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स्प्रिंकलर सिंचाई

राजस्थान के सीताराम सेंगवा बागवानी से कमा रहे हैं लाखों का मुनाफा

राजस्थान के सीताराम सेंगवा बागवानी से कमा रहे हैं लाखों का मुनाफा

पूरा विश्व आज जल के अभाव से प्रभावित है, किसानों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है। राजस्थान के ज्यादातर क्षेत्रों में जल की कमी के बावजूद भी कई किसान फसलों से अच्छी खासी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। इन किसानों में जोधपुर के सीताराम सेंगवा भी सम्मिलित हैं। ४२ वर्षीय सीताराम सेंगवा ने २२ की आयु से खेती शुरू कर एक बड़ी उपलब्धी हासिल की है। कृषि एवं बागवानी में नाम व धन अर्जन के बाद वो संतुष्ट हैं कि उन्होंने सरकारी नौकरी की जगह कृषि को प्राथमिकता दी है। किसान सीताराम सेंगवा खेती के लिए ड्रिपस्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से बूंद-बूंद जल का उपयोग कर उम्दा किस्म के पौधे तैयार कर रहे हैं। फिलहाल उनके द्वारा नर्सरी में तैयार उम्दा पौधे पुरे देश में लगाये जा रहे हैं। उनकी इस सफलता में भाकृअनुप - केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (ICAR – Central Arid Zone Research Institute) के वैज्ञानिकों का भी सहयोग रहा है। यही कारण है कि आज कृषि में मुनाफा एवं बागवानी का नुस्खा उपयोग कर सीताराम सेंगवा २० लाख वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं।


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सीताराम सेंगवा राजस्थान राज्य के जोधपुर जनपद की भोपालगढ़ तहसील के पालड़ी राणावतन गांव में कृषि कार्य कर रहे हैं। सीताराम सेंगवा ने २५ बीघा खेत के साथ बेहतरीन पौधों की नर्सरी स्थापित की है। वह अपनी पत्नी, बेटों एवं बेटियों के सहयोग से आज बेहतर आजीविका के लिए अच्छा मुनाफा कर पा रहे हैं। एक वक्त वह भी था जब विघालय से शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत उनके सारे मित्र सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गए थे। लेकिन सन २००१ में भी सीताराम ने खेती को ही प्राथमिकता दी थी। आज सीताराम सेंगवा २२ वर्ष की आयु से खेती के सफर में सफलता हासिल कर राज्य सरकार एवं वैज्ञानिकों से विभिन्न प्रकार के सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैं।

तरह तरह की किस्म के पौधे हैं सीताराम सेंगवा की नर्सरी में

सीताराम सेंगवा २०१८ से पूर्व केवल पारंपरिक खेती ही करते थे, लेकिन वर्ष २०१८ में काजरी की वैज्ञानिक अर्चना वर्मा के द्वारा बागवानी सम्बंधित प्रशिक्षण लेने के उपरांत नर्सरी का कार्य भी आरम्भ कर दिया था। कृषि के साथ-साथ नर्सरी प्रबंधन में वैज्ञानिक तकनीकों की सहायता से सीताराम सेंगवा ने हजारों उम्दा किस्म के पौधे तैयार किए। आज उनकी नर्सरी में चंदन के २ हजार, शीशम के ३ हजार, बेर के १० हजार, ताइवान पपीते के ५ हजार, सहजन के १० हजार, आंवला के ३ हजार, अमरूद के २५००, अनार के ३ हजार, गोभी के २० हजार, टमाटर के २० हजार, बैंगन के २० हजार, खेजड़ी के ७ हजार, गूगल धूप के १५००, करोंदा के २ हजार, नीम के २ हजार, मालाबार नीम के ५ हजार एवं नींबू के ५ हजार उम्दा किस्म के पौधे बिक्री हेतु उपलब्ध हैं। उन्नत बीजों से उत्पादित ये पौधे ही सीताराम सेंगवा के सफल होने की वजह हैं। यही वजह है कि पिछले वर्ष उन्होंने ७० से ८० हजार पौधे विक्रय किये हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा एवं राजस्थान के जालौर, सीकर,जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर व बालोतरा के किसान भी बेहतरीन किस्म के पौधे खरीदने के लिए आते रहते हैं। सीताराम सेंगवा केवल उम्दा किस्म के पौधे उत्पादित करने के साथ साथ ही होम डिलीवरी की माध्यम से लेने वाले के पास भी पहुँचाते हैं।


