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जमीन

जमीन की संजीवनी है मल्चर मशीन

जमीन की संजीवनी है मल्चर मशीन

जमीन की उपज क्षमता लगातार घट रही है। रासायनिक खाद,कीटनाशक और खरपतवारनाशी दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन की भौतिक संरचना के साथ खाद्यान्न की गुणवत्ता भी गिरी है। कार्बनिक तत्वों की कमी को पूरा करने और जमीन को संजीवनी देने का काम अब मल्चर मशीन करने लगी है। 

 यह कृषि यंत्र ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेतों में चलाया जाता है। ये खास यंत्र बाग- बगीचों और धान पलवार, घास और झाड़ियों को काटने के लिए एक तरह का बेहद ही सरल और विश्वसनीय उपकरण है। इस यंत्र की सबसे खास बात यह है कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखने में मदद करता है। यह विशेष प्रकार का कतरनी यंत्र है जो कि 50 हॉर्स पावर के डबल क्लच वाले ट्रैक्टर के पीछे लगाकर चलाया जाता है। यह फसलों के अवशेषों को बरीकी से काटकर खेत में बिछा देता है। भूसा नुमा यह कतरन मिट्टी में मिल जाती हैं। पानी आदि लगने के बाद गलकर यह जैविक खाद का रूप लेकर जमीन और फसल दोनों को लाभ पहुंचाती हैं। 

 मल्चर धान की पराली का कंपोस्ट बनाने के लिए सबसे उपयुक्त मशीन है। इससे धान का खेत समय से तैयार होकर उसमें गेहूं की बिजाई हो सकती है। यह हरा चारा काटने, केले की फसल को काटने, सब्जियों के अवशेषों को छोटे टुकड़ों में काटने के अलावा ऊंची घास व छोटी झाड़ियों को काटने में भी इस्तेमाल किया जाता है।

 यह बरीक काटने में काफी ज्यादा सक्षम होता है। कटाई के लिए बेहद ही ज्यादा कार्यशाली चैंबर भी माना जाता है। यह गन्ने की कटाई में भी उपयोगी है। यह जड़ समेत ही खरपतवार को बुरादा बना देती है। इस मशीन के प्रयोग से फसल अवशेष जलाने की जरूरत नहीं रहती।

पिछले साल की अपेक्षा बढ़ सकती है, गेहूं की पैदावार, इतनी जमीन में हो चुकी है अभी तक बुवाई

पिछले साल की अपेक्षा बढ़ सकती है, गेहूं की पैदावार, इतनी जमीन में हो चुकी है अभी तक बुवाई

भारत के साथ दुनिया भर में गेहूं खाना बनाने का एक मुख्य स्रोत है। अगर वैश्विक हालातों पर गौर करें, तो इन दिनों दुनिया भर में गेहूं की मांग तेजी से बढ़ी है। जिसके कारण गेहूं के दामों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। दरअसल, गेहूं का उत्पादन करने वाले दो सबसे बड़े देश युद्ध की मार झेल रहे हैं, जिसके कारण दुनिया भर में गेहूं का निर्यात प्रभावित हुआ है। अगर मात्रा की बात की जाए तो दुनिया भर में निर्यात होने वाले गेहूं का एक तिहाई रूस और यूक्रेन मिलकर निर्यात करते हैं। पिछले दिनों दुनिया में गेहूं का निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिसके कारण बहुत सारे देश भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।


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दुनिया में घटती हुई गेहूं की आपूर्ति के कारण बहुत सारे देश गेहूं खरीदने के लिए भारत की तरफ देख रहे थे। लेकिन उन्हें इस मोर्चे पर निराशा हाथ लगी है। क्योंकि भारत में इस बार ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। अन्य सालों की अपेक्षा इस साल देश में गेहूं का उत्पादन लगभग 40 प्रतिशत कम हुआ था। जिसके बाद भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस साल रबी के सीजन में एक बार फिर से गेहूं के बम्पर उत्पादन की संभावना जताई है।


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आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के डायरेक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा है, कि इस साल देश में पिछले साल के मुकाबले 50 लाख टन ज्यादा गेहूं के उत्पादन की संभावना है। क्योंकि इस साल गेहूं के रकबे में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही इस साल किसानों ने गेहूं के ऐसे बीजों का इस्तेमाल किया है, जो ज्यादा गर्मी में भी भारी उत्पादन दे सकते हैं। आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर गेहूं की फसल के उत्पादन एवं रिसर्च के लिए शीर्ष संस्था है। अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया है, कि तेज गर्मी से भारत में अब गेहूं की फसल प्रभावित होने लगी है, जिससे गेहूं के उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।

