Ad

गेंहू की बुवाई

जनवरी के महीने में कुछ सावधानी बरतते हुए किसान अपने गेहूं का उत्पादन कर सकते हैं डबल

जनवरी के महीने में कुछ सावधानी बरतते हुए किसान अपने गेहूं का उत्पादन कर सकते हैं डबल

देशभर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और यह सभी के लिए इस समस्या का कारण बनी हुई है। उत्तर भारत में ठंड के हालात बहुत बुरे हैं और बहुत सी जगह तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंच गया है। ऐसे में किसानों ने जो रबी की फसल उगाई थी उसका उत्पादन चरम सीमा पर है। गेहूं का उत्पादन अक्टूबर के महीने में किया जाता है और मार्च और अप्रैल के बीच की कटाई शुरु कर दी जाती है। ऐसे में जनवरी का महीना इस फसल के लिए बहुत ज्यादा अहम माना गया है। अगर जनवरी के महीने में स्पेशल पर ध्यान ना दिया जाए तो पूरी की पूरी फसल बर्बाद भी हो सकती है। साथ ही, अगर किसान थोड़ा सा ध्यान देते हुए इस महीने में फसल की देखभाल करें तो अपने उत्पादन को काफी ज्यादा बढ़ा सकते हैं। गेहूं की फसल की अच्छी उपज के लिए साफ सफाई बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है, कि गेहूं के साथ पैदा हुई खरपतवार फसल को नुकसान पहुंचाती है। इससे बचाव जरूरी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब बिहार के विशेषज्ञों ने सलाह दी है, कि जरा सी सूझबूझ से जनवरी को खेती के लिहाज से कमाई का महीना बनाया जा सकता है। किसान जनवरी के महीने में अपनी फसल को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखते हुए सही रख सकते हैं।
ये भी देखें: गेहूं का उत्पादन करने वाले किसान भाई इन रोगों के बारे में ज़रूर रहें जागरूक
  • कृषि विभाग के एक्सपर्ट का कहना है, कि गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है। तो ऐसे में इस महीने में फसल को खरपतवार से बहुत ज्यादा नुकसान होने का खतरा रहता है। गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार पैदा हो जाते हैं। जो फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे बचाव के लिए 2.4-डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए। छिड़काव 25-30 दिनों में कर देना चाहिए.
  • अगर आपको खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नहीं दिख रहे हैं। आप के खेत में सक्रिय पत्ती वाले खरपतवार हैं, तो आप आइसोप्रोट्युरॉन 50 प्रतिशत का 2 किलोग्राम या 75 प्रतिशत का, 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब छिड़काव करें। यह छिड़काव फ्लैट फैन नोजलवारी स्पे मशीन से करें तो बेहतर रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं।
  • छेद में तना करने वाले कीट भी गेहूं की फसल को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। अगर समय रहते इस कीट का इलाज न किया जाए तो यह पूरी की पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है। इस तना छेदक कीट से छुटकारा पाने के लिए 10 फेरोमीन ट्रैप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगाना चाहिए। यदि अधिक जरूरत है, तो डायमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी 750 का पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए।

देश के कुछ राज्यों में बढ़ गई है गेहूं की बुवाई

कृषि मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे भारतवर्ष में राजस्थान राज्य में गेहूं की बुवाई सबसे ज्यादा की गई है। अगर जगह के हिसाब से बात की जाए तो लगभग ढाई लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की गई है। राजस्थान के बाद दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश का आता है और यहां पर लगभग दो लाख हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की फसल बोई जा चुकी है। इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर और असम में अधिक गेहूं की बुवाई की गई है। इस बार के गेहूं बुवाई के आंकड़े देखकर केंद्र सरकार खुश है। इस साल गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना जताई जा रही है। किसान अगर इस महीने में जरा सा ध्यान देते हैं, तो अपना उत्पादन और आमदनी दोनों ही पिछले साल के मुकाबले बढ़ाई जा सकती है।
गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

देश में महंगाई चरम पर है. सब्जी और दाल के साथ आटे के दाम भी आसमान छू रहे हैं. बढ़ी हुई महंगाई ने आम आदमी के बजट और जेब दोनों पर डाका डाल दिया है. इन बढ़े हुए दामों ने केंद्र सरकार को भी परेशान कर रखा है. वहीं बात महंगे गेहूं की करें तो, अब इसके दाम कम हो सकते हैं. आम जनता के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर हो सकती है. देश में कई बड़े राज्यों में गेहूं की बुवाई का काम हो चुका है. बताया जा रहा है कि इस साल बुवाई रिकॉर्ड स्तर पर की गयी है. हालांकि भारत के बड़े हिस्से में गेहूं की बुवाई की जाती है. जिसके बाद केंद्र सरकार 15 मार्च से गेहूं खरीद का काम शुरू कर देगी. इसके अलावा इसे जमीनी स्तर पर परखने के लिए खाका भी तैयार किया जा रहा है.

