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Bhagwant Mann

पराली जलाने वाले किसानों पर सरकार का कड़ा फैसला, लोन और जमीन को लेकर बढ़ी मुश्किलें

पराली जलाने वाले किसानों पर सरकार का कड़ा फैसला, लोन और जमीन को लेकर बढ़ी मुश्किलें

अक्टूबर का महीना आते ही, पूरे उत्तर भारत में एक ही न्यूज़ हर जगह सुनने को मिलती है कि एयर गुणवत्ता यानि कि हवा में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है, कि उस जहरीली हवा में सांस लेना भी नामुमकिन हो जाता है। दिल्ली में इसी प्रदूषण के चलते ही सरकार को यात्री आदि की चहल-पहल पर तो प्रतिबंध लगाने ही पड़े साथ ही प्रदूषण के चलते ऑफिस और स्कूल बंद करने तक की नौबत भी आ गई थी। इस बार लेकिन आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों के पराली जलाने के इस एक्शन के खिलाफ करारा जवाब देने की सोच ली है। जो किसान पराली जलाते हुए पकड़ा जाएगा, उसका नाम रिवेन्यू रिकॉर्ड्स की रेट एंट्री में दर्ज कर दिया जाएगा और साथ ही भारी मात्रा में आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा।


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क्या है रेड एंट्री में नाम आने के नुकसान

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 4000 से ज्यादा किसानों के नाम रिवेन्यू डिपार्टमेंट के रेड एंट्री रजिस्टर में दाखिल हो चुके हैं यह वही किसान हैं, जिन्हें अपनी भूमि पर पराली चलाते हुए पकड़ा गया है। रेड एंट्री में आए हुए किसान ना तो अपनी उस भूमि पर लोन ले सकते हैं, और ना ही अपनी इच्छा के अनुसार भूमि को गिरवी रखना या बेचने जैसे फैसले ले सकते हैं। साथ ही, इसी एक्शन के तहत 1.50 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना किया जा चुका है। लेकिन अभी तक किसानों की तरफ से इसका ज्यादा भुगतान नहीं किया गया है। पिछले साल भी लगाए गए जुर्माने की राशि लगभग 2.85 करोड़ के करीब थी।

किस आधार पर लग रहा है जुर्माना

किसानों पर लगाया जाने वाला यह जुर्माना पर्यावरण जुर्माने के तहत ही आता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के तहत इस जुर्माने की राशि को किसानों की जमीन के हिसाब से रखा गया है। जैसे कि 2 एकड़ तक की जमीन वाले किसान अगर पराली जलाते हैं, तो उन पर ₹2500 तक का जुर्माना होगा और अगर आप की जमीन दो से 5 एकड़ के बीच में है तो जुर्माने की राशि 5000 हो जाएगी। इससे भी अधिक भूमि वाले किसान अगर यह कदम उठाते हैं, तो उनको रूपये १५००० तक का जुर्माना भुगतान करना पड़ सकता है।


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हालांकि वायु गुणवत्ता मंत्रालय द्वारा पहली भी ये, कदम उठाने की पहल की जा चुकी है, और साथ ही यहां पर यह अपील भी की गई थी। कि पराली जलाने के मामले को आपराधिक माना जाए। लेकिन कोर्ट के आए फैसले के अनुसार इसे केवल जुर्माने के तहत ही रखा गया है, और अभी इससे जुड़ी हुई किसी भी तरह की आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती हैं। लेकिन पंजाब सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कहीं ना कहीं इन मामलों में कमी जरूर लेकर आएगा। पंजाब की ही तर्ज पर हरियाणा के करनाल जिले में भी किसानों पर पराली जलाने के चलते जुर्माना लगाया गया है। यह घटनाएं पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कम हुई हैं।
मेरीखेती की टीम ने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में आयोजित मेले को कवर किया

मेरीखेती की टीम ने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में आयोजित मेले को कवर किया

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय किसान व पशुपालन मेले का भव्य आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यहां पहुंचकर कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने वाले लोगों को पुरस्कार दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब की खेती की आन बान शान एवं पंजाबियों के दिलों के करीब पीएयू ने कृषि क्षेत्र को दिशा दिखाई है। मेले में आकर किसानों ने काफी नवीन तकनीकों के बारे में जाना। सीएम भगवंत मान ने इस दौरान कहा कि जब मैं आ रहा था तो नहर वाले रास्ते पर मुझे यह देखकर खुशी हुई कि पंजाब के नौजवानों ने हाथों में बीजों की बोरियां पकड़ी हुई थीं और वे खेती के लिए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि अब खेती के तरीके बदल गए हैं। साइंस ने कृषि को और एडवांस कर दिया है। खेत में सिंचाई के भी अब एक नहीं कई तरीके आ गए हैं।

