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1 एकड़ में 55 टन, इस फसल की खेती करने वाले किसान हो जाएंगे मालामाल

1 एकड़ में 55 टन, इस फसल की खेती करने वाले किसान हो जाएंगे मालामाल

भारत में गन्ने की खेती काफी मात्रा में होती है। गन्ना की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। भारत के कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की एक नई किस्म विकसित की है। इस नई किस्म से किसानों को काफी फायदा होगा। ऐसा माना जा रहा है कि अगर इस किस्म से गन्ने का उत्पादन किया जाये, तो पहले की अपेक्षा काफी ज्यादा उत्पादन होगा। इस खबर से गन्ने की खेती करने वाले किसानो के बीच काफी खुशी की लहर है। खास बात यह है कि गन्ने की इस नई किस्म का नाम Co86032 है, यह कीट प्रतिरोधी है। इस नई गन्ने की खेती करने वाले किसानों के बीच काफी उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) राज्य की केरल मिशन परियोजना ने गन्ने की किस्म Co86032 को परखा है। Co86032 की खासियत यह है कि इसे सिंचाई की कम जरूरत पड़ेगी, यानी गन्ने की Co86032 किस्म कम पानी में तैयार हो जाती है। साथ ही यह कीटों के हमले के खिलाफ लड़ने में ज्यादा लाभ दायक है, क्योंकि इसमें प्रतिरोधक क्षमता अधिक मात्रा मे पाई जाती है, साथ ही इससे अधिक उपज किसानों को मिलेगा। वहीं, परखे हुए अधिकारियों ने बताया कि सस्टेनेबल गन्ना पहल (एसएसआई) के जरिए साल 2021 में एक पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था। दरअसल, एसएसआई गन्ने की खेती की एक ऐसी विधि है जो कम संसाधन, कम बीज, कम पानी एवं कम से कम खाद का प्रयोग होता है।


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एसएसआई का उद्देश्य कम संसाधन कम लागत मे खेती के उपज को बढ़ाना है

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने के ठूंठ का उपयोग करके Co86032 किस्म की खेती की जाती थी। लेकिन पहली बार गन्ने की पौध का इस्तेमाल खेती के लिए किया गया है। तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ने गन्ने की खेती के लिए एसएसआई पद्धति पहले ही लागू कर दी है। नई एसएसआई खेती पद्धति का उद्देश्य किसानों की कम लागत पर अच्छी उपज बढ़ाना है।

5,000 पौधे की ही जरूरत पड़ेगी

मरयूर के एक किसान विजयन की जमीन पर पहले इस प्रोजेक्ट को लागू किया गया था। इस प्रोजेक्ट की सफलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक एकड़ भूमि में 55 टन गन्ना प्राप्त हुआ है। ऐसे एक एकड़ में औसत उत्पादन 40 टन होता है और इसे प्राप्त करने के लिए 30,000 गन्ना स्टंप की आवश्यकता होती है। हालांकि, यदि आप रोपाई के दौरान पौध का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको केवल 5,000 पौधे की ही जरूरत पड़ेगी। विजयन ने बताया कि फसल की अच्छी उपज को देखते हुए अब हमारे क्षेत्र के कई किसानों ने एसएसआई विधि से गन्ने की खेती करने के लिए अपनी इच्छा जाहिर की है।


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स्वाद में बेजोड़ मरयूर गुड़

प्रति एकड़ गन्ने के स्टंप की कीमत 18,000 रुपये है, जबकि पौधे की लागत 7,500 रुपये से भी कम है। अधिकारियों के अनुसार, एक महीने पुराने गन्ने के पौधे शुरू में कर्नाटक में एक एसएसआई नर्सरी से लाए गए और चयनित किसानों को वितरण किया गया। मरयूर में पौधे पैदा करने के लिए एक लघु उद्योग नर्सरी स्थापित की गई है। मरयूर और कंथलूर पंचायत के किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं। मरयूर गुड़ अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
जानें कौन से राज्य के किसान सबसे ज्यादा और कम आय करते हैं

जानें कौन से राज्य के किसान सबसे ज्यादा और कम आय करते हैं

भारत में प्रति कृषि परिवार मासिक औसत आमंदनी को लेकर केंद्र सरकार के अनुमान देखने को मिले हैं। सर्वश्रेष्ठ हालत मेघालय की है, विभिन्न राज्य ऐसे हैं, जहां कृषक परिवार 12 से 13 हजार रुपये माह में जीवन यापन कर रहे हैं। प्रति वर्ष प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि सूखा, बाढ़ एवं बारिश किसानों बुरी तरह प्रभावित करती है। किसान बीज, उर्वरक एवं खाद इत्यादि को खेत में उपयोग करते हैं, जिसके लिए उन्हें काफी खर्च करके उत्पादन करते हैं। बतादें कि जब फसल को हानि होती है, उस स्थिति में कृषक केंद्र एवं राज्य सरकार से सहायता की गुहार करते हैं। सरकारें कृषकों की सहायता भी करती हैं, फिलहाल, केंद्र सरकार के प्रति कृषि परिवार मासिक औसत आय का आँकड़ा देखने को मिला है। ऐसे आंकड़ों के सामने आने के उपरांत तो कुछ राज्यों में कृषक परिवारों की मासिक आमंदनी में अच्छा सुधार भी हुआ है। साथ ही, कुछ राज्यों के किसानों की स्थिति आर्थिक रुप से बेकार है।

कौन है पहले स्थान पर और कौन निचले स्तर पर



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केंद्र सरकार की तरफ से जो भी आंकड़े देखने को मिले हैं, उनमें से कुछ राज्यों की मासिक आय ही 20 हजार रुपये प्रति माह के ज्यादा हैं। विभिन्न राज्यों में तो कृषक परिवार 12 से 13 हजार रुपये माह में ही जीवन यापन कर रहे हैं। इस संदर्भ में मेघालय अव्वल नंबर पर बना है। आंकड़ों के अनुसार, प्रति कृषि परिवार औसत मासिक आमंदनी मेघालय में 29,348 रुपये है। हिमाचल प्रदेश की 12,153 रुपये, अरुणाचल प्रदेश 19,225 रुपये, जम्मू और कश्मीर 18,918 रुपये, पंजाब 26,701 रुपये, हरियाणा 22,841 रुपये, कर्नाटक 13,441 रुपये, गुजरात 12,631 रुपये, राजस्थान 12,520 रुपये, सिक्किम 12,447 रुपये, केंद्र शासित प्रदेशों के समूह की आय 18,511 रुपये, मिजोरम 17,964 रुपये, केरल 17,915 रुपये,और उत्तराखंड में 13,552 रुपये किसान परिवार प्रति माह आय बनी हुई है।

केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बागवानी को प्रोत्साहित कर रही है

केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि यदि किसानों की आय में वृद्धि करनी है तो पारंपरिक कृषि के अतिरिक्त अन्य फसलों की पैदावार पर भी हाथ आजमाना बेहद आवश्यक होंगे। बागवानी फसलों की पैदावार करके भी कृषक बेहतरीन उत्पादन अर्जित कर सकते हैं। भारत के कृषक नकदी फसलों पर ज्यादा आश्रित रहते हैं। पंजाब राज्य मेें बागवानी फसलों पर अधिक जोर दिया जाता है, इसके अतिरिक्त अन्य फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। समान दशा मेघालय राज्य की है, इसी वजह से भारत के किसान अच्छा उत्पादन कर रहे हैं। पंजाब राज्य में उत्पादित की जाने वाली विशेष फसलों के अंतर्गत बाजरा, गन्ना, तिलहन, मक्का, कपास, चावल और गेहूं सम्मिलित हैं।

कितना बढ़ा है गन्ने का समर्थन मूल्य

पंजाब में कृषकों की आमंदनी बढ़ाने हेतु राज्य सरकार निरंतर जोरदारी से प्रयासरत है। आपको बतादें कि अक्टूबर माह में पंजाब में गन्ने का समर्थन मूल्य 360 रुपये प्रति क्विंटल से 20 रुपये की वृद्धि के साथ 380 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। वर्तमान दौर में पंजाब राज्य के अंदर 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि के अंतर्गत गन्ने का उत्पादन किया जाता है। खरीफ सीजन के दौरान किसानों की सहायता हेतु बीज एवं मशीन अनुदान पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
यूपी की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आईसीएआर-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद का किया सर्वेक्षण

यूपी की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आईसीएआर-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद का किया सर्वेक्षण

अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न (मिलेट्स) वर्ष 2023 के अवसर पर, उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज भाकृअनुप-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान (भाकअनुसं), हैदराबाद का दौरा किया। उन्होंने संस्थान में स्थापित श्री अन्न के प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन सुविधाओं का निरीक्षण किया। साथ ही उनके समक्ष, भारत के अद्वितीय तथा एक बृह्त जननद्रव्य संग्रह एवं श्री अन्न की नवीनतम किस्मों के पुष्प गुच्छों का प्रदर्शन किया गया। माननीय राज्यपाल ने श्री अन्न को लोकप्रिय करने हेतु संस्थान द्वारा की जा रही कोशिशों, इसके द्वारा प्रदत्त सुविधाओं और प्रशिक्षण की तारीफ की है। उन्होंने कहा है, कि लोग पहले श्री अन्न के विविध उत्पाद तैयार करने की विधि और तकनीकों के विषय में नहीं जानते थे। अब इस संस्थान के माध्यम से श्री अन्न उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला के उत्पादन हेतु प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। माननीय राज्यपाल ने उल्लेख किया कि हमारे देश में किसान उत्पादन संगठन (FPO) काफी महत्वपूर्ण हैं। आज किसान उत्पादक संगठन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि बाजार से कैसे संपर्क किया जाए, उत्पाद को ऑनलाइन कैसे बेचा जाए साथ ही उत्पादों का परीक्षण कैसे किया जाए, आदि। यह भी पढ़ें: श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत, सरकार द्वारा उत्पादन बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं कई प्रयास माननीय राज्यपाल के समक्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) के द्वारा विकसित एवं उद्यमियों को प्रदत्त लाइसेंसीकृत, विविध मूल्यवर्धित उत्पाद और प्रौद्योगिकियां प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर भाकअनुसं के वैज्ञानिकों तथा राज्यपाल श्रीमती पटेल के साथ एक संवादात्मक बैठक भी आयोजित की गई। डॉ. (श्रीमती) सीतारा सत्यवती, निदेशक, भाकअनुसं ने माननीय राज्यपाल को संस्थान के मैट्रिक्स, लक्ष्यों एवं दृष्टिकोणों के बारे में जानकारी दी। डॉ. संगप्पा, वैज्ञानिक ने कहा कि गांवों में श्री अन्न पर काम करने वाले किसानों, कृषि अधिकारियों, उद्यमियों और अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए इस संस्थान के द्वारा चार राज्यों में 33 किसान उत्पादक संगठन का गठन किया गया है।

श्री अन्न किसानों की आय 3000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 7000-8000 रुपये प्रति क्विंटल हुई है

श्रीमती रक्षिता लडवंती, सीईओ, अलंदभूताई मिलेट्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी, कलबुर्गी, कर्नाटक, ने उल्लेख किया कि उनकी सफलता की कुंजी किसान उत्पादक संगठन से कच्चा माल खरीदने हेतु उद्यमियों से जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि स्थानीय महिलाओं को मूल्यवर्धित उत्पादों को तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जिसका परिणाम है कि श्री अन्न किसानों की आय 3000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 7000-8000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

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काऊ मिल्क प्लांट करोड़ों के खर्च से तैयार खड़े होने के बावजूद भी किसान दूध बेचने को परेशान

काऊ मिल्क प्लांट करोड़ों के खर्च से तैयार खड़े होने के बावजूद भी किसान दूध बेचने को परेशान

आज हम आपको इस लेख में एक ऐसे काऊ मिल्क प्लांट के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें करोड़ो की लागत लगाने पर कन्नौज मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर तिर्वा क्षेत्र के बढ़नपुर वीरहार गांव में लगभग 8 एकड़ भूमि पर बना हुआ है। 140.39 करोड़ रुपये के खर्चा से यह प्लांट 2016 में प्रस्तावित हो चुका था एवं 2018 में निर्मित होकर तैयार हो चुका है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जनपद के तिर्वा क्षेत्र में करोड़ों के खर्चा से बना काऊ मिल्क प्लांट बजट की कमी के चलते बंद होने की स्थिति पर आ चुका है। यह भी कह सकते हैं। विगत 6 माह से काऊ मिल्क प्लांट बंद पड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश में किसी भी मिल्क प्लांट से उत्तम एवं आधुनिक सुविधाओं से युक्त यह प्लांट 2018 में बनकर तैयार हो चुका था। इस प्लांट में विदेशों से एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक मशीनें स्थापित कर दी गई थीं। आसपास के तकरीबन 15 जनपदों के किसानों को इस प्लांट से अच्छा मुनाफा मिल रहा था। यह भी पढ़ें: ये राज्य सरकार दे रही है पशुओं की खरीद पर भारी सब्सिडी, महिलाओं को 90% तक मिल सकता है अनुदान

