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मक्के की नई किस्म

उदयपुर शहर के (एमपीयूएटी) द्वारा विकसित की गई मक्का की किस्म 'प्रताप -6'

उदयपुर शहर के (एमपीयूएटी) द्वारा विकसित की गई मक्का की किस्म 'प्रताप -6'

उदयपुर शहर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) की तरफ से विकसित की गई मक्का की नवीन किस्म 'प्रताप-6' किसानों के लिए बेहद फायदेमंद सिद्ध हो सकती है। दरअसल, मक्का की यह प्रजाति प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल तक उत्पादन देने में सक्षम है। किसान अपनी फसल से बेहतरीन उत्पादन पाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं। साथ ही, वह फसल के उन्नत बीजों का भी चुनाव करते हैं। जिससे कि वह कम समयावधि में ज्यादा से ज्यादा पैदावार उठा सकें। इसी कड़ी में आज हम किसान भाइयों के लिए मक्का के नवीन व उन्नत किस्म के बीजों की जानकारी लेकर आए हैं, जो प्रति हेक्टेयर लगभग 70 क्विंटल तक उत्पादन देगी। यह किस्म खेत में तकरीबन 80-85 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मक्का की यह प्रजाति 'प्रताप-6' है, जिसे उदयपुर शहर के महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के द्वारा तैयार किया गया है। वर्तमान में मक्का की प्रताप-6 किस्मों को लेकर केंद्र सरकार के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है। बतादें, कि जैसे ही इस प्रस्ताव पर सरकार की मंजूरी मिल जाती है, तो यह किस्म किसानों के हाथों में सौंप दी जाएगी।

मक्का की प्रताप-6 किस्म से कितने सारे लाभ होते हैं

मक्का मानव शरीर की ऊर्जा के लिए सबसे बेहतरीन स्त्रोत कहा जाता है। वह इसलिए कि इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और विटामिनों की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें शरीर के लिए जरूरी खनिज तत्व जैसे कि फास्फोरस, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, आयरन इत्यादि उपस्थिति होते हैं। इसके चलते बाजार में किसानों को मक्का की बेहतरीन कीमत सहजता से मिल जाती है।

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 साथ ही, मक्का की नवीन किस्म प्रताप-6 किसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी बेहद लाभकारी होती है। बतादें, कि इस नवीन किस्म के मक्के के पौधे को पकने के उपरांत भी हरा ही रहता है, जिसे मवेशी को खिलाने से उनके स्वास्थ्य में बेहतरी देखने को मिल सकती है। ऐसा कहा जा रहा है, कि प्रताप-6 किस्म का पौधा मवेशियों के लिए शानदार गुणवत्ता का हरा चारा है। अंदाजा यह है, कि भारतीय बाजार के अतिरिक्त विदेशी बाजार में भी प्रताप-6 किस्म के मक्का की मांग ज्यादा देखने को मिल सकती है। मक्का की प्रताप-6 किस्म तना सड़न रोग, सूत्र कृमि एवं छेदक कीट इत्यादि के प्रतिरोधी है।

भारतभर में मक्का की कुल कितनी खेती होती है

हिन्दुस्तान के किसानों के द्वारा तकरीबन 90 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती करके किसान मोटी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। वहीं, महज केवल उदयपुर में मक्का की 1.50 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि संपूर्ण राज्य में मक्का की खेती लगभग 9 लाख से ज्यादा हेक्टेयर भूमि में की जाती है।

जानिए मक्के की विश्वभर में उगने वाली किस्म के बारे में

जानिए मक्के की विश्वभर में उगने वाली किस्म के बारे में

हम आपको मक्के की ग्लास जेम कॉर्न प्रजाति के विषय में बताने जा रहे हैं। यह प्रजाति अमेरिका में सबसे पहले उत्पादित की गई थी। परंतु, आज के वक्त में विभिन्न बाकी देशों में भी इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। शारीरिक लाभों में भी यह प्रजाति बेहद फायदेमंद होती है। आपने मक्का की विभिन्न उन्नत प्रजातियों के विषय में काफी सुना होगा। परंतु, आज हम आपको अमेरिका की एक ऐसी सतरंगी मक्के की प्रजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज कल लोगों के मध्य चर्चा का विषय बना हुआ है। मक्के की इस प्रजाति को ग्लास जेम कॉर्न के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, यह प्रजाति भारत में नहीं बल्कि सबसे पहले अमेरिका में उत्पादित की गई थी। परंतु, इसके रंग बिरंगे दानों ने इसे आज बहुत से देशों में पसंदीदा बना दिया है। भारत में बहुत सारे किसान आज इस किस्म से मोटा पैसा भी कमा रहे हैं। ग्लास जेम कॉर्न की खेती आज के समय में कहीं भी की जा सकती है।

इस किस्म को किसने विकसित किया था

मक्के की इस किस्म की उन्नति के पीछे की कहानी सुनने में भले ही अटपटी लगे परंतु सच जानना बेहद जरूरी है। इसके विकास का श्रेय अमेरिका के एक किसान कार्ल बांर्स ने किया था। दरअसल, उस वक्त उसने अपने मक्के के खेत में लगी हुई ओक्लाहोमा नामक मक्के की किस्म के साथ प्रयोग कर विकसित किया था। वर्तमान में यह दुनिया के कई देशों में उगाई जाती है।

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इन पौधों को आप किस प्रकार उगा सकते हैं

इन पौधों को उगाने के लिए आपको सर्व प्रथम इसके बीजों को इकठ्ठा करना होगा। इसके पश्चात ग्लास जेम कॉर्न के बीजों को खेत अथवा बगीचे में आपके द्वारा विकसित की गई जमीन में पक्तियों को 30 इंच की दूरी के साथ बनाएं। वहीं, जब ग्लास जेम कॉर्न की बीजों को रोपित करने की बात आती है, तो आप इनका 6-12 इंच की दूरी पर रोपण करें। हालांकि ऐसी स्थिति में आप समय-समय पर खाद और पानी देते रहें। कुछ दिनों के अंतर्गत यह परिपक्व होकर कटाई के लायक हो जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इसको पकने में तकरीबन 120 दिन का वक्त लगता है।


 

यह प्रजाति शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती है

यह किस्म ना केवल दिखने में बल्कि शारीरिक रूप से भी बहुत फायदेमंद होती है। मक्के की इस प्रजाति में विटामिन A,B और E, मिनरल्स और कैल्शियम काफी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें मिनरल्स और कैल्सियम की मात्रा भी भरपूर होती है। यही वजह है, कि यह किस्म शरीर की विभिन्न बीमारियों से छुटकारा दिलाने में लाभकारी होती है। आप इस किस्म की मक्का को भी अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं।