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Farmers Scheme

इस राज्य में ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार की तरफ से 1 लाख का अनुदान

इस राज्य में ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार की तरफ से 1 लाख का अनुदान

कृषि कार्यों में किसानों का सबसे सच्चे साथी ट्रैक्टर कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

खेती में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले यंत्र मतलब कि ट्रैक्टर की खरीद पर कृषकों को मोटा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ हांसिल करने के लिए किसान भाई शीघ्रता से आवेदन करें। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हरियाणा सरकार द्वारा ट्रैक्टर की खरीद पर यह अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। हालांकि, सभी किसान अनुदान का फायदा नहीं उठा पाऐंगे। 

ये केवल अनुसूचित जाति के किसानों के लिए है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति के कृषकों को 45 एचपी व उससे ज्यादा क्षमता वाले ट्रैक्टर पर 1 लाख का अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। 

इसके लिए किसान 26 फरवरी से 11 मार्च तक विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

जानिए किस प्रकार किया जाएगा चयन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि हर एक जिले में लाभार्थी का चयन गठित जिला स्तरीय कार्यकारी समिति द्वारा ऑनलाइन ड्रॉ के जरिए किया जाएगा। 

चयन के उपरांत चयनित किसान को सूचीबद्ध अनुमोदित निर्माताओं से अपनी प्राथमिकता आधारित ट्रैक्टर मॉडल और मूल्य का चुनाव करके सिर्फ बैंक के जरिए से अपने भाग की कीमत अनुमोदित खाते में जमा करवानी होगी। 

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डिस्ट्रीब्यूटर से किसान के विवरण, बैंक का विवरण, ट्रैक्टर मॉडल, मूल्य की मान्यता के पोर्टल या ई-मेल के जरिए अनुदान ई-वाउचर के लिए प्रार्थना करनी होगी।

पीएमयू और बैंक की जांच के पश्चात डिजिटल ई-वाउचर से मान्यता प्राप्त डिस्ट्रीब्यूटर को जारी किया जाएगा। अनुदान ई-वाउचर प्राप्त होने के शीघ्रोपरान्त किसान को उसकी चुनी हुई ट्रैक्टर के साथ बिल, बीमा, टेम्परेरी नंबर तथा आरसी के आवेदन शुल्क की रसीद इत्यादि दस्तावेजों को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। 

दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन करना बेहद आवश्यक

जिलास्तरीय कार्यकारी समिति को ट्रैक्टर के समस्त जरूरी दस्तावेजों समेत भौतिक सत्यापन प्रस्तुत करना होगा। समिति सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद भौतिक सत्यापन रिपोर्ट फॉर्म के साथ पोर्टल पर अपलोड करेगी और निदेशालय को ईमेल के माध्यम से सूचित करेगी। निदेशालय स्तर पर जांच के पश्चात अनुदान स्वीकृति ई-वाउचर के जरिए से किसान को जारी करेगा।

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किसान भाई ज्यादा जानकारी हेतु यहां संपर्क करें 

किसान भाई ज्यादा जानकारी के लिए जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक एवं सहायक कृषि अभियंता के कार्यालय से संपर्क साध सकते है। 

साथ ही, इच्छुक किसान कृषि विभाग की वेबसाइट www.agriharyana.gov.in पर जाकर विजिट करें। इसके अतिरिक्त टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

अब भारतीय किसानों की आजीविका सुधारने के लिए काम करेगा वॉलमार्ट Walmart, 10 लाख किसानों को होगा फायदा

अब भारतीय किसानों की आजीविका सुधारने के लिए काम करेगा वॉलमार्ट Walmart, 10 लाख किसानों को होगा फायदा

भारत में वॉलमार्ट (Walmart) अब छोटे किसानों की आजीविका को सुधारने का काम करने जा रहा है। इसके लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन ने बुधवार को अपनी नई पंचवर्षीय रणनीति की घोषणा की। इसके साथ ही फाउंडेशन ने 2 अन्य अनुदानों की भी घोषणा की है। वॉलमार्ट फाउंडेशन का कहना है कि इस रणनीति के जरिए वह देश के 10 लाख छोटे किसानों तक पहुंच सुनिश्चित करना चाह रहा है। इसमें 50 फीसदी महिला किसानों को भी शामिल किया जाएगा। इस रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा सहित कई राज्यों के छोटे किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन अनुदान भी प्रदान करेगा। वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) अपनी इस पहल से महिला किसानों को सशक्त करना चाह रहा है, साथ ही खेती में आधुनिक उपकरणों को बढ़ावा देना उसका अगला लक्ष्य है। बकौल वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation), छोटे किसानों के बीच पर्यावरण के अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करना उनका मुख्य लक्ष्य है।