काऊ मिल्क प्लांट 2018 में बनकर तैयार हो चुका है

काऊ मिल्क प्लांट कन्नौज मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर तिर्वा क्षेत्र के बढ़नपुर वीरहार गांव में करीब 8 एकड़ जमीन पर बना हुआ है। इस प्लांट को 2016 में लगभग 140.39 करोड़ रुपये के खर्चा से शुरू किया जो कि 2018 में निर्मित हो चुका था। उसके बाद इसका 2019 में उद्घाटन कर के इसको चालू कर दिया गया था। इस काऊ मिल्क प्लांट की एक सर्वोच्च विशेषता यह है, कि इसमें केवल गाय का ही दूध लिया जाता है। यहां दूध से दही, घी एवं पनीर समेत विभिन्न अन्य उत्पाद भी निर्मित किए जाते थे। जिसमें टेट्रा पैकिंग का उपयोग किया जाता था।

प्लांट हर दिन 1 लाख लीटर दूध भंडार के लिए समर्थ है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस प्लांट में हर दिन 1 लाख लीटर दूध भंडारण की शक्ति होती है। प्लांट में अत्याधुनिक मशीनों के सहयोग से तकरीबन 6 माह तक दूध पूर्णतय सुरक्षित रह सकता था। कन्नौज जनपद के समीपवर्ती लगभग 15 जनपदों के किसान इस प्लांट के साथ जुड़कर अपने दूध का कारोबार काफी अच्छे तरीके से कर रहे थे। परंतु, प्लांट में आरंभ से ही दिक्कत परेशानियाँ रही हैं। प्लांट निर्मित होने के एक वर्ष बाद तक तो प्लांट शुरू नहीं हुआ है। परंतु, जब शुरू हुआ तो जैसे-तैसे तत्कालीन अधिकारी इसको धक्का देके चलाते रहे। यह भी पढ़ें: ‘सुपर काऊ’ से फिर फेमस हुआ चीन, इस मामले में छोड़ा दुनिया को पीछे

प्लांट पर प्रति माह 40 से 50 लाख रुपए का खर्च किया है

बतादें, कि हर महीने 40 से 50 लाख रुपए का खर्चा होता है। इसके पीछे की मुख्य वजह इस प्लांट को सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का कोई बजट नहीं दिया जा रहा है। इसीलिए इस काऊ मिल्क प्लांट की स्थिति खराब होती जा रही है। प्लांट के नवीन प्रभारी मनीष चौधरी ने कहा है, कि प्लांट लगभग विगत 6 माह से बंद पड़ा हुआ है। प्लांट में जो कर्मचारी मौजूद थे, उनको भी हटा दिया गया था। साथ ही,इलाके में दूध खरीदने वाली मौजूद समितियाँ भी बंद की जा चुकी हैं।

किसान भाई अपना दूध कहां बेचने जाएं

मनीष चौधरी का कहना है, कि यह प्लांट पूर्व की सपा सरकार में निर्मित हुआ था। उसने भी इसके बजट की उचित व्यवस्था नहीं की थी। साथ ही, इस संबंध में कानपुर मंडल के जनरल मैनेजर बृजमोहन त्यागी से चर्चा की तो उन्होंने इस प्लांट को अपने से भिन्न बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में कन्नौज जनपद समेत समीप के बहुत सारे जनपदों में पराग के दूध की आपूर्ति नाममात्र के लिए भी नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में समीपवर्ती जनपदों के विभिन्न किसान काफी ज्यादा परेशान दिखाई दे रहे हैं। किसान अपना दूध कहां बेचे और किसको भेजें।

आखिर कब तक प्लांट सुचारु हो पाएगा

साथ ही, फिलहाल मजबूरी में किसानों को दूध निजी संस्थानों के यहां बेचना पड़ रहा है। जहां पर उनको न तो उचित भाव प्राप्त हो रहा साथ ही, ढंग की सुविधाएं भी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में किसान फिलहाल दर-दर के धक्के खाने को विवश हो गए हैं। हालाँकि, प्लांट के अब तक आरंभ होने की कोई भी आशा की किरण दिखाई नहीं पड़ रही है।
योगी सरकार द्वारा विगत माह आयोजित कराए गए श्री अन्न महोत्सव का उद्देश्य क्या था

योगी सरकार द्वारा विगत माह आयोजित कराए गए श्री अन्न महोत्सव का उद्देश्य क्या था

उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 से 29 अक्टूबर, 2023 तक श्री अन्न महोत्सव का आयोजन किया था। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम प्रदेश के जुपिटर हॉल, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया था। इसमें उन किसानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने मिलेट्स पैदावार में महत्वपूर्ण योगदान अदा किया था। मिलेट्स एवं उनकी खेती के फायदों के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री अन्न महोत्सव का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य मिलेट्स के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना एवं प्रगतिशील किसानों की कोशिशों को पहचानना था, जिन्होंने मिलेट्स उत्पादन में अहम योगदान अदा किया है। साथ ही, कृषि कुंभ से ठीक पूर्व होने वाले इस कार्यक्रम का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उद्घाटन किया गया था। श्री अन्न महोत्सव एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम था। विभिन्न डिवीजन के किसान अपने अनुभव एवं ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ आए। उद्घाटन के दिन छह डिवीजन के किसान मिलेट्स की खेती एवं खपत पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए। दूसरे दिन पांच डिवीजन के किसान भाग लेंगे। साथ ही, आखिरी दिन सात डिवीजन के किसान इस कार्यक्रम में शम्मिलित हुए। कुल मिलाकर, प्रत्येक डिवीजन से पचास प्रगतिशील किसान इस कवायद का भाग रहे।

श्री अन्न महोत्सव का मुख्य मकसद क्या है

श्री अन्न महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य राज्य के अंदर मिलेट्स की खेती एवं खपत के विषय में आम जनता तथा किसान दोनों के मध्य जागरूकता उत्पन्न करना है। गौरतलब है, कि मिलेट्स अपने अनेकों स्वास्थ्य संबंधित लाभों एवं टिकाऊ कृषि में अपनी भूमिका के लिए विश्व भर में अपना अलग स्थान बना रहा है। मिलेट्स को अधिक प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम के दौरान कई सारे मिलेट्स-आधारित खाद्य उत्पादों के तकरीबन 40 स्टॉल स्थापित किए गए। इससे मौजूद लोगों को मिलेट्स से निर्मित कई तरह के व्यंजनों का स्वाद चखने और उनकी सराहना करने का अवसर मिला।