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सीताराम सेंगवा ने स्वयं आत्मनिर्भर बन अन्य किसानों के लिए भी रोजगार का अवसर प्रदान किया

सीताराम सेंगवा कृषि एवं बागवानी के माध्यम से आत्मनिर्भर बन पाए हैं, साथ ही गांव के कई किसानों व महिलों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में उनका यह सफर बेहद संघर्षमय एवं चुनौतीपूर्ण रहा है। खेती में सीताराम सेंगवा के सराहनीय योगदान के लिए काजरी संस्थान ने उनकी सराहना करते हुए सम्मानित किया है। विभिन्न उपलब्धियां हासिल करने के उपरांत सीताराम को गर्व है कि वह एक सफल किसान हैं। सीताराम कहते हैं कि उनके अधिकतर मित्रगण सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं, लेकिन वे मेरे कार्य की काफी सराहना करते हैं। सीताराम के मित्रों का कहना है कि सीताराम द्वारा खेती करने का निर्णय सही व उत्तम था। साथ ही, सीताराम का भी यही मत है कि नौकरी की अपेक्षा उनके द्वारा कृषि को प्राथमिकता देना बेहतरीन निर्णय था।
ड्रिप सिंचाई यानी टपक सिंचाई की संपूर्ण जानकारी

ड्रिप सिंचाई यानी टपक सिंचाई की संपूर्ण जानकारी

किसान भाइयों आपको यह जानकर अवश्य आश्चर्य होगा कि हमारे देश में पानी का सिंचाई 85 प्रतिशत हिस्सा खेती में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बावजूद हमारी खेती 65 प्रतिशत भगवान भरोसे रहती है यानी बरसात पर निर्भर करती है। 

कहने का मतलब केवल 35 प्रतिशत खेती को सिंचाई के लिए पानी मिल पाता है। अब तेजी से बढ़ रहे औद्योगीकरण व शहरी करण से खेती के लिए पानी की किल्लत रोज-ब-रोज बढ़ने वाली है। इसलिये सरकार ने जल संरक्षण योजना चला रखी है। 

हमें पानी की ओर से सतर्क हो जाना चाहिये। इसके अलावा जिन किसान भाइयों को नकदी एवं व्यावसायिक फसलें लेनी होतीं हैं उन्हें पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। 

परम्परागत सिंचाई के साधनों नहरों, नलकूपों, कुएं से सिंचाई करने से 30 से 35 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है। वैज्ञानिकों ने फल, सब्जियों व मसाला वाली उपजों की सिंचाई के लिए ड्रिप का विकल्प खोजा है, इसके अनेक लाभ हैं। आइये ड्रिप इरिगेशन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

ड्रिप सिंचाई क्या है? drip irrigation meaning in hindi?

ड्रिप सिंचाई एक ऐसा सिस्टम है जिससे खेतों में पौधों को करीब से उनकी जड़ों तक बूंद-बूंद करके पानी पहुंचाने का काम करता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि कम पानी में अधिक से अधिक फसल को सिंचित करना है। 

ड्रिप इरिगेशन में कुएं से पानी निकालने वाले मोटर पम्प से  हेडर असेम्बली के माध्यम से मेनलाइनव सबमेन को पॉली ट्यूब से जोड़कर खेतों को आवश्यकतानुसार पानी पहुंचाया जाता है, जिसमें पौधों की दूरी के हिसाब से पानी को टपकाने के छिद्र बने होते हैं। उनसे पौधों की सिंचाई की जाती है। 

इसके अलावा खेत में खाद डालने के लिए भी इस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। हेडर असेम्बली में बने टैंक में पानी में खाद डाल दी जाती है। 

जो पाइपों के सहारे पौधों की जड़ों तक पहुंच जाती है। इससे खेती बहुत अच्छी होती है और किसान भाइयों को इससे अनेक लाभ मिलते हैं।  

ड्रिप सिंचाई के सिस्टम में कौन-कौन से उपकरण होते हैं? 

