ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी में रोजगार की अपार संभावनाएं
संरक्षित खेती उसे कहते हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों में की जाए। दूसरे अर्थों में इस तरह से समझा जा सकता है कि बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन वह भी कंट्रोल कंडीशन में कृत्रिम माहौल तैयार करके किया जाता है।
ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, नेट हाउस आदि तकनीकी इसी श्रेणी में आती हैं। इस तकनीकी के कई फायदे हैं।पौधों के लिए अनुकूल सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों को यहां प्रदान की जा सकती हैं।
किसी भी मौसम में किसी भी सब्जी को उगाया जा सकता है। कम क्षेत्रफल में गुणवत्ता युक्त बेहतर उत्पादन पाया जा सकता है। कम पानी में पर्याप्त सिंचाई की जा सकती है।
उच्च मूल्य वाली बेमौसमी फसलों की खेती के लिए बेहद उपयुक्त होता है। नासी जीवा और रोगों की रोकथाम में सहायक होता है। अगेती नर्सरी तैयार करके पौध भेजी जा सकती है।
हवा वर्षा बर्फ ठंड पक्षियों एवं ओलावृष्टि से फसल बची रहती है। शिक्षित युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर प्रदान करता है।
ग्रीन हाउस प्रौद्योगिकी की क्षमता
ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी में अपार क्षमताएं विद्यमान हैं। इसे प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में भी फसल उत्पादन किया जा सकता है। ग्रीन हाउस में संकर बीजों, सजावटी पौधों और सगंधीय पौधों का निर्माण किया जा सकता है।यह प्रौद्योगिकी अनुवांशिक इंजीनियरिंग के लिए उपयुक्त है। दुर्लभ एवं विदेशी औषधीय एवं सजावटी प्रजातियों की खेती इसमें आसानी से की जा सकती है।
उच्च मूल्य कम, आयतन वाली बागवानी फसलों को यहां तैयार किया जा सकता है। शहरों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले ताजे फल सब्जियां एवं फूलों की आपूर्ति इसके माध्यम से संभव है।
ग्रीन हाउस की किस्में
भारतीय जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सब्सिडी के लिए भारत सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि योजनाओं में दो प्रकार के ग्रीन हाउस पर विचार किया गया है और इनमें प्राकृतिक रूप से हवादार पंखा तथा पेड कूलिंग प्रणाली के साथ ग्रीनहाउस शामिल हैं। साथ ही लकड़ी और बांस की संरचना से बने सस्ते ग्रीन हाउस के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।प्राकृतिक रूप से हवादार ग्रीन हाउस
इस प्रकार के ग्रीनहाउस इन इलाकों के लिए ज्यादा उपयुक्त है जहां का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है ।
ग्रीन हाउस संरचना में हवा संचालन के लिए पर्याप्त संख्या में हवा आने वाले दरवाजे व खिड़कियों को लगाया जाता है । जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करते हुए फर्श क्षेत्रफल के हिसाब से 70% तक हवा संचरण का प्रावधान होना चाहिए।
ग्रीन हाउस के अंदर साइड वाली दीवार में सुराख कर अथवा छत में सुराख अथवा हवा गर्म एवं ठंडी के रास्ते बनाए जाते हैं।
गर्मियों के महीनों में इस प्रकार से हवा के रास्तों को रखा जाए ताकि पर्याप्त व संचालन सुनिश्चित हो और सर्दियों में इन हाउस को पूरी तरह से हवा रोधी रखना चाहिए।
पंखा एवं पैड कूलिंग वाले ग्रीनहाउस
इस प्रकार के ग्रीनहाउस गर्म शुष्क जलवायु परिस्थितियों उत्तरी मैदानी इलाकों के लिए उपयुक्त होते हैं जहां तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है।
यह प्रणाली उस सिद्धांत पर कार्य करती है जिसमें जल का वाष्पन होता है और आसपास के परिवेश से ताप का अवशोषण होता है।
दीवार के एक ओर से लगाए गए नमी वाले पैड़ के माध्यम से उसमें ठंडी हवा को भेजकर ऐसा करना संभव होता है। जहां दीवार के विपरीत सिरों पर लगे अक्षीय पंखों द्वारा गर्म हवा गो ग्रीन हाउस से बाहर निकाला जाता है।
अत्यधिक तापमान के कारण पौधों की आकृति विज्ञान तथा शरीर क्रिया विज्ञान प्रक्रियाओं को अनेक प्रकार का नुकसान होता है ।
जैसे फूल का रंग बिगड़ना, पत्तियों का झुलसना, घटिया फल गुणवत्ता, अत्यधिक वाष्पोत्सर्जन पौधों की जीवन अवधि छोटी होना जैसी दिक्कतें पैदा हो जाती हैं। हाउस के अंदर का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस बनाए रखना होता है।
पंखा एवं पैड कूलिंग प्रणाली का ऑपरेशन
पंखा एवं पैड प्रणाली को थर्मोस्टेट द्वारा नियंत्रित किया जाता है थर्मोस्टेट से नियंत्रित पंखे बाहर की हवा को ग्रीन हाउस के अंदर छोड़ते हैं और अंदर की हवा को बाहर निकालते हैं प्रति मिनट ग्रीनहाउस आयतन के प्रत्येक 1 मीटर के लिए पंखे की क्षमता एक घन मीटर होनी चाहिए ताकि उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों के तहत एक पूर्ण नवीनीकरण का कम से कम उसका तीन चौथाई या अधिक नवीनीकरण प्रति घंटा 50 से 60 नवीनीकरण सुनिश्चित किया जा सके।ग्रीन हाउस संरचना को चयन करने के मानक
जहां तक संभव हो जी आई पाइप आधारित ग्रीन हाउस में न्यूनतम 2 मिलीमीटर दीवार मोटाई के साथ आई एस आई मां कसम नहीं लगना चाहिए।ग्रीन हाउस के विस्तार के लिए विकल्पों के साथ स्टेप टाइप एंकरिंग बुनियाद गेलवेनाइज्ड तथा नट बोल्ट वाली संरचना होनी चाहिए। लाइव लोड, डेड लोड, फसल लोड हवा तथा इस स्नो लोड जैसे विभिन्न प्रकार के लोड अथवा भार को सहन करने के लिए पर्याप्त मजबूती होनी चाहिए।
सिंगल टुकड़ा जी आई गाटर 500 मिली मीटर चौड़ा और 1 मीटर मोटा होना चाहिए। हवा के तेज बे को सहन करने के लिए सभी परिधि के साथ एरोडायनेमिक आकृति होनी चाहिए।150 किलोमीटर प्रति घंटा तक के बेग को सहन करने की क्षमता डिजाइन में होनी चाहिए।
क्लैडिंग अथवा आवरण सामग्री
ग्रीन हाउस प्लैनिंग अथवा आवरण या ढकने के लिए दो प्रकार की प्लास्टिक फिल्मों का उपयोग किया जाता है। पहली एकल परत वाली स्पष्ट पारदर्शी यूवी स्टेबलाइज्ड फिल्म और विशिष्ट फिल्में तथा डिफ्यूज्ड बूंद रोधी, धूल रोधी, सल्फर रोधी आदि।
प्लास्टिक फिल्म का चुनाव ग्रीन हाउस में बोई गई फसलों और उत्पादन चक्र के दौरान किए गए विभिन्न रासायनिक उपचारों के आधार पर किया जाए।
प्लास्टिक फिल्म में तीन प्रकार के होती है सामान्य फिल्म, थर्मिक क्लियर फिल्म, धार्मिक प्रसार अथवा फैलाव वाली फिल्म। फिल्म में 80% से अधिक पारदर्शिता और अल्प ग्रीन हाउस प्रभाव, इंफ्रारेड प्रभावशीलता होनी चाहिए।
कैसे मिलेगा अनुदान
ग्रीन हाउस एवं पॉलीहाउस लगाने के लिए उद्यान इनोवेशन के अंतर्गत अनुदान प्रदान किया जाता है। इसके लिए देश के किसी भी राज्य में जिला उद्यान अधिकारियों के माध्यम से कार्य योजना बनाकर शासन को भेजी जाती है और उसके अनुरूप ग्रीन हाउस पॉलीहाउस स्थापित किए जाते हैं।
तदोपरांत अनुदान की धनराशि किसान के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेज दी जाती है।वर्तमान समय इस योजना का लाभ लेने के लिए बिल्कुल उपयुक्त समय है।
अपने नजदीकी जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में संपर्क कर या शासन की उद्यान विभाग की वेबसाइट पर जाकर विस्तृत जानकारी ले सकते हैं।