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किसानों को सम्मानित भी किया जायेगा

मिलेट्स को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने के अतिरिक्त राज्य सरकार ने उन किसानों को सम्मानित करने की योजना की भी घोषणा की थी, जिन्होंने मिलेट्स उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान अदा किया। इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा किसानों को मिलेट्स की खेती के प्रति जागरूक करने और राज्य भर में इसको अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।


 

टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा

श्री अन्न महोत्सव महज मिलेट्स का उत्सव ही नहीं यह उत्तर प्रदेश के कृषि परिदृश्य का एक प्रमुख भाग बनाने की दिशा में एक कवायद है। इस मुहीम में किसानों को शम्मिलित करके सरकार को मिलेट्स क्रांति की शुरुआत करने की संभावना है। यह टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ इसके सेवन से नागरिकों के स्वास्थ्य एवं पोषण में भी शानदार बेहतरी लाऐगी।

खुशखबरी: पंजाब सरकार ने गन्ना का भाव 391 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाया

खुशखबरी: पंजाब सरकार ने गन्ना का भाव 391 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाया

वर्तमान में गन्ने की खेती करने वाले कृषकों को पहले से ज्यादा भाव मिलेंगे। पंजाब भारत भर में गन्ने का सर्वाधिक मूल्य देने वाला राज्य है। पंजाब सरकार ने किसानों के फायदे में एक बड़ा निर्णय लिया है। राज्य सरकार की तरफ से गन्ना कृषकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने गन्ने की कीमत में इजाफा करने का ऐलान कर दिया है। वर्तमान में राज्य के गन्ना कृषकों को 391 रुपये प्रति क्विंटल के अनुरूप रुपये दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त अब पंजाब भारत में सर्वाधिक गन्ने की कीमत देने वाला राज्य भी बन गया है। पंजाब के पश्चात हरियाणा बाकी राज्यों का नाम आता है।  गन्ने का भाव देने में प्रथम स्थान पर पंजाब है तो दूसरे स्थान पर हरियाणा है। हरियाणा में कृषकों को गन्ने का भाव 386 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाता है। यूपी और उत्तराखंड के कृषकों को 350 रुपये का भाव दिया जाता है। 

किसानों को इतने रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा फायदा  

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि राज्य के किसान विगत कई दिनों से सरकार से गन्ने की कीमतों को बढ़ाने की मांग कर रहे थे। राज्य में गन्ने की प्रति क्विंटल कीमत 380 रुपये थी, जो वर्तमानं में बढ़ाकर के 391 रुपये प्रति क्विंटल कर ड़ाली है। किसान भाइयो को इस निर्णय के पश्चात फिलहाल 11 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा मिलेगा। पंजाब सरकार ने ये निर्णय राज्य के किसानों की मांग पर किया है। 

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कृषकों के लिए फायदेमंद फैसला साबित होगा 

गन्ना किसान बहुत दिनों से सरकार से गन्ने के भाव को बढ़ाने की मांग जाहिर कर रहे थे। सरकार ने कृषकों की मांग को पूर्ण करते हुए यह निर्णय लिया हैजिसको लेकर कृषकों ने बीते दिनों धरना भी दिया था। इसके पश्चात कृषकों के प्रतिनिधियों से पंजाब के मुख्यमंत्री ने वार्तालाप की और उन्हें मूल्य वृद्धि हेतु आश्वस्त भी किया था। इसके साथ-साथ कृषकों की मांग कीमतें 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की थी। रिपोर्ट्स की मानें तो पंजाब सरकार के इस निर्णय के उपरांत गन्ना किसानों को लाभ मिलेगा। बतादें, कि इस निर्णय से कृषकों की आमदनी में इजाफा होने के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी सुधरेगी। 
योगी सरकार ने बजट में किसानों के लिए क्या ऐलान किया है ?

योगी सरकार ने बजट में किसानों के लिए क्या ऐलान किया है ?

सरकार की नवीन घोषणाओं से राज्य के लाखों कृषकों को फायदा मिलेगा। इन योजनाओं में फसलों और सिंचाई से लेकर किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आर्थिक लाभ देने का जिक्र किया गया है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बजट प्रस्तुत किया है। इस बजट में किसानों को कुछ बड़ी सौगातें प्रदान की गई हैं। 

उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट प्रस्तुत करते हुए उनका ऐलान किया है। सरकार की इन नवीन घोषणाओं से राज्य के लाखों कृषकों को लाभ पहुँचेगा। इन योजनाओं में फसलों से लेकर फसलों की सिंचाई एवं किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आर्थिक लाभ देने का जिक्र किया गया है। 

यूपी बजट में इन सुविधाओं की घोषणा हुई 

उत्तर प्रदेश सरकार ने डार्क जोन में नवीन प्राइवेट नलकूप कनेक्शन पर लगाई गई रोक को हटा लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय से तकरीबन एक लाख कृषकों को लाभ मिलेगा। इसके साथ-साथ पेराई सत्र 2023-2024 के लिये गन्ने की अगैती किस्म के मूल्य को 350 रूपये से बढ़ाकर 370 रूपये कर दिया गया है। सामान्य प्रजाति के गन्ने की कीमत को 340 रूपये से बढ़ाकर 360 रूपये कर दिया गया है। इसके साथ ही अनुपयुक्त किस्म के गन्ने के मूल्य को 335 रूपये से बढ़ाकर 355 रूपये कर दिया गया है। इसके साथ ही बुन्देलखण्ड इलाके में रबी फसल की सिंचाई के लिए सीजनल टैरिफ लाभ और अस्थाई  इलेक्ट्रिकल कनेक्टर की सुविधा भी प्रदान की गई है। 

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योगी सरकार ने महिला किसानों की बढ़ाई पेंशन 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बजट में उन महिला किसानों को भी काफी लाभ पहुंचाया गया है, जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है। सरकार द्वारा निराश्रित महिला पेंशन में पहले ₹500 महीने प्रदान किए जा रहे थे। परंतु, अब इसको बढ़ाकर हजार रुपए कर दिया गया है। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत इन महिलाओं को 200 उत्पादक समूह बनाकर तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया जाऐगा।

उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए सरकार की तरफ से आई है बहुत बड़ी खुशखबरी

उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए सरकार की तरफ से आई है बहुत बड़ी खुशखबरी

हम सभी जानते हैं, कि भारत में उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। उत्तर प्रदेश में उगाए जाने वाले गन्ने से ही सबसे ज्यादा चीनी, गुड़, शक्कर आदि का प्रोडक्शन मिलता है। किसी भी फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसे उगाने के लिए उन्नत किस्म के बीजों का इस्तेमाल किया जाए। यहां के किसान भी इसी तलाश में हैं। ऐसे में कृषि वैज्ञानिक भी पीछे नहीं रहते हैं और वह अलग-अलग तरह की रिसर्च करते हुए बीज को और उन्नत बनाने के प्रयास में लगे रहते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए उन्नत बीज उपलब्ध कराने की इस समस्या के लिए एक बहुत ही अच्छा तरीका निकाला है। अब किसान चाहें तो घर बैठे ही स्मार्ट किसान एप (Smart Ganna Kisan) या एसजीके ऑफिशियल वेबसाइट के जरिए गन्ना की सीड किट बुक करा सकते हैं। इसके लिए बनाई गई वेबसाइट enquiry.caneup.in पर बीजों का वितरण 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर किया जाएगा।

गन्ना किसानों को बड़ी राहत

पहले किसानों को गन्ने के उत्पादन के लिए बेहतर बीज जुटाने में बेहद समस्याओं का सामना करना पड़ता था। समय पर बीज न मिल पाने के कारण बुवाई में देरी हो जाती है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। उत्तर प्रदेश सरकार लंबे समय से इसके लिए प्रयासरत थी। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले ही किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्य के गन्ना विकास विभाग (Cane Development Department) को आदेश दिए थे। जिसका अनुपालन करते हुए गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने गन्ना पर्ची (Ganna Parchi) की तरह गन्ना सीट बुकिंग की व्यवस्था भी ऑनलाइन कर दी है।

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इधर गन्ना पहुंचा, उधर भुगतान तैयार हाल ही में गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी द्वारा स्मार्ट गन्ना किसान एसजीके की ऑनलाइन वेबसाइट लॉन्च की है। जिस पर अब किसानों को ऑनलाइन ही सीड बुकिंग की सुविधा मिलेगी। इस तरह किसानों को व्यर्थ की भागदौड़ करने से भी राहत मिलेगी। किसान घर बैठे हैं, अपने फसल के उत्पादन के लिए बीज प्राप्त कर सकते हैं।

लंबी कतारों से मिली मुक्ति और होगी समय की बचत

स्मार्ट गन्ना किसान एप्लीकेशन और वेबसाइट के बारे में जानकारी देते हुए संजय भूसरेड्डी बताते हैं कि पहले उत्तर प्रदेश के किसानों को गन्ने के लिए भी हासिल करने के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ता था। इसके लिए सरकार द्वारा 'मिठास मेले' का आयोजन किया जाता था, जिससे किसानों को काफी परेशानी होती थी। बहुत बार अगर किसानों को यहां पर पहुंचने में देरी हो जाती थी तो उन्हें बीज नहीं मिल पाते थे। लेकिन अब बिना कतारों में समय गंवाए किसान घर बैठे ही गन्ना की नई किस्मों की बीजों की बुकिंग कर सकेंगे। हालांकि ऑनलाइन बुकिंग करने के बाद किसानों को अपने नजदीकी गन्ना शोध केंद्र से बीज मिल जाएंगे। इसमें अच्छी बात यह है, कि गन्ना की बीजों की सीड बुकिंग करने के साथ-साथ पेमेंट भी ऑनलाइन किया जाएगा। इस तरह से किसानों के समय की बचत होगी।

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कैसे कर सकते हैं गन्ना के नए बीजों की बुकिंग

सबसे पहले किसानों को स्मार्ट गन्ना किसान यानी एसजीके की ऑनलाइन वेबसाइट पर जाना होगा। यहां किसान को सबसे पहले कैप्चा कोड दर्ज करना होगा, जिसके बाद आवेदन फॉर्म खुल जाएगा। इस फॉर्म में किसान को अपना आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर, गांव का नाम, नजदीकी गन्ना शोध केंद्र, गन्ना की किस्म, गन्ना बड संख्या आदि जानकारी देनी होगी। यहां फॉर्म को सबमिट करते ही बीजों की बुकिंग हो जाएगी।

किसानों को मिलेंगी 16 लाख बड सीड किट

उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग के मुख्य अपर सचिव ने बताया कि किसानों को 9 केंद्रों से करीब 16 लाख की संख्या में बड बीजों की किट (Cane Bud Seed Kit) वितरित की जाएंगी। साथ ही, इस योजना के तहत हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। अधिक जानकारी के लिए किसान जब चाहें हेल्पलाइन नंबर- 1800-121-3203 या 1800-180-1551 पर भी कॉल करके संपर्क कर सकते हैं।
जानिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्रों में किसानों के लिए क्या-क्या ऐलान किए हैं ?

जानिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्रों में किसानों के लिए क्या-क्या ऐलान किए हैं ?

चैत्र की छठी देवी माँ कात्यायनी एवं बाबा साहेब अंबेडकर के जन्मोत्स्व पर लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस अपना घोषणा पत्र पहले ही जारी कर चुकी है। 

आज हम आपको बताएंगे कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपने घोषणापत्र में किसानों के लिए क्या-क्या बड़ी घोषणाएं की गई हैं। 

भाजपा ने किसानों से एमएसपी में वृद्धि, तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने सहित बहुत सारे अन्य वादे किए हैं। 

भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों के लिए भी कई बड़े ऐलान किए गए हैं। किसानों के लिए की गई घोषणाओं को 'किसानों का सम्मान-मोदी की गारंटी' नाम दिया गया है। 

भाजपा ने किसानों से एमएसपी में बढ़ोतरी, तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने समेत कई अन्य वादे किए हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं की भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किसानों के लिए क्या-कुछ ऐलान किए हैं। 

किसानों के लिए कांग्रेस की क्या-क्या गारंटी है ?

  1. MSP को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के तहत कानूनी दर्ज़ा देने की गारंटी। 
  2. किसानों के ऋण माफ़ करने और ऋण माफ़ी की राशि निर्धारित करने के लिए एक स्थायी ‘कृषि ऋण माफ़ी आयोग’ बनाने की गारंटी। 
  3. बीमा योजना में परिवर्तन कर फसल का नुकसान होने पर 30 दिनों के भीतर सीधे बैंक खाते में भुगतान सुनिश्चित करने की गारंटी। 
  4. किसानों के हित को आगे रखते हुए एक नई आयात-निर्यात नीति बनाने की गारंटी। 
  5. कृषि सामग्रियों से GST हटा कर किसानों को GST मुक्त बनाने की गारंटी। 

भाजपा ने किसानों के लिए क्या-क्या घोषणाएं की गई हैं ?

भाजपा के घोषणापत्र के अनुसार, किसानों का सम्मान व सशक्तिकरण भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। भाजपा बीते दस वर्षों में सॉइल हेल्थ कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई, फसल बीमा, आसानी से बीज की उपलब्धता जैसी विभिन्न नीतियों एवं पीएम किसान सम्मान योजना के अंतर्गत सीधे उनके खातों में वित्तीय सहायता प्रदान करके किसानों को मजबूत बनाया है। भाजपा ने एमएसपी में भी निरंतर बढ़ोतरी की है। भाजपा आगे भी अपने किसान परिवारों की आय को बढ़ाने के लिए कार्य करेगी।

पीएम किसान योजना से किसानों को करेंगे मजबूत: किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 6,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता दी जाती है। किसानों को निरंतर वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भाजपा आगे भी कार्य करेगी। 

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पीएम फसल बीमा योजना में मजबूती:  फसल के नुकसान का शीघ्र और सही मूल्यांकन, समयबद्व भुगतान और किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। 

एमएसपी में बढ़ोतरी: प्रमुख फसलों के लिए एमएसपी में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ आगे भी समयबद्ध तरीके से एमएसपी में वृद्धि को जारी रखा जाएगा। 

दाल और खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता: भारत को दाल (जैसे अरहर, उड़द, मसूर, मूंग और चना) और खाद्य तेल (जैसे सरसों, सोयाबीन, तिल और मूंगफली) के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अन्नदाताओं को समृद्ध बनाया जाएगा। 

सब्जी उत्पादन और स्टोरेज के लिए नए क्लस्टर बनेंगे: अन्नदाताओं को आवश्यक कृषि इनपुट प्रदान करके पौष्टिक सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही टमाटर, आलू, प्याज आदि जैसी जरूरी सब्जियों की पैदावार के लिए नवीन क्लस्टर निर्मित किए जाएंगे। इन क्लस्टर्स में भंडारण और वितरण की सुविधाएं भी प्रदान की जाएगी।

15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

सभी तरह के केमिकल फ़र्टिलाइज़र दिनोंदिन महंगे होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। आजकल किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बन कर रह गई है। ऐसे में किसानों का जागरूक होना बहुत ज्यादा जरूरी है। जागरूक किसान परंपरागत फसल जैसे गन्ना, आलू, गेहूं और धान की खेती छोड़ मुनाफे की खेती की ओर रुख कर करे हैं। बिजनौर के किसान भी ऐसे ही अलग तरह की खेती की ओर रुख कर रहे हैं और वह है लाल चंदन की खेती। इसके अलावा बहुत से किसान ड्रैगनफ्रूट, कीवी और आवाकाडो जैसे फलों की बागवानी कर रहे हैं। इसके साथ ही अनेक किसान मेडिसिनल प्लांट्स जैसे अश्वगंधा, एलोवेरा, शतावर और तुलसी की भी खेती कर रहे हैं। 

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आज हम आपको बिजनौर के बलीपुर गांव के किसान चंद्रपाल सिंह के बारे में बताने वाले हैं, जो पिछले लगभग 10 वर्षों से सफेद और लाल चंदन की खेती कर रहे हैं। चंद्रपाल सिंह से हुई बातचीत में पता चला कि चंदन का पौधा 150 रुपए में मिल जाता है और उसके बाद जब 12 साल बाद ही यह तैयार होता है तो इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए हो जाती है। दुनिया भर में चंदन की डिमांड के बारे में हम सब जानते हैं, चंदन की लकड़ी उस का तेल और बुरादा सभी चीजें लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं और बाजार में बहुत ज्यादा मांग में रहती हैं। चंद्रपाल सिंह ने बताया कि चंदन की खेती की ढंग से देखभाल करते हुए आप करोड़पति बन सकते हैं। बस आपको जरा सब्र रखने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि बिजनोर के अनेकों किसानों ने शुरुआत में कर्नाटक और तमिलनाडु से चंदन की पौध लाकर अपने खेतों में लगाई थी।

 

कुछ सालों में करोड़ों हो जाएगी कीमत

इसके अलावा चांदपुर में रहने वाले किसान शिवचरण सिंह ने 15 बीघा जमीन में लाल चंदन के पौधे लगाए थे, जो अब लगभग 20 फीट ऊंचे पेड़ बन गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके खेत में लगभग 1500 पेड़ लाल चंदन के हैं, जिनकी कीमत लगभग दो करोड़ रुपए लग चुकी है। व्यापारी बार-बार आकर इन के पेड़ों को करोड़ों में खरीदना चाहते हैं, लेकिन वह अभी इसकी कीमत को और बढ़ाना चाहते हैं। लिहाजा उनका इरादा 3 साल के बाद पेड़ों को बेचने का है। शिवचरण सिंह को उम्मीद है, कि उनके पेड़ों की कीमत 3 साल बाद 3 करोड़ रुपए होगी। चंदन के पेड़ों की बागवानी करने के साथ-साथ चंद्रपाल सिंह दूसरे किसानों को तमिलनाडु और कर्नाटक से चंदन की पौध भी लाकर बेचते हैं और गाइड भी करते हैं।

 

बड़े लेवल पर कर रहे हैं किसान चंदन की खेती

बिजनौर के डीएम उमेश मिश्रा ने बताया कि बिजनौर में अब तक 200 से ज्यादा किसानों ने चंदन की खेती बड़े लेवल पर करनी शुरू कर दी है। इसके साथ ही कुछ किसान ड्रैगन फ्रूट की बागवानी कर रहे हैं। बिजनौर के बलिया नगली गांव के जयपाल सिंह ने 1 एकड़ जमीन में पर्पल ड्रैगन लगा रखा है, जिससे उन्हें हर साल 5 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। थाईलैंड और चाइना का यह फल सौ से डेढ़ सौ रुपए में मिलता है।

 

