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टपक सिंचाई

इस राज्य की मशहूर अंगूर की खेती व खाद, सिंचाई, मृदा के बारे में जानें

इस राज्य की मशहूर अंगूर की खेती व खाद, सिंचाई, मृदा के बारे में जानें

महाराष्ट्र राज्य में अंगूर का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है। अंगूर की कृषि हेतु राज्य का योगदान कुल उत्पादन का 81.22 प्रतिशत है। नासिक अंगूर का उत्पादन करने वाला प्रमुख जनपद है। बागवानी फसलों में अंगूर की खेती का भी एक प्रमुख स्थान है। देश में अंगूर का उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक जनपद में की जाती हैं। नासिक में इतनी ज्यादा अंगूर का उत्पादन किया जाता है, कि माना जाता है कि देश का 70 प्रतिशत अंगूर नासिक में ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली में की जा जाती है। यहां किसान अंगूर का उत्पादन करके अच्छा खासा लाभ अर्जित कर रहे हैं। भारत में व्यावसायिक रूप से अंगूर की कृषि पूर्व के तकरीबन छः दशकों से की जा रही है एवं फिलहाल आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा जरुरी बागवानी उद्यम के रूप से अंगूर की खेती काफी उन्नति पर है। अंगूर की खेती करने का तरीका काफी अलग होता है और इसे खाद से लेकर कीट से बचाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
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अंगूर के उत्पादन हेतु कैसी होनी चाहिए मृदा एवं जलवायु

अंगूर की खेती हेतु बेहतर जल निकास वाली दोमट, रेतीली मिट्टी उपयुक्त मानी गई है। इसमें इसकी कृषि सफलतापूर्वक की जा सकती है। वहीं अधिक चिकनी मिट्टी इसकी कृषि हेतु उचित नहीं होती है। इसके उत्पादन हेतु गर्म, शुष्क एवं दीर्घ ग्रीष्म ऋतु के माफिक रहती है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=JeQ8zGkrOCI&t=243s[/embed]

जानें अंगूर के पौधे को लगाने के बारे में

अंगूर की बागवानी एवं उत्पादन हेतु गड्ढे की तैयारी -तकरीबन 50*50*50 सेमी आकार के गड्ढे खोदकर प्रारूपित करते हैं एवं इसको एक सप्ताह के लिए बिल्कुल खुला छोड़ देते हैं। अंगूर का पौधरोपण के वक्त गड्ढों में सड़ी गोबर की खाद (15-18 किलोग्राम), 250 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम सुपर फॉस्फेट व 100 ग्राम पोटेशियेम सल्फेट प्रति गड्ढे में मिलाकर भरी जाती है।

अंगूर के उत्पादन हेतु बेहतर एवं सटीक वक्त

दिसंबर से जनवरी माह में फसल की तैयार की गई जड़ की रोपाई की जाती है, अंगूर की विभन्न तरह की किस्में होती हैं। जिसमें से प्रमुख उन्नत किस्मों परलेट, ब्यूटी सीडलेस, पूसा सीडलेस है।


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अंगूर की फसल में कब और कैसे खाद लगता है

अंगूर की फसल को अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इसलिए नियमित एवं संतुलित मात्रा सही ढंग से खाद का उपयोग करें।अंगूर की फसल में मुख्य रूप से खाद जड़ों मे गड्ढे बनाकर दिया जाता है एवं उसे मिट्टी द्वारा ढका जाता है। छंटाई के तुंरत उपरांत जनवरी के अंतिम सप्ताह में नाइट्रोजन एवं पोटाश की आधी मात्रा व फास्फोरस की पूर्ण मात्रा दाल देनी चाहिए। शेष मात्रा फल लगने के उपरांत दें, खाद एवं उर्वरकों को बेहतरीन ढंग से मृदा में मिश्रण के तुंरत बाद सिंचाई करें। खाद को मुख्य तने से दूर 15-20 सेमी गहराई पर डालें।

कैसे की जानी चाहिये अंगूर की सिंचाई ?

अंगूर की कृषि देश के अर्धशुष्क क्षेत्रों में की जाती है, इसलिए इस फसल में वक्त वक्त पर सिंचाई की जरुरत होती है। अंगूर की फसल मे पर्याप्त नमी बनाए रखने हेतु 7-8 दिनों में एक पानी दें परंतु कृषक मौसमिक आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। भारत में अधिकाँश कृषक आजकल अंगूर की खेती में टपक सिंचाई का प्रयोग किया जाता है, जिससे बहुत सारे लाभ होते हैं। जब फलों की तुड़ाई हो जाये उसके बाद भी एक सिंचाई जरूर कर देनी चाहिए।
यूपी सरकार द्वारा सोलर पंप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप पर भारी छूट

यूपी सरकार द्वारा सोलर पंप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सोलर पंप पर भारी छूट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सोलर पंप योजना उत्तर प्रदेश (Solar Pump Scheme UP 2024) का आरम्भ किया गया है| यह योजना मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के किसानो के हित में आरम्भ की गयी है | यह किसानो के लिए एक बहुत ही लाभकारी योजनाओं में से एक है | वर्तमान समय में पेट्रोल और डीजल के दाम इतने ज्यादा अधिक बढ़ चुके है कि किसान खेतों में पानी डीजल इंजिन से लगाकर लाभ नहीं प्राप्त कर सकता है, और खेती में सिर्फ पानी देने की वजह से बहुत अधिक खर्च आ जाता है | इस समस्या से किसान बहुत अधिक परेशान रहते है| 


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इसके अलावा खेतों में पानी के लिए कई गांवों में अभी तक बिजली की समस्या बनी हुई है | जहाँ ट्यूबेल की लिए बिजली की समस्या अभी भी बनी हुई है| फसल को समय से पानी देने के लिए और किसानों को इसका कोई खर्च न उठाना पड़ें इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सोलर पंप योजना की शुरुआत करके नई सौगात दी है | सोलर पम्प योजना का लाभ प्राप्त कर किसानो को सिंचाई व्यवस्था में लाभ होगा इससे किसानो को अधिक खर्च की जरूरत नहीं होगी | उत्तर प्रदेश के 10,000 गावो में इस सोलर पंप को लगाने की योजना बनायीं गयी है | जिसमे एक सोलर पंप के जरिये कई किसानो की समस्याओ का समाधान होगा | यदि आप भी उत्तर प्रदेश में रहते है, और इस योजना का लाभ प्राप्त करना चाहते है, तो इस पोस्ट में आपको मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना 2024 उत्तर प्रदेश, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, UP Solar Pump Scheme से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया जा रहा है | 

यह राज्य सरकार बकाये गन्ना भुगतान के निराकरण के बाद अब गन्ने की पैदावार में इजाफा करने की कोशिश में जुटी

यह राज्य सरकार बकाये गन्ना भुगतान के निराकरण के बाद अब गन्ने की पैदावार में इजाफा करने की कोशिश में जुटी

गन्ना की फसल एक सालाना फसल है। इसके तैयार होने में कृषि जलवायु क्षेत्र के अंतर्गत होने वाली वर्षा के अनुरूप 3 से 7 बार जल की आवश्यकता होती है। उत्तर प्रदेश के लगभग 46 लाख गन्ना कृषकों का फायदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने प्रथम कार्यकाल से ही सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। योगी जी के दूसरे कार्यकाल में भी यह सिलसिला उसी ढ़ंग से चल रहा है। केवल आवश्यकता के मुताबिक प्राथमिकताएं परिवर्तित की जा रही हैं। बकाए, मिलों के संचलन की व्यवस्था को बेहतर करने के पश्चात सरकार का ध्यान फिलहाल गन्ने की खेती को और अधिक फायदेमंद बनाने पर है। अब इस बात को साकार तभी किया जा सकता है। जब पैदावार में वृद्धि के साथ-साथ लागत में कमी आएगी। इसके लिए खेती में निवेश की सामर्थ के साथ बेहतरीन संसाधनों की उपलब्धता है।

