Ad

अप्रैल माह

अप्रैल माह में किसान भाई इन फसलों की बुवाई करके कमाएं मोटा मुनाफा

अप्रैल माह में किसान भाई इन फसलों की बुवाई करके कमाएं मोटा मुनाफा

साल का मार्च माह खत्म होने को है, कुछ दिनों बाद ही अप्रैल माह शुरू हो जाएगा। इस माह में जायद की फसल की बुवाई का कार्य प्रारंभ हो जाता है। 

इसके साथ ही किसान भाई इस माह में बागवानी फसलों की बुवाई भी करते हैं ताकि समय आने पर उपज प्राप्त करके किसान अपने लिए कुछ आमदनी कर सकें। 

मौसम के हिसाब से खेती करने से फसलों को अच्छा पोषण मिलता है जिससे उत्पादन अच्छा होता है और किसान भाई अच्छा खास मुनाफा कमा सकते हैं। 

देश के ज्यादातर किसान अप्रैल माह में अपने खेतों में सब्जियों और फलों की खेती करना पसंद करते हैं, क्योंकि इस समय सब्जियों और फलों की खेती करके किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा कमा सकतें हैं। 

आज हम किसान भाइयों को बताने जा रहे हैं कि अप्रैल माह में किसान भाई किन फसलों को उगाएं ताकि भविष्य में किसानों को अच्छी खासी कमाई हो सके।

हल्दी की खेती

हल्दी भारतीय व्यंजनों में बेहद महटवपूर्ण स्थान रखती है। इसका ज्यादातर मसाले के रूप में घरों में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा
हल्दी को दवाइयां बनाने में और सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। 

इसकी बुवाई किसान भाइयों को अप्रैल के पहले सप्ताह से शुरू कर देनी चाहिए। इस फसल की भारतीय बाजार में भारी मांग रहती है और इसका भाव भी 100 से लेकर 200 रुपये प्रति किलो तक होता है।

पपीता की खेती

पपीता भारत में एक महत्वपूर्ण फल है। जिसे लोग खूब पसंद करते हैं इसलिए इस फल की मांग भी भारत में बहुत ज्यादा रहती है। इसके लिए किसान भाइयों को अप्रैल माह के पहले सप्ताह से ही खेत बनाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। साथ ही अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह से इसकी बुवाई शुरू कर देनी चाहिए।

ये भी पढ़ें: 75% सब्सिडी लेकर उगाएं ताइवान पपीता और हो जाएं मालामाल

केला की बुवाई

पूरे भारत में केला सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फल है। इसकी खेती मुख्यतः महाराष्ट्र में होती है। केले की खेती करने वाले किसानों को अप्रैल माह में बुवाई की तैयारी शुरु कर देनी चाहिए। इस फल के कम रेट के कारण इसकी बाजार में सबसे ज्यादा मांग रहती है।

आम की खेती

आम भी देश में महत्वपूर्ण फल है। गर्मियों में इसकी विशेष मांग रहती है। इससे कई प्रकार के जूस बनाए जाते हैं। इसके साथ ही आचार और जैम बनाने में भी इसका बहुतायत से प्रयोग किया जाता है। 

इस कारण बाजार में इसकी भारी मांग रहती है। किसान भाई चाहें तो अप्रैल माह से आम की बुवाई का काम शुरू कर सकतें हैं। जो भी किसान भाई अपने खेत में आम का बाग लगाने जा रहे हैं वो अप्रैल माह से खेत बनाना शुरू कर दें।

ये भी पढ़ें: आम की खास किस्मों से होगी दोगुनी पैदावार, सरकार ने की तैयारी

चौलाई की खेती

चौलाई गर्मी और बरसात दोनों मौसम में उगाई जाने वाली सब्जी या साग है। लेकिन गर्मियों के मौसम में उगाई जाने वाली चौलाई की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी रहती है। इसके साथ ही गर्मियों में चौलाई का उत्पादन भी ज्यादा होता है। 

इस फसल की खेती करके किसान भाई अन्य फसलों के मुकाबले ज्यादा पैसा कमा सकते हैं। बाजार में चौलाई की पूसा कीर्ति, पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण जैसी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं जिनका चयन किसान भाई अपने खेत में लगाने के लिए कर सकते हैं।

