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जल संरक्षण

भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भारत के विभिन्न राज्यों से भूजल स्तर में गिरावट आने की खबर सामने आ रही है। फलस्वरूप फसल की पैदावार पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का निराकरण करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा प्रथम चरण में 1000 रीचार्जिंग बोरवेल की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कृषि क्षेत्र में जल के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न राज्यों में ड्रॉप मोर क्रॉप योजना जारी की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि न्यूनतम जल में सिंचाई करके नकदी एवं बागवानी फसलों से काफी अधिक पैदावार मिल रही है। भारत के बहुत सारे क्षेत्रों में भूमिगत जल संकट भी एक बड़ी चुनौती थी। हालाँकि, फिलहाल सूक्ष्म सिंचाई मॉडल द्वारा इन समस्त समस्याओं को दूर कर दिया है। यह सिंचाई पद्धति को उपयोग में लाना किसान भाइयों के लिए और भी सस्ता हो गया है। केंद्र सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के चलते सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित कराने के लिए किसान भाइयों को सब्सिडी का प्रावधान दिया गया है।

हरियाणा सरकार द्वारा दिया जा रहा है अनुदान

इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने भी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने और रिचार्जिंग बोरवेल मुहैय्या कराने हेतु किसान भाइयों को सब्सिड़ी दी जा रही है। इस संबंध में सरकार का यह कहना है, कि हमारे इस प्रयास से जल संरक्षण एवं इसका संचयन करने में विशेष सहायता मदद प्राप्त होगी। साथ ही, यह घटते भूमिगत जल स्तर के संकट को भी दूर करने में सहायता करेगा।

किसानों को सूक्ष्म सिंचाई हेतु 85% अनुदान का प्रावधान

कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सर्वाधिक निर्भरता भूमिगत जल पर ही रहती है। जल की उपलब्धता को निरंतर स्थिर बनाए रखने के लिए जल की अधिक खपत वाली फसलों को हतोत्साहित किया जा रहा है। इसकी अपेक्षा बागवानी फसलों की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई मॉडल को प्रचलन में लाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिड़ी दी जा रही है। हिसार में आयोजित कृषि विकास मेले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है, कि वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए हमें जल की खपत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाना होगा। क्योंकि यह किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक होता है। साथ ही, राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसान भाइयों को 85% अनुदान भी प्रदान कर रही है। ये भी देखें: सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान

1,000 रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

भारत में फिलहाल भूजल स्तर में आ रही गिरावट को पुनः ठीक करने के लिए वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी संबंध में राज्य सरकार रीचार्जिंग बोरवेल के निर्माण की योजना बना रही हैं, जिसके माध्यम से वर्षा के जल को पुनः भूमि के अंदर पहुंचाया जा सके। इस कार्य हेतु किसान भाइयों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा उसको हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

इस तरह किसान आवेदन कर सकते हैं

हरियाणा सरकार द्वारा रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से भी कर दिया गया है। अगर आप भी हरियाणा राज्य के किसान हैं और स्वयं के खेत में जल संचयन हेतु बोरवेल स्थापित कराना चाहते हैं, तब आप सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयं के जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर फायदा उठा सकते हैं।
यह राज्य सरकार पानी बचाने के लिए दे रही है पैसा, 85 प्रतिशत तक मिल सकती है सब्सिडी

यह राज्य सरकार पानी बचाने के लिए दे रही है पैसा, 85 प्रतिशत तक मिल सकती है सब्सिडी

ग्लोबल वार्मिंग और भूमिगत जल के अत्याधिक दोहन के कारण धरती का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, ऐसे में लोगों के साथ ही किसानों के सामने भी भविष्य में बड़ी परेशानी सामने आ सकती है। जहां लोगों के लिए पेयजल एवं किसानों के लिए सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता में कमी आ सकती है। क्योंकि इन दिनों खेती किसानी में पानी का बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है। खेती किसानी में अब नए यंत्रों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है जो पानी की बेतहासा बर्बादी करते हैं। खेतों में पानी की सिंचाई करके किसान भाई अच्छी खासा उत्पादन करते हैं जिनसे उन्हें मुनाफा होता है। लेकिन भूमिगत जल के कम होने की समस्या बेहद विकराल रूप ले चुकी है। गिरते हुए भूमिगत जल को देखते हुए अब सरकार ने दूसरी सिंचाई पद्धतियों को अपनाना शुरू कर दिया है जिससे पानी की खपत को कम किया जा सके। इसमें ड्रिप सिंचाई एक बेहतरीन तकनीक है जिससे किसान भाई भारी मात्रा में पानी की बचत कर सकते हैं। इसके साथ ही सूक्ष्म सिंचाई मॉडल ने भी कम होते पानी की चिंता को दूर किया है। इसके लिए सरकार किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम लगवाने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसी को देखते हुए अब हरियाणा की सरकार भी आगे आई है और हरियाणा की सरकार ने कहा है कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने और रिचार्जिंग बोरवेल इंस्टॉल करवाने वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इससे क्षय होते भूमिगत जल को रोका जा सकता है साथ ही पानी के संचयन में विशेष मदद मिलने वाली है। इससे भूमिगत जल को तेजी से रिकवर किया जा सकता है।