इन किसानों को मिलेगा अनुदान

वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) ने कहा है कि महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में छोटे किसानों के लिए 30 लाख अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया जाएगा। इसका फायदा 30 हजार छोटे किसानों को होगा, जिनमें आधी महिला किसान भी शामिल होंगी। साथ ही ओडिशा में 1 हजार महिला किसानों को 5 लाख 33 हजार 876 डॉलर का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही महिला किसानों को 2 उत्पादक संगठनों से जोड़ा जाएगा। इससे महिला किसानों की आय में इजाफा हो सकता है। ये भी पढ़े:
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वॉलमार्ट (Walmart) की रणनीति से इन राज्यों के किसानों को होगा फायदा

वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) ने बताया है कि उनकी रणनीति मुख्य तौर पर आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, उड़ीसा, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों पर केंद्रित रहेगी। इसके साथ ही इन राज्य के छोटे किसानों को अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। इस दौरान वॉलमार्ट (Walmart) के घोषणा कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे। उन्होंने वॉलमार्ट के द्वारा छोटे किसानों और खास तौर पर महिला किसानों के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी लगातार देश के किसानों के उत्थान के लिए काम कर रही है, इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं जिनसे देश के किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस घोषणा कार्यक्रम के दौरान वॉलमार्ट के कर्मचारियों ने बताया कि उनका फाउंडेशन आगामी साल 2028 तक 10 लाख किसानों की मदद करने जा रहा है।

वॉलमार्ट (Walmart) की इस पहल से छोटे किसानों को होगा फायदा

वॉलमार्ट (Walmart) की इस पहल से छोटे किसानों और मुख्य तौर पर महिला किसानों को फायदा होने वाला है। यह एक प्रकार से वॉलमार्ट की ओर से महिला सशक्तिकरण में एक नया कदम होगा। वॉलमार्ट से जुड़ने के बाद महिला किसान मुख्य धारा में आ जायेंगी और आधुनिक कृषि यंत्रों की सहायता से उन्नत खेती कर सकेंगी। इससे महिला किसानों की आय के साथ ही उनके जीवन जीने के तरीके में भी सुधार होगा।
बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बतादें कि वर्तमान में बिहार सरकार मशरूम के ऊपर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। बिहार सरकार का कहना है, कि मशरूम की खेती से राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों की आमदनी में इजाफा किया जा सकता है। बिहार राज्य में किसान पारंपरिक फसलों समेत बागवानी फसलों का भी जमकर उत्पादन करते हैं। यही कारण है, कि बिहार मखाना, मशरूम, लंबी भिंडी और शाही लीची के उत्पादन में अव्वल दर्जे का राज्य बन चुका है। हालांकि, राज्य सरकार से किसानों को बागवानी फसलों की खेती करने के लिए बंपर सब्सिडी भी दी जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को आम, लीची, कटहल, पान, अमरूद, सेब और अंगूर की खेती करने पर समय- समय पर सब्सिडी दी जाती है।

हजारों की संख्या में किसान अपने घर के अंदर ही मशरूम उगा रहे हैं

बतादें कि मशरूम बागवानी के अंतर्गत आने वाली फसल है। साथ ही, मशरूम की खेती में काफी कम खर्चा आता है। मशरूम उत्पादन हेतु खेत व सिंचाई की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि किसान भाई चाहें तो अपने घर के अंदर भी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। फिलहाल, बिहार में हजारों की तादात में किसान घर के अंदर ही मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको काफी अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। दरअसल, मशरूम अन्य सब्जियों जैसे कि लौकी, फूलगोभी और करेला आदि की तुलना में महंगा बिकता है। अब ऐसी स्थिति में मशरूम की खेती करने पर किसानों को कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है। यही वजह है, कि बिहार सरकार मशरूम की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।

मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 फीसद अनुदान

वर्तमान में बिहार राज्य के मशरूम उत्पादकों के लिए काफी अच्छा अवसर है। बतादें, कि फिलहाल कृषि विभाग एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है। मुख्य बात यह है, कि राज्य सरकार द्वारा कंपोस्ट उत्पादन के लिए इकाई लागत 20 लाख रुपए तय की गई है। उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर किसान भाई इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह भी पढ़ें: बिहार में मशरूम की खेती कर महिलाएं हजारों कमा हो रही हैं आत्मनिर्भर

बिहार में पिछले साल हजारों टन मशरूम की पैदावार हुई थी

बिहार राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कुछ न कुछ योजना जारी कर रही है। बिहार सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अगर किसान भाई चाहें, तो अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जनपद के सहायक उद्यान निदेशक से सम्पर्क साध सकते हैं। बतादें, कि बिहार मशरूम उत्पादन के मामले में भारत के अंदर प्रथम स्थान पर है। इसके उपरांत दूसरे स्थान पर ओडिशा आता है। विगत वर्ष बिहार में 28000 टम मशरूम की पैदावार हुई थी।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें

किसान भाई कस्टम हायर‍िंग सेंटरों से मशीन क‍िराये पर लेकर खेती का कार्य सुगमता से कर सकते हैं। यदि आप सेंटर खोलने के ल‍िए इच्छुक हैं, तो आपको स्नातक की डिग्री चाहिए। सरकार 10 लाख रुपये तक की सब्स‍िडी प्रदान करेगी। एक सेंटर निर्मित करने के ल‍िए 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता पड़ेगी। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है, क‍ि फसलों की उत्पादकता एवं क‍िसानों का मुनाफा बढ़ाने के ल‍िए कृषि क्षेत्र में मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा। यह एक गलत धारणा है, कि मशीनीकरण से रोजगार के अवसरों में कोई गिरावट आती है। दरअसल, सच तो यह है क‍ि इससे रोजगार की नवीन संभावनाएं बनती हैं। राज्य में इस वक्त 3800 कस्टम हायरिंग केंद्र (CHC) मतलब मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं, ज‍िन राज्यों में क‍िसान मशीनों का अधिक उपयोग करते हैं, वो खेती में काफी आगे हैं। इसके ल‍िए पंजाब एवं हर‍ियाणा को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। मध्य प्रदेश भी इस द‍िशा में आगे बढ़ने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसकी तस्दीक यहां पर होने वाली ट्रैक्टर ब‍िक्री से की जा सकती है।

किसानों ने विगत पांच वर्षों में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदें हैं

राज्य सरकार ने दावा किया है, क‍ि मध्य प्रदेश के किसानों ने 2018-19 से अब तक बीते पांच साल में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदे हैं। ट्रैक्टर की ब‍िक्री कृष‍ि व‍िकास की न‍िशानी मानी जाती है। कस्टमर हायर‍िंग सेंटर
सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह एवं ग्रामीण उद्यम‍ियों द्वारा संचालित किया जाता है। जिससे कि लघु एवं मध्यम कृषकों को कृषि यंत्रों की सुविधा सुगमता से मिल जाए। यहां पर 2012 में कस्टम हायरिंग सेंटर निर्माण की पहल की गई थी। ये भी पढ़े: सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री में 35.5% फीसदी की वृद्धि

किसान भाइयों को मशीन बैंक का फायदा कैसे मिलता है

कस्टम हायरिंग सेंटर इस उद्देश्य के साथ स्थापित किए गए हैं, कि वे 10 किलोमीटर के आस-पास के दायरे में लगभग 300 किसानों को सेवाएं दे सकें। इसके माध्यम से क‍िसान अपनी आवश्यकता की मशीनों को क‍िराये पर लेकर कृषि कार्य कर सकते हैं। इन केंद्रों की सेवाओं को अधिक फायदेमंद बनाने के लिए संख्या को सीमित रखा गया है। संपूर्ण राज्य में केवल 3800 मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर से लघु व सीमांत किसानों को किराये पर मशीन उपलब्ध कराई जाती है, जिसके लिए भारी पूंजी निवेश की जरूरत होती है। राज्य सरकार 40.00 लाख से लेकर 2.50 करोड़ तक की कीमत वाली नवीन और आधुनिक कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब तैयार कर रही है। अब तक 85 गन्ना हार्वेस्टर्स के हब निर्मित हो गए हैं। यह जानकारी मध्य प्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचालक राजीव चौधरी द्वारा साझा की गई है।

प्रदेश के युवाओं के ल‍िए रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं

किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर का फायदा देने एवं किराये पर उपलब्ध कृषि मशीनों के संबंध में जागरूक करने के लिए एक अभ‍ियान जारी क‍िया गया है। कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसानों के ज्ञान एवं कौशल में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। कौशल विकास केंद्र भोपाल, जबलपुर, सतना, सागर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और सतना में ऐसा कार्यक्रम चल रहा है। इनमें ट्रैक्टर मैकेनिक एवं कंम्बाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर कोर्स आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 4800 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित क‍िया जा चुका है। ये भी पढ़े: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

युवा किसान किस प्रकार मशीन बैंक खोल सकते हैं

ग्रामीण युवा स्नातक की डिग्री के साथ इस योजना का फायदा ले सकते हैं। इसमें समकुल 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है। युवाओं को 5 लाख रुपये की मार्जिन धनराशि देनी पड़ती है। सरकार समकुल लागत का 40 प्रतिशत अनुदान देती है, जो अधिकतम 10 लाख तक होती है। अतिरिक्त लागत बैंक लोन से कवर हो जाती है। किसानों के हित में केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से योजनाएं चलाती हैं।