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रबी फसल

गेहूं समेत इन 6 रबी फसलों पर सरकार ने बढ़ाया MSP,जानिए कितनी है नई दरें?

गेहूं समेत इन 6 रबी फसलों पर सरकार ने बढ़ाया MSP,जानिए कितनी है नई दरें?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई जिसमे गेहूं समेत अन्य रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का निर्णय लिया गया। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपए बढ़ाकर 2,015 प्रति क्विंटल लेने का फैसला किया है। बता दें, गेहूं इससे पहले 1975 रुपए प्रति क्विंटल था। वहीं आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चना पर 130 रुपए, मसूर पर 400 रुपए, जौ पर 35 रुपए, सरसों पर 400 रुपए और कुसुम (सूरजमुखी) पर 114 रुपए एमएसपी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में अब चना 5230 रुपए, जौ 1635 रुपए, सरसों 5050 रुपए, मसूर 5500 रुपए जबकि कुसुम 5471 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदना पड़ेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, न्यूनतम समर्थन मूल्य वह दर है जिस पर सरकार किसानों से अन्न  खरीदती है। सरकार रबी और खरीफ दोनों की ही करीब 23 फसलों पर एमएसपी तय करती है। बता दें इन 23 फसलों में से गेहूं और सरसों की फसल रवि की प्रमुख फसलें मानी जाती है। खरीफ की फसलें गर्मी में उगाई जाती है और रबी की फसलें सर्दियों में उगाई जाती है। गौरतलब है कि, पिछले कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का लगातार प्रदर्शन जारी है। इतना ही नहीं बल्कि इन दिनों किसान संगठनों ने अपने इस आंदोलन को और भी बढ़ा दिया है। यह किसान तीन कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार अपने कृषि कानून वापस ले और एमएसपी पर कानून बनाए।

कितनी उचित मिलेगी कीमत

2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी केंद्रीय बजट 2018-19 में की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसमें कहा गया कि देशभर के औसत उत्पादन को मद्देनजर रखते हुए एमएसपी में कम से कम डेढ़ गुना इजाफा किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को उचित कीमत मिल सके। किसान द्वारा खेती में किए गए खर्च के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। इस आधार पर सरकार मानती है कि किसानों को गेहूं, केनोला और सरसों पर 100 प्रतिशत, दाल पर 79 प्रतिशत, चना पर 74 प्रतिशत, जौ पर 60 प्रतिशत एवं कुसुम पर उत्पादन में 50 प्रतिशत लाभ का अनुमान है।

खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर हों

दशकों से खद्य तेलों के मामले में हम आत्म निर्भर नहीं हो पाए हैं। इसके चलते सरकार ने नीति बनाई है। बाजार में इस बार सरसेां की कीमतें ठीक ठाक रहने से किसान भी सरसों की खेती के लिए इच्छुक हैं। इधर राष्ट्रीय खाद्य तेल–
पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) योजना को भी सरकार ने हाल में घोषित किया है। इस योजना से खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। इस योजना के लिये 11,040 करोड़ रुपये रखे गये हैं, जिससे क्षेत्रफल में इजाफे के साथ उत्पादन और आत्म निर्भरता बढ़ेगी। इसके अलावा केंद्रीय कैबिनेट ने कपड़ा क्षेत्र को भी मंजूरी दे दी है। मिली जानकारी के अनुसार, एमएमएफ फैब्रिक्स तथा एमएमएफ (कृत्रिम रेशे) परिधान, टेक्निकल टेक्सटाइल समेत दस अलग-अलग उत्पादों के लिए 10, 683 करोड रुपए से अधिक का पैकेज दिया जाएगा और यह पैकेज अगले 5 साल तक होगा। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि, इस योजना से निर्यात और घरेलू विनिर्माण दोनों को ही बढ़ावा मिलेगा।
दिवाली से पूर्व केंद्र सरकार गेहूं सहित 23 फसलों की एमएसपी में इजाफा कर सकती है

