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मोबाइल ऐप

सरकार द्वारा जारी पांच एप जो बकरी पालन में बेहद मददगार साबित होंगे

सरकार द्वारा जारी पांच एप जो बकरी पालन में बेहद मददगार साबित होंगे

बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है। अगर आप भी वैज्ञानिकों की सलाह के अनुरूप अच्छी नस्ल की बकरी का पालन करना चाहते हैं, तो ये 5 मोबाइल एप आपकी सहायता करेंगे। ये ऐप 4 भाषाओं में मौजूद हैं। किसान भाई खेती के साथ-साथ पशुपालन भी हमेशा से करते आ रहे हैं। परंतु, कुछ ऐसे किसान भी हैं, जो अपनी आर्थिक तंगी की वजह से गाय-भैंस जैसे बड़े-बड़े पशुओं का पालन नहीं कर पाते हैं। इसलिए वह मुर्गी पालन और बकरी पालन आदि करते हैं। भारतीय बाजार में इनकी मांग भी वर्षभर बनी रहती है। यदि देखा जाए तो किसानों के द्वारा बकरी पालन सबसे ज्यादा किया जाता है। यदि आप भी छोटे पशु मतलब कि बकरी पालन (Goat Farming) से बेहतरीन मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपको नवीन तकनीकों की सहायता से इनका पालन करना चाहिए। साथ ही, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (Central Goat Research Institute) के द्वारा निर्मित बकरी पालन से जुड़े कुछ बेहतरीन मोबाइल ऐप का उपयोग कर आप अच्छे से बकरी पालन कर सकते हैं। इन ऐप्स में वैज्ञानिक बकरी पालन, बकरियों का सही प्रबंधन, उत्पादन एवं कीमत आदि की जानकारी विस्तार से साझा की गई है।

बकरी पालन से संबंधित पांच महत्वपूर्ण एप

बकरी गर्भाधान सेतु

बकरी की नस्ल में सुधार करने के लिए बकरी गर्भाधान सेतु एप को निर्मित किया गया है। इस एप में वैज्ञानिक प्रोसेस से बकरी पालन की जानकारी प्रदान की गई है।

गोट ब्रीड ऐप

यह एप बकरियों की बहुत सारी नस्लों की जानकारी के विषय में विस्तार से बताता है, ताकि आप बेहतरीन नस्ल की बकरी का पालन कर उससे अपना एक अच्छा-खासा व्यवसाय खड़ा कर पाएं।

गोट फार्मिंग ऐप

यह एप लगभग 4 भाषाओं (हिंदी, तमिल, कन्नड़ और अंग्रेजी) में है। इसमें बकरी पालन से जुड़ी नवीन तकनीकों के विषय में बताया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें देसी नस्ल की बकरी, प्रजनन प्रबंधन, बकरी की उम्र के हिसाब से डाइट, बकरी का चारा, रखरखाव एवं देखभाल के साथ-साथ मांस और दूध उत्पादन आदि की जानकारी के विषय में जानकारी प्रदान की गई है।

बकरी उत्पाद ऐप

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस एप के अंदर बाजार में कौन-कौन की बकरियों की मूल्य वर्धित उत्पादों की बाजार में मांग। साथ ही, कैसे बाजार में इससे अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं। यह एप भी हिंदी, तमिल, कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है।

बकरी मित्र

इस एप में बकरियों के प्रजनन प्रबंधन, मार्केटिंग, आश्रय, पोषण प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन एवं खान-पान से संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है। साथ ही, इसमें बकरी पालन के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें किसानों की सहायता के लिए कॉल की सुविधा भी दी गई है। जिससे कि किसान वैज्ञानिकों से बात कर बेहतर ढ़ंग से बकरी पालन कर सकें। बकरी मित्र एप को विशेषतौर पर यूपी एवं बिहार के किसानों के लिए तैयार किया गया है।
सरकार ने बनाया किसान रथ मोबाइल ऐप

