ग्वार की ये 5 किस्में किसानों को देंगी ज्यादा उपज और मुनाफा
किसान बीन्स की खेती से भी काफी शानदार आय अर्जित कर सकते हैं। किसान तरबूज की बेहतरीन किस्मों का चयन करके शानदार उत्पादन एवं मुनाफा दोनों अर्जित कर सकते हैं। बीन्स लता वाले समूह का एक पौधा होता है।
इसके पौधों पर निकलने वाली फलियां सेम अथवा बीन्स कहलाती हैं, जिन्हें सब्जी के तौर पर उपयोग किया जाता है। इसको ग्वार के नाम से भी जाना जाता है, इसकी फलियां भिन्न-भिन्न आकार की होती हैं।
जो दिखने में सफेद, हरी और पीले रंग की होती हैं। बीन्स की मुलायम फलियां सब्जी के तौर पर उपयोग की जाती हैं। इसके अंदर प्रोटीन, विटामिन तथा कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्रा उपस्थित होती है।
साथ ही, यह सब्जी कुपोषण को दूर करने में ज्यादा लाभकारी होती है। इसके चलते बाजार में इसकी मांग वर्ष भर बनी रहती है। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए ग्वार की खेती बड़े लाभ का सौदा सिद्ध हो सकती है।
क्योंकि इसका उत्पादन करके किसान शानदार आय कर सकते हैं। तरबूज का ज्यादा उत्पादन लेने के लिए कृषकों को उसकी सही समय पर खेती एवं शानदार किस्मों का चयन करना अत्यंत आवश्यक है।
इसकी कुछ ऐसी भी प्रजातियां हैं, जिसमें न तो कीट लगते हैं और न ही रोग लगता है। इन किस्मों की खेती से किसान काफी शानदार मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।
ग्वार की 5 किस्में
टाइगर ग्वार सीड्स
शक्ति सीड्स कंपनी का यह वैराईटी ज्यादा शाखाओं एवं ज्यादा फैलाव वाली ग्वार किस्म है। इस किस्म के दाने गोल, चमक और वजनदार होते है।
जड़ गलन, झुलसा, ब्लाईट जैसे रोगों के प्रति उच्च सहनशील प्रजाति है। लंबी अवधि के साथ पकती है, जिसका 100 से 110 का वक्त लग जाता है।
अधिकतम उत्पादन के साथ 7 से 10 क्विंटल / एकड़ उत्पादन देखने को मिलता है। यह किस्म समस्त प्रकार की मृदा में उपयुक्त मानी गई है।
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ग्वार की सुपर एक्स -7
सुपर एक्स -7 किस्म के पौधो की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर मानी जाती है। भारत में सिंचित और असिंचित अवस्था दोनों में की जा सकती है।
इस किस्म को पकने में 80 से 100 दिन का समयांतराल लग जाता है। इसका ओसत उत्पादन 6 से 8 क्विंटल / एकड़ देखा जा सकता है। यह बीज किस्म ब्लाईट, जड़ गलन जैसें रोगों के प्रति सहनशील होती है।
ग्वार की एच जी -365
विभिन्न शाखाओं के साथ फैलने वाली यह प्रजाति प्रमाणित उन्नत प्रजाति है। यह 60 से 70 दिनों के समयांतराल में शीघ्रता से पकने वाली किस्म है। पैदावार की बात की जाए तो 18-20 क्विंटल / हेक्टेयर लिया जा सकता है।
ग्वार की कोहिनूर 51 किस्म
बतादें, कि बीन्स की कोहिनूर 51 किस्म का फल हरे रंग का होता है। इसके फल बाकी किस्मों से लंबे होते हैं। इस बीन्स के बीज को रोपने के 48-58 दिनों की अवधि में पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है।
वहीं, ये किस्म 90 से 100 दिनों में पूर्णतय तैयार हो जाती हैं। इस किस्म की खेती किसान तीनों सीजन मतलब कि रबी, खरीफ एवं जायद में कर सकते हैं।
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ग्वार की अर्का संपूर्ण किस्म
अर्का संपूर्ण किस्म का निर्माण भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा किया गया है। इस प्रजाति के पौधों पर रतुआ एवं चूर्णिल फफूंद का रोग नहीं लगता है।
इस प्रजाति के पौधे रोपाई के तकरीबन 50 से 60 दिन पश्चात उत्पादन देना चालू कर देते हैं, जिनका प्रति हेक्टेयर समकुल उत्पादन 8 से 10 टन के करीब होता है।