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फसल की तैयारी में कितने जल की आवश्यकता होती है

जैसा कि हम जानते हैं, कि गन्ना एक वर्षभर की फसल है। एक अनुमान के अनुसार, गन्ने की फसल को 1500 से 2500 मिलीमीटर जल की आवश्यकता होती है। बतादें, कि प्रति किलोग्राम गन्ना की उपज में 1500 से 3000 हजार लीटर जल की आवश्यकता होती है। इतना तो तब है, जब कृषक अपने खेत की परंपरागत ढ़ंग से पोखर, नलकूप, पंपिगसेट और तालाब से सिंचाई करते हैं। इस प्रकार सिंचाई करने से आधा से ज्यादा जल की बर्बादी हो जाती है। अगर खेत पूर्णतय समतल नहीं है, तो कहीं कम और कहीं ज्यादा जल लगने से फसल में नुकसान हो जाता है।

ड्रिप इरीगेशन बच पाएगी 50 प्रतिशत जल खपत

ड्रिप इरीगेशन (टपक प्रणाली) से कम समय में हम फसल को आवश्यकतानुसार पानी देकर पानी की बर्बादी सहित सिंचाई का खर्चा भी बढ़ा सकते हैं। यही कारण है, कि सरकार का ड्रिप एवं स्प्रिंकलर तरीके से सिंचाई पर काफी ध्यान केंद्रित है। इसके लिए योगी सरकार लघु सीमांत कृषकों को निर्धारित रकबे के लिए 90 प्रतिशत और अन्य कृषकों को 80 प्रतिशत तक अनुदान देती है।

ड्रिप सिंचाई हेतु योगी सरकार अनुदान मुहैय्या करा रही है

इसी कड़ी में गन्ना विभाग की तरफ से भी एक कवायद की गई है। वह ड्रिप इरीगेशन से बेहतरीन उत्पादन पाने के लिए कृषकों को 20 प्रतिशत ब्याज मुक्त लोन प्रदान करेगी। बतादें, कि इसकी अदायगी गन्ना मूल्य भुगतान से हो सकेगी। यह लोन किसानों को चीनी मिलें और गन्ना विकास विभाग उपलब्ध कराने में मदद करेगा। इससे राज्य के 90 प्रतिशत से ज्यादा गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। यह किसानों का वही वर्ग है, जो चाहते हुए भी संसाधनों के अभाव के चलते खेती में यंत्रीकरण का अपेक्षित फायदा प्राप्त नहीं कर पाता है। दरअसल, ज्यादा श्रम एवं संसाधन लगाने के बावजूद भी उसको कम फायदा उठा पाते हैं।

टपक सिंचाई से कम लागत में अधिक उपज के साथ होंगे विभिन्न फायदे

ड्रिप इरिगेशन एक फायदेमंद तकनीक है। जल की अत्यधिक खपत के अतिरिक्त प्रत्यक्ष तौर पर पौधों की जड़ों में घुलनशील उर्वरक भी दे सकते हैं। इस प्रकार से खाद के पोषक तत्वों की प्रचूर मात्रा में आपूर्ति के चलते गन्ने की पैदावार में भी वृद्धि होगी। दरअसल, इसके माध्यम से सिंचाई करने में जल की खपत कम, श्रम की बचत साथ ही न्यूनतम खाद के इस्तेमाल से पैदावार भी अच्छी होती है। परिणामस्वरूप, कम लागत और अधिक पैदावार की वजह से कृषकों की आमदनी में वृद्धि होगी। यूपी सरकार की यह प्राथमिकता भी है। इसी कड़ी में यूपी शुगर मिल्स असोसिएशन एवं विश्व बैंक के संसाधन समूह के मध्य एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग भी हो गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना विकास कोष की स्थापना की है