भारत में पंजाब बासमती चावल का सबसे बड़ा उत्पादक: मुख्यमंत्री भगवंत मान

सीएम भगवंत मान ने कार्यक्रम में कहा कि पंजाब सरकार ने
बासमती चावल की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया है। भारत में पंजाब बासमती का सबसे बड़ा उत्पादक है। हमने विदेश में बासमती को लेकर मापदण्डों के विषय में पता किया। विदेश में बासमती के लिए जिन कीटनाशक दवाइयों को लेकर प्रतिबंधित थी। हमारी सरकार द्वारा उन दस की दस स्प्रे पर रोक लगा दी। ताकि बासमती को ज्यादा से ज्यादा खरीदा जाए।

मेरीखेती के संवाददाता ने कृषि मंत्री से की बात

मेरीखेती के संवाददाता सोनेश पाठक जी ने पंजाब के कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुडियां से अपनी वेबसाइट से संबंधित समस्त किसान हितेषी कार्यों के बारे में अवगत कराया। साथ ही, उन्होंने कृषि क्षेत्र में आधुनिक एवं नवीनतम मशीनरी के उपयोग और महत्व के संदर्भ में भी चर्चा की। पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां कृषि उद्योग की सफलता के लिए काफी अवसर होते हैं।
NGT ने पराली जलाने के चलते बढ़ते प्रदूषण को लेकर पंजाब-हरियाणा सरकार से नाखुशी जताई

NGT ने पराली जलाने के चलते बढ़ते प्रदूषण को लेकर पंजाब-हरियाणा सरकार से नाखुशी जताई

एनजीटी ने इससे पूर्व प्रदूषण एवं पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर पंजाब सरकार की खिंचाई की थी। एनजीटी ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना भी की थी। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब तथा हरियाणा सरकार को 2024 में पराली जलाने के मामलों को कम करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। ट्रिब्यूनल ने टिप्पणी में कहा, कि 'आप इसके विषय में भूल जाएंगे तथा अगले वर्ष पंजाब में पुनः पराली जलाई जाएगी।' एनजीटी ने राज्यों को आगामी वर्ष के लिए विभिन्न निवारक कदमों समेत एक समयबद्ध कार्य योजना (एक्शन प्लान) तैयार करने का निर्देश दिया है। दिल्ली प्रदूषण के संबंध में, ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में सिर्फ GRAP को लागू करने एवं रद्द करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फटकार लगा दी। एनजीटी ने कहा है, कि सीएक्यूएम अपने आधार पर कार्य कर रहा है। CAQM का क्या काम है? वे बस GRAP को रद्द करते हैं और लागू करते हैं। उनके 90% फीसद सदस्य बैठकों में शामिल नहीं होते हैं।'

एनजीटी ने पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर नाराजगी जाहिर की है 

एनजीटी ने इससे पूर्व प्रदूषण एवं पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर पंजाब सरकार से सवाल पूछा था। एनजीटी ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना भी की थी। हरित न्यायाधिकरण मतलब कि NGT ने पराली जलाने पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर नाखुशी व्यक्त की थी। 

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एनजीटी ने पराली जलाने को लेकर प्रशासन को जिम्मेदार बताया 

एनजीटी ने इसको "प्रशासन की पूर्ण विफलता" बताते हुए कहा किजब मामला उठाया गया था तब पराली जलाने की लगभग 600 घटनाएं दर्ज की गई थीं और अब यह संख्या 33,000 है, इस तथ्य के बावजूद कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार कर रहे हैं और आप कह रहे हैं कि आप प्रयास कर रहे हैं।एनजीटी ने कहा था कियह आपके प्रशासन की पूर्ण विफलता है। पूरा प्रशासन काम पर है और फिर भी आप विफल रहे हैं।''

पंजाब के वकीलों से एनजीटी ने सवाल किया था 

एनजीटी ने पंजाब सरकार को "उल्लंघनकर्ताओं पर मुकदमा चलाने में सेलेक्टिव रोल" के लिए भी बुलाया था। क्योंकि पंजाब के वकील ने कहा था कि उसने 1,500 में से एक ही दिन में फसल जलाने के लिए महज 829 के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की थी।यह एक दिन की घटना का तकरीबन एक-चौथाई है। इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब के वकील से कहा कि सभी के विरुद्ध समान कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फसल अवशेष जलाना "तत्काल" रोका जाए, यह कहते हुए कि वह प्रदूषण के कारण "लोगों को मरने" नहीं दे सकता।