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गेहूं की नई किस्म

फसलों पर गर्मी नहीं बरपा पाएगी सितम, गेहूं की नई किस्मों से निकाला हल

फसलों पर गर्मी नहीं बरपा पाएगी सितम, गेहूं की नई किस्मों से निकाला हल

फरवरी के महीने में ही बढ़ते तापमान ने किसानों की टेंशन बढ़ा दी है. अब ऐसे में फसलों के बर्बाद होने के अनुमान के बीच एक राहत भरी खबर किसानों के माथे से चिंता की लकीर हटा देगी. बदलते मौसम और बढ़ते तापमान से ना सिर्फ किसान बल्कि सरकार की भी चिंता का ग्राफ ऊपर है. इस साल की भयानक गर्मी की वजह से कहीं पिछले साल की तरह भी गेंहूं की फसल खराब ना हो जाए, इस बात का डर किसानों बुरी तरह से सता रहा है. ऐसे में सरकार को भी यही लग रहा है कि, अगर तापमान की वजह से गेहूं की क्वालिटी में फर्क पड़ा, तो इससे उत्पादन भी प्रभावित हो जाएगा. जिस वजह से आटे की कीमत जहां कम हो वाली थी, उसकी जगह और भी बढ़ जाएगी. जिससे महंगाई का बेलगाम होना भी लाजमी है. आपको बता दें कि, लगातार बढ़ते तापमान पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था. इन सब के बीच अब सरकार के साथ साथ किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वो कर दिखाया है, जो किसी ने भी सोचा भी नहीं था. दरअसल आईसीएआर ने गेहूं की तीन ऐसी किस्म को बनाया है, जो गर्मियों का सीजन आने से पहले ही पककर तैयार हो जाएंगी. यानि के सर्दी का सीजन खत्म होने तक फसल तैयार हो जाएगी. जिसे होली आने से पहले ही काट लिया जाएगा. इतना ही नहीं आईसीएआर के साइंटिस्टो का कहना है कि, गेहूं की ये सभी किस्में विकसित करने का मुख्य कारण बीट-द हीट समाधान के तहत आगे बढ़ाना है.

पांच से छह महीनों में तैयार होती है फसलें

देखा जाए तो आमतौर पर फसलों के तैयार होने में करीब पांच से छह महीने यानि की 140 से 150 दिनों के बीच का समय लगता है. नवंबर के महीने में सबसे ज्यादा गेहूं की बुवाई उत्तर प्रदेश में की जाती है, इसके अलावा नवंबर के महीने के बीच में धान, कपास और सोयाबीन की कटाई मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, एमपी और राजस्थान में होती है. इन फसलों की कटाई के बाद किसान गेहूं की बुवाई करते हैं. ठीक इसी तरह युपू में दूसरी छमाही और बिहार में धान और गन्ना की फसल की कटाई के बाद ही गेहूं की बुवाई शुरू की जाती है.

महीने के आखिर तक हो सकती है कटाई

साइंटिस्टो के मुताबिक गेहूं की नई तीन किस्मों की बुवाई अगर किसानों ने 20 अक्टूबर से शुरू की तो, गर्मी आने से पहले ही गेहूं की फसल पककर काटने लायक तैयार हो जाएगी. इसका मतलब अगर नई किस्में फसलों को झुलसा देने वाली गर्मी के कांटेक्ट में नहीं आ पाएंगी, जानकारी के मुताबिक मार्च महीने के आखिरी हफ्ते तक इन किस्मों में गेहूं में दाने भरने का काम पूरा कर लिया जाता है. इनकी कटाई की बात करें तो महीने के अंत तक इनकी कटाई आसानी से की जा सकेगी. ये भी पढ़ें: गेहूं पर गर्मी पड़ सकती है भारी, उत्पादन पर पड़ेगा असर

जानिए कितनी मिलती है पैदावार

आईएआरआई के साइंटिस्ट ने ये ख़ास गेहूं की तीन किस्में विकसित की हैं. इन किस्मों में ऐसे सभी जीन शामिल हैं, जो फसल को समय से पहले फूल आने और जल्दी बढ़ने में मदद करेंगे. इसकी पहली किस्म का नाम एचडीसीएसडब्लू-18 रखा गया है. इस किस्म को सबसे पहले साल 2016  में ऑफिशियली तौर पर अधिसूचित किया गया था. एचडी-2967 और एचडी-3086 की किस्म के मुकाबले यह ज्यादा उपज देने में सक्षम है. एचडीसीएसडब्लू-18 की मदद से किसान प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सात टन से ज्यादा गेहूं की उपज पा सकते हैं. वहीं पहले से मौजूद एचडी-2967 और एचडी-3086 किस्म से प्रति हेक्टेयर 6 से 6.5 टन तक पैदावार मिलती है.