इसी प्रकार खेत की तैयारी से लेकर रोपाई एवं उससे आगे गन्ना उत्पादकों हेतु संसाधन बाधक बनें। इस बात को लेकर सरकार द्वारा गन्ना विकास कोष स्थापित करने का भी फैसला लिया गया है। इसमें भी नाबार्ड की भाँति 10.70. इस पर 3.70 प्रतिशत की छूट भी होगी। यह कर्जा उन लघु सीमांत किसानों को मिल पाएगा जो गन्ना समितियों में पंजीकृत होंगे।

6 वर्ष में कितने गन्ना उत्पादकों का भुगतान किया गया है

योगी जी ने जब मार्च 2017 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। उस वक्त गन्ने का बकाया, संचलन में चीनी मिलों का मनमानी आचरण गन्ना कृषकों की प्रमुख परेशानी थी। क्योंकि, इसकी खेती से लाखों की संख्या में किसान परिवार जुड़े हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बहुत सारे जनपदों की मुख्य फसल ही गन्ना है। दरअसल, गन्ना मूल्य के बकाए पर ही कुछ लोगों की राजनीति चलती थी। क्योंकि, यह किसानों का एक प्रमुख मुद्दा है। मिलों की मनमानी से किसानों को इस हद तक परेशानी थी, कि किसान अपने खेत में ही गन्ना को आग लगा देते थे।

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एक मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रथम कार्यकाल में गन्ना किसानों के भुगतान पर ध्यान केंद्रित किया था। नतीजतन, गन्ना उत्पादकों को रिकॉर्ड भुगतान हुआ। मुख्यमंत्री जी के प्रथम कार्यकाल समापन के बाद अब दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने पर जारी किए गए आकड़ों के अनुसार, गन्ना किसानों को दो लाख दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है। जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सरकार की तरफ से मिलर्स को साफ निर्देशित किया गया है, कि जब तक किसानों के खेत में गन्ना मौजूद है, तब तक मिलें बंद नहीं की जाऐंगी। इसके अतिरिक्त भुगतान की समयावधि भी निर्धारित की गई है। ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से इसको पारदर्शी भी बनाया गया है।
इस राज्य में सोलर पंप लगाने के लिए भारी अनुदान, जानें पात्रता की शर्तें

इस राज्य में सोलर पंप लगाने के लिए भारी अनुदान, जानें पात्रता की शर्तें

किसान भाइयों को खेती के लिए सिंचाई की सही सुविधा हांसिल हो पाए, इसके लिए पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) चलाई जा रही है। 

इस योजना का संचालन भिन्न-भिन्न राज्यों में वहां की राज्य सरकार की तरफ से किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप (solar pump) लगाने के लिए 60% प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है। 

बतादें, कि इसी क्रम में यूपी सरकार की तरफ से राज्य के किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप मुहैय्या कराए जा रहे हैं। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत राज्य में योजना के प्रथम चरण में लगभग 1000 सोलर पंप वितरित किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

इनमें से सबसे ज्यादा सोलर पंप का फायदा बनारस जनपद के कृषक को मिला है। यहां जनपद के 75 किसानों को फायदा प्राप्त हुआ, दूसरे वर्ष 56 किसान लाभान्वित हुए हैं। इस प्रकार जनपद में समकुल 131 किसानों को सोलर पंप का फायदा प्रदान किया गया है।

योजना के तहत कितने हजार सोलर पंप वितरित किए जाएंगे  

बतादें, कि योजना के अंतर्गत पूरे राज्य भर में 2023-24 में कुल 30,000 सोलर पंप का लक्ष्य रखा गया है। इसमें प्रथम चरण में राज्य में 1000 सोलर पंप पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 

इसमें वाराणसी के किसान पीएम कुसुम योजना का भरपूर फायदा लेने में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। यहां 2023-24 में कुल 131 किसानों का चुनाव इस योजना के अंतर्गत किया गया। 

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योजना के अंतर्गत सोलर पंप पर लगभग 90% प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार 3 से लेकर 10 एचपी तक के सोलर पंप उपलब्ध कराती है।  

सोलर पंप पर दिया जा रहा है शानदार अनुदान ?  