दिवाली से पूर्व केंद्र सरकार गेहूं सहित 23 फसलों की एमएसपी में इजाफा कर सकती है

लोकसभा चुनाव से पूर्व ही केंद्र सरकार किसानों को काफी बड़ा तोहफा दे सकती है। ऐसा कहा जा रहा है, कि सरकार शीघ्र ही गेहूं समेत विभिन्न कई फसलों की एमएसपी बढ़ाने की स्वीकृति दे सकती है। वह गेहूं की एसएमसपी में 10 प्रतिशत तक भी इजाफा कर सकती है। लोकसभा चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार द्वारा किसानों को बहुत बड़ा गिफ्ट दिए जाने की संभावना है। ऐसा कहा जा रहा है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रबी फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस में वृद्धि कर सकती है। इससे देश के करोड़ों किसानों को काफी फायदा होगा। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार गेहूं की एमएसपी में 150 से 175 रुपये प्रति क्विंटल की दर से इजाफा कर सकती है। इससे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और पंजाब के किसान सबसे ज्यादा लाभांवित होंगे। इन्हीं सब राज्यों में सबसे ज्यादा गेहूं की खेती होती है।

केंद्र सरकार गेंहू की अगले साल एमएसपी में 3 से 10 प्रतिशत वृद्धि करेगी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार आगामी वर्ष के लिए गेहूं की एमएसपी में 3 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के मध्य इजाफा कर सकती है। अगर केंद्र सरकार ऐसा करती है, तो गेहूं का मिनिमम सपोर्ट प्राइस 2300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। हालांकि, वर्तमान में गेहूं की एमएसपी 2125 रुपए प्रति क्विंटल है। इसके अतिरिक्त सरकार मसूर दाल की एमएसपी में भी 10 प्रतिशत तक का इजाफा कर सकती है।

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यह निर्णय मार्केटिंग सीजन 2024- 25 के लिए लिया जाएगा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि सरसों और सूरजमुखी (Sunflower) की एमएसपी में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। दरअसल, ऐसी आशा है कि आने वाले एक हफ्ते में केंद्र सरकार रबी, दलहन एवं तिलहन फसलों की एमएसपी बढ़ाने के लिए स्वीकृति दे सकती है। मुख्य बात यह है, कि एमएसपी में वृद्धि करने का निर्णय मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए लिया जाएगा।

एमएसपी में समकुल 23 फसलों को शम्मिलित किया गया है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर केंद्र मिनिमम सपोर्ट प्राइस निर्धारित करती है। एमएसपी में 23 फसलों को शम्मिलित किया गया है। 7 अनाज, 5 दलहन, 7 तिलहन और चार नकदी फसलें भी शम्मिलित हैं। आम तौर पर रबी फसल की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर महीने के मध्य की जाती है। साथ ही, फरवरी से मार्च एवं अप्रैल महीने के मध्य इसकी कटाई की जाती है।

जानें एमएसपी में कितनी फसलें शामिल हैं

  • अनाज- गेहूं, धान, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी और जो
  • दलहन- चना, मूंग, मसूर, अरहर, उड़द,
  • तिलहन- सरसों, सोयाबीन, सीसम, कुसुम, मूंगफली, सूरजमुखी, निगर्सिड
  • नकदी- गन्ना, कपास, खोपरा और कच्चा जूट
केंद्र ने दिया किसानों को फसल के उचित मूल्य का उपहार

केंद्र ने दिया किसानों को फसल के उचित मूल्य का उपहार

आज सरकार ने किसानों को दिवाली का गिफ्ट देते हुए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी का ऐलान किया है। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया के साथ साझा की। अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार ने रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3 से लेकर 9 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की है। नई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी जारी कर दिया गया है। अनुराग ठाकुर ने बताया कि गेहूं की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 110 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है, जिसके बाद अब गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2125 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार से जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी 100 रुपये की वृद्धि की गई है। वृद्धि के बाद अब जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1635 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1735 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इन फसलों के साथ ही चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 105 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। अब चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 5335 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। चौथी फसल है मसूर, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है। मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जिसके बाद अब मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।


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इस लिस्ट में पांचवां नाम है सरसों का, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। अब न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से सरसों 5050 रुपये प्रति क्विंटल की जगह 5450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकेगा। सरसों के साथ ही सूरजमुखी के दाम में 209 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है। अब सूरजमुखी 5,441 रुपये प्रति क्विंटल की जगह पर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकेगा। इसके पहले खरीफ के सीजन को देखते हुए सरकार ने खरीफ की फसलों में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का ऐलान किया था। जिसके कारण सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य का बजट बढ़कर 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपये हो गया था। खरीफ की फसल में सरकार ने 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की थी। केंद्र सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की थी। जिसके बाद धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,040 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। धान के साथ ही तिल, तुअर और उड़द जैसी फसलों में भी 300 से लेकर 500 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई थी। अगर हम पिछले साल की रबी फसलों की बात करें तो पिछले साल भी सरकार ने सरसों और मसूर में सबसे ज्यादा 400-400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की थी। इनके अलावा गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की गई थी। पिछले साल सबसे कम बढ़ोत्तरी जौ के समर्थन मूल्य में की गई थी। यह मात्र 35 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी थी। पिछले साल जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1635 रुपये प्रति क्विंटल था। जौ के साथ चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 130 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई थी।
केंद्र सरकार की पहल से हर राज्य में किसानों को खरीफ बीज उपलब्ध कराया जाएगा