नई किस्मों को मिला लाइसेंस

सामान्य तौर पर अच्छी उपज वाले गेंहू की किस्मों की ऊंचाई लगभग 90 से 95 सेंटीमीटर होती है. इस वजह से लंबी होने के कारण उनकी बालियों में अच्छे से अनाज भर जाता है. जिस करण उनके झुकने का खतरा बना रहता है. वहीं एचडी-3410 जिसे साल 2022 में जारी किया गया था, उसकी ऊंचाई करीब 100 से 105 सेंटीमीटर होती है. इस किस्म से प्रति हेल्तेय्र के हिसाब से 7.5 टन की उपज मिलती है. लेकिन बात तीसरी किस्म यानि कि एचडी-3385 की हो तो, इस किस्म से काफी ज्यादा उपज मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं एआरआई ने एचडी-3385 जो किसानों और पौधों की किस्मों के पीपीवीएफआरए के संरक्षण के साथ रजिस्ट्रेशन किया है. साथ ही इसने डीसी एम श्रीरा का किस्म का लाइसेंस भी जारी किया है. ये भी पढ़ें: गेहूं की उन्नत किस्में, जानिए बुआई का समय, पैदावार क्षमता एवं अन्य विवरण

कम किये जा सकते हैं आटे के रेट

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर किसानों ने गेहूं की इन नई किस्मों का इस्तेमाल खेती करने में किया तो, गर्मी और लू लगने का डर इन फसलों को नहीं होगा. साथी ही ना तो इसकी गुणवत्ता बिगड़ेगी और ना ही उपज खराब होगी. जिस वजह से गेहूं और आटे दोनों के बढ़ते हुए दामों को कंट्रोल किया जा सकता है.
गेहूं की यह नई किस्म मोटापे और डायबिटीज के लिए रामबाण साबित होगी

गेहूं की यह नई किस्म मोटापे और डायबिटीज के लिए रामबाण साबित होगी

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट ब्रीडिंग जेनेटिक्स डिपार्टमेंट ने गेंहू की PBW RS1 किस्म को विकसित किया है। इससे किसानों को कम लागत। यह किस्म मोटापे और शुगर के इंसुलेशन के स्तर को बढ़ने नहीं देती है। यह किस्म हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। गेंहू रबी सीजन की एक सबसे प्रमुख फसल है। साथ ही, यह खाने के मकसद से काफी पौष्टिक अनाज है। इसको अधिकांश लोग आहार के रूप में उपयोग किया जाता है। ज्यादातर लोग गेंहू के आटे से निर्मित रोटियों का सेवन करते हैं। किसान गेंहू की फसल से काफी अच्छी आमदनी भी कर लेते हैं। साथ ही, लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स डिपार्टमेंट ने गेहूं की एक ऐसी किस्म तैयार की है, जो मोटापे एवं शुगर के इन्सुलिन स्तर को बढ़ने नहीं देगी। इस वजह से गेहूं की ये किस्म सेहत के लिए काफी लाभदायक साबित होगी। इस बार रबी के सीजन में किसानों को यह बीज लगाने के लिए प्रदान किया जाएगा। साथ ही, इसकी फसल को किस तरह तैयार करना है, इसका प्रशिक्षण भी किसान भाइयों को दिया जाएगा।

गेहूं की PBW RS1 किस्म कितने समय में तैयार होती है

सामान्य तौर पर आपने सुना होगा कि जो भी लोग मोटापे से ग्रसित होते हैं, उन्हें गेहूं का सेवन करने के लिए डॉक्टर मना कर देते हैं। परंतु, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स डिपार्टमेंट के कृषि वैज्ञानिकों ने लगभग 8 से 10 साल में गेहूं की बहुत सी किस्मों पर शोध कर के PBW RS1 किस्म तैयार किया है, जिसको खाने से अब डॉक्टर भी मना नहीं करेंगे। क्योंकि गेहूं की ये नई किस्म मोटापे को रोकने में सहायता करेगी।

