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कृषि योजनाएं

जानें मसालों से संबंधित योजनाओं के बारे में जिनसे मिलता है पैसा और प्रशिक्षण

जानें मसालों से संबंधित योजनाओं के बारे में जिनसे मिलता है पैसा और प्रशिक्षण

भारत की 45.28 लाख हेक्टेयर भूमि पर लाखों टन मसाले उत्पादित किये जा रहे हैं। मसाले के क्षेत्रफल में वृद्धि एवं कृषकों की आमंदनी को दोगुना करने हेतु बहुत सारी मसालों से संबंधित योजनाएं लागू की जा रही हैं। 

भारतीय व्यंजनों के स्वाद में चार चाँद लगाने वाले मसालों की विदेश में बहुत मांग हो रही है। वर्ष दर वर्ष मसालों के निर्यात में भी वृद्धि हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी भारतीय मसालों की मांग में बहुत बढ़ोत्तरी सामने आ रही है। 

बतादें, कि केंद्र एवं राज्य सरकारों की बहुत सारी योजनाएं बेहद सहायक हो रही हैं। ऐैसी योजनाओं का ही प्रभाव है, कि वर्तमान में विभिन्न मृदा एवं जलवायु में कुल 63 प्रकार के मसाले उत्पादित किये जा रहे हैं, जिनमें से 21 मसालों की व्यावसायिक कृषि की जा रही है। 

ऐैसे मसालों में इलायची (छोटी और बड़ी), धनिया, जीरा, सौंफ, मेथी, अजवाइन, सोआ बीज, जायफल, लौंग, दालचीनी, इमली, केसर, वेनिला, करी पत्ता, काली मिर्च से लेकर लाल मिर्च, पुदीना, हल्दी, लहसुन और अदरक हैं।

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फिलहाल लहसुन उत्पादन के रूप में भारत सबसे अग्रणीय तो है, ही साथ में मिर्च की पैदावार में दूसरे एवं अदरक के उत्पादन में तीसरे तथा हल्दी की पैदावार करने में चौथे स्थान पर है। भारतीय कृषि भूमि के बहुत बड़े रकबे में जीरे की खेती हो रही है।

मसालों की खेती के लिए कृषि योजनाएं

किसान आगामी समय में मसालों की कृषि करने के बारे में सोच रहे हैं, तो सरकार की ओर से प्रशिक्षण, अनुदान व उसकी बेहतरीन सुविधा दी जाती है। 

सरकार द्वारा इनमें से कुछ योजनाएं पूरे देश में जारी हैं, तो कुछ योजनाएं राज्य स्तर पर चलाई जाती हैं। इनके अंतर्गत एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) भी आते हैं। 

इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश की राज्य सरकार भी मसाला क्षेत्र विस्तार योजना चला रही है।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन

पारंपरिक फसलों में दिनोंदिन हो रही हानि को देखते हुए किसानों को बागवानी फसलों के उत्पादन करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

मसाला भी उनमें से एक विशेष बागवानी फसल है, जिसकी कृषि से लेकर कटाई, छंटाई करने ग्रेडिंग, शॉर्टिंग, भंडारण एवं प्रोसेसिंग हेतु भी सरकार कृषकों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करती है। 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के चलते मसालों की जैविक खेती करने वाले कृषकों को 50% अनुदान के साथ-साथ तकनीकी प्रशिक्षण का भी प्रावधान है। सरकार द्वारा मसाला भंडारण हेतु कोल्ड स्टोरेज निर्माण के लिए 4 करोड़ तक का अनुदान प्रदान करती है।

मसालों का प्रोसेसिंग यूनिट बनाने हेतु सरकार 40% फीसद मतलब 10 लाख रुपये तक का अनुदान प्रदान करती है।

मसालों की छंटाई करने ग्रेडिंग, शॉर्टिंग के लिए भी किसानों को 35% फीसद अनुदान प्रदान किया जाता है, इसकी यूनिट स्थापित करने के लिए 50 लाख रुपये तक का व्यय आ सकता है। 

मसालों की पैकिंग यूनिट बनाने हेतु 15 लाख रुपये तक व्यय हो जाता है, जिसमें 40% फीसद तक अनुदान मिल सकता है।

मसालों की खेती के लिए सब्सिडी

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के जरिये आवेदन करने पर समस्त नियमों, शर्तों एवं योग्यता की जाँच पड़ताल कर कृषकों को मसालों की खेती हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। 

विभिन्न क्षेत्रों में मसालों का उत्पादन करने हेतु 40% अनुदान मतलब 5,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान प्रदान किया जाता है। अधिक जानकारी हेतु ऑफिशियल पोर्टल https://midh.gov.in/ या https://hortnet.gov.in/NHMhome पर भी जा सकते हैं। 