केंद्र सरकार की पहल से हर राज्य में किसानों को खरीफ बीज उपलब्ध कराया जाएगा

मौसम विभाग द्वारा मई माह में भारत के अंदर अलनीनो प्रभाव की आशंका जताई है। इससे विभिन्न स्थानों पर अत्यधिक बारिश तो कहीं सूखे की स्थिति बन सकती है। किसानों को सतर्क रहना बेहद आवश्यक है। रबी सीजन की फसल कटकर मंडी में पहुंच चुकी है। थोड़ी-बहुत जो फसल बच गई है। उसका कटान निरंतर चालू है। ऐसी स्थिति में किसानों ने हाल ही में खरीफ सीजन को लेकर तैयारियां चालू कर दी हैं। साथ ही, खेतों में बीजों की उपलब्धता एवं बुवाई से जुड़े सभी मामलों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के स्तर से कवायद की जा रही है। ताकि खेतों में बुवाई से संबंधित किसी प्रकार का संकट न खड़ा हो सके।

देश में अलनीनो का क्या असर हो सकता है

साथ ही, इस वर्ष भारत में अलनीनो का प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। प्रशांत महासागर में पेरू के समीप समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है। इसको हम ऐसे समझ सकते हैं, कि समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो परिवर्तन देखने को मिलते हैं। उस समुद्री घटना को अल नीनो कहा जाता है। सामान्य परिवर्तन होता है, तो समुद्र के तापमान में 2 से 3 डिग्री तक वृद्धि होती है। वहीं ज्यादा अल नीनो का असर दिखता है, तो तापमान 4-5 डिग्री या इससे और ज्यादा बढ़ सकता है। अल नीनो का प्रभाव विश्व भर में देखने को मिलता है। इससे बहुत सारे स्थानों पर सूखा, लू जैसी परिस्थितियां तो विभिन्न जगहों पर बारिश होने का अनुमान ज्यादा होता है। ये भी पढ़े: जानें इस साल मानसून कैसा रहने वाला है, किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा या नुकसानदायक

किसानों को खरीफ बीज मुहैय्या कराया जाएगा

केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है, कि मौसम की वजह से होने वाली प्रतिकूल परिस्थिति को लेकर राज्य सरकार हर स्तर पर तैयार रहें। कम बारिश होने की स्थिति में राज्यों में कृषकों के लिए बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। बतादें, कि राज्यों में बीज की उपलब्धता देखने, सिंचाई का मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है। इसी के आधार पर किसानों की सहायता की जा सकेगी।

कृषकों की आय में वृद्धि करने पर बल दिया जाए

खरीफ बुवाई सत्र 2023-24 को लेकर केंद्र सरकार तैयारी कर रही है। इसको लेकर हाल ही में एक सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि राज्यों को कृषि क्षेत्र में कच्चे माल की लागत में कटौती, उत्पादन और किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन दिया जाए। किसानों को गारंटीशुदा फायदे की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए।
आगामी रबी सीजन में इन प्रमुख फसलों का उत्पादन कर किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं

आगामी रबी सीजन में इन प्रमुख फसलों का उत्पादन कर किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं

किसान भाइयों जैसा कि आप जानते हैं, कि रबी सीजन की बुवाई का कार्य अक्टूबर से लेकर नवंबर माह तक किया जाता है। परंतु, उससे पूर्व किसान अपने खेतों में मृदा की जांच एवं संरक्षित ढांचे की तैयारी जैसे आवश्यक कार्य कर सकते हैं। भारत में जलवायु परिवर्तन की परेशानी बढ़ती जा रही है, जिसका सबसे बड़ा प्रभाव खेती पर पड़ रहा है। इस समस्या से निजात पाने के लिये आवश्यक है, कि मिट्टी और जलवायु के हिसाब से फसलें एवं इनकी मजबूत प्रजातियों का चुनाव किया जाये। इसके अतिरिक्त खेत की तैयारी से लेकर खाद-उर्वरकों की खरीद तक कई सारे ऐसे कार्य होते हैं, जिनका समय पर फैसला लेना आवश्यक होता है।

