मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें
किसान भाई कस्टम हायरिंग सेंटरों से मशीन किराये पर लेकर खेती का कार्य सुगमता से कर सकते हैं। यदि आप सेंटर खोलने के लिए इच्छुक हैं, तो आपको स्नातक की डिग्री चाहिए। सरकार 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। एक सेंटर निर्मित करने के लिए 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता पड़ेगी। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है, कि फसलों की उत्पादकता एवं किसानों का मुनाफा बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा। यह एक गलत धारणा है, कि मशीनीकरण से रोजगार के अवसरों में कोई गिरावट आती है। दरअसल, सच तो यह है कि इससे रोजगार की नवीन संभावनाएं बनती हैं। राज्य में इस वक्त 3800 कस्टम हायरिंग केंद्र (CHC) मतलब मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं, जिन राज्यों में किसान मशीनों का अधिक उपयोग करते हैं, वो खेती में काफी आगे हैं। इसके लिए पंजाब एवं हरियाणा को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। मध्य प्रदेश भी इस दिशा में आगे बढ़ने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसकी तस्दीक यहां पर होने वाली ट्रैक्टर बिक्री से की जा सकती है।किसानों ने विगत पांच वर्षों में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदें हैं
राज्य सरकार ने दावा किया है, कि मध्य प्रदेश के किसानों ने 2018-19 से अब तक बीते पांच साल में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदे हैं। ट्रैक्टर की बिक्री कृषि विकास की निशानी मानी जाती है। कस्टमर हायरिंग सेंटर सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह एवं ग्रामीण उद्यमियों द्वारा संचालित किया जाता है। जिससे कि लघु एवं मध्यम कृषकों को कृषि यंत्रों की सुविधा सुगमता से मिल जाए। यहां पर 2012 में कस्टम हायरिंग सेंटर निर्माण की पहल की गई थी। ये भी पढ़े: सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री में 35.5% फीसदी की वृद्धिकिसान भाइयों को मशीन बैंक का फायदा कैसे मिलता है
कस्टम हायरिंग सेंटर इस उद्देश्य के साथ स्थापित किए गए हैं, कि वे 10 किलोमीटर के आस-पास के दायरे में लगभग 300 किसानों को सेवाएं दे सकें। इसके माध्यम से किसान अपनी आवश्यकता की मशीनों को किराये पर लेकर कृषि कार्य कर सकते हैं। इन केंद्रों की सेवाओं को अधिक फायदेमंद बनाने के लिए संख्या को सीमित रखा गया है। संपूर्ण राज्य में केवल 3800 मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर से लघु व सीमांत किसानों को किराये पर मशीन उपलब्ध कराई जाती है, जिसके लिए भारी पूंजी निवेश की जरूरत होती है। राज्य सरकार 40.00 लाख से लेकर 2.50 करोड़ तक की कीमत वाली नवीन और आधुनिक कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब तैयार कर रही है। अब तक 85 गन्ना हार्वेस्टर्स के हब निर्मित हो गए हैं। यह जानकारी मध्य प्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचालक राजीव चौधरी द्वारा साझा की गई है।प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं
किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर का फायदा देने एवं किराये पर उपलब्ध कृषि मशीनों के संबंध में जागरूक करने के लिए एक अभियान जारी किया गया है। कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसानों के ज्ञान एवं कौशल में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। कौशल विकास केंद्र भोपाल, जबलपुर, सतना, सागर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और सतना में ऐसा कार्यक्रम चल रहा है। इनमें ट्रैक्टर मैकेनिक एवं कंम्बाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर कोर्स आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 4800 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। ये भी पढ़े: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडीयुवा किसान किस प्रकार मशीन बैंक खोल सकते हैं
ग्रामीण युवा स्नातक की डिग्री के साथ इस योजना का फायदा ले सकते हैं। इसमें समकुल 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है। युवाओं को 5 लाख रुपये की मार्जिन धनराशि देनी पड़ती है। सरकार समकुल लागत का 40 प्रतिशत अनुदान देती है, जो अधिकतम 10 लाख तक होती है। अतिरिक्त लागत बैंक लोन से कवर हो जाती है। किसानों के हित में केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से योजनाएं चलाती हैं।
09-Sep-2023