इस साल देश में इतना बढ़ सकता है गेहूं का उत्पादन

कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के अधिकारियों ने बताया कि, इस साल भारत में लगभग 11.2 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है। जो पिछले साल हुए उत्पादन से लगभग 50 लाख टन ज्यादा है। इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि इस साल किसानों ने गेहूं की डीबीडब्लू 187, डीबीडब्लू 303, डीबीडब्लू 222, डीबीडब्लू 327 और डीबीडब्लू 332 किस्मों की बुवाई की है। जो ज्यादा उपज देने में सक्षम है, साथ ही गेहूं की ये किस्में अधिक तापमान को सहन करने में सक्षम हैं।


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इसके साथ ही अगर गेहूं के रकबे की बात करें, तो इस साल गेहूं की बुवाई 211.62 लाख हेक्टेयर में हुई है। जबकि पिछले साल गेहूं 200.85 लाख हेक्टेयर में बोया गया था। इस तरह से पिछली साल की अपेक्षा गेहूं के रकबे में 5.36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के अधिकारियों ने बताया कि इस साल की रबी की फसल के दौरान राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में गेहूं के रकबे में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी हुई है।

एमएसपी से ज्यादा मिल रहे हैं गेहूं के दाम

अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए इस साल गेहूं के दामों में भारी तेजी देखने को मिल रही है। बाजार में गेहूं एमएसपी से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा दामों पर बिक रहा है। अगर वर्तमान बाजार भाव की बात करें, तो बाजार में गेहूं 30 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। इसके उलट भारत सरकार द्वारा घोषित गेहूं का समर्थन मूल्य 20.15 रुपये प्रति किलो है। बाजार में उच्च भाव के कारण इस साल सरकार अपने लक्ष्य के अनुसार गेहूं की खरीदी नहीं कर पाई है। किसानों ने अपने गेहूं को समर्थन मूल्य पर सरकार को बेचने की अपेक्षा खुले बाजार में बेचना ज्यादा उचित समझा है। अगर इस साल एक बार फिर से गेहूं की बम्पर पैदावार होती है, तो देश में गेहूं की सप्लाई पटरी पर आ सकती है। साथ ही गेहूं के दामों में भी कमी देखने को मिल सकती है।
राजस्थान के किसानों के लिए सरकार का “रँगीलों तोहफा”, जाने क्या है ये तोहफा

राजस्थान के किसानों के लिए सरकार का “रँगीलों तोहफा”, जाने क्या है ये तोहफा

अमूमन ये माना जाता है कि राजस्थान एक सूखा प्रदेश है और यहाँ खेती की ही नहीं जा सकती। लेकिन, यह अधूरा सच है। हाँ, यह सच है कि राजस्थान के कुछ हिस्सों में पानी की कमी जरूर है। इससे इन क्षेत्रों के किसानों के लिए थोड़ी मुश्किलें जरूर आती हैं। लेकिन, मौजूदा सरकार ने पूरे राजस्थान के किसानों के लिए एक ऐसा शानदार तोहफा दिया है, जिसे सुन कर किसानों का मन झूम उठेगा और साथ ही उनकी फसलें भी लहलहा जाएंगी। राजस्थान सरकार ने एक अच्छी पहल करते हुए, ‘राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्संरचना परियोजना” के तहत किसानों को खुशखबरी दी है। सरकार ने किसानों के दिल पर सिंचाई के बोझ को कम करने का काम किया है। तो खबर यह है कि राजस्थान सरकार ने उक्त परियोजना के तहत 3269 करोड़ की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है।

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3269 करोड़ की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को दी मंजूरी

आने वाले समय में रबी सीजन को देखते हुए राजस्थान सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। रबी सीजन में बारिश कम होती है, मगर फसलों को सिंचाई की उचित आवश्यकता होती है। देखा जाए तो राजस्थान की सूखी-रेतीली जमीन पर किसानों को पानी की समस्या से काफी जूझना पड़ता है। जिसके कारण किसान परेशान रहते हैं, और इसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ता है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि राजस्थान सरकार ने 3269 करोड़ की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है, और जाहिर है। इसका सीधा फायदा राजस्थान के किसानों को मिलने जा रहा है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=V9_6hWrsloY&t=144s[/embed] इस योजना के तहत, उन क्षेत्रों में सिंचाई की शानदार व्यवस्था विकसित की जा रही है, जहां सूखा पड़ता है और वहाँ की जमीन को दुबारा खेती के लायक बनाने के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा की अब राजस्थान के सभी इलाकों को फायदा होगा। मसलन, राजस्थान का शेखावाटी इलाका जहां पहले से ही हरित क्षेत्र है, जहां के किसान काफी संपन्न है, वहीं दूसरी तरफ मारवाड़ का भी क्षेत्र है, जहां पानी की कमी है। लेकिन, अब इस हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट का फायदा सभी किसानों को मिलेगा। जल क्षेत्र पुनर्संरचना प्रोजेक्ट राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में जल संसाधनों को संरक्षित, विकसित करने का काम करेगा। इससे करीब 22831 हेक्टेयर क्षेत्र जमीन को फिर से खेती के लायक बनाया जा सकेगा। [embed]https://twitter.com/ashokgehlot51/status/1588871228059967488[/embed]  
उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी को लेकर लिया जा रहा है सराहनीय फैसला

उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी को लेकर लिया जा रहा है सराहनीय फैसला

अगर आप उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया है जिसमें खेती से जुड़ी हुई जमीन पर स्टांप ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म करने की बात कही गई है. आगे चलकर आप चाहे तो इस जमीन पर घर बना सकते हैं या फिर से किसी बिजनेस के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. किसी भी तरह से इस्तेमाल करने पर इसमें 1% लगने वाली स्टांप ड्यूटी नहीं ली जाएगी. विभाग द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव को अगर कैबिनेट से मंजूरी मिल जाती है तो यह उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशी की बात होगी. कहने को स्टांप ड्यूटी केवल 1% होती है लेकिन जब इन्वेस्टर बड़ी बड़ी जमीन खरीदते हैं तो यह ड्यूटी लाखों रुपए की होती है.

अभी क्या है निवेशक और स्टांप ड्यूटी को लेकर नियम

उत्तर प्रदेश में सरकार अभी से ही  निवेशकों को यहां पर अलग-अलग यूनिट लगाने के लिए जमीन उपलब्ध करवाने की कोशिश में लगी हुई है. यहां पर कोई भी अगर औद्योगिक यूनिट बनाना चाहता है तो उन्हें कृषि भूमि को व्यवसायिक इस्तेमाल में तब्दील करवाना जरूरी है.

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क्या है स्टाम्प ड्यूटी

जब भी हम घर खरीदते हैं तो हमें उससे जुड़ी हुई कई तरह की वित्तीय कार्यवाही करनी पड़ती है. जैसे कि हो सकता है आपने अपने घर पर लोन लिया हो तो आपको लोन का आवेदन देने की जरूरत पड़ती है.  साथ ही आपको घर के लिए डाउन पेमेंट आदि भी करना अनिवार्य है.

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यह सब खत्म हो जाने के बाद जब अंत में जाकर घर का पंजीकरण आपके नाम पर होता है तो नगरपालिका रिकॉर्ड में घर को अपने नाम पर रजिस्टर करवाने के लिए आपको स्टांप ड्यूटी देने की जरूरत पड़ती है.सरल शब्दों में बताया जाए तो यह सरकार को दिया जाने वाला एक कर है जिसके बाद आपको अपनी संपत्ति का स्वामित्व मिल जाता है. स्टांप ड्यूटी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है और यह एक ऐसा भुगतान होता है जिसे आपको एक बार में ही देना होता है नहीं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है.  यह है सरकार की तरफ से दिया जाने वाला एक कानूनी कागज है जिसे अदालत में सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. यह आपकी संपत्ति की खरीद और बिक्री की पूर्ण जानकारी का एक कानूनी दस्तावेज माना गया है.

दूसरे राज्यों में भी दिए गए हैं ऐसे ही बस में

हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टांप ड्यूटी और सर्कल रेट पर दी गई छूट को अगले 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इसे करने का सबसे बड़ा कारण है कि वहां पर रियल एस्टेट बाजार में एक उछाल आ सके.

इससे होने वाले फायदे को समझिए

यहां पर राज्य सरकार का सबसे बड़ा मकसद था कि कोरोना वायरस स्टेट को झटका ना लगे. सरकार द्वारा लिए गए फैसले से रियल एस्टेट जगत को बहुत फायदा भी मिला है और यहां पर छोटे फ्लैट में इन्वेस्ट करने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश में भी अगर यह फैसला लिया जाता है तो यहां पर भी जमीन में लोगों का इन्वेस्टमेंट बढ़ जाएगा. इसके अलावा बिल्डर भी बड़ी बड़ी योजनाओं के लिए जमीन खरीदना पसंद करेंगे. राज्य सरकार को जमीन बिक्री से अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना भी कहीं ना कहीं बढ़ जाएगी.
अलग अलग राज्यों में खेती लायक जमीन खरीदने की अलग अलग सीमा निर्धारित की गई हैं