भिंडी की खेती

भिंडी की खेती गर्मियों में सर्वोत्तम मानी जाती है। गर्मियों के मौसम में इस फसल की सहायता से किसान भाई बम्पर कमाई कर सकते हैं। 

इस फसल के लिए हर तरह की मिट्टी उपयुक्त होती है, इसलिए देश में हर जगह के किसान भाई इस फसल की खेती आसानी से कर सकते हैं। 

अगर बुवाई के समय खेत की मिट्टी भुरभुरी हो तो भिंडी की फसल से बेहद कम समय में बम्पर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसकी बुवाई अप्रैल माह के पहले सप्ताह से करनी शुरू कर देनी चाहिए।

लौकी की खेती

वैसे तो लौकी की खेती भारत में सर्दियों और गर्मियों दोनों में की जाती है। लेकिन गर्म और आद्र जलवायु वाली लौकी सबसे बढ़िया होती है। 

साथ ही गर्मियों के समय किसान भाई लौकी की फसल उगाकर अच्छा खास उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जिन भी किसान भाइयों को गर्मियों में लौकी की फसल लगानी हो वो अप्रैल माह के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई करनी शुरू कर दें।

किसान अप्रैल माह में उगाई जाने वाली इन फसलों से कर पाएंगे अच्छी आय

किसान अप्रैल माह में उगाई जाने वाली इन फसलों से कर पाएंगे अच्छी आय

आज हम बात करने वाले हैं, अप्रैल माह में उगाई जाने वाली अच्छी फसलों के बारे में जिनसे किसानों को अच्छी आय हो सके। जैसा कि हम जानते हैं, कि अप्रैल माह तक तकरीबन समस्त रबी फसलें कट जाती हैं। 

किसान अपनी पैदावार को भी प्रबंधन करके मंडी पहुंचाने लग जाते हैं। अब जायद सीजन की फसलें बोई जानी हैं। ये फसलें मुनाफे के सहित मृदा की उपजाऊ शक्ति को भी बढ़ा देती हैं।

अप्रैल माह में उगाई जाने वाली फसलें

रबी फसलों की कटाई और खरीफ सीजन से पूर्व कुछ महीनों के मध्य में खाली बच जाते हैं, जिसे जायद सीजन भी कहा जाता है। इसके दौरान बहुत सी तिलहनी एवं दलहनी फसलों की बुवाई की जाती है, जो धान मक्का की खेती से पूर्व ही तैयार हो जाती है। 

जायद सीजन के तहत खास बागवानी फसलों की भी बुवाई की जाती है। इसके अतिरिक्त अधिकाँश किसान मृदा की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने हेतु जायद सीजन में लोबिया, मूंग और ढेंचा का उत्पादन भी किया जाता है। इससे मृदा में नाइट्रोजन का स्तर काफी बढ़ जाता है।

बुवाई से पहले बीजोपचार अत्यंत जरुरी है

रबी फसलों की कटाई के उपरांत सर्वप्रथम खेत में गहरी जुताई कर खेत को तैयार कर लें। जायद सीजन की फसलों की बुवाई करने से पूर्व मृदा की जांच जरूर करवा लें। 

क्योंकि मृदा परिक्षण से समुचित मात्रा में खाद-उर्वरक का इस्तेमाल करने की राहत मिल सकेगी। गैर जरुरी चीजों पर होने वाले खर्चों से छुटकारा मिल पाएगा। हर फसल सीजन के उपरांत मृदा परीक्षण करवाने से इसकी खामियों की भी जानकारी मिल जाती है। जिनका समयानुसार उपचार किया जा सकता है।

बेबी कॉर्न और साठा मक्का का उत्पादन

यह समय साठी मक्का और बेबी कॉर्न की खेती के लिए उपयुक्त है। इन दोनों फसलों को पककर तैयार होने में लगभग 60 से 70 दिन का समय लगता है। फिर कटाई के उपरांत सुगमता से धान की बिजाई का कार्य भी किया जा सकता है।

वर्तमान में बेबी कॉर्न भी काफी चलन में है। बतादें, कि इस मक्का को कच्चा ही बेचा जा सकता है। इतना ही नही भोजनालयों में भी बेबी कॉर्न के पकौड़े, सूप, सलाद, सब्जी, अचार आदि बेहद प्रसिद्ध हैं। 

