पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार, ओडिशा, त्रिपुरा, असम और मेघालय के लिए जूट बेहद जरूरी है. क्योंकि यहां की अर्थव्यवस्था जूट पर ही टिकी हुई है. वहीं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए भी जूट बेहद महत्वपूर्ण है. जूट पैकेजिंग यानी की जेपीएम अधिनियम के तहत आरक्षण नियम जूट क्षेत्र में करीब 3.7 लाख श्रमिकों के अलावा लाखों जूट किसानों के लिए बेहतर रोजगार उपलब्ध करवाता है.
9 हजार करोड़ रुपये की है खरीद
बात जेपीएम अधिनियम की करें तो 1987 जूट किसानों, जूट से बने सामान और कामगरों में लगे श्रीमोकों के हित में है. जूट के उद्योग के कुल उत्पादन का लगभग 75 फीसद जूट से बने बोर हैं. जिनमें से करीब 85 फीसद की आपूर्ति भारतीय खाध्य निगम और राज्य खरीद एजेंसियों के द्वारा की जाती है. बता दें कि सरकार खाने की चीजों की पैकेजिंग के लिए हर साल लगभग 9 हजार करोड़ रुपये के जूट के बोरे खरीदती है. इतना ही नहीं इससे जूट कामगारों और जूट किसानों को उनकी उमज के लिए बाजार को सुनिश्चित किया जाता है.
दिया जाता है लीगल फ्रेमवर्क
भारत और गुयान के बीच केंद्रीय मंत्रीमंडल ने हवाई सर्विस एग्रीमेंट पर भी साइन करके अपनी सहमती जता दी है. जानकारी के लिए बता दें कि, गुयाना के साथ हुए हवाई समझौते पर साइन करने से दोनों देशों के बीच होने वाली हवाई सेवाओं के लिए एक रूपरेखा तय भी की जाएगी. हवाई सर्विस समझौते की बात करें तोम यह एक ऐसा एग्रीमेंट है, जहां दोनों देशों के बीच में एयर ऑपरेशंस के लिए लीगल फ्रेमवर्क दिया जाता है.
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भारत सरकार करती है इसका गठन
अंतरराष्ट्रीय सिविल एविएशन साल 1944 पर सम्मेल में हुए बदलाव से जुड़े अनुच्छेद 3 बीआईएस और अनुछेदन 50 ए के अलावा अनुच्छेदन 56 पर तीन तरह के प्रोटोकॉल के रॉटिफिकेशन को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने अपनी मंजूरी दी है. इसके अलावा देश के 22वें लॉ आयोग के कार्यालय को भी 31 अगस्त साल 2014 तक बढ़ाने की मंजूरी मंत्रीमंडल ने दे दी है. आपको बता दें कि, देश का लॉ आयोग एक तरह का नॉन सांविधिक निकाय है. भारत सरकार की तरफ से इसका गठन किया जाता है.
पूर्वी भारत में जूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, असम, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में लाखों किसान जूट की खेती किया करते हैं।
जूट का उत्पादन करने वाले किसान भाइयों के लिए बड़ा समाचार है। किसानों की मांग को मंदेनजर रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मेंं 6 फीसद का इजाफा करने का निर्णय लिया है। जिसके लिए आर्थिक मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए ) ने स्वीकृति भी दे दी है। विशेष बात यह है, कि सीसीईए द्वारा एमएसपी में यह वृद्धि केवल 2023-24 सीजन हेतु की गई है। इससे भारत के लाखों किसान भाइयों को लाभ होगा।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीसीईए ने कच्चे जूट की एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। फिलहाल, एक क्विंटल जूट का भाव 5050 रुपये हो गया है। साथ ही, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा है, कि एमएसपी की यह वृध्दि वर्ष 2018-19 में घोषित उत्पादन खर्च के अनुसार है। जानकारी के लिए बतादें कि इससे भारत के 40 लाख किसान लाभांवित होंगे। वहीं, 4 लाख कामगार भी इससे फायदा उठाएंगे। उन्होंने बताया है, कि एमएसपी में वृद्धि होने से पैदावार की अखिल भारतीय औसत लागत पर 63.20% का रिटर्न मिलेगा।
जूट का सर्वाधिक उत्पादन इस राज्य में होता है
जानकारी के लिए बतादें, कि पूर्वी भारत में जूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। विशेष रूप से मेघाल, त्रिपुरा, बिहार, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में लाखों किसान जूट का उत्पादन करते हैं। इन किसानों की आमदनी का प्रमुख साधन भी जूट की खेती होती है। विशेष बात यह है, कि इन प्रदेशों के 33 जनपदों के अंदर जूट का उत्पादन किया जाता है। बतादें कि इन राज्यों में से जूट का सर्वाधिक उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल है। यहां समकुल जूट का 50 फीसद से भी ज्यादा का उत्पादन होता है। यही कारण है, कि पूर्व में पश्चिम बंगाल के अंदर सर्वाधिक जूट मिला था।
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केंद्र व राज्य सरकारें जूट की वस्तुओं के कुल पैदावार की 70% खरीदारी करती हैं
जूट का कृषि क्षेत्र में बेहद इस्तेमाल किया जाता है। जूट के इस्तेमाल से थैला, बोरी, बैग और बहुत सी अन्य प्रकार की वस्तुएं भी निर्मित की जाती हैं। साथ ही, जूट उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए, सरकार द्वारा जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 को अधिनियमित किया है। इसके अंतर्गत जूट में पैक की जाने वाली कुछ वस्तुओं को निर्धारित किया गया है। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जूट बैग में खाद्यान्नों की पैकिंग हेतु आरक्षण भी दे रखा है। इसके खाद्यान्न एवं चीनी हेतु क्रमशः 100% एवं 20% जूट के बैग में पैकिंग जरुरी की गई है। विशेष बात यह है, कि केंद्र एवं राज्य सरकारें खाद्य पदार्थों की पैकिंग हेतु जूट की वस्तुओं की कुल पैदावार का 70% फीसद खरीदारी करती हैं। मुख्य बात यह है, कि जूट की बोरी का सर्वाधिक इस्तेमाल धान एवं गेहूं खरीदी के समय पैकिंग हेतु किया जाता है।
बतादें, कि जूट का इस्तेमाल तकिये, टेबल मैट व मल्टीपर्पस यूज, रसोई के लिए पोछा, चप्पल, वेस्ट, बेल्ट और चादर जैसे उत्पाद भी निर्मित करने में किया जाता है। इससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं, कि जूट से किसान कितनी आमदनी कर सकते हैं।