आटे की कीमतों पर लगेगी लगाम

हाल ही में केंद्र सरकार ने गेहूं और आटे की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए खुले बाजार में लगभग तीस लाख टन गेहूं बेचने की योजना का ऐलान किया था. बता दें ई-नीलामी के तहत बेचे जाने वाले गेहूं को उठाने और फिर उसे आटा मार्केट में लाने के बाद उसकी कीमतों में कमी आना तय है.
ये भी देखें: इस महीने करें काले गेहूं की खेती, होगी बंपर कमाई
जानकारी के लिए बता दें कि, OMSS  नीति के तहत केंद्र सरकार FCI को खुले बाजार में पहले निर्धारित कीमतों पर अनाज खास तौर पर चावल और गेहूं बेचने की अनुमति देती है. सरकार के ऐसा करने का लक्ष्य मांग ज्यादा होने पर आपूर्ति को बढ़ाना है और खुले बाजार मनें कीमतों को कम करना है. भारत में गेहूं की पैदावार पिछले साल यानि की 2021 से 2022 में 10 करोड़ से भी ज्यादा टन था. गेहूं की पैदावार की कमी की राज्यों में अचानक बदले मौसम, गर्मी और बारिश की वजह से हुई. जिसके बाद गेहूं और गेहूं के आटे के दामों में उछाल आ गया.
गेहूं पर गर्मी पड़ सकती है भारी, उत्पादन पर पड़ेगा असर

गेहूं पर गर्मी पड़ सकती है भारी, उत्पादन पर पड़ेगा असर

इस बार देश में गेहूं की बुवाई रिकार्ड क्षेत्र में की गयी है. रिकॉर्ड बुवाई को देखते हुए इस बार 11 करोड़ टन से भी ज्यादा गेहूं के उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन इस बार बढ़ती गर्मी गेहूं पर भारी पड़ सकती है. जिसका सीधा असर इसके उत्पादन पर दिख सकता है. साल 2022 की गर्मी का सितम कौन भूल सकता है. जिसने सबसे ज्यादा गेहूं की फसल पर सितम बरपाया था. हालंकि इस साल किसान उस मुश्किल से उबरने की सोच ही रहे थे कि, इस साल गेहूं में बंपर उत्पादन होगा. लेकिन इस बार भी उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. इस साल की बढ़ती गर्मी गेहूं की फसल को बर्बाद कर सकती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो, गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन एमपी में होता है. जहां फरवरी का पहला हफ्ता बेहद गर्म गया है. अगर ऐसे ही हालात रहें तो, इसका सबसे ज्यादा असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ सकता है. वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो अगर गर्मी का सितम वहां पर भी बरकरार रहा तो, वहां के गेहूं के उत्पादन की स्थिति बिगड़ सकती है.

एक्टिव मोड पर आई केंद्र सरकार

पिछले साल गेहूं का उत्पादन गर्मी की वजह से काफी ज्यादा प्रभावित हुआ था. वहीं इस साल आधे फरवरी में ही टेम्परेचर जरूरत से ज्यादा गर्म हो चुका है. जिस वजह से गेहूं का उत्पादन बड़े पैमाने में प्रभावित होने का अंदेशा है. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने एक निगरानी कमेटी का गठन किया है. जो गेहूं की फसल को क्या नुकसान होगा, का आंकलन करेगी. कृष्ण आयुक्त को कमेटी की अध्यक्षता की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.

