मध्य प्रदेश की सिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ी योजन की शुरुआत की है. इस योजना के तहत किसानों के लिए सोलर पंप की सौगात दी है. सरकार की इस योजना के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है, कि किसान भाई बिजली कनेक्शन के बिना अपने खेतों की फसलों में सिंचाई कर सकें. बिजली की समस्या से राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्र के किसान परेशान हैं. बिजली ही एक मात्र ऐसा जरिया है, जिससे खेतों में पानी पहुंचाया जा सके. किसानों की इस समस्या को देखते हुए, सरकार ने नई योजना शुरू करके किसानों के लिए एक विकल्प तैयार कर दिया है. जिससे किसान खेतों में सोलर पंप की मदद सिंचाई करने का फायदा उठा रहे हैं.
बदल गयी सोलर पंप से तक़दीर
राज्य सरकार के मुताबिक 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप खेतों में लगाये जा चुके हैं. वहीं सरकार का लक्ष्य 60 हजार सोलर पंप लगाने का है. सबसे अहम बात यह है कि, इस योजना का फायदा उन किसानों को सबसे ज्यादा मिल रहा है, जिनके नदी, तालाब, नलकूप या फिर अन्य स्रोत में पानी था, लेकिन उस पानी का इस्तेमाल करने के लिए बिजली नहीं मिल पा रही थी. जो भी किसान भाई सरकार की सोलर पंप वाली योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड भोपाल में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए 5 हजार रुपये की धनराशी निर्धारित की गयी है. ऐसे में अगर किसी किसान का रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट होता है, तब किसान को पूरा अमाउंट लौटा दिया जाएगा.
सरकार देगी अनुदान
सोलर पंप के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक एचपी डीसी समर्सिबल पंप के लिए किसानों को सिर्फ 19 हजार रूपये देने होंगे. जिसके माध्यम से उन्हें करीब 30 हजार का फायदा दिया जाएगा.
बात दो एचपी डीसी सरफेस की करें तो, उसके लिए किसान को 23 हजार रुपये देने होंगे. दो एचपी डीसी समर्सिबल के लिए सिर्फ 25 हजार रुपये में किसान को सोलर पंप की सुविधा मिलेगी.
हिम ऊर्जा के रूफ टॉप पावर प्लांट स्थापना हेतु मिलेगा 40% प्रतिशत अनुदान
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा एक विशेष योजना जारी की गई है। इस योजना का नाम "सौर उत्पादक एवं अधिगम परियोजना" है। इस योजना के अंतर्गत, निजी एवं सरकारी संस्थानों की छत पर सोलर प्लांट स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के चलते सरकारी संस्थानों को 70% प्रतिशत तो वहीं निजी संस्थानों को 30% फीसद अनुदान मुहैय्या किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपने घर की छत पर 1 से 3 किलोवाट का पॉवर प्लांट स्थापित कर सकता है। इसके लिए हिमाचल सरकार भी 40% प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान करती है। इसके साथ ही, योजना के तहत स्थापित सोलर प्लांट की ऊर्जा उत्पादन भी उस संस्था हेतु निःशुल्क होती है, जिसमें वह लगवाई गई है।
यह भी पढ़ें :इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान
इस योजना का प्रमुख लक्ष्य है, कि हिमाचल प्रदेश के संस्थानों के तरफ से उत्पन्न विघुत खर्च कम किया जा सके। वह स्वतंत्र ऊर्जा के स्रोत का इस्तेमाल करके अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ती की सकें। यह योजना हिमाचल प्रदेश के लिए एक काफी बड़ी पहल है, जो कि स्वतंत्रता से विघुत उत्पादन करने में सहायक भूमिका निभाएगा।
किसान भाई अपनी भूमि पर सोलर ऊर्जा प्लांट स्थापित कर अच्छी आय कर सकते हैं
जानकारी के लिए बतादें, कि हिमाचल प्रदेश के अंदर हिम ऊर्जा का 250 से 5 मेघावाट का भूमि पर पॉवर प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट चालू किया गया है। इसके अंतर्गत 250 से 1 मेघावाट के प्रोजेक्ट हेतु कोई भी हिमाचली युवा इस प्रोजेक्ट को स्थापित कर सकते हैं। साथ ही, सरकार भी बिजली बेचकर काफी बेहतरीन आमदनी कर सकती है। इसके अतिरिक्त गैर हिमाचली भी 1 से 5 मेघावाट तक का हिम ऊर्जा का प्रोजेक्ट स्थापित कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि हिमाचल प्रदेश में उसकी स्वयं की भूमि हो अथवा लीज पर ली गई हो। इस प्रोजेक्ट में 1 मेघावाट तक का पॉवर प्लांट स्थापित करवाने हेतु न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के खर्चे की आवश्यकता होगी।
यह भी पढ़ें :किसान के खर्चो में कमी करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है सोलर एनर्जी पर निर्भरता
हिमाचल प्रदेश में समकुल कितने हिम ऊर्जा के प्रोजेक्ट हैं
हिमाचल प्रदेश में समकुल 330 MW का सोलर पॉवर प्रोजेक्ट चालू किया गया है। इनमें से 10 MW की लगवाने हेतु सोलन जनपद में, 100 MW का स्थापित करने ऊना जनपद में वहीं 210 MW की स्थापना कांगड़ा जनपद में की गई हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अपने अनुमति पत्र वापस लेने के उपरांत कुछ प्रोजेक्ट हेतु अधिकृत ठहराया है। बाकी प्रोजेक्ट भी चालू होने वाले हैं।
हिमाचल प्रदेश में सोलर ऊर्जा प्रोजेक्ट से होंगे काफी फायदे
सोलर पॉवर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के लिए काफी सहायक भूमिका निभा रहा है। इससे यहां की जनता के साथ सरकार को भी काफी फायदा पहुंच रहा है। जानकारी के लिए बतादें कि इससे रोजगार के विकल्प भी उत्पन्न हो रहे हैं। साथ ही, विघुत आपूर्ति में भी इजाफा हो रहा है। इसकी वजह से राज्य में निवेश भी काफी बढ़ रहा है। सोलर ऊर्जा के माध्यम से सड़कों एवं गलियों में विघुत तारों के जाल से निजात मिलती है। साथ ही, सबसे प्रमुख और विशेष बात यह है, कि सोलर ऊर्जा के माध्यम से जल और जलवायु संरक्षण में सहायता मिलती है। साथ ही, लोगों की जीवन शैली में भी काफी हद तक सुधार होता है।
सोलर पॉवर प्रोजेक्ट पर लगभग कितना खर्च हो सकता है
बतादें, कि सोलर पॉवर प्रोजेक्ट हेतु समकुल निवेश की गणना करना काफी मुश्किल है। हालाँकि, जानकारी साझा करते हुए हिमाचल प्रदेश हिमऊर्जा के प्रोजेक्ट मैनेजर विनीत सूद ने कहा है, कि प्रोजक्ट पर आने वाला खर्चा उसके आकार पर निर्भर करता है। यानी कि प्रोजेक्ट का आकार जितना होगा और इसकी जितनी क्षमता होगी उतना ही लागत पर खर्चा आयेगा। उन्होंने कहा है, कि 1 MW सोलर पॉवर प्रोजेक्ट के लिए समकुल निवेश तकरीबन 1 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस आधार पर यदि MW के आकार में इजाफा होता है, तो लागत में भी इजाफा हो जाता है।