरी लगती हैं। अनुकूल परिस्थितियों में किसान प्रति एकड़ 105 क्विंटल शलजम की पैदावार से बढ़िया मुनाफा कमा सकता है।
इसके अलावा पंजाब सफेद फोर (Punjab Safed 4) किस्म की शलजम का भी व्यापक बाजार है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, खास तौैर पर पंजाब और हरियाणा में इस प्रजाति की शलजम की खेती किसान करते हैं।
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शलजम की अन्य किस्में :
शलजम की एल वन (L 1) एवं पंजाब सफेद फोर (Punjab Safed 4) किस्म की प्रचलित किस्मों के अलावा, भारत के अन्य राज्यों के किसान पूसा कंचन (Pusa Kanchan), पूसा स्वेति (Pusa Sweti), पूसा चंद्रिमा (Pusa Chandrima), पर्पल टॉप व्हाइट ग्लोब (Purple top white globe) आदि किस्म की शलजम भी खेतों में उगाते हैं।
गाजर की खेती (Carrot farming)
जमीन के भीतर की पनपने वाली एक और सब्जी है गाजर। अगस्त के महीने में गाजर (Carrot) की बोवनी कर किसान ठंड के महीने में बंपर कमाई कर सकते हैं। मूल तौर पर लाल और नारंगी रंग वाली गाजर की खेती भारत के किसान करते हैं। भारत के प्रसिद्ध गाजर के हलवे में प्रयुक्त होने वाली लाल रंग की गाजर की ठंड में जहां तगड़ी डिमांड रहती है, वहीं सलाद आदि में खाई जाने वाली नारंगी गाजर की साल भर मांग रहती है। गाजर का आचार आदि में प्रयोग होने से इसकी उपयोगिता भारतीय रसोई में किसी न किसी रूप मेें हमेशा बनी रहती है। अतः गाजर को किसान के लिए साल भर कमाई प्रदान करने वाला जरिया कहना गलत नहीं होगा। अगस्त का महीना गाजर की फसल की तैयारी के लिए सर्वाधिक आदर्श माना जाता है। हालांकि किसान को गाजर की बोवनी करते समय शलजम की ही तरह इस बात का खास ख्याल रखना होता है कि, गाजर की बोवनी की जाने वाली भूमि में जल भराव न होता हो एवं इस भूमि पर जल निकासी के पूरे इंतजाम हों।
फूल गोभी (Cauliflower) की तैयारी
सफेद फूल गोभी की खेती अब मौसम आधारित न होकर साल भर की जाने वाली खेती प्रकारों में शामिल हो गई है।
आजकल किसान खेतों में साल भर फूल गोभी की खेती कर इसकी मांग के कारण भरपूर मुनाफा कमाते हैं। हालांकि ठंड के मौसम में पनपने वाली फूल गोभी का स्वाद ही कुछ अलग होता है। विंटर सीजन में कॉलीफ्लॉवर की डिमांड पीक पर होती है। अगस्त महीने में फूल गोभी के बीजों की बोवनी कर किसान ठंड के मौसम में तगड़ी कमाई सुनिश्चित कर सकते हैं।
चाइनीज व्यंजनों से लेकर सूप, आचार, सब्जी का अहम हिस्सा बन चुकी गोभी की सब्जी में कमाई के अपार अवसर मौजूद हैं। बस जरूरत है उसे वक्त रहते इन अवसरों को भुनाने की।
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पर्ण आधारित फसलें
बारिश के मौसम में मैथी, पालक (Spinach) जैसी पर्ण साग-सब्जियों को खाना वर्जित है। जहरीले जीवों की मौजूदगी के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका के कारण वर्षाकाल में पर्ण आधारित सब्जियों को खाना मना किया गया है। बारिश में सड़ने के खतरे के कारण भी किसान पालक जैसी फसलों को उगाने से बचते हैं। हालांकि अगस्त का महीना पालक की तैयारी के लिए मददगार माना जाता है।
लौह तत्व से भरपूर पालक (Paalak) को भारतीय थाली में सम्मानजनक स्थान हासिल है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर हरी भरी पालक को सब्जी के अलावा जूस आदि में भरपूर उपयोग किया जाता है।
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सर्दी के मौसम में पालक के पकौड़े, पालक पनीर, पालक दाल आदि व्यंजन लगभग प्रत्येक भारतीय रसोई का हिस्सा होते हैं। अगस्त के महीने में पालक की तैयारी कर किसान मित्र ठंड के मौसम में अच्छी कृषि आय प्राप्त कर सकते हैं।
चौलाई (amaranth) में भलाई
चौलाई की भाजी की साग के भारतीय खासे दीवाने हैं। गरमी और ठंड के सीजन में चौलाई की भाजी बाजार मेें प्रचुरता से बिकती है। चौलाई की भाजी किसान किसी भी तरह की मिट्टी में उगा सकता है। अगस्त के महीने में सब्जियों की खेती की तैयारी कर ठंड के मौसम के लिए कृषि आय सुनिश्चित कर सकते हैं। तो किसान मित्र ऊपर वर्णित किस्मों विधियों से अगस्त के दौरान खेत में लगाएंगे गोभी, पालक और शलजम तो ठंड में होगी भरपूर कमाई, नहीं रहेगा किसी तरह का कोई गम।