इन राज्यों को सबसे ज्यादा खतरा

मौसम विभाग की मानें तो गुजरात, उत्तराखंड, जम्मू और हिमाचल प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां का तापमान समान्य से ज्यादा हो सकता है. मतलब साफ़ है कि, तापमान में बढ़ोतरी के जद सिर्फ एक राज्य ही नहीं बल्कि कई राज्य हैं. इन सभी राज्यों के गेहूं की फसल की निगरानी के लिए कमेटी का गठन किया गया है. ये भी देखें: गेहूं का उत्पादन करने वाले किसान भाई इन रोगों के बारे में ज़रूर रहें जागरूक वहीं अधिकारीयों की मानें तो, जिस तरह से गर्मी बढ़ी है, उसे देखते हुए कृषि मंत्रालय की कमेटी किसानों को कम सिंचाई से जुड़ी जरूरी जानकारी देगी. जिसकी अध्यक्षता कृषि आयुक्त डॉक्टर प्रवीन करेंगे. इसके अलावा कमेटी का अन्य सदस्य में गेहूं का उत्पादन करने वाले राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. अधिकारीयों का कहना है कि, इस साल देश में गेहूं की बुवाई रिकॉर्ड क्षेत्रों में की गयी है. वहीं एक्सपर्ट्स के मुताबिक तापमान ज्यादा होने का असर जमीन में दिखेगा. यूपी, बिहार, हरियाणा, एमपी, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि, तापमान में हुए बदलाव की वजह से जनवरी का महीना सबसे ज्यादा ठंडा और गर्मी का महीना सबसे ज्यादा गर्म है. जिसका असर फसलों पर देखने को मिल सकता है. बात जुलाई से जून तक की साल 2022 से 2023 की करें तो, इस साल गेहूं की पैदावार 11 करोड़ टन से भी ज्यादा होने का अंदेशा जताया जा रहा है. क्योंकि देश में इस साल पिछले साल की तुलना में गेहूं का रकबा बढ़ा है. वहीं पिछले साल लू की वजह से गेहूं की उत्पादकता में कमी आई थी. जहां गेहूं का उत्पादन बेहद कम रहा गया था.
आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा आगरा का मौसम, कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा आगरा का मौसम, कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

कृषि विज्ञान केन्द्र बिचपुरी आगरा को भारत मौसम विज्ञान विभाग नई दिल्ली से प्राप्त मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आगामी पांच दिनों में बादल न रहने व वर्षा नहीं होने का अनुमान है। हवा लगभग 4.2 से 10.7 किमी प्रतिघंटा की औसत गति से मुख्यतः पूरव - उत्तर से पश्चिम - उत्तर से बहने की संभावना है। अधिकतम तापमान 26.9 से 30.2 व न्यूनतम तापमान 11.7 से 14.7 डिग्री सेल्सियस के लगभग रहने की संभावना है। आपेक्षिक आर्द्रता सुबह 33 से 46 व शाम को 18 से 24 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।


ये भी पढ़ें:
बरसात की वजह से खराब हुई धान की तैयार फसल, किसानों ने मांगा मुआवजा
किसानों को सलाह है, कि खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐं। क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है, कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें। इससे मृदा की उर्वरकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल/हैक्टेयर किया जा सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है, कि वह स्थानीय कृषि रसायन विक्रेताओं की सलाह पर कृषि कार्य ना करें कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर ही कृषि कार्य करें।

फसल सम्बंधित महत्वपूर्ण सलाहें

गेंहू की बुवाई हेतू खाली खेतों को तैयार करें तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। उन्नत प्रजातियाँ-सिंचित परिस्थिति- (एच. डी. 3226), (एच. डी. 2967), (एच. डी. 3086), (एच. डी. 2851)। बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर होनी चाहिये।


ये भी पढ़ें:
गेहूँ की फसल की बात किसान के साथ
बरसीम की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें। बुवाई का समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक उचित रहता है, प्रजातियां- वरदान, मेस्कावी, J.H.B-146, J.H.T.B-146. बीज दर: प्रति हैक्टेयर 25-30 किग्रा० बीज बोते है। पहली कटाई मे चारा की उपज अधिक लेने के लिए 1 किग्रा० /हे० चारे वाली टा -9 सरसों का बीज बरसीन में मिलाकर बोना चाहियें। उर्वरक: 20 किग्रा० नत्रजन एंव 80 किग्रा० फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़क कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।

बागवानी (अमरुद) सम्बंधित सलाह

अमरूद में शीत ऋतु के फल बन चुके हैं। आवश्यकता आधारित सिंचाई के माध्यम से मिट्टी में उचित नमी बनाए रखें। कलम के नीचे से निकल रहे कल्लों को तोड़ते रहें। वृक्ष के थाले को खरपतवार मुक्त रखें। यदि ड्रिप प्रणाली से उर्वरकोंका कों प्रयोग किया जा रहा है, तो पानी में घुलनशील उर्वरकों को 7 दिनों के अंतराल पर प्रयोग करें। इस स्तर पर, फलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पोटेशियम का प्रयोग महत्वपूर्ण है।