किसान भाइयों यह ऐसा सिस्टम है कि खेत में फसल के समय पौधों के किनारे-किनारे इसके पाइपों को फैला दिया जाता है और उससे पानी दिया जाता है। 

फसल खत्म होने या गर्मी अधिक होने पर इस सिस्टम को समेट कर छाया में साफ सफाई करके सुरक्षित रख दिया जाता है। आइये जानते हैं कि ड्रिप सिंचाई का चित्र कसे होता है और इसमें कौन-कौन से उपकरण होते हैं।

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ड्रिप सिंचाई का चित्र  


हेडर असेम्बली : हेडर असेम्बली से पानी की गति को नियंत्रित किया जाता है। इसमें बाईपास, नॉन रिटर्न वाल्व, एयर रिलीज शामिल होते हैं।

फिल्टर्स : जैसा नाम से ही पता चलता है कि यह पानी को फिल्टर करता है। इन फिल्टर्स में स्क्रीन फिल्टर, सैंड फिल्टर, सैंड सेपरेटर, सेटलिंग टैंक आदि छोटे-छोटे उपकरण होते हैं। 

पानी में रेत अथवा मिट्टी का फिल्टर करने के लिए हाइड्रोसाइक्लोन फिल्टर का उपयोग किया जाता है। पानी में काई, पौधों के सड़े हुए पत्ते, लकड़ी व महीन कचरे की सफाई के लिए सैंड फिल्टर का प्रयोग किया जाना चाहिये। 

यदि पानी साफ दिख रहा हो तब भी उसके तत्वों के शुद्धिकरण के लिए स्क्रीन फिल्टर का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।

खाद व रसायन देने के उपकरण: ड्रिप इरिगेशन द्वारा उर्वरकों व खादों को इस सिस्टम में लगे वेंचूरी और फर्टिलाइजर टैंक से पौधों तक पहुंचाया जाता है। वेंचूरी दाब के अंतर पर चलने वाला उपकरण है। 

खाद व रसायन इसके द्वारा उचित ढंग से दिये जा सकते हैं। इस सिस्टम से खाद व रसायन को घोल कर पानी में इसकी स्पीड के अनुसार डाले जाते हैं। 

इस सिस्टम से एक घंटे में 60 से 70 लीटर की गति से खाद व रसायन दिये जा सकते हैं। फर्टिलाइजर टैंक में घुली हुई खाद को भर कर प्रेशर कंट्रोल करके सिस्टम में डाल दी जाती है, जो पाइपों के माध्यम से पौधों तक पहुंचती है।

मेन लाइन: मेन लाइन पम्प से सबमेन यानी खेत में लगे पाइपों तक पानी पहुंचाने का काम करती है।

सब मेन: सबमेन ही पौधों तक पहुंचाने का एक उपकरण है। मेनलाइन से पानी लेकर सबमेन लिटरल या पॉलीट्यूब तक पानी पहुंचाती है। ये पीवीसी या एचडीपीपीई पाइप की होती है। 

सबमेन को जमीन के अंदर कम से कम डेढ़ से दो फीट की गहराई पर रखते हैं। इसमें पानी की स्पीड और प्रेशर कंट्रोल करने के लिए शुरू में वॉल्व और आखिरी में फ्लश वॉल्व लगाया जाता है।

वाल्व: पानी की स्पीड यानी गति और प्रेशर यानी दबाव को कंट्रोल करने के लिए सबमेन के आगे वॉल्व लगाये जाते हैं। सबमेन के शुरू में एयर रिलीज और वैक्यूम रिलीज लगाये जाने जरूरी होते हैं। इनके न लगाने से पम्प बंद करने के बाद हवा से मिट्टी धूल आदि अंदर भर जाने से ड्रिपर्स के छिद्र बंद हो सकते हैं।

लेटरल अथवा पॉली ट्यूब

सबमेन का पानी पॉलीट्यूब द्वारा पूरे खेत में पहुंचाया जाता है। प्रत्येक पौधे के पास आवश्यकतानुसार पॉलीट्यूब के ऊपर ड्रिपर लगाया जाता है। लेटरल्स एलएलडीपीई से बनाये जाते हैं।