किसानों को इतनी मिल सकती है सब्सिडी

इन दिनों अगर सिंचाई की बात करें तो भूमि के एक बहुत बड़े हिस्से की सिंचाई भूमिगत जल के द्वारा की जाती है। जिसके कारण भूमिगत जल का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। जो पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हालांकि इससे बागवानी फसलों को प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन इससे फायदे होने की जगह नुकसान ज्यादा हैं। इसको देखते हुए अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल अपनाने के लिए अब किसानों को 85% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस मॉडल में किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को अपनाना होगा। ये किसानों के लिए बेहद सस्ता और सुविधाजनक भी है। ये भी देखें: 75 फीसद सब्सिडी के साथ मिल रहा ड्रिप स्प्रिंकलर सिस्टम, किसानों को करना होगा बस ये काम

पहले चरण में इतने लोगों को दी जाएगी सब्सिडी

सरकार ने बताया है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल के अंतर्गत गिरते भूजल स्तर को वापस रिकवर करने के लिए सरकार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने की योजना पर काम कर रही है। जिससे बरसात के पानी का संचयन करके उसे वापस जमीन में पहुंचाया जा सके। सरकार ने बताया है कि रीचार्जिंग बोरवेल लगाने के लिए किसान को मात्र 25 हजार रुपये खर्च करने होंगे। इसके बाद जो भी खर्च आता है वो हरियाणा की सरकार वहन करेगी। पहले चरण में राज्य में सरकार ने 1 हजार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य रखा है।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार करें आवेदन

हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया है कि अब आवेदन करने के लिए किसान भाइयों को किसी भी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। इसके लिए इच्छुक किसान भाई हरियाणा सरकार के सिंचाई और जल संसाधन विभाग की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर बेहद आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग में भी संपर्क कर सकते हैं और इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है

हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है

हरियाणा राज्य में गेहूं के उपरांत सर्वाधिक धान का उत्पादन किया जाता है। परंतु, किसान भाई भी धान की सिंचाई भी ट्यूबवेल के माध्यम से करती है। संपूर्ण भारत में भूमिगत जल का स्तर काफी तीव्रता से नीचे जा रहा है। इससे आने वाले समय में जल संकट मड़रा सकता है। विशेष बात यह है, कि भूमिगत जल का सर्वाधिक दोहन फसलों की सिंचाई में किया जा रहा है। इनमे भी सबसे अधिक भूमिगत जल का उपयोग धान की खेती में किया जाता है। यही कारण है, कि हरियाणा की तरह धान उत्पाद प्रदेश में भूमिगत जल स्तर में तीव्रता से गिरावट देखी जा रही है। हालांकि, इसको लेकर सरकार काफी सतर्कता बरत रही है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में गेहूं के उपरांत सर्वाधिक धान का उत्पादन किया जाता है। परंतु, किसान धान की सिंचाई करने के लिए भी ट्यूबवेल का ही उपयोग करते हैं। इस तरह एक हेक्टेयर में धान का उत्पादन करने पर 50 लाख लीटर जल की खपत हो जाती है। हरियाणा में 33 लाख एकड़ से ज्यादा के क्षेत्रफल में धान की बुवाई की जाती है। ऐसी स्थिति में बाकी राज्यों की भांति हरियाणा में भी भूमिगत जल स्तर बेहद तीव्रता से नीचे गिरता जा रहा है। परंतु, हरियाणा सरकार द्वारा इस संकट से निपटने के लिए एक नया फॉर्मूला समाधान के तौर पर ढूंढ लिया गया है।