रबी सीजन की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है

सामान्य तौर पर
रबी सीजन की बुवाई का कार्य अक्टूबर से लेकर नवंबर तक किया जाता है। परंतु, उससे पूर्व किसान अपने खेतों में मिट्टी की जांच और संरक्षित खेती की तैयारी जैसे आवश्यक कार्य कर सकते हैं। इसके उपरांत मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार, खेतों में अनाज, दलहन, तिलहन, चारे वाली फसलें, जड़ और कंद वाली फसलें, सब्जी वाली फसलें, शर्करा वाली फसलें एवं मसाले वाली फसलों की खेती की जा सकती है। यह भी पढ़ें: जानें रबी और खरीफ सीजन में कटाई के आधार पर क्या अंतर है

रबी सीजन की प्रमुख अनाज फसलें

रबी सीजन की प्रमुख नकदी और अनाज वाली फसलों में गेहूं, जौ, जई आदि शम्मिलित हैं। किसान भाई इन फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं।

रबी सीजन की दलहनी फसलें

रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसलें प्रोटीन से युक्त होती हैं। इसका प्रत्येक दाना किसानों को अच्छी आमदनी दिलाने में सहायता करता है। इन फसलों में चना, मटर, मसूर, खेसारी इत्यादि दालें शम्मिलित हैं।

रबी सीजन की तिलहनी फसलें

तिहलनी फसलें तेल उत्पादन के मकसद से पैदा की जाती हैं, जिनसे किसानों को काफी अच्छी आमदनी होती है। रबी सीजन की प्रमुख तिलहनी फसलों में सरसों, राई, अलसी, तोरिया, सूरजमुखी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

रबी सीजन की चारा फसलें

पशुओं के लिए प्रत्येक सीजन में पशु चारे का इंतजाम होता रहे। इसी मकसद से चारा फसलों की बुवाई की जाती है। रबी सीजन की इन चारा फसलों में बरसीम, जई और मक्का का नाम शम्मिलित है।

रबी सीजन की मसाला फसलें

रबी सीजन के अंतर्गत कुछ मसालों की भी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इनमें मंगरैल, धनियाँ, लहसुन, मिर्च, जीरा, सौंफ, अजवाइन आदि सब्जियां शम्मिलित हैं।

रबी सीजन की प्रमुख सब्जी फसलें

अधिकांश किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर बागवानी फसलों की खेती करते हैं। विशेष रूप से बात करें सब्जी फसलों की तो यह कम समय में ज्यादा मुनाफा देती हैं। रबी सीजन की प्रमुख सब्जी फसलों में लौकी, करेला, सेम, बण्डा, फूलगोभी, पातगोभी, गाठगोभी, मूली, गाजर, शलजम, मटर, चुकन्दर, पालक, मेंथी, प्याज, आलू, शकरकंद, टमाटर, बैगन, भिन्डी, आलू और तोरिया आदि फसलें उगाई जाती हैं।
किसान भाई अपनी रबी फसलों का पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा कराऐं

किसान भाई अपनी रबी फसलों का पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा कराऐं

कृषक भाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फायदा उठाने के लिए यहां दी गई प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते हैं। यहां आवश्यक दस्तावेजों के बारे में बताया गया है, जिनकी सहायता से कृषक योजना का फायदा हांसिल कर सकते हैं। सरकार की तरफ से बहुत सारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनसे कृषकों को काफी फायदा हांसिल हो रहा है। इन्हीं में से एक योजना का नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) है। इस योजना के माध्यम से कृषकों को खड़ी फसलों को क्षति के विरुद्ध बीमा कवर प्रदान किया जाता है। योजना के अंतर्गत रबी फसलों के लिए बीमा कवर का प्रीमियम 1.5% प्रतिशत है। साथ ही, सरकार 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान करती है, जिसका मतलब ये है, कि कृषकों को महज 0.75% प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। वर्तमान में फसल बीमा सप्ताह चल रहा है। किसान भाई कवर लेने के लिए शीघ्रता से फसलों का बीमा करा लें।  

जानिए इसमें कौन-कौन से नुकसान कवर होते हैं

  • सूखा
  • बाढ़
  • ओलावृष्टि
  • चक्रवात
  • कीट
  • बीमारियां 


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कृषकों को क्या फायदा मिल सकेगा  

