1 अप्रैल से 12 सितंबर के बीच, बिहार सरकार को बिहार कृषि विभाग से जानकारी मिली कि बिहार को खरीफ सीजन के लिए 10,100 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक अब तक केंद्र सरकार ने सिर्फ 7.89576 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की है।
खरीफ फसल का मौसम चल रहा है। खरीफ मौसम की मुख्य फसल धान देशभर में उगाई जाती है। वहीं, इस सीजन में खाद की मांग सबसे ज्यादा होती है। बिहार में इस खरीफ सीजन में खाद की आपूर्ति नही होना किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। इससे किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिहार को खरीफ सीजन के दौरान पिछले सालों की तुलना में यूरिया का आबंटन बहुत ही कम किया है। बिहार सरकार के अनुसार, केंद्र सरकार ने पीक सीजन (जून से अगस्त) के दौरान उपयोग के लिए आबंटित यूरिया की मात्रा को 22 फ़ीसदी कम कर दिया है।
इतने खाद की है आवश्यकता
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार को खरीफ सीजन 1 अप्रैल से 12 सितंबर तक 10.100 मीट्रिक टन खाद की जरूरत थी। केंद्र सरकार ने इस वर्ष अब तक 7.89576 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की है, जो आवश्यकता अनुपात का 78% है।
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बिहार सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार जून में 1.20 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के मुकाबले 1.03 लाख मीट्रिक टन खाद दी गई. इसी प्रकार जुलाई में 2.50 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता थी, लेकिन जुलाई में 1.72 लाख मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की गई, और अगस्त में 2.80 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के मुकाबले 2.51 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई।
पिछले खरीफ सीजन के दौरान भी कम आपूर्ति देखी गई थी। पिछले खरीफ सीजन में बिहार सहित कई क्षेत्रों में उर्वरक की भारी किल्लत थी। इसके चलते किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उस वक्त भी बिहार के लिए जरूरी यूरिया का महज 77 फीसदी ही मुहैया कराया गया था।
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बिहार के दौरे के दौरान, केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने नीतीश कुमार पर केंद्र से लगातार और पर्याप्त शिपमेंट के बावजूद उर्वरक की कमी का नाटक करने का आरोप लगाया है। उर्वरक राज्य मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की नीतीश कुमार को किसानों को गुमराह करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, किसानों के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा कार्य किया है। किसानों से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा की वे यूरिया खरीदारी पर दर से अधिक पैसा न दें, क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों की खातिर यूरिया, डीएपी, एनपीके और अन्य कृषि आदानों पर भारी सब्सिडी दे रही है। मंत्री जी ने ये भी कहा कि सरकार को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किसानों को निशाना नहीं बनाना चाहिए। प्रशासकों को किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के उपयोग के उनके अधिकार के बारे में सूचित करने के लिए निर्देश भी दिए जाते हैं।
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वही वर्तमान समय में उर्वरक की भारी कमी और इसकी बढ़ती कालाबाजारी और अवैध रूप से बिक्री के कारण पूरे बिहार के किसान चिंतित और आक्रोशित हैं।
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इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बातचीत की है। जिसमें उन्होंने ट्रेन के माध्यम से खाद की ढुलाई का मुद्दा उठाया है। साथ ही खाद की ढुलाई में हो रही देरी की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताया है, कि वर्तमान में डीएपी और यूरिया खाद की ढुलाई में बंदरगाह से स्टेशन तक खाद की बोरियों को पहुंचाने में 8 से 10 दिन का समय लग जाता है। साथ ही कई स्टेशन ऐसे हैं, जहां प्रशासन ने खाद की ढुलाई को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके कारण खाद की ढुलाई में अनावश्यक समय लगता है। इस वजह से किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाती और किसानों को बुवाई करते समय परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खाद की ढुलाई में लगने वाले समय को कम करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में खाद को उपलब्ध करवाने में कम से कम समय लगे।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि मुख्य व्यवसाय है। यहां 140 लाख हेक्टेयर जमीन में रबी की फसल बुवाई होती है। इसके साथ ही 26 लाख हेक्टेयर जमीन में गन्ने की फसल ली जाती है। फसलों को बिना खाद के उपजाना आसान नहीं है। इसलिए राज्य में खाद की भारी मांग रहती है। इसलिए रेलवे को चाहिए कि उत्तर प्रदेश में खाद की सप्लाई समय पर सुनिश्चित करे, जिससे किसान आसानी से बुवाई कर पाएं।
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उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इस साल रबी की फसल के समय खाद की आपूर्ति बहुत ही धीमी गति से हो रही है। जिसके कारण रबी की फसल की बुवाई प्रभावित हो रही है। उर्वरक आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने जानकारी दी कि भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों जैसे- कीनाडा, कृष्णापटनम, गंगावरम, विशाखापत्तनम और पारादीप में खाद के स्टॉक रखे हुए हैं। वहां से रेक उपलब्ध न हो पाने के कारण खाद की जल्द से जल्द आपूर्ति करने में देरी हो रही है। इन बंदरगाहों में 149,800 मिलियन टन खाद वितरण के लिए रखी गई थी। जिसमें से नवंबर तक मात्र 82,143 मिलियन टन खाद की आपूर्ति की जा सकी है। शेष खाद की आपूर्ति जल्द से जल्द पूरी करवाने की कोशिश की जा रही है।
सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मांग की है, कि दैनिक आधार पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को खाद के 10-12 रैक उपलब्ध कराएं जाएं। फिलहाल राज्य को प्रतिदिन 3 से 4 रेक ही उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उस खाद को सहकारी समितियों के माध्यम से जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। रेल मंत्री ने कहा है, कि अभी फिलहाल 25 से 30 रेक रास्ते में हैं जो जल्द ही अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएंगे। खाद की मुख्य आपूर्तिकर्ता संस्था इफको(IFFCO) लगातार उत्तर प्रदेश के किसानों की मांग को पूरा करने की कोशिश कर रही है।