एमीटर्स या ड्रिपर: ड्रिप इरिगेशन का यह प्रमुख उपकरण है। ड्रिपर्स का ऑनलाइन या इनलाइन की प्रति घंटे की स्पीड और संख्या की अधिकतम जरूरत के अनुसार निश्चित किया जाता है। 

ऊबड़-खाबड़ वाली जमीन पर कॉम्पनसेटिंग ड्रिपर्स लगाये जाते हैं। मिनी स्प्रिंकलर या जेट्स ऐसा उपकरण है जिसे एक्सटेंशन ट्यूब की सहायता से पॉलीट्यूब पर लगाया जा सकता है।

ड्रिप इरिगेशन से मिलने वाले लाभ


पहला लाभ यह होता है कि इस सिंचाई से बंजर, ऊसर, ऊबड़-खाबड़ वाली जमीन, क्षारयुक्त, शुष्क खेती वाली, पानी के कम रिसाव वाली और अल्प वर्षा की खारी एवं समुद्र तटीय जमीन पर भी फसल उगाई जा सकती है।

ड्रिप सिंचाई से पेड़-पौधों को रोजाना पर्याप्त पानी मिलता है। फसलों की बढ़ोत्तरी और पैदावार दोनों में काफी बढ़ोत्तरी होती है।

ड्रिप सिंचाई से फल, सब्जी और अन्य फसलों की पैदावार में 20 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।

इस तरह की सिंचाई में एक भी बूंद बरबाद न होने से 30 से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। इससे किसान भाइयों का पैसा बचता है और भूजल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।

फर्टिगेशन में ड्रिप सिंचाई अत्यधिक कारगर है। इस सिंचाई से उर्वरकों व रासायनिकों के पोषक तत्व सीधे पौधों के पास तक पहुंचते हैं। 

इससे खाद व रासायनिक की 40 से 50 प्रतिशत तक बचत होती है। महंगी खादों में यह बचत किसान भाइयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

खरपतवार नियंत्रण में भी यह सिंचाई प्रणाली फायदेमंद रहती है। पौधों की जड़ों में सीधे पानी पहुंचने के कारण आसपास की जमीन सूखी रहती है जिससे खरपतवार के उगने की संभावना नही रहती है।

ड्रिप इरिगेशन प्रणाली से सिंचाई किये जाने से पौधे काफी मजबूत होते है। इनमें कीट व रोग आसानी से नहीं लगते हैं। इससे किसान भाइयों को कीटनाशक का खर्चा कम हो जाता है।

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किस तरह की खेती में अधिक लाभकारी है ड्रिप सिंचाई

ड्रिप इरिगेशन सब्जियों व फल तथा मसाले की खेती के लिए अधिक लाभकारी होती है। इस तरह की सिंचाई उन फसलों में की जाती है जो पौधे दूर-दूर लाइन में लगाये जाते हैं।गेहूं की फसल में यह सिंचाई कारगर नहीं है

कैसे किया जाता है ड्रिप सिंचाई सिस्टम का मेंटेनेंस

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का रखरखाव यानी मेंटेनेंस बहुत आवश्यक है। इससे यह सिस्टम 10 साल तक चलाया जा सकता है।

रोजाना पम्प को चालू करने के बाद प्रेशर के ठीक होने के पर सैंडफिल्टर, हायड्रोसाइक्लोन को चेक करते रहना चाहिये। समय-समय पर इन फिल्टर्स की साफ सफाई करते रहना चाहिये।

खेतों में पाइप लाइन की जांच पड़ताल करनी चाहिये। मुड़े पाइपों को सीधा करें। टूटे-फूटे पाइपों की मरम्मत करें या बदलें।

पाइपों में जाने वाले पानी का प्रेशर देखें, उसे नियंत्रित करें ताकि पूरे खेत में पानी पहुंच सके। ड्रिपर्स से गिरने वाले पानी को देखें कि पानी आ रहा है या नहीं।

लेटरल यानी इनलाइन के अंतिम छोर पर लगे फ्लश वॉल्व को खोलकर थोड़ी देर तक पानी को गिरायें।

खेत में पानी की सिंचाई हो जाने के बाद लेटरल या पॉली ट्यूब को समेट कर छाया में रख दें।

