व्यापारिक लाभ देगी ब्लूबेरी की फसल, जानें खेती करने का फायदा

स्वाद में खट्टी-मीठी और आकार में छोटी और गोल सी दिखने वाली ब्लूबेरी काफी लोगों को पसंद होती है. गर्मियों में यानि की जायद के सीजन में इसकी खेती की जाती है. वैसे तो उत्तरी अमेरिका में ब्लूबेरी की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. लेकिन इसके अलावा भारत के जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और यहां तक उत्तर प्रदेश भी उगाया जाता है. ब्लूबेरी में लगभग 84 फीसद पानी, फाइबर, विटामिन ए, सी, ई, के, आयरन, मैंगनीज, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ब्लूबेरी न सिर्फ वजन कम करने में कारगर है, इसके पास बल्कि स्किन से हर समस्या का हल भी है. इसके अलावा ब्लूबेरी दिमाग के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है.

ब्लूबेरी की खेती के फायदे (Benefits of Blueberry Farming)

काफी लोग ब्लूबेरी को नीलबदरी के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि यह एक नीले रंग का फल होता है. यह एक एरिकेसी फैमिली से है. वैसे तो ब्लूबेरी की खेती भारत में बेहद सीमित है. इससे जुड़े बेहद अच्छे स्वास्थ्य लाभों की वजह से व्यवसायिक तौर पर इसकी खेती अच्छे और बड़े पैमाने में की जाने की संभावना है. हालांकि भारत में सही तरह से खेती करने के साथ इस ओर बढ़ना भी शुरू कर दिया है. जिसे देखते हुए भारत में ब्लूबेरी की खेती अच्छा भविष्य है. ये भी पढ़े:
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कैसी हो उपयुक्त जलवायु?

वैसे तो ब्लूबेरी को कई तरह की जलवायु में उगाया जा सकता है. लेकिन इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. अगर आप ब्लूबेरी की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपके अपे क्षेत्र की जलवायु के बारे में जान लेना चाहिए. क्योंकि अच्छी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु का होना बेहद जरूरी है. इसमें आप पाने करीबी बागवानी विभाग से भी मदद ले सकते हैं.

खेती के लिए कैसी हो मिट्टी?

ब्लूबेरी की खेती के लिए उस जमीन का चुनाव करें, जहां की मिट्टी उपजाऊ होने के साथ-साथ अम्लीय, नम और अच्छी जल निकासी वाली है. फसलों की अच्छी ग्रोथ के और अच्छी ऊपज के लिए पिट्टी पी एच रेंज 4.0 से 5.5 तक होना चाहिए. अगर मिट्टी का पी एच ज्यादा है तो उसमें थोड़ा सा सल्फर मिलाकर कम कर सकते हैं. ब्लूबेरी की खेती करने से पहले उसकी मिट्टी की जांच जरुर करवा लें.

ब्लूबेरी की जान लें किस्में

ब्लूबेरी की खेती करने से पहले इसकी किस्मों के बारे में जान लेना जरूरी है. जिससे हर किसान को हफ्ते के हिसाब से तीन से चार कटाई की अवधि के लिए उत्पादन कर सके. इसकी ख़ास तीन श्रेणियां होती हैं, जिसमें हाईबश, लोबश और हाईब्रिड शामिल है. वहीं इनकी उन्नत किस्मों की बात करें तो, इसमें ड्यूक, टोरो, चैंडलर, मिस्टी नेल्सन, इलियट जैसी किस्में अच्छा उत्पादन कर सकती हैं.

कैसी हो भूमि की तैयारी?

भूमि को बराबर और जुताई तब तक करते रहें, जब तक वो अच्छी जुताई की अवस्था में ना आ जाए. जिस खेत में फसल लगानी हो, वो खेत खरपतवार मुक्त बनाना चाहिए. कतार में तीन मीटर के गलियारों के बीच एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 80 सेंटीमीटर की दूरी में होनी चाहिए. हालांकि साल के किसी भी महीने या सीजन में ब्लूबेरी की बुवाई की जा सकती है. लेकिन इसके लिए पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था होनी जरूरी है. एक या दो साल के एक लीटर या 3.5 लीटर कंटेनर में उगाए गये पौधों को खेतों में बोना चाहिए. पौधा लगाने के दो हफ्ते पहले ही करीब 10 इंच का गड्ढा खोद लेना चाहिए. फिर जो मिट्टी गड्ढे से निकले उसमें कम्पोस्ट मिला देना चाहिए. ये भी पढ़े: वर्मीकम्पोस्ट यूनिट से हर माह लाखों कमा रहे चैनल वाले डॉक्टर साब, अब ताना नहीं, मिलती है शाबाशी

कैसे करें निराई और गुड़ाई?

ब्लूबेरी की खेती में नियमित रूप से निराई और गुड़ाई की जरूरत होती है. वहीं इसकी फसलों पर खरपतवार को नियंत्रित करने के लियर पौधों के घाटियों को साफ़ रखें. इसके आलवा मल्चिंग से पानी की बर्बादी रुक सकती है. साथ ही इससे मिट्टी के कटाव से बचा जा सकता है.

खेती के लिए कैसी हो खाद और उर्वरक?

