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टिड्डी

टिड्डी दल के खिलाफ अभियान

टिड्डी दल के खिलाफ अभियान

राजस्थान में झुंझुनू से कल हरियाणा की ओर जाने वाला टिड्डियों का एक झुंड अब यूपी की ओर बढ़ गया है जहां भी ये झुंड रुकता है, हरियाणा और यूपी के राज्य कृषि विभागों द्वारा नियंत्रण के लिए आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं।  हरियाणा में तैनात 2 ग्राउंड कंट्रोल टीमों के अलावा यूपी में नियंत्रण अभियानों के लिए राजस्थान से 5 और टीमें मदद कर रही हैं । टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए ड्रोन, ट्रैक्टर पर लगे स्प्रेयर और दमकल के वाहनों को तैनात किया गया है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र में टिड्डी नियंत्रण अभियान चल रहे हैं। कुल मिलाकर टिड्डी नियंत्रण अभियानों के लिए टिड्डी सर्कल कार्यालयों की 60 जमीनी नियंत्रण टीमें और 12 ड्रोनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। टिड्डी चेतावनी संगठन और 10 टिड्डी सर्कल कार्यालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों और गुजरात में टिड्डी नियंत्रण अभियान चला रहे हैं। राज्य सरकारें अपने कृषि विभागों के माध्यम से फसली क्षेत्र में टिड्डियों पर नियंत्रण कर रही हैं। 

इस साल 11 अप्रैल 2020 से शुरू होकर 26 जून 2020 तक इस मौसम में 1,27,225 हेक्टेयर इलाके को नियंत्रित किया गया है। 2 किमी x 4 किमी के आकार का एक झुंड, जिसे 26 जून 2020 को झुंझुनू जिले (राजस्थान) में नियंत्रित किया गया था, हरियाणा के रेवाड़ी जिले में चला गया। रेवाड़ी में इस झुंड को राज्य कृषि विभाग द्वारा 40 ट्रैक्टर और फायर ब्रिगेड की 4 गाड़ियों को तैनात कर नियंत्रित किया गया। दो ग्राउंड कंट्रोल टीमें और टिड्डी सर्कल कार्यालय के अधिकारी भी उपस्थित थे और उनके साथ शामिल हुए। 

नियंत्रण अभियान 27 जून 2020 को आधी रात से लेकर तड़के तक चलाया गया। बचे टिड्डियों का झुंड सुबह में झज्जर जिले की ओर चला गया और बाद में हवा बहने की दिशा में पूर्व की ओर मुड़ गया। यह झुंड 3-4 छोटे झुडों में बंट गया। एक नूंह (हरियाणा) की ओर बढ़ा और दो झुंड गुरुग्राम की ओर गए और यूपी की ओर बढ़ गए। इन झुंडों के बाद हरियाणा में दो टीमें तैनात की गईं। पांच और ग्राउंड कंट्रोल टीमों को राजस्थान के नागौर और जयपुर से यूपी में अभियानों में शामिल होने के लिए भेजा गया है। अभियानों के लिए जैसलमेर से ड्रोन भी ले जाया गया है। 

हरियाणा और यूपी के राज्य कृषि विभागों को लगातार सूचना दी जा रही है और वे जहां भी झुंड रुकता है, वहां नियंत्रण के लिए जरूरी इंतजाम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 27 की सुबह रेवाड़ी में नियंत्रण अभियानों के अलावा राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर टिड्डी सर्कल कार्यालयों की ग्राउंट कंट्रोल टीमों द्वारा राजस्थान के जैसलमेर में 2 जगहों पर, बाड़मेर में 6, जोधपुर में 6, बीकानेर में 4, नागौर में 4, जयपुर तथा सीकर जिले में 1-1 जगहों पर टिड्डियों पर नियंत्रण पाया गया। इसके बाद यूपी में भी एक जगह पर नियंत्रण अभियान चलाया गया।

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प्रोटोकॉल को पूरा करने और सभी वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने के बाद टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश है। राजस्थान में व्यापक अभियान चलाए गए जहां अधिकतम संसाधनों का इस्तेमाल हुआ। फसली क्षेत्रों में टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकारों ने बड़ी संख्या में ट्रैक्टर पर स्प्रेयर और दमकल की गाड़ियों की तैनाती की है।

टिड्डी नियंत्रण की क्षमता को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदम-