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PBW RS1 गेहूं के क्या-क्या लाभ हैं

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं की ये जो स्पेशल किस्म विकसित की है इसके अनेकों लाभ हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी ही फायदेमंद साबित होगा। इस गेहूं का नियमित सेवन करने से मोटापे एवं शुगर जैसी समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इस गेहूं की किस्म में न्यूट्रा सिटिकल वैल्यूज अधिक हैं। इसमें रेजिस्टेंस स्टार्च का कॉन्टेंट भी उपलब्ध है।

विकसित की गई गेहूं की यह नवीन किस्म 2024 अप्रैल माह के पश्चात बाजार में मिलेगी

इसके दाने डायबिटिक मरीजों के लिए भी काफी लाभकारी साबित होंगे। यह फाइबर की भांति शीघ्र ही डाइजेस्ट हो जाएगी। यह गेहूं 2024 अप्रैल महीने के बाद से बाजार में मौजूद रहेगी। वहीं, इस नए बीज की फसल तो कम होगी, परंतु बाजार में इसका भाव ज्यादा मिलेगा।
यूके के वैज्ञानिकों ने गेंहू की Rht13 किस्म विकसित की

यूके के वैज्ञानिकों ने गेंहू की Rht13 किस्म विकसित की

यूके के वैज्ञानिकों ने गेंहू की एक खास किस्म पर शोध कर के उसका नाम Rht13 दिया है। गेंहू की इस किस्म से कम नमी वाली भूमि अथवा सूखी भूमि पर भी बंपर उत्पादन मिलता है। खेती करने में सबसे ज्यादा दिक्कत सूखाड़ जमीन में होती है। अच्छी वर्षा नहीं होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी के बादल छा जाते हैं। अगर बारिश अच्छी नहीं हुई तो किसानों की उम्मीद निराशा में बदल जाती है। अब ऐसी स्थिति में यूके के वैज्ञानिकों ने शोध कर के गेंहू की एक नवीन किस्म को तैयार किया है। गेहूं की इस किस्म की सूखी जमीन पर भी खेती कर बंपर उत्पादन हांसिल किया जा सकता है। वहीं, वैज्ञानिकों ने गेंहू के इस प्रजाति को Rht13 नाम दिया है। गेंहू की ये किस्म कम नमी वाली भूमि अथवा सूखी भूमि पर भी बेहतरीन उत्पादन देगा। Rht13 फसल की लंबाई पारंपरिक गेंहू की तुलना में कम होगी। इस फसल से किसानों को बेहद लाभ मिलेगा। सबसे प्रमुख बात यह है, कि इसकी कम पानी वाले क्षेत्र में भी बेहतरीन पैदावार होगी।

Rht13 गेंहू की प्रमुख विशेषताएं

Rht13 गेंहू की बुवाई जमीन के बेहद अंदर तक की जाती है। ये एक बेहतरीन उत्पादन देने वाली प्रजाति है। इसमें विभिन्न तरह की मृदा एवं जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ सकने की शक्ति है। Rht13 गेहूं में एक जीन होता है, जिसे Rht13 के नाम से जाना जाता है। यह जीन पौधे को ज्यादा शाखाओं और ज्यादा दाने उत्पादित करने में सहयोग करता है। Rht13 जीन की वजह, Rht13 गेंहू पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देता है।

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Rht13 किस्म के गेंहू से किसानों को क्या क्या लाभ हैं

Rht13 से किसानों को फायदे ही फायदे हैं, क्योंकि Rht13 गेहूं पारंपरिक किस्मों के मुकाबले में लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन देता है। सिर्फ इतना ही नहीं Rht13 गेहूं विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में बेहतर ढ़ंग से बढ़ता है।

Rht13 किस्म तूफानी मौसम को सहन करने में भी समर्थ है

शोधकर्ताओं की मानें, तो गेंहू की किस्म Rht13 की जमीन के अंतर्गत काफी गहराई से बुवाई की जाए तो, ये किसानों को कई प्रकार से फायदा पहुंचा सकता है। इसमें तूफान को भी झेलने की क्षमता होती है। किसानों को इसकी खेती करने से कम परिश्रम में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।