इतने लाख से नीचे के कर्ज वाले किसानों को मिलेगा फायदा
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस निर्णय पर एक अधिकारी ने कहा है, कि जिन किसानों का कर्ज और ब्याज जॉइंट रुप से दो लाख रुपये से नीचे है, उन्हें इस योजना में शम्मिलित किया जाएगा। बतादें, कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत वर्ष ऐलान किया था, कि राज्य सरकार उन किसानों के कृषि कर्ज पर जारी ब्याज बैंकों में जमा करेगी। जिन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार के वादे की वजह से अपना कर्जा नहीं चुकाया था।
अधिकारी ने जानकारी दी, है कि कैबिनेट द्वारा सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए कर्ज पर किसानों के लिए ब्याज का भुगतान करने हेतु 2,123 करोड़ रुपये की धनराशि के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। सरकार के इस निर्णय के उपरांत से अब कृषकों को ब्याज का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने पूर्व में आरोप लगाया था, कि विगत कांग्रेस सरकार की तरफ से कर्ज माफी के वादे की वजह से कई किसान कृषि कर्ज नहीं चुका पाए थे। उन्होंने कांग्रेस पर कर्ज माफ करने के वादे को पूर्ण नहीं करने का आरोप लगाया, जिसकी वजह से किसानों ने कर्ज नहीं चुकाया है। दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से दावा किया गया है, कि उनकी सरकार के समय प्रदेश के करीब 24 लाख किसानों को कृषि ऋण माफी योजना का लाभ प्राप्त हुआ था।
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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हाल ही में वित्त मंत्रालय ने एग्रीकल्चर लोन पर पूछे गए सवाल का जवाब देने के लिए इस पूरे ब्योरे को समक्ष रखा। जो आंकड़ें प्रस्तुत किए गए जो उसका सोर्स था वो नाबार्ड थी। चलिए आज पटल पर रखे उन आंकड़ों को बारीकी के साथ देखने का प्रयास करते हैं और समझते हैं, कि आखिर भारत के किसानों पर किस वर्ग के बैंक का कितना कर्जा है।
किसानों पर सबसे ज्यादा कर्ज प्राइवेट-सरकारी बैंकों से है
प्रारंभ तो आज मेन स्ट्रीम बैंकों के साथ होना चाहिए, जिनमें भारत के प्राइवेट और सरकारी दोनों बैंक शम्मिलित हैं। कमर्शियल कैटेगिरी के बैंकों से भारत के 10.80 करोड़ किसानों ने कर्जा लिया है, जिनका कुल कर्ज 16.40 लाख करोड़ रुपये है। अगर इसका औसत निकाला जाए तो हरेक किसान पर 1.51 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज निकलेगा, जोकि कुल औसत से अधिक है।
किसानों पर को-ऑपरेटिव बैंकों का कर्ज भी कम नहीं है
साथ ही, दूसरी तरफ को-ऑपरेटिव बैंकों के लोन की बात की जाए तो रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है, कि भारत के 2.67 करोड़ किसानों ने कर्ज लिया है। जिन पर इन बैंकों का 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। मुख्य बात तो यह है, कि 37 राज्यों में 9 राज्यों के किसानों ने इन बैंकों से कोई भी कर्जा ही नहीं लिया। इसका अर्थ है, कि यह आंकड़ा केवल 28 राज्यों का ही है। यदि इस कर्ज को किसानों में विभाजित कर बांट दिया जाए तो 75,241.35 रुपये प्रति किसान कर्ज बन रहा है।
किसानों पर रीजनल बैंकों के कर्ज का भी भार
वहीं, दूसरी ओर रीजनल बैंकों की बात की जाए तो 9 राज्य ऐसे हैं, जिनके किसानों ने इन बैंकों से कर्ज नहीं लिया। परंतु, लोन के मामले में को—ऑपरेटिव बैंकों के कर्ज के आंकड़ें को पीछे छोड़ दिया। भारत के 27 राज्यों के लगभग 2.76 करोड़ किसानों ने रीजनल बैंकों से 2.58 लाख करोड़ रुपये का लोन ले रखा है। यदि इस कर्ज को सभी किसानों में विभाजित कर दिया जाए तो प्रत्येक किसान पर 93,657.29 रुपये का कर्ज होगा।
सबसे ज्यादा कर्जा यूपी-राजस्थान के किसानों पर
राज्यों की बात करें तो सर्वाधिक कर्जा राजस्थान के किसानों पर है। आंकड़ों के मुताबिक, 99.97 लाख किसानों ने बैंकों से कर्जा लिया है। इस लोन की धनराशि 1.47 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की है। उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां पर 1.51 करोड़ किसानों ने बैंकों से कर्ज लिया है और कर्ज की धनराशि 1.71 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। गुजरात में भी 47.51 लाख किसानों ने भी कर्ज लिया है, जो कि एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का है।