इसके अंतर्गत कृषकों को खड़ी फसलों की हानि के विरुद्ध वित्तीय सुरक्षा मुहैय्या की जाती है। साथ ही, ये कृषकों को अपनी आमदनी को बरकरार रखने एवं खेती जारी रखने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त ये कृषकों को आत्मनिर्भर करने में सहायता करता है। 

फसल बीमा हेतु आवश्यक दस्तावेज 

  • फसल बीमा का आवेदन फॉर्म
  • फसल बुआई का प्रमाण-पत्र
  • खेत का नक्शा
  • खेत का खसरा या बी-1 की प्रति
  • आधार कार्ड
  • बैंक खाता विवरण अथवा पासबुक
  • पासपोर्ट साइज फोटो


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आवेदन की क्या प्रक्रिया है 

स्टेप 1: सर्व प्रथम उम्मीदवार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://pmfby.gov.in/ पर जाएं।  स्टेप 2: इसके पश्चात उम्मीदवार होम पेज पर पंजीकरण करें।  स्टेप 3: फिर किसान भाई का पंजीकरण पूरा होने के बाद Apply as a Farmer के विकल्प को चुनना है।  स्टेप 4: इसके बाद एक ऑनलाइन फॉर्म मिल जाएगा, जहां मांगी गई सारी जानकारियां ठीक तरह से भरनी होंगी।  स्टेप 5: अब फॉर्म को भरने के बाद प्रीव्यू करें, जिससे गलतियों का पता चल सके।  स्टेप 6: फिर फॉर्म ठीक तरह से भरा गया है, तो दस्तावेज को अटैच करके सब्मिट कर दें।
बढ़ती ठंड के मौसम में फसलों पर लग रहे कीड़ों से कैसे बचाऐं फसल

बढ़ती ठंड के मौसम में फसलों पर लग रहे कीड़ों से कैसे बचाऐं फसल

सर्दियों के दिनों में भी फसलों पर कीड़ों का प्रभाव देखने को मिल सकता है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को कुछ आवश्यक बातों का खास ध्यान रखना पड़ेगा। बतादें, कि कुछ कृषकों का मानना है, कि सर्दियों के दौरान फसलों के अंदर कीट नहीं लगते हैं। परंतु, सच ये है कि सर्दी के मौसम में भी आपकी फसल पर कीड़े लग सकते हैं। कीड़ों से फल का संरक्षण करने के लिए आपको कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना पड़ेगा।


विशेषज्ञों के मुताबिक, सर्दी के दौरान फसलों में कीट लगने की दिक्कत एक सामान्य बात है। बतादें, कि इस समय तापमान कम होता है, इस कीटों के लगने की घटनाएं कम हो जाती हैं। परंतु, ये पूरी तरह से समाप्त नहीं होते हैं। कुछ कीड़े सर्दियों में भी फसल को काफी हानि पहुँच सकती है, जिनसे संरक्षण के लिए कृषक कुछ विशेष बातों का ध्यान रख सकते हैं।


किसान कृषि विशेषज्ञों की निगरानी में करें खेती 

सर्दियों के मौसम में किसान भाई फसलों की नियमित तौर पर निगरानी करें। कीट लगने के शुरुआती लक्षणों पर विशेष ध्यान दें। साथ ही, किसान रोग तथा कीटों के नियंत्रण के लिए आवश्यक कार्य करें। यदि आपके खेतों में खड़ी फसल में कीड़े लग गए हैं, तो आवश्यक कीटनाशकों का उचित समय पर उपयोग करें। बतादें, कि उन्हें उचित मात्रा में छिड़कें, जिसके लिए कृषक भाई कृषि विशेषज्ञों की सहायता ले सकते हैं। 


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किसान भाई क्या छिड़काव कर सकते है ?

विशेषज्ञों का कहना है, कि मौसम में परिवर्तन की वजह फसलों पर कीड़े लग सकते हैं। किसान भाई कीड़ों से सहूलियत पाने के लिए ट्राईकोडर्मा, हारजोनियम दवा का छिड़काव कर सकते हैं। कीड़े लगने से फसलों की पैदावार पर प्रभाव पड़ सकता है। कीटनाशक दवा का फसल पर छिड़काव करने से इस चुनौती को दूर किया जा सकता है। भारत में सर्दियों का मौसम अक्टूबर से लगाकर मार्च तक रहता है। ये तापमान रबी की फसलों के लिए अत्यंत अनुकूल होता है। रबी सीजन की प्रमुख फसलें बाजरा, मटर, सरसों, टमाटर, गेहूं, जौ और चना इत्यादि है ?