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कृषि ऋण

डिफॉल्टर किसान दोबारा ले सकेंगे लोन, बस इन नियमों का रखना होगा ध्यान

डिफॉल्टर किसान दोबारा ले सकेंगे लोन, बस इन नियमों का रखना होगा ध्यान

सहकारी और राष्ट्रीकृत बैंकों का लाखों करोड़ों किसानों पर कर्ज बकाया है. अगर किसान समय पर अपना लोन नहीं चुका पाते, तो उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है. जिसके बाद किसानों के कर्ज लेने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं. हालांकि लोन लेने के अपने कुछ क़ानूनी नियम होते हैं. लेकिन ऐसा कई बार होता हैं जहां फसलों की बर्बादी या फिर मौसम की मार की वजह से किसान अपना लोन नहीं चुका पाते. लों की किस्ते चुकाने के लिए बैंक की तरफ से भी कई फोन किये जाते हैं. लेकिन देरी की वजह से कई तरह तरह की पेनाल्टी लग जाती है और लोन की रकम पहले से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. एल तो पहले का लोन उसके ऊपर से उसमें लगी पेनाल्टी किसानों पर डबल बोझ डाल देती है. जिसे चुकाना आसान नहीं होता. ऐसा कई बार होता है कि, जमानत के तौर पर किसानों को अपनी जमीन तक बेचनी पड़ जाती है. खेती किसानी में पैसों की जरूरत होती है, इसलिए जो किसान डिफॉल्टर घोषित कर दिए जाते हैं, वो किसी बैंक से लोन ले सकते हैं.

डिफॉल्टर किसानों के बारे में

किसान जब पुराने लोन की किस्ते या फिर ईएमआई (EMI) का सही समय पर भुगतान नहीं कर पाते तो बैंक उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देती है. इस वजह किसानों को दोबारा लोन लेने में काफी समस्या होती है. क्योंकि बैंक चाहे कोई भी हो, बैंक लोन देने से पहले रिकॉर्ड जरूर चेक कर लेती है. ऐसे में लोन वसूलने के लिए बैंक और एजेंट्स लगातार संपर्क करते हैं. अपनी क्रेडिबिलिटी को दिखाने केलिए किसान लेट फीस के साथ लोन की रकम जमा करके अपना क्रेडिट स्टेट्स सुधार सकते हैं. ये भी देखें:
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डिफॉल्टर किसानों को दोबारा मिल सकता है लोन

लोन देने के लिए सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्टेटस को जांचा जाता है. अगर किसान ने पुराना लोन भले ही देर से चुका दिया जाए, तो दोबारा लोन मिल सकता है. लोन के लिए 750 सिबिल स्कोर होने जरूरी है. इसके अलावा देश में कई वित्तीय संस्थान 300 से ज्यादा सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन दे देते हैं. लेकिन उनकी ब्याज ड्रोन की बात करें, तो वो काफी ज्यादा होती है.

सिबिल स्कोर सुधारने के लिए करें ये काम

अगर आप डिफॉल्टर किसान घोषित नहीं होना चाहते हैं, तो अपना सिबिल स्कोर सुधारने की कोशिश करें. इसके लिए आपने जिस भी बैंक से लोन लिया है, उसकी बजाय किस्त समय पर चुका दें. किसान की जितनी आय हो उस हिसाब से लोन पास करवाना चाहिए. ताकि उसे आसानी से चुकाया जा सके. ये भी देखें: अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

लोन के लिए शर्तें भी

डिफॉल्टर किसानों के लिए प्राइवेट बैंक और कंपनी ने लोन के लिए रास्ता साफ़ कर दिया है. लेकिन इसकी शर्त यही है कि, किसान को जमानत या कोई गारंटी देनी होगी. देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां की सरकारें कर्जमाफी और ब्याज पर माफ़ी की योजनाएं ला चुकी हैं. इतना ही नहीं लोन पर बीज, खाद, मशीन खरीदने और उर्वरक पर सहूलियत दी जाती है.
पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

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हाल ही में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान से यह बात सामने आई है कि भारत में सरकार सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर इसे मजबूत बनाने के लिए कई तरह की सहकारी समितियों का निर्माण किया जाएगा. खबरों की मानें तो देश में एक बार फिर से सहकारिता आंदोलन जोर पकड़ने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे लेकर बड़े लेवल पर काम कर रही है. इसके तहत अगले 5 साल में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स; PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गठित की जाएगी. इस सभी कार्य को लेकर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. हाल ही में हमारे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक मंत्रिमंडलीय बैठक में इस फैसले की जानकारी जनता को दी है.  अभी भी पूरे देश में लगभग  63,000 पैक्स समितियां कार्य कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है कि देश में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आने वाले समय में कई तरह की समितियों का गठन किया जाएगा.

जलाशय पंचायत में बनाई जाएंगी मत्स्य पालन समिति

इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति  तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह  सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी. ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट

इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की  मानी जा रही है..
बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

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सरकार किसानों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं चल रही है, जिनका फायदा उठाकर किसानों का आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण हुआ है। अब मध्यम एवं छोटे किसान भी सरकार से मिलने वाली सहायता के कारण बिना किसी चिंता और परेशानी के खेती कर पा रहे हैं। ऐसी ही हम आपको एक योजना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे अभी तक लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं। इस योजना को 'किसान क्रेडिट कार्ड योजना' के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले साल 1998 में की गई थी। इस योजना के अंतर्गत किसानों को बेहद आसानी से कृषि कार्यों के लिए लोन मिल जाता है, जिससे किसानों को खाद बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए पैसे की कमी नहीं होती। इसके साथ ही अगर किसान ने KCC लिया हुआ है तो प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने की स्थिति में भी किसानों को बड़ी राहत प्रदान की जाती है।

ऐसे लें KCC लोन

इस योजना में किसानों को नकद पैसे न देकर क्रेडिट कार्ड पर लोन दिया जाता है। जिससे किसान खेती के लिए कृषि यंत्रों सहित अन्य जरूरी समान की खरीदी समय पर कर पाएं। नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले बैंक इस योजना के तहत किसानों को लोन मुहैया करवाते हैं। जो बेहद रियायती दरों पर होता है। इससे किसान साहूकारों और महाजनों के कर्ज के जाल में फंसने से बच जाते हैं। ये भी पढ़े: सरकार ने बढ़ाई KCC की लिमिट, अब 1 लाख नहीं बल्कि इतना मिलेगा लोन इस कार्ड के अंतर्गत लोन लेने के बाद किसान को एक साल के भीतर लोन चुकता करना होता है। लोन चुकता करने के लिए किसानों के साथ किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है।

इतने रुपये का मिलता है लोन

KCC के अंतर्गत बिना किसी गारंटी के 1 लाख रुपये तक का लोन मुहैया करवाया जाता है। इसके लिए किसान को बैंक में किसी भी प्रकार की जमानत नहीं रखनी होती है। इसके अलावा बैंक 5 साल के लिए 3 लाख रुपये का अल्पकालिक लोन भी देते हैं। इसके लिए किसान को बैंक में कुछ न कुछ जमानत रखनी होती है। क्रेडिट कार्ड जारी करने के 15 दिन के भीतर बैंक द्वारा लोन जारी कर दिया जाता है।

फसल बर्बाद होने पर किसानों को ऐसे मिलता है प्रोटेक्शन

जब बैंक किसानों को लोन जारी करता है तब सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार किसान की फसलों को इश्योरेंस कवरेज भी दिया जाता है। अगर किसान की फसल कीटों से प्रभावित होती है या किसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होती है तो किसान अपना इश्योरेंस क्लेम कर सकता है। इन दिनों देश में प्राकृतिक आपदा के कारण बड़े स्तर पर फसलें प्रभावित हुई हैं। ऐसे में जिन भी किसानों ने KCC के माध्यम से लोन लिया होगा, वो बेहद आसानी से अपनी नष्ट हुई फसल के लिए इश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं।
इस राज्य में दीर्घकालीन कृषि कर्ज पर कृषकों को 5 % प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा

इस राज्य में दीर्घकालीन कृषि कर्ज पर कृषकों को 5 % प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा

दीर्घकालीन कृषि लोन में किसानों को अधिक ब्याज भरना पड़ता है, इस वजह से किसानों पर कर्ज का भार काफी बढ़ जाता है। इस समस्या से थोड़ी राहत अदा करते हुए राज्य सरकार की तरफ से दीर्घकालीन लोन पर 5% प्रतिशत ब्याज सब्सिड़ी देने की घोषणा की है। किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव कोशिशें की जा रही हैं। किसानों को नवीन वैज्ञानिक तकनीकों एवं यंत्रों से अवगत करवाया जा रहा है। खेती-किसानी को आसान करने के लिए विभिन्न कृषि योजनाएं जारी की जा रही हैं। खेती में होने वाले खर्चे को कम करने हेतु कृषकों को स्थिर कृषि से जोड़ा जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारें एकमत होकर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृण व शक्तिशाली बना रही हैं। इसके चलते किसानों पर आर्थिक जोर ड़ालने वाले कर्ज की मार को भी हल्का करने की पहल जारी हो चुकी है। राजस्थान सरकार द्वारा दीर्घ काल हेतु कृषि ऋण पर ब्याज सब्सिड़ी देने की घोषणा की गई है। जिसके लिए ब्याज अनुदान योजना भी लागू की जा रही है।

ब्याज अनुदान योजना क्या होती है

किसानों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से
सहकारी समितियां लघुकालीन एवं दीर्घकालीन के कृषि लोन लागू करते हैं। यह कर्ज काफी कम ब्याज दरों पर प्राप्त होता है। परंतु, विभिन्न बार कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों या व्यक्तिगत समस्याओं के चलते किसान यह कर्जा उचित वक्त पर नहीं चुका पाते। काफी दीर्घ मतलब लॉन्ग टर्म कर्ज लेने वाले किसानों सहित ऐसे हालात अधिक देखने को मिलते हैं। यही कारण है, कि दीर्घ कालीन कृषि कोर्पोरेट लोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान मुहैय्या कराया जाता है। राज्य सरकार द्वारा बजट 2023-24 के बजट में ब्याज मुक्त फसल लोन और ब्याज अनुदान योजना से जुड़ा ऐलान किया है।

ब्याज अनुदान योजना का लाभ इस प्रकार अर्जित किया जा सकता है

जानकारी के लिए बतादें, कि केवल सहकारी समितियों से ली गई दीर्घकालीन कृषि लोन पर ही ब्याज अनुदान का फायदा प्राप्त होगा। किसान अगर चाहें, तो इस ब्याज अनुदान के लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: ढाई हजार करोड़ रुपए से यूपी की 63 हजार सहकारी समितियां होंगी कंप्यूटरीकृत अगर किसान ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं, तो किसान भाई राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर विजिट कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन करने हेतु अपनी सहकारी विकास बैंक की शाखा अथवा जनपद में कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क साध सकते हैं। इस दौरान किसान भाइयों को आवेदन पत्र सहित कुछ दस्तावेज भी जमा करवाने होंगे। इनमें बैंक अकाउंट डिटेल्स, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, खेती की जमीन के कागज आदि शम्मिलित हैं।

कृषि से जुड़ी इन चीजों पर कर्ज की ब्याज माफ होगी

किसान भाईयों को दीर्घकालीन कृषि लोन पर न्यूनतम 10 प्रतिशत की दर से ब्याज की अदायगी की जाती थी। जिस पर 5% प्रतिशत अनुदान का ऐलान किया गया था। मतलब कि फिलहाल किसानों को 5% प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा। यह लोन कृषि इनपुट्स अथवा बाकी सुविधाओं के लिए किसानों को मुहैय्या कराया जाता है। इसमें कुआ विनिर्माण, नाली निर्माण, हौज निर्माण, फार्म पौण्ड निर्माण, कृषि बिजली कनेक्शन, सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम, पंपसेट और नलकूप स्थापित करने के लिए लागू किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त कार्बाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, थ्रेसर की खरीद हेतु लंबी अवधि के लिए लोन जारी किए जाते हैं, जिनकी ब्याज धनराशि निजी बैंकों के ब्याज की धनराशि से काफी कम होती है।