सरकार ने बनाया किसान रथ मोबाइल ऐप

किसान रथ मोबाइल ऐप शुरू होने के एक हफ्ते के भीतर ही बेहद सफल |1.5 लाख से अधिक किसानों और व्यापारियों ने ऐप पर पंजीकरण किया| ऐप के माध्यम से खाद्यान्न और कृषि उत्पादों को पहुंचाने की सुविधा की जानकारी कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और खेती के कार्यों को सरल बनाने के लिए अनेक उपाय कर रही है। इन कार्यों की अद्यतन स्थिति नीचे दी गई है: 

1. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 17.04.2020 को किसान रथ नाम का एक ऐप शुरू किया है जो किसानों और व्यापारियों की कृषि उत्‍पादों खाद्यान्‍न (अनाज, मोटा अनाज, दलहन आदि) से लेकर फल और सब्जियां, तिलहनों, मसाले, रेशे वाली फसलें, फूल, बांस, लठ्ठे और छोटे वनोत्‍पाद, नारियल आदि को पहुंचाने के लिए परिवहन की सही प्रणाली का पता लगाने में मदद करेगा। अब तक, कुल 80,474 किसान और 70,581 व्‍यापारी इस ऐप पर पंजीकृत हैं। 

2. पूर्ण लॉकडाउन के कारण, सभी थोक मंडियों को 25.03.2020 को बंद कर दिया गया था। भारत में 2587 प्रमुख/ मुख्य कृषि बाजार उपलब्ध हैं, जिनमें से 1091 बाजार 26.03.2020 को कार्य कर रहे थे। 23.04.2020 तक, 2067 बाजारों को काम करने लायक बनाया गया है।

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3. दलहन और तिलहन की न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद वर्तमान में बीस (20) राज्यों में चल रही है। नैफेड और एफसीआई 1,79,852.21 मीट्रिक टन दलहन और 1,64,195.14 मीट्रिक टन तिलहन खरीद चुके हैं जिसका मूल्‍य 1605.43 करोड़ रुपये आंका गया है, जिससे 2,05,869 किसान लाभान्वित हुए हैं। 

ग्रीष्मकालीन फसलों का बुवाई वाला क्षेत्र:

चावल: पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 25.22 लाख हेक्टेयर की तुलना में ग्रीष्‍मकालीन चावल का बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 34.73 लाख हेक्टेयर है। 

दलहन: पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3.82 लाख हेक्टेयर की तुलना में दालों की बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 5.07 लाख हेक्टेयर है। मोटा अनाज: मोटे अनाज के तहत पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान लगभग 5.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में बुवाई वाला क्षेत्र 8.55 लाख हेक्टेयर है।

तिलहन: तिलहन के तहत पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 6.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 8.73 लाख हेक्टेयर है। 

24.04.2020 को कटाई की स्थिति

गेहूं: जैसा कि राज्यों ने बताया है कि मध्य प्रदेश में लगभग 98-99% गेहूं की फसल काटी जा चुकी है, राजस्थान में 90-92%, उत्तर प्रदेश में 82-85%, हरियाणा में 50-55%, पंजाब में 45-50% और अन्य राज्यों में 86-88% फसल काटी जा चुकी है।