समय-समय पर हेडर असेम्बली की चेकिंग करके छोटी-मोटी कमियों को दूर करते रहना चाहिये। इससे सिस्टम की मरम्मत में बहुत कम खर्चा आयेगा।

सब्सिडी मिलती है

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम थोड़ा महंगा है। छोटे किसानों की क्षमता से बाहर की बात है। देश में आज भी 75 प्रतिशत छोटे किसान हैं। इन्ही छोटे किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने की जरूरत है।

भारत सरकार द्वारा छोटे किसानों की मदद के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई गयी है। इसके तहत छोटे किसानों को ड्रिप सिंचाई सिस्टम को खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाती है। 

जानकार लोगों का कहना है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला किसानों को 60 से 65 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है जबकि सामान्य किसानों 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।  

केन्द्र सरकार की यह योजना पूरे देश में लागू है लेकिन प्रत्येक राज्य अपने-अपने नियम कानून के अनुसार इसे लागू  करते हैं। 

इसलिये किसान भाई अपने-अपने राज्य के संबंधित विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर पूरी जानकारी लेकर लाभ उठायें।

ड्रिप सिंचाई सिस्टम की लागत

अनुभवी किसानों या खरीदने वाले किसानों से मिली जानकारी के अनुसार यह सिस्टम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 1.25 से लेकर 1.50 लाख रुपये तक में आता है। 

इसमें पाइप की आईएसआई मार्का व क्वालिटी के कारण अंतर आता है। इसमें 50 प्रतिशत तक अनुदान मिल सकता है।

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

नई दिल्ली। - लोकेन्द्र नरवार देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं संचालित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली कैबिनेट में देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसानों व कृषि के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाई गईं हैं। इन योजनाओं के जरिए फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ किसानों को आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है। इसके अलावा देश के किसानों को अपना फसल उत्पादन बेचने के लिए एक अच्छा बाजार प्रदान किया जा रहा है। किसानों के लिए चलाई जा रहीं तमाम कल्याणकारी योजनाओं में समय के साथ कई सुधार भी किए जाते हैं। जिनका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को ही फायदा मिलता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर - ICAR) द्वारा ''आजादी के अमृत महोत्सव'' पर एक पुस्तक का विमोचन किया है। इस पुस्तक में देश के 75000 सफल किसानों की सफलता की कहानियों को संकलित किया गया है, जिनकी आमदनी दोगुनी से अधिक हुई है।


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आइए जानते हैं किसानों के लिए संचालित हैं कौन-कौन सी योजनाएं....

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ( PM-Kisan Samman Nidhi ) - इस योजना के अंतर्गत किसानों के खाते में सरकार द्वारा रुपए भेजे जाते हैं। ◆ ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई योजना - इस योजना के माध्यम से किसान पानी का बेहतर उपयोग करते हैं। इसमें 'प्रति बूंद अधिक फसल' की पहल से किसानों की लागत कम और उत्पादन ज्यादा की संभावना रहती है। ◆ परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY)) - इस योजना के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (पीएम-केएमवाई) - इस योजना में किसानों को वृद्धा पेंशन प्रदान करने का प्रावधन है। ◆ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) - इस योजना के अंतर्गत किसानों की फसल का बीमा होता है। ◆ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) - इसके अंतर्गत किसानों को सभी रबी की फसलों व सभी खरीफ की फसलों पर सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य प्रदान किया जाता है। ◆ मृदा स्वास्थ्य कार्ड- (Soil Health Card Scheme) इसके अंतर्गत उर्वरकों का उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जाता है। ◆ कृषि वानिकी - 'हर मोड़ पर पेड़' की पहल द्वारा किसानों की अतिरिक्त आय होती है। ◆ राष्ट्रीय बांस मिशन - इसमें गैर-वन सरकारी के साथ-साथ निजी भूमि पर बांस रोपण को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्धन, उत्पाद विकास और बाजारों पर जोर देने के लिए काम होता है। ◆ प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण - इस नई नीति के तहत किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराने का प्रावधान है। ◆ एकीकृत बागवानी विकास मिशन - जैसे मधुमक्खी पालन के तहत परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आमदनी के अतिरिक्त स्त्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि होती है। ◆ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) - इसके अंतर्गत कृषि फसलों के साथ-साथ डेयरी और मत्स्य पालन के लिए किसानों को उत्पादन ऋण मुहैया कराया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY))- इसके तहत फसल की सिंचाई होती है। ◆ ई-एनएएम पहल- यह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म के लिए होती है। ◆ पर्याप्त संस्थागत कृषि ऋण - इसमें प्रवाह सुनिश्चित करना और ब्याज सबवेंशन का लाभ मिलता है। ◆ कृषि अवसंरचना कोष- इसमें एक लाख करोड़ रुपए के आकार के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। ◆ किसानों के हित में 10 हजार एफपीओ का गठन किया गया है। ◆ डिजिटल प्रौद्योगिकी - कृषि मूल्य श्रंखला के सभी चरणों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग पर जरूर ध्यान देना चाहिए  
स्प्रिंकल सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान दे रही है सरकार