ये भी पढ़ें:
बागवानी लगाने के लिए बिहार सरकार किसानों को दे रही है 25000 रुपया

पशु सम्बंधित सलाह

किसान भाइयो लम्पी स्किन रोग की रोकथाम के लिए जनपद में "गोट पॉक्स वैक्सीन" उपलब्ध है। स्वस्थ पशु का वैक्सीनेसन कराएं। रोग से प्रभावित पशु को देखते ही नजदीकी पशुचिकित्सक को सूचना दें। लंपी स्किन रोग का घरेलू उपचार-1 kg नीम की पत्तियों को 4 लीटर पानी मे हल्की आग पर उबालें और जब पानी आधा रह जाये तब उसे ठंडा करके छान लें, और रोग से प्रभावित पशु के शरीर को शूती कपड़े से पोछदें। यह प्रक्रिया पशु के ठीक होने तक करते रहें।
जानिए कैसा रहेगा अलीगढ़ जनपद का मौसम एवं महत्वपूर्ण सलाहें

जानिए कैसा रहेगा अलीगढ़ जनपद का मौसम एवं महत्वपूर्ण सलाहें

कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों में मौसम शुष्क रहेगा। अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: २४.० से २७.० व १०.० से ११ .० डिग्री सेल्सियस रहेगा | इस दौरान पूर्वाह्न ७ .२१ को सापेक्षिक आद्रता ६० से ८५ तथा दोपहर बाद अपराह्न २.२१ को ४५ से ५५ प्रतिशत रहेगा। हवा ४.० -१३ .० कमी/घंटे की गति से चलने का अनुमान है। ईआरएफएस उत्पाद के अनुसार से २७ नवंबर- ३ दिसंबर २०२२ में अधिकतम तापमान,न्यूनतम तापमान सामाय और वर्षा सामान्य से कम हो सकती है। गन्ने की बुवाई नवंबर से पहले करें क्योंकि उसके बाद तापमान कम होगा एवं अंकुरण कम होगा। १५ दिन के अंतराल पर सिंचाई करें और बुवाई के २५-३० दिन बाद निराई करें।

फसल संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी व सलाह

मसूर की बुवाई

मसूर की बुवाई जिसने ना करी हो वे अभी कर सकते हैं, लेकिन प्रति हैक्टेयर ५५ से ७५ किलो ग्राम बीज लगेगा। बुवाई के ४५ दिन बाद पहली सिंचाई कर और बोआई के ५५ से ७५ दिन बाद फूल निकलने से पहले सिंचाई करें।

गेहूँ की बुवाई

गेहूँ के खेत की तैयारी में देख लें कि मिट्टी भुरभुरी हो जाए डले ना रह जाए। गेहूँ की बुवाई का सबसे अच्छा समय १५ से ३० नवंबर तक है, इस मध्य गेहूँ की बुवाई हर हाल में पूरी कर लें। HD २९६७, UP २३८२, PBW ५०२ आदि २.५ ग्राम कार्बेन्डजिन प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें पंक्ति के मध्य २०-३० सेमी की दूरी और पौधे के बीच १० सेमी रखें।
ये भी पढ़े: इस महीने करें काले गेहूं की खेती, होगी बंपर कमाई

बागवानी संबंधित आवश्यक सलाह

टमाटर ग्रीष्म ऋतु की फसल हेतु कम व अधिक बढ़ने वाली दोनों प्रजातियों की रोपाई ६०४५ सेंटीमीटर पर करें। टमाटर में खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रति हैक्टेयर पेंडीमेथिलीन १ किलोग्राम सक्रिय तत्व रोपण के 2 दिन बाद १००० लीटर पानी में घोलकर बनाकर प्रयोग करें।

ये भी पढ़ें:
बागवानी की तरफ बढ़ रहा है किसानों का रुझान, जानिये क्यों?
अधिक आद्रता के कारण, आलू और टमाटर में ब्लाइट का संक्रमण हो सकता है। लगातार नगरानी की सलाह दी जाती है। यदि लक्षण दिखें तो कार्बनडीजीन@ 1.0 ग्राम / लीटर पानी या Dithane-M-45 @ 2.0 ग्राम / लीटर पानी की दर से स्प्रे करने की सलाह दी जाती है।
गेंहू की बुवाई का यह तरीका बढ़ा सकता है, किसानों का उत्पादन और मुनाफा

