महाराष्ट्र के दो किसान भाइयों ने अनार उगाकर कमाए लाखों रुपये, विदेश में हो रहा फलों का निर्यात
अनार एक महत्वपूर्ण फसल है। जिसका उत्पादन ज्यादातर महाराष्ट्र में किया जाता है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और गुजरात में भी अनार के छोटे बगीचे देखे जा सकते हैं। यह बेहद स्वादिष्ट होता है तथा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इसे लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जाता है। इन दिनों अनार उगाने के मामले में महाराष्ट्र के सातारा जिले के वाठार निंबालकर गांव के दो भाइयों की चर्चा जोरों पर हो रही है। दोनों भाइयों ने कड़ी मेहनत से अपने खेतों में अनार की खेती की है और अब वो अनार का निर्यात विदेशों में भी कर रहे हैं। जिससे उन्हें भरपूर फायदा हो रहा है। गर्मियों के मौसम में दोनों भाइयों के लिए अनार लाल सोना साबित हो रहा है। बताया जा रहा है कि अमोल अहिरकर और चंद्रकांत अहिरकर ने 20 एकड़ जमीन में अनार के पेड़ लगाए थे। अब अनार के पेड़ फल देने लगे हैं और गर्मियों के मौसम में जमकर उत्पादन हो रहा है। अहिरकर बंधुओं ने बताया है कि वो इस बाग से हर साल 80 से 90 लाख रुपये तक का अनार मंडी में बेंच लेते हैं। इसके साथ ही वो अनार का विदेशों में भी निर्यात करते हैं। जहां से उन्हें ज्यादा अच्छे दाम प्राप्त होते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 42 एकड़ कृषि भूमि है। जिसमें से मात्र 20 एकड़ भूमि पर अनार की खेती की जा रही है। जबकि बाकी बची हुई जमीन पर गन्ने की खेती की जा रही है। अभी फिलहाल 20 एकड़ जमीन पर उन्होंने 5500 अनार के पेड़ लगाए हुए हैं।ये भी पढ़ें: विदेश से नौकरी छोड़कर आया किसान अनार की खेती से कमा रहा करोड़ों अमोल अहिरकर और चंद्रकांत अहिरकर ने बताया कि उनके बागों के अनार नेपाल, बांग्लादेश और ईरान में निर्यात किए जाते हैं। इन देशों में महाराष्ट्र के अनार की भारी मांग रहती है। अहिरकर बंधुओं ने सबसे पहले साल 1996 में अपनी पुश्तैनी डेढ़ एकड़ जमीन पर अनार की खेती शुरू की थी। उन्होंने पहले साल ही बेजोड़ मेहनत की थी जिसके बदौलत उन्हें लाखों रुपये का मुनाफा हुआ। पहले उनके पास मात्र डेढ़ एकड़ जमीन ही थी। लेकिन दोनों भाई कड़ी मेहनत और अनार की खेती करके 42 एकड़ जमीन के मालिक बनने में कामयाब रहे। भविष्य में अहिरकर बंधु और बड़ी जमीन पर खेती करना चाहते हैं। अहिरकर बंधुओं की मेहनत को देखकर कई बार बड़े-बड़े नेता भी प्रभावित हो चुके हैं। कुछ साल पहले तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने अहिरकर बंधुओं की अनार की खेती की तारीफ की थी। अनार सब-ट्रॉपिकल जलवायु का पेड़ है। जो अर्ध शुष्क जलवायु में तेजी से ग्रोथ दिखाता है। अनार के फलों के विकास एवं पकने के लिए गर्म एवं शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है। 38 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान अनार की खेती के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। सुपर भगवा, ज्योति, मृदुला, अरक्ता और कंधारी अनार की बेहतरीन किस्में है। जिनका उपयोग करके किसान भाई ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। अनार के पेड़ों को कलमों के द्वारा लगाया जाता है। इसके लिए एक साल पुरानी शाखाओं से 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी कलमें काटकर पौधशाला में लगा दी जाती हैं। इसके बाद उन्हें खेत में रोप दिया जाता है। अगर कलमों को लगाने के पहले उन्हें 3000 पी.पी.एम. से उपचारित किया जाता है, तो जड़ें तेजी से निकलती हैं और ज्यादा संख्या में निकलती हैं। अहिरकर बंधुओं से प्रेरित होकर देश के ने किसान भी अपनी जमीन पर अनार या अनार जैसा मुनाफा देने वाले किसी अन्य फल की खेती कर सकते हैं। जिससे भविष्य में उन्हें बम्पर लाभ प्राप्त हो सकता है