इस राज्य सरकार ने आल इन वन तरह का कृषि ऐप जारी कर किसानों का किया फायदा

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आधुनिक युग में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कृषि योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने अथवा आवेदन के लिए किसान भाईयों को ई-मित्र केंद्र अथवा कृषि विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। क्योंकि, राजस्थान में खेती-किसानी करने वालों के लिए राज किसान एप पर ऐसी विभिन्न सुविधाएं मुहैय्या कराई गई हैं। सीधी सी बात है, अगर कृषि क्षेत्र की प्रगति एवं विकास-विस्तार होगा तो किसान भी की उन्नत और खुशहाल होंगे। सरकार इसको बरकरार रखने के लिए किसानों की निरंतर रूप से हर संभव सहायता करती है। इसलिए किसानों के हित में विभिन्न कृषि योजनाएं भी चलाई जाती हैं, जिसके माध्यम से बीमा, लोन एवं अनुदान आदि का फायदा प्राप्त होता है। इन योजनाओं से जुड़कर किसान भाई अपने आर्थिक हालातों को अच्छा कर सकते हैं। परंतु, कृषि योजनाओं के विषय में जानकारी इकट्ठी करना एवं आवेदन करना किसान भाइयों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बहुत बार किसानों को कृषि विभाग से लेके ग्राम पंचायत कार्यालय के चक्कर तक काटने पड़ते हैं। इन सभी स्थितियों से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए फिलहाल राज्य सरकारें मोबाइल एप्लीकेशन जारी कर रही हैं। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार की तरफ से भी राज किसान एप्लीकेशन जारी किया गया है।

केवल एक क्लिक से मिलेगी सभी योजनाओं की जानकारी

राजस्थान सरकार की तरफ से प्रदेश के किसानों के लिए राज किसान एप्लीकेशन जारी किया गया है। इसके अंतर्गत कृषि विभाग से लेकर बागवानी एवं पशुपालन विभाग की नई-पुरानी समस्त योजनाओं की जानकारी चढ़ा दी जाती है। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राज किसान एप पर स्व-पंजीकरण का विकल्प दिया गया है। मललब कि फिलहाल किसान भाई अपना पंजीकरण करके सीधे कृषि योजनाओं हेतु आवेदन कर सकते हैं।

क्षतिग्रस्त फसल की शिकायत भी यहीं दर्ज होगी

राज किसान साथी पोर्टल को पूर्णतया किसानों के हिसाब से बनाया गया है। इसमें फसल बीमा क्लेम से लेकर ब्याज की जानकारी, ऑनलाइन अदायगी के साथ फसल क्षति की शिकायत भी दर्ज करवाई जा सकती हैं। यह भी पढ़ें: जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है इन समस्त कार्यों हेतु कृषि विभाग द्वारा राज किसान एप पर फसल बीमा का कॉलम भी बनाया गया है। एक ही प्लेटफॉर्म पर यह समस्त सुविधाएं प्राप्त होने से ना केवल किसान का वक्त बचेगा, साथ ही, पैसे की भी बचत होगी।

कृषि से संबंधित सेवाओं की जानकारी प्रदान की गई हैं

राजस्थान के किसान केवल खेती-किसानी तक ही सीमित नहीं रहे हैं। साथ ही, दूसरी गतिविधियों से भी जुड़कर अच्छी आय कर रहे हैं। इसके लिए राज किसान साथी एप पर एग्री मशीनरी की बुकिंग, कीट-रोग प्रबंधन की जानकारी, उन्नत कृषि तकनीक, मिट्टी और पानी की जांच के लिए नजदीकी लैब, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेसिंग, कृषि कार्यों की वीडिया, खाद्य उत्पादक और निर्यातकों की लिस्ट-मोबाइल नंबर, मशीनों की खरीद या किराए पर उठाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर्स की जानकारी, खाद उर्वरक व कीटनाशक विक्रेताओं की सूची एवं इसके उपयोग करने के तरीके की भी एप पर जानकारी दी गई है।
पेप्सिको (PepsiCo) ने जारी किया किसानों के लिए मौसम की सटीक जानकारी देने वाला ऐप 