गेंहू की बुवाई का यह तरीका बढ़ा सकता है, किसानों का उत्पादन और मुनाफा

रबी सीजन के दौरान प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई आरंभ हो गयी है। किसानों द्वारा उत्तम पैदावार अर्जित हेतु कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है। बतादें कि गेहूं रबी सीजन की मुख्य फसल है। फिलहाल रबी सीजन के दौरान गेंहू की बुवाई चालू है, किसानों द्वारा रबी सीजन की फसलों का बीजारोपण किया जा रहा है। सरकारी ब्लॉक और बाजार से गेहूं के बीजों का आना भी शुरू हो गया है, गेहूं की अगैती फसल भी किसानों द्वारा बुवाई चालू हो गयी है। कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से भी गेंहू की सही प्रकार से बुवाई के तरीके बताये जा रहे हैं। फसल की अच्छी तरह बुवाई और उसके बेहतर तरीकों के बारे में भी जानना अति आवश्यक है।

क्या हैप्पी सीडर एक सफल कृषि यंत्र है

भारत के विभिन्न राज्यों में गेहूं की बेहतर बुआई हेतु हैप्पी सीडर मशीन का प्रयोग किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे गेहूं की बुआई में खर्च कम होता है एवं पराली जलाने की कोई आवश्यक नहीं होती है। बतादें कि पराली के सड़ने से जैविक खाद भी निर्मित हो जाता है, वैज्ञानिकों के मुताबिक इस विधि से गेहूं की बुआई करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
ये भी पढ़े: सुपरसीडर मशीन से होंगे अनेक काम

किस प्रकार कार्य करता है हैप्पी सीडर

इस तकनीक में जल का कम वाष्पीकरण होता है, इस कारण से मृदा में नमी बनी रहती है। इस मशीन से धान के डंठल को काटने के साथ साफ की गई मृदा में गेहूं के बीज व खाद को बुवाई हेतु एक ही समय पर नालियों में डाल देती है। इस तकनीक की सहायता से माइक्रोक्लाइमेट को सुधारा जा सकता है। मृदा की उर्वरक शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही, इस तकनीक के जरिये बुआई करने हेतु प्रति एकड़ लगभग ५ हजार रुपये की बचत होती है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=BXCWNRijxR0&t=137s[/embed]

हैप्पी सीडर मशीन को किसने इजात किया है

हैप्पी सीडर मशीन को टर्बाे हैप्पी सीडर मशीन के नाम से भी जाना जाता है। यह मशीन ट्रैक्टर द्वारा संचालित होती है, इसे पंजाब एग्री यूनिवर्सिटी ने आस्ट्रेलियन सेंटर फार इंटरनेशनल सेंटर एग्री रिसर्च के सहयोग से इजात किया है। मशीन का उपयोग धान के ठूंठ को समाप्त करने व गेहूं की बुवाई हेतु किया जाता है।
ये भी पढ़े: सुपर सीडर मशीन(Super Seeder Machine) क्या है और कैसे दिलाएगी पराली की समस्या से निजात

हैप्पी सीडर पर कितना अनुदान दे रही है सरकार

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा साल २००२ में इसे विकसित किया। २००६ में किसानों हेतु बाजार में उपलब्ध किया गया था, उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट किसानों के समूह को ८० प्रतिशत और किसानों के निजी उपयोग हेतु ५० प्रतिशत अनुदान पर मशीन दे रहे है। इसकी कीमत लगभग १. ६० लाख रुपये है।

हैप्पी सीडर मशीन का उत्पादन में क्या महत्त्व है

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान सामान्यतः पारंपरिक तरीकों द्वारा ही खेती करने हेतु प्राथमिकता देते हैं। पारंपरिक तरीके से खेती करने पर किसान को प्रति एकड़ १९ से २२ क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है। बतादें कि पहले साल हैप्पी सीडर मशीन से बुआई करने पर उत्पादन में घटोत्तरी होगी, जो कि १७ क्विंटल पर आ जाता है। वहीं द्वितीय वर्ष उत्पादन में वृध्दि १९ से २२ क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है, परंतु खास बात यह है, कि लागत में घटोत्तरी होने से अधिक लाभ होता है।
जानें कैसा रहेगा इस जनपद का मौसम और कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

जानें कैसा रहेगा इस जनपद का मौसम और कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार मध्य प्रदेश राज्य के जनपद ग्वालियर में संभावित मौसम पूर्वानुमान में आगामी पांच दिनों में साफ से घने बादल रहने वर्षा नहीं होने का अनुमान है l अधिकतम तापमान 25.7 से 26.6 व् न्यूनतम तापमान 8.1 से 8.5 डि.से. रहने तथा अधिकतम आर्द्रता 67 से 76 व न्यूनतम आर्द्रता 28 से 31 प्रतिशत रहने और हवा लगभग 3.7 से 9.4 किमी /घंटा की औषतगति से मुख्यतः पश्चिम उत्तर व पूर्व-उत्तर दिशा से बहने का अनुमान है I संभावित मौसम पूर्वानुमान को देखते हुए सब्जियों व नव रोपित फल व्रछों में निराई गुड़ाई करें व आवश्कतानुसार सिंचाई करें I

फसल संबंधित सलाह

गेंहू की बुवाई हेतु संभावित मौसम अनुकूल है, अत: गेंहू की उन्नत किस्में जैसे- पूसा तेजस, पूसा उजाला.,ऍम.पी.3382, ऍम.पी. 1203 व आरवीडब्ल्यू 4106 आदि का चयन एवं बीजोपचार कर बुबाई करें व संतुलित मात्रा में उर्वरक डालें I

ये भी पढ़ें: कानपूर आईआईटी द्वारा विकसित कम जल खपत में अधिक पैदावार करने वाला गेंहू का बीज

जौ

जौ की बुवाई हेतु उचित तापमान है, अत: उन्नतशील प्रजातियों जैसे- डी.डब्ल्यू.आर.वी.-52,डी.डब्ल्यू.आर.वी.-92, डी.डब्ल्यू.आर.वी.-73, डी.डब्ल्यू.आर.वी.-64, नरेन्द्र जौ-1, नरेन्द्र जौ-2 व नरेन्द्र जौ-3 आदि का चयन कर बीजोपचार कर बुवाई करें I

सरसों

1. देरी से बोई गई सरसों की फसल में इस समय रस चूसक चितकबरे कीट की संभावना हो सकती है। अत: इसके नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफास या डायमिथोएट 800 मिली दवा 400 से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करेंI 2. सरसों की फसल जो की 35 से 40 दिन की अवस्था में उसमें प्रथम सिंचाई करें व उसके बाद नत्रजन की मात्रा को दें I

आलू

इस समय आलू की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें व आलू की फसल में पत्तियों पर सतत निगरानी रखें I यदि पत्तियों पर गोल आकार के भूरे धब्बे दिखाई दें तो वह अगेती झुलसा रोग हो सकता है I अत: झुलसा रोग दिखाई देने पर इसके नियंत्रण हेतु मेन्कोजेब 1.5 किग्रा. दवा 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें I

बागवानी संबंधित आवश्यक जानकारी व सलाह

अमरुद

संभावित मौसम में नवरोपित आम, अमरुद, नीबू आदि पोधों के थालों की निराई गुड़ाई कर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें I

प्याज

प्याज की रोपाई हेतु इस समय बीज सैया की तैयारी कर नर्सरी में प्याज की पोध डालें I

मिर्च और टमाटर

मिर्च और टमाटर में इस समय लीफकर्ल (चुर्रामुर्रा रोग) की संभावना हो सकती है। अतः दिखाई देने पर इसके नियंत्रण हेतु थायोमिथाक्जाम 25 डी.जी. 100 ग्राम दवा 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिडकाव करें l

बैंगन

बैगन में तना छेदक व फल छेदक कीट की संभावना हो सकती है। दिखाई देने पर इसके नियंत्रण हेतु ग्रसित फलों को तोड़ कर नष्ट करें व स्पाइनोसैड 48 ईसी कीटनाशक दवा 1 मिली / 4 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें I

ये भी पढ़ें: इस प्रकार बचायें अपने पशुओं को आने वाली शीत लहर से

पशु संबंधित सलाह

संभावित मौसम पूर्वानुमान में तापमान की गिरावट को देखते हुए पशुओं को दिन के समय धूप में रखें व रात्रि में ठण्ड से बचावें। साथ ही, दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें I इस समय अधिकतर पशुओं के ब्याने का समय है, अत: पशुओं के ब्याने के बाद एक घंटे के भीतर पैदा होने वाले शिशु को पर्याप्त मात्रा में (नवजात शिशु के शरीर भर का 1/10 भाग) खीस पिलावें I