क्यों बिजनौर का वातावरण है अलग अलग तरह की खेती के लिए एकदम सही

बिजनौर में किसान बाकी खेती के साथ साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं। इस फल को उगाने के लिए खर्चा थोड़ा ज्यादा आता है, लेकिन बाजार में बेचते समय इसकी कीमत भी काफी ज्यादा लगाई जाती है। ऐसा ही कीवी और आवाकार्डो के साथ भी है, आमतौर पर यह सब फल ठंडे इलाकों में पैदा होते हैं। लेकिन उत्तराखंड की पहाड़ी से लगे होने की वजह से बिजनौर का वातावरण इन्हें अच्छा खासा सूट कर रहा है।

 

यह खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है

बिजनौर में किसान बहुत लंबे समय से गन्ने की खेती करते आ रहे हैं और इसके अलावा यहां पर गेहूं या आलू आदि भी उगाया जाता था। लेकिन समय और प्राकृतिक मार के कारण इस तरह की खेती में किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा था। इसलिए उन्होंने अपना रुख बागवानी और औषधीय पौधे की तरफ किया है। बिजनौर के कई किसान एलोवेरा, अश्वगंधा, सतावर और तुलसी आदि औषधीय पौधे की भी खेती कर रहे हैं, जिनका प्रयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में होने की वजह से बाजार में अच्छी कीमतों पर उपज बिक जाती है।

जानिए अनाज भंडारण के सुरक्षित तरीके

जानिए अनाज भंडारण के सुरक्षित तरीके

किसान भाइयों आपको यह जानकर अवश्य आश्चर्य होगा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। हम सदियों से अनाज पैदा करते हैं और उसे सुरक्षित भी रखने के अनेक उपाय करते हैं। आज हम आधुनिक खेती करते हैं। इसके बावजूद हमारे देश में अनाज का सुरक्षित भंडारण एक चुनौती बना हुआ है। लगभग 20 से 25 प्रतिशत अनाज उचित भंडारण न होने की वजह से प्रतिवर्ष खराब हो जाता है। इसका खामियाजा किसान भाइयों को उठाना पड़ता है। आज हम अनाज के सुरक्षित भंडारण के खास टिप्स को जानते हैं। इन टिप्स से जहां अनाज भंडारण सुरक्षित रहेगा वहीं आपको नमी, दीमक, चूहों आदि से छुटकारा मिल जायेगा।

अनाज भंडारण पर खतरे के प्रमुख कारण

  1. फसल की कटाई के साथ ही अनाज के भंडारण की सुरक्षा की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिये। फसल कटाई के काम लाये जाने वाले यंत्रों से व मौसम के उतार चढ़ाव से फसल को नमी व कीट का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
  2. अनाज भंडारण की गुणवत्ता को हानि पहुंचाने वाले कारणों में कीड़ों का प्रकोप होते हैं। ये कीड़े बीच व मिट्टी के अतिरिक्त फसलों की गहाई, ढुलाई में इस्तेमाल किये जाने वाले यंत्रों के माध्यम से भंडारण तक पहुंच सकते हैं। इसलिये नमी व कीटों का बचाव यही से शुरू करना चाहिये।
  3. अधिक नमी होने के कारण अनाज में कीड़ों का प्रकोप अधिक होता है। इसके अलावा अनाज में फफूंदी लग जाती है। अनाज सड़ जाता है। अनाज खाने या बेचने योग्य नहीं रहता है।
  4. अनाज में कटाइे समय ही कीट लग जाते हैं जो अनाज पर अंडे देने लगते हैं। बाद में इन अंडों से निकलने वाले इल्ली या लट अनाज को खाकर खोखला कर देती है।
  5. चूहे अनाज के दुश्मन हैं। ये खाते कम खराब अधिक करते हैं। चूहों के मल-मूत्र और बाल अनाज में मिल जाने से अनाज खराब हो जाता है।
  6. भण्डारण गृह, कोठियां व बोरे में साफ सफाई न होने से भी कीट लग जाते हैं। क्योंकि भंडारण में अधिकांश पुराने बोरों का इस्तेमाल किया जाता है। इन पुराने बोरों में कीटों के अंडे हो सकते हैं, जो भंडारण में अनाज को बर्बाद करने लगते हैं।
  7. चार ही मुख्य कीट ऐसे हैं जो अनाज को बरबाद कर देते हैं। ये इस प्रकार हैं
  • गेहूं का खपरा: ये कीट गेहूं के अलावा चावल, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा में भी लगता है। यह कीट अनाज में अधिक नमी आने के कारण होता है।
  • आंटे की सुंडी भी ऐसा ही कीट है जो आटा, सूजी, मैदा में तो लगता ही है। साथ ही गेहूं, मक्का, चावल के दानों को भी बरबाद करदेता है।
  • चावल का घुन भी ऐसा कीट है जो चावल के साथ गेहूं, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों में लगता है।
  • दालों का भृंग ऐसा कीट है जो सभी प्रकार की दालों को नष्ट कर देता है। ये अरहर, उड़द, चना, मूंग, मटर, मोठ, चंवला, मसूर आदि दालों को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।

सुरक्षित अनाज भंडारण के खास उपाय

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1.फसल कटाई व ढुलाई के समय सावधानी

अनाज में कीटों व नमी का प्रभाव फसल की कटाई के साथ ही पड़ने लगता है, जिसकी कोई भी परवाह नहीं करता है। नतीजा यह होता है कि फसल को वहीं से नुकसान होने लगता है और भंडारण में नमी और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके लिए अनाज की ढुलाई से पहले ट्रैक्टर ट्रॉली को अच्छी तरह से धो कर धूप में सुखा लेना चाहिये। फिर अनाज को भंडारण से पहले 8-10 दिन तक धूप में सुखा लेना चाहिये। सूखे अनाज की पहचान कर लेना चाहिये। अनाज को सूखने के बाद उसे शाम को भंडारण नहीं करना चाहिये। बल्कि रात भर उसे छाया में रख कर ठंडा करना चाहिये। उसके बाद अगले दिन सुबह भंडारण करना चाहिये। 

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2.भंडारण के समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिये

भंडारण के समय अनाज को भरने से पहले बोरे या कोठियों को अच्छी तरह से साफ सफाई कर लेनी चाहिये। इन्हें कीट मुक्त करने के लिए उपचार भी कर लेना चाहिये। जैसे अनाज भरने से पहले बोरों को एक प्रतिशत मैलाथियॉन के घोल में आधे घंटे डुबो कर रखें और फिर 2 से तीन दिन तक उलट-पलट कर कड़ी धूप में सुखाएं। तैयार अनाज को सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिये। इससे जमीन से लगने वाले कीड़ों व नमी से बचाव होगा। भंडारण से पहले भूसी, कंकर व कटे-फटे अनाज को अलग निकाल कर साफ कर लेना चाहिये तथा अनाज को कम से कम 15 दिन तक सुखाना चाहिये।