मसालों की अच्छी खासी पैदावार पाने हेतु कृषकों को सिंचाई हेतु अनुदान दिया जाता है। किसान चाहें तो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जरिये फव्वारा एवं बूंद- बूंद सिंचाई हेतु अनुदान प्राप्त कर सकते हैं, इसके हेतु Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (pmksy.gov.in) पर आवेदन कर अनुदान का लाभ प्राप्त सकते हैं। 

साथ ही, अगर मसाले की फसल में कीट-रोग संक्रमण होता है, तो प्रबंधन हेतु 30% फीसद मतलब 1200 रुपये प्रति हेक्टेयर के अनुदान का प्रावधान है।

मसाला क्षेत्र विस्तार योजना

राज्य सरकारें मसाले की खेती व उसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर संभव योजनाएं चलाती हैं। मसालों के उत्पादन में वृद्धि हेतु जारी की गयी योजनाओं में से एक है, मसाला क्षेत्र विस्तार योजना। 

इस योजना के चलते मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग कुछ गिने-चुने मसालों की कृषि, क्षेत्र विस्तार एवं उत्पादन बढ़ाने हेतु कृषकों की आर्थिक सहायता करता है। 

इस योजना के अंतर्गत मसालों के बीज एवं प्लास्टिक क्रेट्स खरीदने हेतु 50 से 70 फीसद तक का अनुदान देने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, जड़ या कंद वाली फसल जैसे- लहसुन, हल्दी, अदरक हेतु भी 50,000 प्रति हेक्टेयर अनुदान का प्रावधान है। 

इस योजना के अंतर्गत एक किसान को अधिकतम 0.25 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर तक कृषि हेतु अनुदान दिया जाता है। इससे संबंधित और अधिक जानकारी हेतु https://hortnet.gov.in/NHMhome वेबसाइट पर भी जा सकते हैं।

गाय पालन को प्रोत्साहन देने के लिए यह राज्य सरकार अच्छी-खासी धनराशि प्रदान कर रही है।

गाय पालन को प्रोत्साहन देने के लिए यह राज्य सरकार अच्छी-खासी धनराशि प्रदान कर रही है।

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों की तरफ से अहम कवायद की गई है। यदि आप भी इस योजना के अंतर्गत प्रतिमाह 900 रुपये पाना चाहते हैं, तो आपको मध्य प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इस योजना के तहत खुद को रजिस्टर कराना होगा। भारत में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। हिंदू धर्म का अनुपालन करने वाले लोग सामान्यतौर पर प्रत्येक जीव से प्यार करते हैं। परंतु, गाय को लेकर उनको विशेष लगाव होता है। हिंदू धर्म में गाय को काफी ज्यादा पवित्र जीव घोषित किया गया है और इसे मां का दर्जा प्रदान किया गया है। यही कारण है, कि गाय के दूध के साथ-साथ उसके गोबर और मूत्र का भी उपयोग सनातन धर्म के धार्मिक कार्यों में होता है। परंतु, फिलहाल, धीरे-धीरे गाय को पालने वाली परंपरा और संस्कृति समाप्त होती जा रही है। इसी संस्कृति का संरक्षण करने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार की तरफ से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।

गाय पालन हेतु किसे धनराशि प्रदान की जाएगी

मध्य प्रदेश सरकार ने यह ऐलान किया है, कि वह प्रति माह उन लोगों को 900 रुपये प्रदान किए जाऐंगे। जो गाय का पालन और जैविक खेती करेंगे। इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 22000 किसानों को पहली किश्त जारी भी कर दी है। साथ ही, सरकार द्वारा राज्य में पशु चिकित्सा एंबुलेंस सर्विस का भी शुभारंभ किया है। ये भी पढ़े: इस नंबर पर कॉल करते ही गाय-भैंस का इलाज करने घर पर आएगी पशु चिकित्सकों की टीम

योजना का लाभ लेने के लिए क्या करें

यदि आप भी इस योजना के अंतर्गत प्रति माह 900 रुपये पाना चाहते हैं। तो आपको मध्य प्रदेश की सरकारी वेबसाइट पर जाकर इस योजना के चलते स्वयं को पंजीकृत कराना होगा। इसके साथ ही गाय का गोबर भी खरीदने की योजना तैयार की जा रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, कि वह संपूर्ण राज्य में विभिन्न गोबर प्लांट लगा कर गाय के गोबर से सीएनजी तैयार करेंगे।

पशु एंबुलेंस बुलाने के लिए इस नंबर को डायल करें

यदि आप मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और अपने पशु के रोगग्रस्त होने पर एंबुलेंस मंगाना चाहते हैं। तब आपको कुछ नहीं करना है, सिर्फ 1962 नंबर डायल कर देना है। यह नंबर पूर्णतयः टोल फ्री है। इस नंबर को डायल करने पर आपके फोन से एक भी रुपया भी नहीं कटेगा। ऐसा करते ही कुछ ही समय में आपके घर के बाहर पशु एंबुलेंस उपस्थित हो जाएगी।