हरियाणा सरकार अनुदान बतौर देगी 7 हजार रुपए

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार द्वारा भूमिगत जल स्तर को सुरक्षित करने हेतु ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार धान के स्थान पर अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर रही है। इससे भूमिगत जल स्तर को संरक्षित किया जा सके। विशेष बात यह है, कि धान के स्थान पर बाकी फसलों की खेती-किसानी करने वाले कृषकों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी प्रदान कर रही है। यह भी पढ़ें: भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा दरअसल, हरियाणा सरकार का कहना है, कि धान की खेती में अत्यधिक जल की आवश्यकता होने की वजह से जल का दोहन भी अधिक होता है। इसके स्थान पर मक्का, तिलहन, हरी सब्जी और दाल की खेती कर जल की खपत कम की जा सकती है। क्योंकि इन फसलों की खेती में बेहद न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त डीएसआर तकनीक द्वारा धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाएगा।

हरियाणा सरकार ड्रिप इरिगेशन पर कितना अनुदान दे रही है

हरियाणा सरकार सतर्कता से जल संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। सरकार की तरफ से ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस विधि द्वारा फसलों की सिंचाई करने पर जल की बर्बादी बेहद कम होती है, क्योंकि बुंद-बुंद कर के पानी फसलों की जड़ों तक पहुंचता है। यदि किसान भाई बाकी फसलों का उत्पादन करते हैं, तब वह सरकारी अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
यूपी सरकार द्वारा सोलर पंप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप पर भारी छूट

यूपी सरकार द्वारा सोलर पंप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप पर भारी छूट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सोलर पंप योजना उत्तर प्रदेश (Solar Pump Scheme UP 2024) का आरम्भ किया गया है| यह योजना मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के किसानो के हित में आरम्भ की गयी है | यह किसानो के लिए एक बहुत ही लाभकारी योजनाओं में से एक है | वर्तमान समय में पेट्रोल और डीजल के दाम इतने ज्यादा अधिक बढ़ चुके है कि किसान खेतों में पानी डीजल इंजिन से लगाकर लाभ नहीं प्राप्त कर सकता है, और खेती में सिर्फ पानी देने की वजह से बहुत अधिक खर्च आ जाता है | इस समस्या से किसान बहुत अधिक परेशान रहते है| 


ये भी पढ़ें: इस योजना के तहत सोलर पंप की स्थापना के लिए 60 प्रतिशत सब्सिड़ी प्रदान की जाती है ?


इसके अलावा खेतों में पानी के लिए कई गांवों में अभी तक बिजली की समस्या बनी हुई है | जहाँ ट्यूबेल की लिए बिजली की समस्या अभी भी बनी हुई है| फसल को समय से पानी देने के लिए और किसानों को इसका कोई खर्च न उठाना पड़ें इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सोलर पंप योजना की शुरुआत करके नई सौगात दी है | सोलर पम्प योजना का लाभ प्राप्त कर किसानो को सिंचाई व्यवस्था में लाभ होगा इससे किसानो को अधिक खर्च की जरूरत नहीं होगी | उत्तर प्रदेश के 10,000 गावो में इस सोलर पंप को लगाने की योजना बनायीं गयी है | जिसमे एक सोलर पंप के जरिये कई किसानो की समस्याओ का समाधान होगा | यदि आप भी उत्तर प्रदेश में रहते है, और इस योजना का लाभ प्राप्त करना चाहते है, तो इस पोस्ट में आपको मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना 2024 उत्तर प्रदेश, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, UP Solar Pump Scheme से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया जा रहा है | 

इस राज्य में सोलर पंप लगाने के लिए भारी अनुदान, जानें पात्रता की शर्तें

इस राज्य में सोलर पंप लगाने के लिए भारी अनुदान, जानें पात्रता की शर्तें

किसान भाइयों को खेती के लिए सिंचाई की सही सुविधा हांसिल हो पाए, इसके लिए पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) चलाई जा रही है। 

इस योजना का संचालन भिन्न-भिन्न राज्यों में वहां की राज्य सरकार की तरफ से किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप (solar pump) लगाने के लिए 60% प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है। 

बतादें, कि इसी क्रम में यूपी सरकार की तरफ से राज्य के किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप मुहैय्या कराए जा रहे हैं। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत राज्य में योजना के प्रथम चरण में लगभग 1000 सोलर पंप वितरित किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

इनमें से सबसे ज्यादा सोलर पंप का फायदा बनारस जनपद के कृषक को मिला है। यहां जनपद के 75 किसानों को फायदा प्राप्त हुआ, दूसरे वर्ष 56 किसान लाभान्वित हुए हैं। इस प्रकार जनपद में समकुल 131 किसानों को सोलर पंप का फायदा प्रदान किया गया है।