अलग अलग राज्यों में खेती लायक जमीन खरीदने की अलग अलग सीमा निर्धारित की गई हैं

जमीन खरीदने के लिए समस्त राज्यों में अलग-अलग नियम हैं। ज्यादातर राज्यों ने जमीन की खरीद पर सीमा निर्धारित कर रखी है। परंतु, गैर कृषि योग्य जमीन को लेकर इस तरह का कोई कानून नहीं है। यदि आप खेती के लायक जमीन की खरीद पर अपना धन निवेश करते हैं, तो एक समय के उपरांत आपको काफी अच्छा रिटर्न मिलेगा। सोना यानी गोल्ड के उपरांत खेती लायक भूमि की खरीद-बिक्री ही एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें पैसा निवेश करने के उपरांत कभी भी घाटा नहीं होता है। वक्त के साथ-साथ भूमि की कीमत भी बढ़ती चली जाती है। मुख्य बात यह है, कि अगर आप सड़क, हाइवे, रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट के आसपास जमीन खरीदते हैं, तो आपका कई गुना मुनाफा बढ़ जाता है। इन जगहों पर भूमि का भाव मात्र कुछ वर्षों में ही कई गुना बढ़ जाता है। परंतु, बहुत से जमीन खरीदारों को राज्यों में बने कानूनों से निपटना पड़ता है।

भारत में 66 % सिविल मुकदमे भूमि व संपत्ति से जुड़े 20 वर्ष से लंबित पड़े हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि सभी राज्यों में खेती लायक भूमि को लेकर भिन्न-भिन्न कानून हैं। इन कानूनों के चलते कई बार खरीदारों को बेहद दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बहुत बार मामला अदालत तक पहुंच जाता है। भारत में तकरीबन 66% प्रतिशत सिविल मुकदमे जमीन और सपंत्ति विवाद से ही जुड़े हुए हैं। इनमें से बहुत सारे मुकदमे 20 साल से भी ज्यादा समय से कोर्ट में लंबित हैं। परंतु, क्या आप जानते हैं कि भारत में खेती लायक जमीन की खरीद को लेकर एक सीमा निर्धारित की गई है। इस निर्धारित सीमा से अधिक आप जमीन की खरीद नहीं कर सकते हैं।

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इस राज्य में 15 एकड़ तक ही भूमि की खरीदारी की जा सकती है

जमीन की खरीद के लिए समस्त राज्यों के भिन्न-भिन्न नियम हैं। ज्यादातर राज्यों ने भूमि की खरीद पर सीमा निर्धारित की है। परंतु, गैर कृषि लायक जमीन को लेकर इस तरह का कोई कानून नहीं है। बात यदि केरल की करें तो यहां पर लैंड अमेंडमेंट एक्ट 1963 के अंतर्गत एक अविवाहित व्यक्ति 7.5 एकड़ से ज्यादा भूमि नहीं खरीद सकता है। उसी प्रकार 5 सदस्यों वाला परिवार 15 एकड़ तक ही जमीन की खरीदारी कर सकता है।

उत्तर प्रदेश में किसान कितने एकड़ भूमि खरीद सकते हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 12.5 एकड़ से अधिक खेती लायक जमीन कोई भी नहीं खरीद सकता है। मुख्य बात यह है, कि गुजरात में कृषि योग्य भूमि केवल किसान ही खरीद सकते हैं। बतादें, कि भारत में एनआरआई अथवा ओवरसीज सिटीजन खेती योग्य भूमि खरीद नहीं सकते हैं।

कर्नाटक और महाराष्ट्र में एक जैसा नियम लागू है

साथ ही, महाराष्ट्र में खेती लायक जमीन को लेकर अलग ही कानून है। यहां पर खेती लायक जमीन सिर्फ वही खरीद सकता है, जो स्वयं खेती करता हो या उसके पास पहले से खेती लायक जमीन हो। यहां पर आप 54 एकड़ से ज्यादा भूमि नहीं खरीद सकते हैं। इसी प्रकार से पश्चिम बंगाल में कृषि लायक जमीन के लिए अधिकतम खरीद सीमा 24.5 एकड़ तय की गई है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश ने अपने यहां जमीन खरीद हेतु 32 एकड़ अधिकतम सीमा निर्धारित कर रखी है। वहीं, कर्नाटक में यह सीमा 54 एकड़ है। मुख्य बात यह है, कि कर्नाटक के अंदर भी महाराष्ट्र वाला ही नियम लागू है।
अब किसानों को जमीन नापने के लिए खर्च नहीं करना पड़ेगा, बस एक क्लिक करें