यूपी में पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) के तहत किसानों को 3 एचपी से लेकर 10 एचपी के सोलर पंप पर 60 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) का लाभ प्रदान किया जा रहा है। 

इसमें तीन हॉर्स पावर के पंप की कीमत 26,5439 रुपए है, जिसके लिए किसान को अपनी जेब से मात्र 26,544 रुपए जमा कराना है। 

मतलब कि किसान को केवल 10% प्रतिशत धनराशि ही देनी है। शेष धनराशि सरकार अनुदान के तौर पर दे रही है और 30% प्रतिशत की व्यवस्था बैंक ऋण से की जा सकती है।

किसानों को सोलर पंप के लिए बुकिंग कहां करानी होगी 

उत्तर प्रदेश में कुसुम योजना (Kusum Yojana) के तहत अच्छे खासे अनुदान पर सोलर पंप प्रदान किए जा रहे हैं। सोलर पंप के लिए किसान भाइयों को बुकिंग करानी होगी। बुकिंग कराने के दौरान किसान को 5,000 रुपए की टोकन मनी भी जमा करानी होगी तभी उसका पंजीकरण होगा। 

किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट www.agriculture.up.gov.in पर जाकर आप बुकिंग करवा कर टोकन मनी जमा कराकर सोलर पंप के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। 

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किसानों की बुकिंग जनपद के लक्ष्य की सीमा से 110 प्रतिशत तक पहले आओ पहले पाओ के आधार पर की जा रही है। ऐसे में जो किसान योजना के तहत सब्सिडी पर अपने खेत में सोलर पंप लगवाना चाहते हैं, वे इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग करा कर ऑनलाइन ही टोकन मनी जमा कर सकते हैं।

सोलर पंप सब्सिड़ी के लिए निम्नलिखित शर्तों का पालन करें  

किसानों को अनुदान पर सोलर पंप हांसिल करने के लिए योजना के अंतर्गत निर्धारित की गई शर्तों में सबसे पहले किसान के पास खुद का बोरिंग होना जरूरी है। तभी वे सोलर पंप के लिए बुकिंग करा सकते हैं। अगर सत्यापन के समय खेत में बोरिंग नहीं पाया गया तो टोकन मनी की राशि जब्त की जा सकती है।

टोकन कंफर्म करने के 14 दिन के अंतर्गत किसान को शेष धनराशि ऑनलाइन टोकन उत्पन्न कर चालान द्वारा इंडियन बैंक की किसी भी शाखा या ऑनलाइन तरीके से जमा करनी होगी।

किसान बैंक से लोन लेकर कृषक अंश जमा करने पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से नियमानुसार ब्याज में छूट का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

2 एचपी के लिए 4 इंच, 3 व 5 एचपी के लिए 6 इंच तथा 7.5 एचपी एवं 10 एचपी के लिए 8 इंच की बोरिंग होना जरूरी है।

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बतादें, कि इसी तरह 22 फीट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 50 फीट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फीट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फीट तक 5 एचपी सबमर्सिबल, 300 फीट तक गहराई पर उपलब्ध जल स्तर के लिए 7.5 एचपी और 10 एचपी सबमर्सिबल सोलर पंप उपयुक्त माने गए हैं। इसी के अनुसार सोलर पंप की स्थापना की जानी चाहिए।

सोलर पंप की स्थापना होने के पश्चात किसान इसकी जगह को बदल नहीं सकते हैं। अगर स्थान बदला जाता है, तो संपूर्ण अनुदान की धनराशि किसान से वसूल की जाएगी।