योजना के तहत कितने हजार सोलर पंप वितरित किए जाएंगे  

बतादें, कि योजना के अंतर्गत पूरे राज्य भर में 2023-24 में कुल 30,000 सोलर पंप का लक्ष्य रखा गया है। इसमें प्रथम चरण में राज्य में 1000 सोलर पंप पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 

इसमें वाराणसी के किसान पीएम कुसुम योजना का भरपूर फायदा लेने में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। यहां 2023-24 में कुल 131 किसानों का चुनाव इस योजना के अंतर्गत किया गया। 

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योजना के अंतर्गत सोलर पंप पर लगभग 90% प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार 3 से लेकर 10 एचपी तक के सोलर पंप उपलब्ध कराती है।  

सोलर पंप पर दिया जा रहा है शानदार अनुदान ?  

यूपी में पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) के तहत किसानों को 3 एचपी से लेकर 10 एचपी के सोलर पंप पर 60 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) का लाभ प्रदान किया जा रहा है। 

इसमें तीन हॉर्स पावर के पंप की कीमत 26,5439 रुपए है, जिसके लिए किसान को अपनी जेब से मात्र 26,544 रुपए जमा कराना है। 

मतलब कि किसान को केवल 10% प्रतिशत धनराशि ही देनी है। शेष धनराशि सरकार अनुदान के तौर पर दे रही है और 30% प्रतिशत की व्यवस्था बैंक ऋण से की जा सकती है।

किसानों को सोलर पंप के लिए बुकिंग कहां करानी होगी 

उत्तर प्रदेश में कुसुम योजना (Kusum Yojana) के तहत अच्छे खासे अनुदान पर सोलर पंप प्रदान किए जा रहे हैं। सोलर पंप के लिए किसान भाइयों को बुकिंग करानी होगी। बुकिंग कराने के दौरान किसान को 5,000 रुपए की टोकन मनी भी जमा करानी होगी तभी उसका पंजीकरण होगा। 

किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट www.agriculture.up.gov.in पर जाकर आप बुकिंग करवा कर टोकन मनी जमा कराकर सोलर पंप के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। 

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किसानों की बुकिंग जनपद के लक्ष्य की सीमा से 110 प्रतिशत तक पहले आओ पहले पाओ के आधार पर की जा रही है। ऐसे में जो किसान योजना के तहत सब्सिडी पर अपने खेत में सोलर पंप लगवाना चाहते हैं, वे इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग करा कर ऑनलाइन ही टोकन मनी जमा कर सकते हैं।

सोलर पंप सब्सिड़ी के लिए निम्नलिखित शर्तों का पालन करें  

किसानों को अनुदान पर सोलर पंप हांसिल करने के लिए योजना के अंतर्गत निर्धारित की गई शर्तों में सबसे पहले किसान के पास खुद का बोरिंग होना जरूरी है। तभी वे सोलर पंप के लिए बुकिंग करा सकते हैं। अगर सत्यापन के समय खेत में बोरिंग नहीं पाया गया तो टोकन मनी की राशि जब्त की जा सकती है।

टोकन कंफर्म करने के 14 दिन के अंतर्गत किसान को शेष धनराशि ऑनलाइन टोकन उत्पन्न कर चालान द्वारा इंडियन बैंक की किसी भी शाखा या ऑनलाइन तरीके से जमा करनी होगी।

किसान बैंक से लोन लेकर कृषक अंश जमा करने पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से नियमानुसार ब्याज में छूट का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

2 एचपी के लिए 4 इंच, 3 व 5 एचपी के लिए 6 इंच तथा 7.5 एचपी एवं 10 एचपी के लिए 8 इंच की बोरिंग होना जरूरी है।

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बतादें, कि इसी तरह 22 फीट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 50 फीट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फीट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फीट तक 5 एचपी सबमर्सिबल, 300 फीट तक गहराई पर उपलब्ध जल स्तर के लिए 7.5 एचपी और 10 एचपी सबमर्सिबल सोलर पंप उपयुक्त माने गए हैं। इसी के अनुसार सोलर पंप की स्थापना की जानी चाहिए।

सोलर पंप की स्थापना होने के पश्चात किसान इसकी जगह को बदल नहीं सकते हैं। अगर स्थान बदला जाता है, तो संपूर्ण अनुदान की धनराशि किसान से वसूल की जाएगी।