अब किसानों को जमीन नापने के लिए खर्च नहीं करना पड़ेगा, बस एक क्लिक करें

यदि आप प्लॉट की डायरेक्शन की जानकारी लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपने मोबाइल में कंपास ऐप डाउनलोड करना पड़ेगा। ऐप डाउनलोड करने के पश्चात आप ऐप को खोलें और अपने प्लॉट के नक्शे पर मोबाइल को रख दें। इस तकनीकी दौर में भी जमीन अथवा घर का प्लॉट नापने के लिए आज भी कृषक भाई या बाकी लोग फीता या रस्सी का उपयोग करते हैं। बहुत से लोग तो जमीन नापने के लिए आज भी पैसे खर्च कर बुलाते हैं। मुख्य बात यह है, कि फीता, रस्सी आदि की सहायता से जमीन नापने के लिए विभिन्न लोगों की आवश्यक पड़ती है। इससे लागत काफी बढ़ जाती है। परंतु, आज ऐसी व्यवस्था उपलब्ध है, कि आप मोबाइल के माध्यम से अकेले ही अपने प्लॉट का सही-सही नाप कर सकते हैं। ये भी पढ़े: इस राज्य सरकार ने किसानों के हित में जारी किया बलराम ऐप, कृषि क्षेत्र को मिलेगी नई दिशा साथ ही, जमीन की डायरेक्शन की भी जाँच कर सकते हैं। आपको इसके लिए मात्र अपने मोबाइल में एक ऐप डाउनलोड करना पड़ेगा। इसके पश्चात आप इस ऐप की सहायता से अपनी जमीन अथवा घर के प्लॉट को मोबाइल द्वारा सुगमता से नाप सकते हैं। मुख्य बात यह है, कि घर निर्माण करने के समय प्लॉट की डायरेक्शन की जानकारी सही- सही होनी चाहिए। क्योंकि, वास्तु के हिसाब से ही सही दिशा में शौचालय, बेडरूम, मंदिर एवं किचन का निर्माण किया जाता है। इसके बाद में किसी तरह की परेशानी न हो।

मोबाइल द्वारा जमीन या प्लॉट की डायरेक्शन नापने की सही विधि

आज के जमाने में सभी लोगों के पास स्मार्ट फोन उपलब्ध है। अगर आपको मोबाइल की सहायता से भूमि नापनी है, तो आप अपने स्मार्ट फोन में GPS Fields Area Measure अथवा GPS Area Calculator ऐप डाउनलोड करें। यह भूमि नापने का सबसे अच्छा ऐप है। अब इस ऐप को मोबाइल में खोलें। कुछ सेकंड के उपरांत एक नया पेज खुल जाएगा। उसके उपरांत आपको सर्च का एक ऑप्शन नजर आऐगा। उस सर्च के ऑप्शन पर आपको क्लिक करना पड़ेगा। ये भी पढ़े: अब किसान ऐप से कर सकेंगे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की ई-केवाईसी प्रक्रिया

खेत की नाप की जा सकती है

इसके पश्चात आप जिस किसी भी भूमि को नापना चाहते हैं, यहां पर उसे सर्च करें। अब आपको तस्वीर के मुताबिक 1 नंबर वाले बटन पर क्लिक करना होगा। अब जैसे ही आप 1 नंबर वाले बटन पर क्लिक करते हैं, तो आपके मोबाइल के स्क्रीन पर तीन विकल्प खुकर आ जाएंगे। परंतु, आपको 2 नंबर वाले विकल्प पर क्लिक करना पड़ेगा। अब आपको जिस भूमि को नापना है, उस भूमि पर धीरे-धीरे टच करें, ऊपर दिए गए पिक्चर के मुताबिक ऐसा करते ही जमीन अथवा खेत का नाप निकलकर सामने आ जाएगा।

प्लॉट की सही डायरेक्शन ऐसे मानी जाएगी

प्लॉट की डायरेक्शन की जाँच करने के लिए आपको स्मार्टफोन में कंपास ऐप डाउनलोड करना पड़ेगा। इसके उपरांत स्मार्टफोन को प्लॉट के नक्शे के ऊपर रखना पड़ेगा। मान लीजिए आपका प्लॉट 20 x 40 स्क्वायर फीट का है, तो मोबाइल में आपको 205 डिग्री के आसपास दिखाएगा। मुख्य बात यह है, कि आपको अपने मोबाइल को तब तक रोटेट करना है जब तक कि उस पर जीरो (0) डिग्री न आ जाए। 0 डिग्री जहां आएगी वहीं आपके मोबाइल की सही डायरेक्शन मानी जाएगी।