सुप्रीम कोर्ट - पराली जलाने वाले किसानों से एमएसपी पर नहीं खरीदी जाएगी फसल

जैसा कि आप सब जानते हैं, कि कोर्ट के आदेश के बावजूद भी पंजाब में पराली जलना बंद होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने काफी नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा है, कि जो कृषक पराली जला रहे हैं, उन्हें कोई आर्थिक फायदा क्यों मिलना चाहिए, जिन्होंने पराली जलाई है और रेड फ्लैग हैं, उन पर एफआइआर दर्ज होने एवं जुर्माना लगाने के अतिरिक्त ऐसे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के फायदों से वंचित किया जाना चाहिए। सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर झटका लगे।

सरकारें एक दूसरे पर आरोप मढ़ना बंद करें - SC 

कोर्ट ने पराली जलने से रोकने में पंजाब सरकार के रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब हरियाणा कर सकता है, तो पंजाब क्यों नहीं कर सकता। कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा है, कि वह अगली तारीख पर बताए कि उसने
पराली जलाने पर कितने कृषकों पर जुर्माना लगाया और उसमें से कितना वसूला गया। कोर्ट ने फिर कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने अथवा एक की दूसरे से तुलना नहीं की जानी चाहिए। केंद्र और राज्य को राजनीति भूल कर दीर्घकालिक हल ढूंढना चाहिए। ये टिप्पणियां, सुझाव और आदेश न्यायमूर्ति श्री संजय किशन कौल और  श्री सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान दिये।

ये भी पढ़ें:
पंजाब में पराली जलाने के मामलों ने तोड़ा विगत दो साल का रिकॉर्ड

पंजाब ने अपनी और से क्या कहा 

पंजाब ने कहा है, कि पूर्व की तुलना में पराली जलना काफी कम हुआ है। 984 एफआइआर दर्ज की गईं हैं। दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। खेत में पराली जलना रोकने के लिए उड़न दस्ते तैयार किए गए हैं। परंतु, लोग उन्हें पहुंचने नहीं देते, रास्ता बाधित किया जाता है। कानून व्यवस्था की भी समस्या हो रही है। इस पर पीठ ने कहा है, कि आदेश में एसएचओ को जिम्मेदार बनाया गया है। आप कानून व्यवस्था की बात नहीं कह सकते। इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पंजाब ने सिर्फ 6621 पर्यावरण क्षति पूर्ति लगाई हैं। पंजाब में 3415 चालान हुए और 86.8 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया गया और 473 एफआइआर दर्ज हुईं हैं।