ये भी पढ़े: बेबी कॉर्न की खेती (Baby Corn farming complete info in hindi)

बागवानी फसलों की बुवाई

अप्रैल माह में किसान भाई बागवानी फसलों का उत्पादन करके अच्छी आय कर सकते हैं। अप्रैल माह करेला, तोरई, बैंगन, लौकी और भिंडी की खेती के लिए काफी अच्छा होता है। 

बेमौसम बारिश की मार से जायद सीजन की फसलों को संरक्षित करने के लिए किसान भाई ग्रीन हाउस, लो टनल और पॉलीहाउस की व्यवस्था कर लें। इन संरक्षित ढांचों को तैयार करने के लिए राज्य सरकारें किसानों को अनुदान भी उपलब्ध करवाती हैं।

उड़द की बुवाई

अप्रैल माह उड़द की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। दरअसल, जलभराव वाले क्षेत्रों में इसका उत्पादन करने से बचना चाहिए। उड़द का उत्पादन करने के लिए प्रति एकड़ 6-8 किलो बीजदर का उपयोग करें। 

साथ ही, किसान अपने खेत में उड़द की बुवाई करने से पूर्व थीरम अथवा ट्राइकोडर्मा से उपचारित जरूर कर लें।

अरहर की बुवाई

किसान दलहन उत्पादन के संबंध में आत्मनिर्भर होने के तरफ अग्रसर होने के लिए अरहर की फसल उगा सकते हैं। जल निकासी वाली मृदा में कतारों में अरहर का बीजारोपण किया जाता है। 

यह फसल 60 से 90 दिनों के समयांतराल में पककर कटाई हेतु तैयार हो जाती है। अगर आप चाहें, तो अरहर की कम समयावधि वाली किस्मों का बीजारोपण कर जल्दी उत्पादन हांसिल कर सकते हैं।

सोयाबीन की बुवाई

अप्रैल माह में बोई जाने वाली सोयाबीन की फसल में संक्रमण और बीमारियों की आशंका काफी कम ही रहती है। यह फसल वातावरण में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करती है। 

जलभराव वाले स्थानों में सोयाबीन की बुवाई करना ठीक नहीं होता है। सोयाबीन की बेहतरीन पैदावार लेने के लिए बुवाई से पूर्व खेत की 3 गहरी जुताईयां करना काफी अच्छा माना जाता है। 

ये भी पढ़े: Soyabean Tips: लेट मानसून में भी पैदा करना है बंपर सोयाबीन, तो करें मात्र ये काम

मूँगफली की बुवाई

अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह तक मतलब कि गेहूं की कटाई के शीघ्र उपरांत मूंगफली की फसल का बीजारोपण किया जा सकता है। यह फसल अगस्त-सितंबर तक पककर तैयार हो सकती है। 

परंतु, जलनिकासी वाले क्षेत्रों में ही मूंगफली की बुवाई करना उचित रहता है। किसान मूँगफली का बेहतर उत्पादन लेने हेतु हल्की दोमट मिट्टी में बीजोपचार के उपरांत ही मूंगफली के दानों की खेत में बिजाई कर दें।

ढेंचा की बुवाई

खरीफ सीजन की धान-मक्का की बुवाई से पूर्व किसान बाई ढेंचा मतलब कि हरी खाद की फसल उठा सकते हैं। इससे खाद-उर्वरकों पर खर्च किए जाने वाली धनराशि को सुगमता से बचाया जा सकता है। 

ढेंचा की फसल 45 दिन के समयांतराल में लगभग 5 से 6 सिंचाईयों में पककर तैयार हो जाती है। अब इसके उपरांत धान का उत्पादन करने पर फसलीय गुणवत्ता एवं पैदावार बेहतरीन मिलती है। 

गेहूं की कटाई करने के उपरांत कृषि वैज्ञानिकों से जानकारी एवं अपने स्थान-जलवायु के मुताबिक गन्ना एवं कपास की बिजाई भी कर सकते हैं। 

साथ ही, फसलीय कीट एवं रोगिक संक्रमण की आशंकाओं को समाप्त करने हेतु पूर्व से ही बीजोपचार पर कार्य जरूर कर लें।