ब्लूबेरी की खेती के लिए खाद का इस्तेमाल करना कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है. बुवाई से पहले मिट्टी में सड़ी हुई खाद मिलाकर अच्छी खाद तैयार की जा सकती है. अम्लीय मिट्टी में ब्लूबेरी के पौधे पनपते हैं, इसलिए एक ज्यादा एसिड ब्लूबेरी बुश उर्वरकों का इस्तेमाल करें. क्योंकि इसमें सल्फेट, अमोनिया और नाइट्रेट के साथ यूरिया भी होती है. हालांकि इसमें कम पीएच होता है, जो पत्तियों को उगने से पहले वसंत ऋतु में लगाया जाता है.

कैसे करें रोग और कीटों पर नियंत्रण?

ब्लूबेरी की खेती में आमतौर पर कोई खास रोग या कीटों को नहीं देखा जाता. लेकिन पक्षी इसके फल सबसे ज्यादा खाते हैं, जोकि एक बड़ी समस्या है. पक्षी खेत से दूर रहें, इसका ध्यान जरुर रखें. ये भी पढ़े: अकेले कीटों पर ध्यान देने से नहीं बनेगी बात, साथ में करना होगा ये काम: एग्री एडवाइजरी

ब्लूबेरी के पौधे को कब छंटाई की जरूरत?

ब्लूबेरी के पौधे झाड़ की तरह बढ़ते हैं. आमतौर पर इसके उत्पादन में तनों की संख्या 9 से 12 तक होनी चाहिए. ऐसे में करीब 5 से 6 साल पुरानी बेंत जी निकालकर हर साल छंटाई करनी चाहिए. शुरुआती कुछ सैलून तक ब्लूबेरी में फल नहीं निकलते. छंटाई सर्दियों के सीजन में करनी सही रहती है. जिससे इसकी अच्छी ग्रोथ हो सके. शुरुआत के 4 सालों तक ब्लूबेरी के पौधे को छंटाई की जरूरत नहीं होती.

कब करें सिंचाई?

ब्लूबेरी के खेतों में रोपाई के तुरंत बाद ही पौधों को सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इसके पौधों को कम से कम हफ्ते में एक बार सींचने की जरूरत होती है. वहीं बारिश के मौसम में बारिश का पानी इसके पौधों के लिए अच माना जाता है. क्योंकि वो ज्यादा क्षारीय होता है. शुष्क मौसम में लंबे समय तक इसकी मिट्टी सूखी ना रहे, इसलिए बार बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है.

कैसे करें तुड़ाई?

ब्लूबेरी के पौधे के बढ़ने के दूसरे से तीसरे महीने के बाद इसमें फल लगना शुरू हो जाते हैं. इसके पौधे में साल में एक बार ही ब्लूबेरी लगती हैं. इसके फलों जो आसानी से तोड़ा जा सकता है, जो ताजे होने पर कंटेनर में स्टोर करके बेचे जा सकते हैं. ब्लूबेरी की तुड़ाई के बाद बेंत का सिरा फल के ऊपर से हटा दिया जाना चाहिए. इसके फलों की तुड़ाई अगस्त से सितम्बर के महीने में शुरू हो जाती है. इसके अलावा इसके फलों का रंग नीला हो जाए तो समझिये ये पककर तैयार हो गये हैं.

कैसा होता है उत्पादन

फल की उपज इस बात पर भी निर्भर करती है, कि वो कौन सी किस्म का है. इसके अलावा मिट्टी के प्रकार, मौम और सिंचाई की स्थिति पे भी इसका उत्पादन निर्भर करता है. पहली फसल में एक पौधे से करीब एक किलो तक के फलों का उत्पादन किया जा सकता है. जिसके बाद के सालों में ब्लूबेरी का पौधा ज्यादा बड़ा हो जाता है और 6 से 7 सालों तक में इसकी उपज दोगुनी हो जाती है. ऐसेम में अगर किसान ज्यादा उपज चाहता है तो वो एक पौधे से भी इसकी उम्मीद रख सकता है. जिसमें 10 किलो तक का उत्पादन मिल सकता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्लूबेरी के पौधे लगभग 20 से 25 सालों तक ही फल देते हैं.

जानिए ब्लूबेरी के स्वास्थ्य लाभ

  • ब्लूबेरी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है.
  • ब्लूबेरी में कैलोरी कम और पोषक तत्व ज्यादा होते हैं.
  • हमेशा जवां बनाए रखने के साथ ब्लूबेरी कैंसर के खतरे को कम करता है.
  • दिमाग को सही तरह से काम करने की क्षमता ब्लूबेरी से मिल सकती है.
  • खून से कोलेस्ट्रोल को कम करने में ब्लूबेरी मददगार है.
  • ब्लूबेरी ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखता है.
  • ब्लूबेरी खाने से मांसपेशियों की क्षति से बचा जा सकता है.
  • डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लूबेरी खाना फायदेमंद होता है.
  • यूरिन इन्फेक्शन से बचाने में ब्लूबेरी मदद करता है.
  • दिल की बिमारी से बचाने में भी ब्लूबेरी कारगर है.
स्वास्थ्य से जुड़े अनगिनत फायदों की वजह से भी ब्लूबेरी की डिमांड बाजार में ज्यादा होती है. अगर आप इसकी खेती करते हैं तो इससे आपको बड़ा व्यापारिक लाभ मिल सकता है.