इस फूल की खेती से किसान कम समय में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं
आजकल किसान फूलों की खेती करके काफी ज्यादा आय करते हैं। गुलखैरा का फूल तकरीबन 10,000 रुपये क्विंटल तक के हिसाब से बिकता है। किसान एक बीघे में कम से कम 5 से 6 क्विंटल फूल बड़ी आसानी से उत्पादन कर सकते हैं। वो भी बाकी फसलों की पैदावार करते हुए। आज के समय में किसान पारंपरिक खेती की लीक से हट कर अन्य विभिन्न प्रकार के फलों, फूलों और मसालों की खेती कर रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही फूल के विषय में बताने वाले हैं, जिसकी खेती यदि आपने करते हैं, तो गत कुछ ही माह में मालामाल हो सकते हैं। बतादें, कि हम जिस फूल के बारे में बात कर रहे हैं, यह कोई साधारण फूल नहीं है। यह एक ऐसा फूल है, जिसके विभिन्न औषधीय लाभ होते हैं। विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार करने में इस फूल का उपयोग होता है। आइए अब इस फूल के बारे में जानते हैं।गुलखैरा के फूल की क्या-क्या विशेषता होती है
दरअसल, हम जिस फूल के विषय में बात कर रहे हैं, उस फूल का नाम गुलखैरा है। बतादें कि किसान भाई इस फूल की खेती कर के काफी मोटी आमदनी कर सकते हैं। इस फूल की फसल की सबसे विशेष बात यह है, कि इसे किसी भी फसल के साथ किसान उगा सकते हैं। उसके बाद इसे बाजार में बेच कर अच्छी-खासी आमदनी कर सकते हैं। दरअसल, इस फूल का मूल रूप से सर्वाधिक उपयोग ओषधि निर्मित करने हेतु किया जाता है। ये भी देखें: इस औषधीय गुणों वाले बोगनविलिया फूल की खेती से होगी अच्छी-खासी कमाईगुलखैरा का फूल कितने रुपये प्रति क्विंटल बिकता है
मीडिया एजेंसियों की खबरों के अनुसार, गुलखैरा का फूल तकरीबन 10,000 रुपये क्विंटल तक बेचा जाता है। बतादें, कि एक बीघे में कम से कम आप 5 से 6 क्विंटल फूल बड़ी आसानी से उत्पादित कर सकते हैं, वह भी बाकी फसलों के समेत। इस फूल की एक और सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि इसकी एक बार बुआई कर लेने के उपरांत आपको दूसरी बार बीज बाजार से खरीदने की जरुरत नहीं पड़ेगी। अप्रैल से मई के मध्य यह फसल पककर तैयार हो जाती है।गुलखैरा के फूल का उपयोग किस प्रकार की दवाई बनाने में किया जाता है
गुलखैरा के फूल का उपयोग यूनानी औषधियां तैयार करने में किया जाता है। इसके साथ ही मर्दाना शक्ति के लिए भी इस फूल से दवाई तैयार की जाती है। बुखार, खांसी और विभिन्न प्रकार की वायरस वाले रोगों के उपचार के लिए भी इस फूल का इस्तेमाल किया जाता है। इस समय इस फूल की खेती उत्तर प्रदेश के उन्नाव, कन्नौज और हरदोई में अधिक होती है।
02-Jun-2023