स्प्रिंकल सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान दे रही है सरकार

खरीफ फसलों के समय के गुजरने के बाद रबी फसलों की तैयारी शुरू हो जाती है, खरीफ की फसलों की अपेक्षा में रबी फसलों को जल की आवश्यकता कम मात्रा में होती है, 

इसलिए सरकार किसानो को स्प्रिंकल सिंचाई (Irrigation sprinkler यानि सिंचाई छिड़काव या बौछारी सिंचाई या फव्वारा सिंचाई) के लिए प्रोत्साहन दे रही है। स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से किसान अपनी फसल में कम जल खर्च करके अधिक पैदावार कर सकते हैं।

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जल के अतिदोहन को रोकने एवं फसलों में बेहतर रूप से सिंचाई करने के लिए सरकार किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है। 

भारत में आज भी ज्यादातर किसानों के पास स्प्रिंकलर सिंचाई के उपकरण खरीदने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं है। पी एम कृषि सिंचाई योजना के तहत यह अनुदान देने की घोषणा की गयी है।   

ड्रिप सिंचाई सिस्टम

पी एम कृषि सिंचाई योजना से मिलेंगे यह लाभ

पी एम कृषि सिंचाई योजना से किसानों को सिंचाई सम्बंधित पूरी मदद और सलाह सरकार द्वारा दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत ही किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए अनुदान दिया जा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से ही अपनी रबी की फसलों की सिंचाई करें। 

सरकार की यह योजना अत्यधिक जल खपत को कम करने के साथ साथ किसानों की पैदावार भी बेहतर करना चाहती है। पी एम कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को सिंचाई के लिए काफी सहायता मिलती है, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसे सिंचाई के माध्यम से रबी की फसलों में बेहतर तरीके से सिंचाई की जा सकेगी।

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स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए कितना अनुदान मिलेगा

पी एम कृषि सिंचाई योजना के तहत बिहार कृषि विभाग, उघान निदेशालय ( बिहार हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ) किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए ९० प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान कर रही है। 

 किसान जनपद के समीप किसी भी उघान विभाग के कार्यालय में जाकर योजना सम्बंधित सहायता ले सकते हैं। स्प्रिंकलर पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए https://www.pmksy.gov.in/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

स्प्रिंकलर सिंचाई कौन सी फसलों के लिए बेहतर है, इसके क्या लाभ हैं

स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से चाय, आलू, प्याज, धान, गेंहू और सब्जी की फसलों में सिंचाई की जाती है। स्प्रिंकलर सिंचाई बेहद ही अच्छी और फायेमंद तकनीक है, 

इसकी सहायता से जल की बर्बादी रोकने के साथ साथ कीटनाशक दवाओं का भी फसल में छिड़काव किया जा सकता है। अत्यधिक जल की वजह से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसमें स्प्रिंकलर सिंचाई बेहद सहायक होती है।

दिवाली और महापर्व छठ पर बिहार सरकार ने दिया अनोखा गिफ्ट, खुल रहे हैं इतने नए कृषि कॉलेज!

दिवाली और महापर्व छठ पर बिहार सरकार ने दिया अनोखा गिफ्ट, खुल रहे हैं इतने नए कृषि कॉलेज!