  • भारत में टिड्डी नियंत्रण क्षमताओं को मजबूत करने के लिए जनवरी 2020 के दौरान माइक्रो, यूके से 10 ग्राउंड स्प्रे उपकरणों और जून 2020 में 15 उपकरणों का आयात किया गया। इसके अलावा 45 ग्राउंड स्प्रे उपकरण जुलाई 2020 में पहुंच जाएंगे और जुलाई तक टिड्डी सर्कल कार्यालयों के पास 100 से अधिक जमीनी नियंत्रण उपकरण होंगे।
  • वर्तमान में 60 नियंत्रण दल और 200 से अधिक केंद्र सरकार के कर्मचारी टिड्डी नियंत्रण कार्यों में लगे हुए हैं।
  • ऊंचे पेड़ों और दुर्गम इलाकों में टिड्डियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए 12 ड्रोन के साथ 5 कंपनियों को टिड्डी नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के छिड़काव के लिए तैनात किया गया है। सभी जरूरी प्रोटोकॉल पूरे करने के बाद टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश है।
  • नियंत्रण क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 55 अतिरिक्त वाहन खरीदे गए हैं।
  • टिड्डी नियंत्रण संगठन के पास कीटनाशकों का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखा गया है और राज्य सरकारों के पास भी इसकी पर्याप्त उपलब्धता है।
  • गृह मंत्रालय ने टिड्डों पर नियंत्रण के लिए पौधों के संरक्षण के लिए रसायनों के छिड़काव के लिए वाहनों, स्प्रे उपकरणों के साथ ट्रैक्टरों की तैनाती, पानी के टैंकरों को किराए पर लेने और एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ के तहत सहायता के नए मानदंडों के अनुसार टिड्डी नियंत्रण में पौधों की सुरक्षा के लिए रसायन की खरीद की स्वीकार्यता को शामिल किया है।
  • कृषि यांत्रिकीकरण पर उप-मिशन के तहत राजस्थान राज्य सरकार के लिए स्वीकृत स्प्रे लगे उपकरणों वाले 800 ट्रैक्टरों की खरीद के लिए सहायता (2.86 करोड़)।
  • आरकेवीवाई के तहत गाड़ियों, ट्रैक्टरों को किराए पर लेने के लिए राजस्थान राज्य के लिए 14 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर और कीटनाशकों की खरीद के लिए मंजूर किए जा रहे हैं।
  • टिड्डी के संबंध में गाड़ियों, स्प्रे उपकरणों, सुरक्षा वर्दी, एंड्रायड एप्लिकेशन, प्रशिक्षण के लिए गुजरात राज्य के लिए 1.80 करोड़ की वित्तीय सहायता मंजूर।
  • विभिन्न स्तरों पर समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं (माननीय कृषि मंत्री, कैबिनेट सचिव, सचिव- डीएसी और एफडब्लू), विभिन्न राज्य सरकारों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित किए गए और टिड्डी नियंत्रण तैयारियों की समीक्षा की जा रही है। जागरूकता के लिए स्थानीय लिखित सामग्री, स्वीकृत कीटनाशक का एसओपी और जागरूकता वीडियो भी सभी संबंधित राज्यों के सााथ साझा किया गया और एसओपी के तहत नियंत्रण के लिए राज्यों से सभी जरूरी तैयारी करने को कहा गया है।
  • गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और हरियाणा राज्यों में फसल को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है।  हालांकि राजस्थान के कुछ जिलों में मामूली फसल नुकसान हुआ है।
  • दक्षिण पश्चिम एशियाई देशों (अफगानिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान) के तकनीकी अधिकारियों की वर्चुअल बैठकें साप्ताहिक आधार पर हुई हैं। इस साल अब तक 14 एसडब्लूएसी-टीओसी बैठकें हो चुकी हैं। क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण को लेकर तकनीकी सूचना साझा की जा रही है। एफएओ द्वारा इसका समन्वय किया जा रहा है।
टिड्डी दल

टिड्डी के हमले से बचें किसान

टिड्डी के हमले से बचें किसान

हरियाणा-राजस्थान और गुजरात के बाद अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को भी टिड्डी दल के हमले का डर साल रहा है। कारण यह है कि इनका हमला इतना तेज होता है कि यह चंद घण्टों में ही किसी इलाके की हरी भरी फसल को उजाड़ने के लिए काफी है। इन्हें रोकने का कोई प्रभावी तात्कालिक तरीका भी नहीं है। बंश बढ़ाने की इनकी क्षमता बहुुत तेज है। जिस खेत में बैठती है वहां हरे रंग वाले किसी भी पौधे को नहीं छोड़ती और जाते जाते अपने अंड़े छोड़ जाती है जो नई फौज तैयार होने का काम करती है। टिड्डी और ​टिड्डे में मोटा मोटी कई फर्क होते हैं। टिड्डा केवल चुनिदा चंद फसलों को ही खाता है ज​​बकि टिड्डी हरे रंग वाली किसी फसल या पेड़ के पत्तों को बड़ी तेजी से चट कर जाती है। इसके हमले भी लाखों की संख्या में समूूह में होते हैं। तीन राज्यों में लाखों एकड़ फसल को टिड्डी दल चौपट कर चुका है। हरियाणा के कई जनपदों में एलर्ट जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी इसके प्रभाव के चलते अफसर चौकन्ना हैं।

  टिड्डी  

 विशेषज्ञ कुंवर लाल वर्मा बाताते हैं कि टिड्डी 30 दिन बाद मेच्योर होकर पीले रंग की हो जाती है और यह समय फसलों को खाने का उपयुक्त समय होता है। कुल 80 दिन का जीवनकाल होता है। हर दिन बड़ी तादात में अंडे देती है। अपने जीवन काल में टिड्डी अपनी 20 गुनी सत्नान छोड़ जाती है। 

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जिन इलाकों में इनका दल दिखे वहां किसान आसमान की ओर डंडा लहराकर शोर मचाएं। खेतों में कूड़ा एकत्र कर धुआं करें। इसके अलावा इसके बाद भी यह न भागे और खेत में बैठ जाए तो रात्रि के समय हर हालत में कलोरोपायरीफास और क्यूनालफास में से किसी एक दवा का उचित मात्रा में घोल बनाकर छिड़काव करेें, ताकि खेत में छोड़े गए अण्डे मर जाएंं। इसके अलावा अंडे एक हफ्ते बाद फूटेंगे। उस समय नुकसान से बचने के लिए खेत में गड्ढ़ा कर दें। उसमें पानी व मिट्टी  का तेल डाल दें। बच्चे जब रेंगने लगें तो उन्हें दो तीन लोग मिल कर शोर करते हुए गड्ढ़े की तरफ ले जाएं। ताकि वह एक ही जगह पर खत्म् हो जाएं।