पेप्सिको (PepsiCo) ने जारी किया किसानों के लिए मौसम की सटीक जानकारी देने वाला ऐप 

बतादें कि पेप्सिको (PepsiCo) ने किसानों के लिए उनकी फसल की जाँच करने के लिए ऐप बनाया है। आलू की खेती करने वाले कृषकों को मौसम के साथ- साथ कई सारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। बहुत सारे किसान यह भी समझ नहीं पाते हैं, कि उनकी फसल की सिंचाई करने के लिए उपयुक्त वक्त कब है। आलू का उत्पादन करने वाले किसान भाइयों के लिए खुशखबरी है। उनकी फसल की पहले की तुलना में काफी कम बर्बादी होगी। फिलहाल, किसान भाई अपनी आलू की फसल की वक्त पर सिंचाई कर पाएंगे। बतादें, कि समुचित मात्रा में खाद और कीटनाशकों का भी छिड़काव कर पाऐंगे। यह सब मुमकिन होगा ‘क्रॉप एवं प्लॉट लेवल इंटेलिजेंस मॉडल’ की मदद से। दरअसल, PepsiCo ने अपने ब्रांड लेज के जरिए एक ‘क्रॉप एवं प्लॉट लेवल इंटेलिजेंस मॉडल’ को बाजार में प्रस्तुत किया है। पेप्सिको (PepsiCo) आलू की खेती करने वाले किसान भाइयों की सहायता करने हेतु इस इंटेलिजेंस मॉडल को लागू किया है। विशेष बात यह है, कि इस मॉडल को सर्वप्रथम मध्य प्रदेश व गुजरात में पायलट प्रोजेक्ट की भांति चालू किया गया है।

मौसम की मिलेगी बिल्कुल सटीक जानकारी

पेप्सिको (PepsiCo) का कहना है, कि आलू की खेती करने वाले किसान भाइयों को मौसम के साथ- साथ कई सारी चुनौतियों से जूझना पड़ता है। विभिन्न किसान ये भी समझ नहीं पाते हैं, कि उनकी फसल की सिंचाई करने के लिए उपयुक्त समय कब है। साथ ही, आलू के खेत में खाद एवं कीटनाशक कब डालें। इसके अतिरिक्त मौसम को लेकर उनके पास संपूर्ण अपडेट भी नहीं होता है। अब ऐसी स्थिति में पाला अथवा शीतलहर पड़ने पर आलू की फसल को काफी ज्यादा हानि पहुंचती है। परंतु, फिलहाल किसान भाइयों को PepsiCo की इस मॉडल से सेटेलाइट के माध्यम से उचित वक्त पर मौसम की सटीक जानकारी मिल पाऐगी।

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समस्त जानकारियां डैशबोर्ड पर उपलब्ध रहेंगी

बतादें, कि क्रॉपिन एक अग्रणी एग्री-टेक कंपनी है। ग्लोबल एग्री-टेक फर्म क्रोपिन की मदद से PepsiCo इंडिया ने क्रॉप एवं प्लॉट लेवल इंटेलिजेंस मॉडल को प्रस्तुत किया है। इस मॉडल के माध्यम से किसान भाइयों को 10 दिन पूर्व ही मौसम की जानकारी प्राप्त हो जाएगी। ऐसी स्थिति में आलू उत्पादक किसान मौसम में परिवर्तन आने से पूर्व ही सतर्क हो जाएंगे। साथ ही, वह संभावित बीमारियों का इलाज भी पहले से चालू कर सकेंगे। खास बात यह है, कि इस मॉडल के माध्यम से एक मोबाइल ऐप तैयार किया गया है, जिसके डैशबोर्ड पर विभिन्न प्रकार की जानकारियां मौजूद रहेंगी।

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पेप्सिको (PepsiCo) इतने किसानों को प्रशिक्षण दे रही है।

भारत में PepsiCo 14 राज्यों में 27,000 से ज्यादा किसानों के साथ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर से जुड़ी हुई है। कंपनी का कहना है, कि वह चिप्स हेतु 100 प्रतिशत आलू इन्हीं 14 राज्यों के किसान भाइयों से खरीदती है। कंपनी आरंभिक चरण में इन्हीं में से 62 किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण दे रही है। इस दौरान किसानों को डैशबोर्ड के विषय में बताया जा रहा है। आखिर वह इसकी सहायता से मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी कैसे प्राप्त कर सकते हैं। प्रशिक्षण के लिए चयनित 62 में 51 किसान गुजरात व 11 किसान मध्य प्रदेश के निवासी हैं।