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चावल एक्सपोर्ट

बासमती उत्पादक किसानों को सरकार के इस कदम से झेलना पड़ रहा नुकसान

बासमती उत्पादक किसानों को सरकार के इस कदम से झेलना पड़ रहा नुकसान

भारत संपूर्ण दुनिया का सबसे बड़ा बासमती चावल का निर्यातक देश है। यह अपनी पैदावार का लगभग 80 प्रतिशत निर्यात कर देता है। साल 2022-23 में भारत ने तकरीबन 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब की मंडियों में बासमती धान की आवक चालू हो गई है। परंतु, इस बार कृषकों को विगत वर्ष की तुलना में बासमती धान का कम भाव मिल रहा है। किसानों का यह कहना है, कि उन्हें इस वर्ष बासमती धान की बिक्री में काफी हानि हो रही है। किसानों की मानें, तो उन्हें इस बार प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपये कम प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही, किसानों का यह आरोप है, कि केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल के मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1,200 डॉलर प्रति टन निर्धारित करने के चलते उन्हें काफी हानि उठानी पड़ रही है।

भारत दुनिया में सबसे बड़ा बासमती निर्यातक देश है

भारत दुनिया का सबसे बड़ा बासमती चावल का निर्यातक देश है। यह अपनी पैदावार का 80 प्रतिशत बासमती चावल निर्यात करता है। ऐसी स्थिति में इसका भाव निर्यात के कारण से चढ़ता-उतरता रहता है। यदि बासमती चावल का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 850 डॉलर प्रति टन से ज्यादा हो जाएगा, तो ऐसी स्थिति में व्यापारियों को काफी नुकसान होगा। इससे किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि व्यापारी किसानों से कम भाव पर बासमती चावल खरीदेंगे। इस मध्य खबर है, कि बासमती चावल की नवीन फसल 1509 किस्म की कीमतों में काफी गिरावट आई है। विगत सप्ताह इसके भाव में 400 रुपये प्रति क्विंटल की कमी दर्ज की गई।

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किसानों को वहन करना पड़ रहा घाटा

किसान कल्याण क्लब के अध्यक्ष विजय कपूर ने बताया है, कि मिलर्स और निर्यातक किसानों को सही भाव नहीं दे रहे हैं। वह किसानों से कम कीमत पर बासमती खरीदने के लिए काफी दबाव डाल रहे हैं। उनकी मानें तो यदि सरकार 15 अक्टूबर के पश्चात मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस वापस ले लेती है, तो किसानों को काफी अच्छा मुनाफा मिलेगा। उन्होंने कहा है, कि पंजाब के व्यापारी हरियाणा से कम भाव पर बासमती चावल की 1509 प्रजाति की खरीदारी कर रहे हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों को 1,000 करोड़ रुपये की हानि होगी

हरियाणा में कुल 1.7 मिलियन हेक्टेयर रकबे में से बासमती चावल की खेती की जाती है। इसमें से लगभग 40 प्रतिशत हिस्सेदारी 1509 किस्म की है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया के अनुसार, यदि इसी प्रकार बासमती का भाव मिलता रहा, तो किसानों को कुल मिलाकर 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
भारत से टूटे चावल भारी मात्रा में खरीद रहा चीन, ये है वजह

भारत से टूटे चावल भारी मात्रा में खरीद रहा चीन, ये है वजह

भारत सरकार इस साल चावल के निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध लगा सकती है, आइए जानते है क्यों? हाल ही मे ग्लोबल फूड मार्केट मे खाद्य सामग्री की कमी आई है और इसका ज्यादा असर चावल की सप्लाई पर हुआ है। खाद्य सामग्री मे आई इस कमी का प्रमुख कारण रूस -यूक्रेन युद्ध है, इस युद्ध की वजह से खाद्य सामग्री, ग्लोबली जिस स्तर पर पहुंचनी चाहिए थी, उस स्तर पर उपलब्ध नही हो पा रही है। इसका काफी बड़ा प्रभाव चीन फूड मार्केट पर पड़ा है।


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चीन वो देश है जहां चावल की सालाना खपत 16 करोड़ टन है, लेकिन चीन मे कुल चावल का उत्पादन करीब 14 करोड़ टन होता है। मांग और उत्पादन के बीच के इस गैप को भरने के लिए चीन बाकी का चावल विदेशों से आयात करता है। अब इस बार खरीफ की फसल पर मौसम का विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण इसका उत्पादन कम हो पाया है।


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साथ ही साथ चीन में चावलों का अधिक मात्रा में उपयोग वाइन और नूडल्स बनाने मे होता है। इसके साथ ही चीन मे टूटे चावल खाने का ट्रेंड भी है, जिस वजह से वहां चावल की खपत ज्यादा होती है। यही कारण है कि इस बार चीन, भारत से चावल आयात करने वाले देशों के बीच मे एक प्रमुख खरीदार के रूप मे उभर कर सामने आया है। वैसे चीन भारत से हर साल चावल नहीं खरीदता, लेकिन ग्लोबल मार्केट में चावल की उपलब्धता कम होने की वजह से मजबूरी में चीन को भारत से चावल खरीदने पड़ रहे हैं। अक्सर ग्लोबल मार्केट में टूटे चावल की बिक्री कम होती है, लेकिन जब खाने की कमी हो तो टूटे चावल भी बिक जाते हैं। ऐसा ही कुछ इस बार हुआ है और चीन ने भारी मात्रा में भारत से टूटे चावल खरीदे हैं। अब चूंकि खाद्य सामग्री की कमी वैश्विक स्तर पर आई हुई है। इसलिए इस बात को ध्यान मे रखते हुए और हाल के दिनों में घरेलू सप्लाई मे आई कुछ कमी को देखते हुए भारत सरकार चावल एक्सपोर्ट पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है। गौर करने वाली बात है कि भारत दुनिया का 40 फीसदी चावल का एक्सपोर्ट करता है। ऐसे में अगर चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लग गया तो दुनिया में हड़कंप मच सकता है।