3. भंडारगृह की सफाई करें

भंडारण से पहले भंडारगृह की अच्छी तरह से साफ सफाई करें। भंडारगृह की छत, फर्श, खिड़कियां व दरवाजे सभी को अच्छी तरह से साफ करते उसमें तारपीन का तेल लगा देना चाहिये। फर्श में यदि दरारें हों तो उन्हें सीमेंट से भर देना चाहिये। दीवारों और फर्श के जोड़ों को भी अच्छी तरह से भराई कर देनी चाहिये। सीमेंट की दीवारें हों तो अच्छा वरना कच्ची दीवारों में पपड़ी आदि हों तो उनका भी उपचार कर देना चाहिये। इसके अलावा अनाज रखने से दस दिन पूर्व कमरे में आधा प्रतिशत मैलाथियॉन का घोल बनाकर तीन लीटर प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब से छिड़काव करके छोड़ देना चाहिये। अच्छी तरह से सूखने क बाद ही गोदाम में अनाज को रखें। चूहों से बचाव के लिए दरवाजों के नीचे की तरफ लोहे की पत्तियां लगवा देना चाहिये।

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4. कैसे करें सुरक्षित भंडारण

अनाज को नमी से बचाने के लिए भण्डारण करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये। अनाज के भरे बोरों को सीधे फर्श पर नहीं रखना चाहिये। लकड़ी के फट्टों को पहले बिछाया जाना चाहिये। बोरो को जमीन से ऊपर और दीवालों से एक-डेढ़ फिट दूर तथा छत से एक या दो फिट नीचे रखा जाना चाहिये। कोठी में अनाज भरने के लिए पहले कोठी को साफ-सफाई करके उपचारित करना चाहिये। अनाज भरकर ढक्कन लगा देना चाहिये। फिर मोम या हवा को रोकने वाला कोई अन्य लेप लगा देना चाहिये। यदि कोठी को उपचारित करने के लिए पेस्टीसाइड लगाया हो तो उस कमरे में उठना-बैठना, सोना सब बंद कर देना चाहिये। बच्चों को उस कमरे से दूर ही रखना चाहिये। जब कभी अनाज निकालने जाना हो तो मुंह पर कपड़ा बांध कर जायें।

5. परम्परागत तकनीक भी अपनाएं

अनाजों को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा से अपनाये जा रहे परम्परागत तरीकों को भी इस्तेमाल किया जाना चाहिये। परम्परागत तरीकों के अनुसार अनाज व दालों में सरसों का तेल लगाकर रखना होता है। राख मिला कर रखना होता है तथा नीम व करंज के पत्ते बिछाकर रखने होते हैं । राख को छान कर व सुखाकर ही मिलाया जाना चाहिये। इससे अनाज व दालें खराब नहीं होतीं तथा कीट अपने आप ही मर जाते हैं।

6. चूहा नियंत्रण

अनाज को बरबाद करने में चूहे बहुत खतरनाक होते हैं। ये जितना अनाज खाते हैं उससे दस गुना अनाज कुतर के बरबाद कर देते हैं। इसके अलावा इनके बाल झड़ने तथा मल-मूत्र से अनाज सड़ जाता है। इसलिये इनका नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है। चूहा नियंत्रण का काम मई जून माह में करना चाहिये क्योंकि उस समय खेत खाली हो जाते हैं। खेतों में लगने वाले चूहे भी आसपास के घरों में हमला करते हैँ। चूहों की रोकथाम के लिए दो से तीन  प्रतिशत जिंक फॉस्फाइड मिलाकर खाने का सामान देना चाहिये। लेकिन चूहे बहुत चतुर होते हैं। इसलिये पहले उन्हें उस तरह की बिना जहर मिली चीजें खिलाने का देना चाहिये। उसके बाद एक दिन जहर मिली वस्तु देने से वो आसानी से खा लेते हैं । 

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 भंडार गृह में चूहों की रोकथाम के लिए बाजरा या किसी अनाज का विष आहार बनाना चाहिये। इसके लिए बाजरा या किसी अन्य अनाज में मूंगफली का तेल लगाना चाहिये। इसके बाद एक किलो अनाज को 20 से 30 ग्राम जिंक फॉस्फाइड पाउडर मिलाकर लकड़ी से अच्छी तरह मिला लें। फिर इनके दानों को भंडारघरों में दीवार के किनारे-किनारे बिखेर देना चाहिये। इन दानों को खा कर चूहे मर जायेंगे। अगले दिन बचे हुए दानों को समेटकर उन्हें नष्ट कर देना चाहिये। भंडारगृह यदि आवास में हो तो कम जहरीली एन्टी कोंगुलेट, ब्रोमोडायोलोन का प्रयोग किया जाना चाहिये। चूहों के लिए विष आहार तैयार करते समय मुंह पर रूमाल आदि बांध लेना चाहिये।

7. दीमक नियंत्रण

दीमक का प्रकोप वैसे खेतों में होता है। फिर भी भंडारगृह की दीवारों या दरवाजों, खिड़कियों में दीमक का प्रकोप हो तो 10 लीटर पानी में एक किलो लिंडेन पाउडर का घोल बनाकर उपचार करेंं। 

8. कीट नियंत्रण के उपाय

अनाज को सुरक्षित रखने क लिए कीट नियंत्रण बहुत आवश्यक है। कीट नियंत्रण दो तरीके से किया जाता है। पहला अनाज को कीटों से बचाने के लिए और दूसरा अनाज में कीटों के लगने के बाद नियंत्रण किया जाता है। कीटों से बचाने के लिए प्रतिमीट्रिक टन अनाज के लिए 30 मिली लीटर ईडीबी एम्पयूल तथा एल्यूमिनियम फॉस्फाइड यानी सेल्फोस की 3 ग्राम की गोली प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से डालनी चाहिये। कीटों का आक्रमण होने के बाद 1 ई डी बी एम्पयूल की 3 मिली लीटर प्रति क्विंटल के हिसाब से डालनी चाहिये। यह बहुत ही घातक व जहरीली दवा है, इसे खुले मुंह या खुले में नहीं डालना चाहिये। इससे स्वास्थ्य को काफी नुकसान भी हो सकता है। यह कार्य विशेषज्ञों की सलाह से किया जाना चाहिये।