व्यापारियों ने बताया अनाज के ई ट्रेडिंग को गलत, सरकार के फैसले पर जताया विरोध
अनाज की ई-ट्रेडिंग (e-trading) को लेकर व्यापारियों के भीतर भारी गुस्सा है। इसको लेकर हरियाणा में बहुत सारे अनाज व्यापारी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि व्यापारियों को जबदस्ती परेशान करने के लिए सरकार ने ये आदेश जारी किया है, जो बिलकुल गलत है। व्यापारियों ने बताया कि इस धंधे में बहुत सारी समस्याएं हैं और मुनाफा दिनों दिन कम होता जा रहा है। ऐसे में सरकार व्यापारियों की सहायता न करके उनको तंग करने के लिए नए नए फरमान लेकर आ रही है, जो व्यापारियों के साथ-साथ किसानों के लिए भी अच्छा नहीं है। व्यापारियों ने बताया कि ई ट्रेडिंग के पहले, सरकार को किसानों के अनाज की खुली में बोली सुनिश्चित करनी चाहिए। जब खुली बोली के दामों से किसान संतुष्ट न हो तब ही फसल की ई ट्रेडिंग की स्वीकृति देनी चाहिए। इसके साथ ही व्यापारियों ने कहा कि सरकार को मंडी गेट पास (mandi gate-pass) बनवाने में भी छूट देना चाहिए और फसल की खरीद पर आढ़तियों को मिलने वाली पूरी 2.5 प्रतिशत आढ़त भी सुनिश्चित करनी चाहिए।ये भी पढ़ें: ई मंडी के माध्यम से गांवों में होगी फसलों की खरीद इनके अलावा भी व्यापारियों की सरकार से अन्य शिकायतें हैं। व्यापारियों ने बताया कि पहले धान पर मार्केट फीस व एचआरडीएफ दोनों मिलाकर मात्र 1 प्रतिशत लगता था, लेकिन अब सरकार की तरफ से इसको बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे फिर से घटाकर 1 प्रतिशत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही तुली हुई फसलों का उठान भी समय से नहीं होता जो कि गलत है। गेहूं और धान का उठान सरकार को निर्धारित 72 घंटे के समय से पहले ही करवाना चाहिए, क्योंकि अगर उठान में देरी होती है तो उसमें किसी भी प्रकार की हानि हो सकती है। कई बार तो अनाज खुले में पड़ा रहता है और बरसात के कारण भीग जाता है। इसके साथ ही सरकार को तय समय 72 घंटे के भीतर ही किसानों का भुगतान कर देना चाहिए, जो सरकार फिलहाल नहीं करती है। एक व्यापारी ने बताया कि सरकार गेहूं और धान की खरीदी में आढ़तियों का कमीशन और पल्लेदारों की पल्लेदारी देने में एक साल तक समय लगा देती है जो सरासर गलत है। क्योंकि जब कभी सरकार को व्यापारियों से पैसे मिलने होते हैं तो देरी के एवज में सरकार व्यापारियों के ऊपर पैनल्टी लगाती है और कभी कभार तो ब्याज भी लेती है। लेकिन यदि सरकार व्यापारियों, किसानों और मजदूरों के भुगतान में देरी करती है तो किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति नहीं करती। ये सरासर गलत है।
ये भी पढ़ें: दिवाली से पहले सस्ता होगा खाने का तेल : आम जनता के लिए राहत, तो किसानों की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें व्यापारियों ने ई ट्रेडिंग को बेहद कमजोर व्यवस्था बताते हुए कहा कि, यह बेहद चिंता का विषय है कि सरकार इसकी खामियों पर ध्यान नहीं दे रही है। ई-ट्रेडिंग के माध्यम से किसान की फसल की बिक्री होने पर, फसल का भुगतान किस प्रकार से किया जाएगा यह सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है। क्योंकि सरकार किसानों से फसल ख़रीदने पर कई महीनों तक भुगतान नहीं करती। जबकि इसके लिए उन्होंने कानून बना रखा है कि सरकार फसल खरीदने के 72 घंटे के भीतर भुगतान कर देगी। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। इसके साथ ई-ट्रेडिंग के माध्यम से फसल की बिक्री होने पर फसल का उठाव कैसे किया जाएगा, इसको लेकर भी सरकार ने कोई ठोस रूप रेखा तैयार नहीं की है। व्यापारियों ने फसलों की ई ट्रेडिंग को किसानों को बर्बाद करने की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि अगर फसलों का व्यापार ई ट्रेडिंग के माध्यम से होने लगा तो फसलों के सारे व्यापार पर नियंत्रण देश के अमीर उद्योगपतियों का हो जाएगा। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार यही चाहती है कि देश में उपलब्ध अनाज पर बड़े उद्योग घरानों का कब्जा हो जाए। जिससे ये बड़े उद्योगपति अनाज के दामों का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रख पाएं। ये जब चाहेंगे तब बाजार में अनाज की सप्प्लाई बढ़ाकर या कम करके अनाज के भावों को ऊपर नीचे कर सकते हैं। अनाज खरीदी में एकाधिकार आ जाने से ये किसानों को उनका अनाज कम दामों में बेंचने पर भी मजबूर कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेेश में एमएसपी (MSP) पर 8 अगस्त से इन जिलों में शुरू होगी मूंग, उड़द की खरीद व्यापारियों ने कहा कि यदि अनाज का कंट्रोल उद्योगपतियों के हाथ में आ गया तो आटा, बेसन, दालों जैसी मूलभूत चीजों के दाम आसमान छूने लगेंगे। ये चीजें फिलहाल इतने ज्यादा ऊंचे दामों पर नहीं बिकती हैं क्योंकि इन चीजों को अभी ज्यादातर बाजार में खुला ही बेचा जाता है। व्यापारियों ने कहा कि सरकार किसानों को बर्बाद करने की कई साजिशें रचती रहती है, इसके तहत सरकार किसानों के लिए कई काले कानून लेकर आई थी, जिसे भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा। ई-ट्रेडिंग के नाम पर आढ़तियों और किसानों को तंग किया जा रहा है। यदि किसान अपनी फसल पहले की तरह में मंडी में आढ़तियों को बेचेंगे तो किसानों को फसल के दाम ज्यादा मिल सकते हैं, क्योंकि मंडी में किसानों के अनाज की खुली बोली कई आढ़तियों के बीच लगाई जाती है, जहां कम्पटीशन बना रहता है और वहां पर किसान अपनी फसल को ऊंचे दामों में बेंचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकता है।
14-Sep-2022