दिवाली और महापर्व छठ के अवसर पर बिहार सरकार ने बिहार वासियों के लिए बहुत बड़ी सौगात दी है। कृषि के क्षेत्र में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने नए कृषि महाविद्यालय खोलने का मन बना लिया है। एक्सपर्ट का मानना है की इस तरह के फैसले से बिहार के कृषि जगत में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत का कहना है की नए कृषि महाविद्यालय के खुलने से कृषि के क्षेत्र में क्रांति आएगी। कुमार सर्वजीत के अनुसार, कृषि महाविद्यालय के खुलने से जमीनी स्तर पर भारी बदलाव देखने को मिलेगा और साथ ही साथ अगले कुछ वर्षों में बिहार राज्य कृषि के क्षेत्र मे अग्रसर होगा। इससे लोगों को कृषि से जुड़ी हुई शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी जिससे किसान सफलतापूर्वक खेती करने में सक्षम हो पाएंगे। बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जो मुख्य रूप से कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है। बिहार में लगभग 1.5 करोड़ किसान हैं, यदि ये किसान आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती करना नहीं जानते हैं, तो वे प्रगति नहीं कर सकते। बिहार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि राज्य में उगाई जाने वाली फसलें उच्च कोटि की और सुरक्षित हों।


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कुमार सर्वजीत ने कहा कि जरूरत के मुताबिक नए कॉलेज खोले जाएंगे और छात्र अपनी जरूरत के हिसाब से बेहतरीन कॉलेज ढूंढ सकेंगे। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने अपने विभागीय अधिकारियों से चर्चा करते हुए यह निर्देश भी दिया की जल्द से जल्द कृषि महाविद्यालय खोलने हेतु जगह का चयन किया जाए, साथ ही कृषि उन्नति के लिए हर तरह की संभावनाओं को तलाश किया जाए।

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का मिलेगा भरपूर लाभ

सरकार पारंपरिक कृषि आधारित शिक्षा के तरीके को बदलना चाहती है ताकि भविष्य में किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का लाभ उठा सके. सरकार का यह कदम बिहार के विकास मे काफ़ी मदगार साबित होने वाला कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों मे कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दूसरी तरफ दक्षिण बिहार में सरकार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाने की तैयारी कर रही है, जिससे इस क्षेत्र के किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से लाभान्वित हो सकेंगे।


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दक्षिण बिहार के जिलों में वाटरशेड उन्नत करने पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों की परेशानी दूर करने के लिए डिजिटल कृषि की शुरुआत करने की भी बात हो रही है। इससे कृषि से जुड़ी सभी सुविधाएं डिजिटल युग के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्री ने तय समय में समस्याओं के समाधान के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।

इन संकायों में कृषि अध्ययन

उपहार में देश के तहत कृषि अनुसंधान संस्थान बिहार कृषि विश्वविद्यालय, मीठापुर परिसर में कृषि व्यवसाय नियंत्रण महाविद्यालय, बिहार कृषि महाविद्यालय के तहत सबौर, भागलपुर में एक कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आरा, भोजपुर में कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज एक नजर चल रहा है। इसके अलावा राजेंद्र प्रसाद प्राथमिक कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अंतर्गत पंडित दीन दयाल उपाध्याय उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय मोतिहारी संचालित है। आपको हम याद दिला दें कि धनतेरस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सूखा पीड़ित किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सीएम नीतीश ने घोषणा की है कि इस साल छठ पूजा से पहले सूखे से प्रभावित हर किसान परिवार के खाते में 3500 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाएगी। पहले चरण में सीएम नीतीश ने कहा था कि जिलों को 500 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। सूखाग्रस्त फंड देने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक जिले के डीएम के साथ आमने-सामने वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान सीएम ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि छठ पूजा से पहले सभी किसान परिवारों के खातों में 3500 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाए। गौरतलब है की सरकार बदलते ही बिहार के कृषि जगत मे भारी बदलाव दिखने को मिल रहा है। आधुनिक रूप से कृषि को बढ़ावा देने के साथ ही बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ बिहार के कायाकल्प की तैयारी की जा रही है।